Monday, 30 August 2021

जुबानी जंग के बजाय कैप्टन मुकेश ने किया टीम फोकस का ऐलान

जुबानी जंग के बजाय कैप्टन मुकेश ने किया टीम फोकस का ऐलान

कहां, नए यंगस्टर के सहयोग से कारपेट इंडस्ट्री के सपनों को मिलेगा उड़ान

टीम चयन के अगले छह माह के भीतर देखने को मिलेगा उद्योग में परिर्वतन

सुरेश गांधी

वाराणसी। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के चुनाव की वोटिंग तिथि में अब कुछ ही दिन शेष बचे है, लेकिन मैदान में उतरे दोनों टीमों की तरफ से समर्थकों में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। खासतौर से वाट्स्प ग्रूप में जमकर अपना पक्ष रखते हुए एक-दुसरे पर छीटाकसी का दौर जारी है। इसी कड़ी में रविवार को वाराणसी-भदोही मार्ग पर स्थित रॉयल फार्म लॉन में आयोजित इक्सपोटर्स मीट में दिल्ली से आएं सीनियर कालीन निर्यातक कैप्टन मुकेश ने फोकस टीम का ऐलान करते हुए कहा कि वे पुराने एवं अनुभवी सीएओ मेम्बर के साथ चुने जाने वाले यंगस्टर से मिलकर कारपेट इंडस्ट्री को नयी ऊंचाईयों तक ले जायेंगे।

                बता दें, कैप्टन मुकेश चुनाव मैदान में उतरी टीम के अगुवा है। वे सीईपीसी में वाइस चेयरमैन के पद पर रह चुके है। एक बार फिर से वे चुनाव मैदान में है। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि कालीन निर्यातकों की मांग पर ही उन्होंने इस बार अपनी टीम में एक तरफ पुराने एवं अनुभवी पूर्व चेयरमैन कुलदीप राज वाटल महाबीर प्रसाद उर्फ राजा शर्मा सहित गुलाम नवी भट वासिफ अंसारी को लिया है तो दुसरी तरफ यंगस्टर में रोहित गुप्ता पुत्र उमेश कुमार गुप्ता मुन्ना, टेक्सटीकों के इम्तियाज अहमद अंसारी, असलम महबूब अंसारी, दर्पण बरनवाल, फिरोज वजीरी, श्रीराम मौर्या अनिल सिंह है।

खास यह है कि इस बार उनके टीम में ग्लोबल अनुभव रखने वाले प्रतिष्ठित एवं सीनियर कालीन निर्यातक सूर्यमणि तिवारी भी है और लगातार चार बार से सीएओ चुने जा रहे आप सभी के लोकप्रिय उमेश गुप्ता मुन्ना को स्वास्थ्य एवं तकनीकी दिक्कतों के चलते उनकी जगह उनके बेटे रोहित गुप्ता को साथ में लिया है। इसके अलावा जम्मू एंड कश्मीर से यंगस्टर शेख आशिक रेस्ट आफ इंडिया से विजेन्दर सिंह जगलान बोधराज मल्होत्रा उनकी टीम में है। हम दावे के साथ कह सकते है यदि आपने मेरे टीम को चुना तो पुराने अनुभवी सदस्यों एवं यंगस्टर के साथ मिलकर कालीन उद्योग को सिर्फ बेहतर बनाने और एक नई ऊंचाई पर ले जाने का काम करेंगे बल्कि आने वाली पीढ़ियों या यंगस्टर को यूं ही मौका देते रहेंगे।

कैप्टन शर्मा ने दावे के साथ कि उनकी टीम में जो कंपोनेंट हैं, जो युवा शक्ति है उसके बूते वो उद्योग के वर्तमान और भविष्य को बदलने की क्षमता रखते है। आज हर तरफ औद्योगिक क्रांति का आधार बन रहा है। ऐसी परिस्थितियों में सरकार की मदद से उद्योग में छायी मंदी को दूर किया जा सकता है। बशर्ते सरकार से अपनी मांगे मनवाने की क्षमता होनी चाहिए और वो उनकी टीम में है। अंत में उन्होंने कहा कि वे कोई वादा तो नहीं करते, लेकिन वर्तमान में जो इंडस्ट्री के हालात है, समस्याएं है वह अगले छह माह में दूर करने का भरपूर प्रयास करेंगे। अब उनकी टीम जुबानी जंग में नहीं वास्तविकता के धरातल पर हुए कामों से आपका दिल जीतेगी। ब्यर्थ के बातों में उलझने के बजाय अपना फोकस बनाए रखेंगे।


इसके पूर्व एकमा के पूर्व अध्यक्ष हाजी शौकत अली अंसारी रवि पाटौदिया ने कालीन निर्यातकों से अपील किया कि वे धर्म-मजहब, जात-पात से उपर उठकर उन प्रत्याशियों को जीताएं जो इंडस्ट्री के विकास में अपना योगदान दे सके। क्योंकि उनकी कोई जाति है, ना ही पार्टी, सिर्फ इंस्डस्ट्री है और जो इसके लिए तत्पर है हमें उसे ही चुनना है। मीटिंग का संचालन पियुष बरनवाल ने किया। मीटिंग में सीनियर प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता मुन्ना, राजेन्द्र मिश्रा, काका ओवरसीज लिमिटेड ग्रूप के डायरेक्टर योगेन्द्र राय उर्फ काका, एकमाध्यक्ष ओंकारनाथ मिश्रा, केयर एंड फेयर के ट्रस्टी अध्यक्ष प्