Thursday, 28 February 2019

हर किसी की जुबा पर ट्रेंड कर रहा, ‘मोदी है तो मुमकिन है’


हर किसी की जुबा पर ट्रेंड कर रहा, ‘मोदी है तो मुमकिन है
तीन राज्यों में हार का असर नहीं, मोदी की लोकप्रियता में चार चांद लगा रहा एअर सर्जिकलस्ट्राइक
मोदी की कूटनीतिक रणनीति का कमाल, भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने बिना किसी सौदेबाजी के छोड़ने का किया ऐलान
सुरेश गांधी
हाल के दिनों मेंसौगंध मुझे मिट्टी की मैं देश नहीं मिटने दूंगाहर किसी के जुबान पर है। हालांकि ये डायलॉग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की है। लेकिन इस डायलॉग की रट लगा रहे लोगों का कहना है कि इस देश की आन बान शान मोदी के हाथों मे ही सुरक्षित है। मोदी ने अब तक जो कहा, वो सबके सामने है। खासकर आतंकियों के खिलाफ की सख्त कार्रवाई को भारत का बच्चा बच्चा ही नहीं पूरी दुनिया लोहा मान ही है। मोदी ने बता दिया है कि बहुमत की सरकार होने का क्या मतलब होता है। यह मोदी की सेना को मिली छूट की ही कमाल है कि हमारे जांबाज जवानों ने पाक सीमा में घुसकर 300 से भी अधिक आतंकियों को ढेर कर दिया। उनके प्रशिक्षण केन्द्र तहस नहस हो गए।
ऐसी ही उम्मीद 26/11 (2008 में मुम्बई में हुआ आतंकवादी हमला) और 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आत्मघाती हमले के बाद भी तत्कालीन सरकार से की जा रही थी, लेकिन तब ऐसा नहीं हो पाया था। देश की जनता खून का घूंट पीकर रह गई थी। इसका असर यह हुआ कि आतंकवादियों और उनको संरक्षण देने वालों की छाती चौड़ी हो गई। वह और ताकत के साथ भारत की बर्बादी का ख्वाब बुनने लगे थे। कई जगह उन्होंने आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया, लेकिन मोदी सरकार ने आते ही कह दिया था कि वह आतंकवाद पर जीरो टालरेंस की नीति पर चलेगी। आतंकवादियों को पालनेपोसने वाले पाकिस्तान से यह कहते हुए बातचीत बंद कर दी गई कि गोलीबारूद के शोर के बीच बातचीत नहीं हो सकती है, लेकिन पाकिस्तान और वहां बैठे आतंकवादी बाज नहीं आए, जिसकी इन्हें कीमत चुकानी पड़ी।
हमला क्यों किया गया, यह अन्य देशों को बताना जरूरी था। इसीलिये हमले के बाद हमले की वजह बताते हुए रक्षा से जुड़े सूत्रों ने साफ कहा कि जैश द्वारा बालाकोट में करीब दो दर्जन से अधिक आत्मघाती आतंकवादियों का दस्ता तैयार किया जा रहा था, जिन्हें जल्द भारत में दहशत फैलाने के लिए भेजा जाना था। इसलिये भारत को कार्रवाई करना जरूरी हो गया था। दुनिया में हिन्दुस्तान की साख गिरे इसलिए मोदी सरकार ने अपनी सेना को साफ निर्देश दिया था कि तो पाक सेना के ठिकानों और ही वहां की जनता को किसी तरह का नुकसान हो। सेना ने लेजर गाइडेड बमों से बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हमला किया। 1962 के चीन युद्ध के बाद पहली बार भारत ने वायु सेना का इस्तेमाल हमले के लिए किया।
इसके बावजूद ममतस बनर्जी को सबूत चाहिए। हालांकि सेना ने ममता सहित पाकिस्तान को सबूत देकर पूरी दुनिया को बताया है कि एफ 16 विमान भारत के खिलाफ ऑपरेशन में शामिल था। और मोदी की कूटनीतिक रणनीति का ही कमाल है कि भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने बिना किसी सौदेबाजी के छोड़ने का ऐलान किया है। इसे भारत की बड़ी जीत माना जा रहा है। बता दें कि पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा था कि उनके विमानों ने कई टारगेट लिए। यानी पाकिस्तान के मुताबिक भी यह बात साबित होती है, उसके विमानों ने भारतीय सीमा में हमला किया। हालांकि, उसके इस हमले का कोई नुकसान नहीं पहुंचा। लेकिन जो मिसाइल भारतीय सीमा में दागा गया, उसके टुकड़े राजौरी में मिले हैं, जो भारतीय सेना ने दुनिया के सामने रख दिए हैं।
बता दें कि इसी माह 11 दिसंबर को मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए दुखद रहे। तीनों राज्यों में भाजपा के हाथ से सत्ता छिन गयी। सत्ता कांग्रेस ने हथिया ली। इसके बाद लोग कहने लग गए कि अब मोदी का जादू फिका पड़ने लगा है। इसका असर यह हुआ कि एक दुसरे को फूटी आंख देखने वाले भी आपस में गलबहियां करने लगे। धड़ाधड़ मोदी से खिसियाई दलों के नेता गठबंधन करने लग गए। राम मंदिर को लेकर आम जनमानस में भी मोदी को लेकर घुटन होने लगी। लोगों की रही सही उम्मींद भी उस वक्त छूट गयी जब मोदी ने खुद कहा, मंदिर तो कोर्ट फैसले के बाद ही बनेगा। मोदी के इस बयान के बाद मानों ऐसा लगा कि अब मोदी की लुटिया डूबने वाली है। लेकिन जम्मूकश्मीर के उरी में आतंकी हमले के बाद थल सेना ने सर्जिकल और अब पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए शहीदों के 13वीं के मौके पर वायु सेना ने जिस तरह एयर स्ट्राइक करके अपना वह दमखम दिखा दिया जिसका पूरा देश को इंतजार था। इससे एक तरफ पाकिस्तान और उसके शासकों एवं आम जनता के दिलों में भारत का खौफ नजर आया तो गठबंधन के जरिए अपनी अपनी अस्तित्व बचाने में जुटे दलों के नेताओं को मानों 440 बोल्ट का करंट लग गया हो। यही वजह है कि इस बार सबूत मांगने के बजाए सबकेसब एक सुर में सेना को पूरा श्रेय देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री करने में भलाई समझी। देशभर में ऐसा माहौल बना कि सब मोदी के मुरीद हो गए। खासकर तब जब सरकार यह कहती रही कि आतंक के मसले पर सभी दल एकजुट हो, लेकिन जनता ने नेताओं को समझा दिया कि नेता एक हो हो, एक मंच पर आएं आएं, जनता की एक ही राय है जो पाकिस्तान को धूल चटाएं वही उसका हीरों है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पाकिस्तान की शह पर आतंकी संगठन जैशमोहम्मद की कायराना करतूत के बाद पूरे देश में गम और आक्रोश का माहौल बना हुआ है। इसका राजनीतिक फायदा उठाने के लिए विपक्षी दलों ने कमर कस रखी थी। इसी संदर्भ में 27 फरवरी को सभी विपक्षी दलों की एक बैठक भी बुलाई गई थी। लेकिन पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को वायुसेना द्वारा तबाह किए जाने के बाद इस बैठक में पुलवामा पर चर्चा का रास्ता भी बंद हो गया। खैर, बात सैन्य कार्रवाई की कि जाए तो जैशमोहम्मद के आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए भारतीय सेना ने प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलहाकार अजित डोभाल के दिशानिर्देश में पूरी रणनीति बनाई थी। इसी के तहत जल थल और वायु तीनों तरफ से पाकिस्तान की घेराबंदी की गई। एनएसए, आईबी और रॉ जैसी खुफिया संस्थाओं ने सेना को पांच प्वांइट हमले के लिए दिए थे, जिस पर सर्जिकल स्ट्राइक कर रही टीम ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेना को साफ कहा था कि सिर्फ मानवता के दुश्मन आतंकवादियों और उनके ठिकानों को ही निशाना बनाया जाए।
पाक की आम जनता को नुकसान पहुंचा कर मोदी मानवता को शर्मशार नहीं करना चाहते थे। आतंकियों को मार कर मोदी ने पाक सेना को यह सबक तो दे दिया कि वह भी आतंकवादियों को नहीं बचा सकते हैं, लेकिन सीधे तौर पर पाक सेना को निशाना नहीं बनाया गया। मतलब साफ है लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पाकिस्तान के खिलाफ यह कार्रवाई कर भाजपा और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ काफी बढ़ गया है। पहले से ही आत्मविश्वास से सराबोर पीएम मोदी अब ताल ठोककर विपक्ष के हर हमले का जवाब दे सकेंगे। कुछ रक्षा विशेषज्ञ तो अभी भी यही मान रहे हैं कि अभी इस तरह की कुछ और स्ट्राइक भी आतंकवादियों के खिलाफ हो सकती हैं। पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरह से पाकिस्तान को चेतावनी दे रहे थे और सेना को कार्रवाई की खुली छूट देने की बात कह रहे थे, उसमें देश की जनता का विश्वास बढ़ा था। विपक्ष के पास अब पुलवामा आतंकी हमले के बाद सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाने का मौका जाता रहा। इसके बाद भी अगर विपक्ष प्रधानमंत्री पर पुलवामा हमले के बाद की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाता है तो इसे राजनीतिक बचकानापन ही कहा जाएगा।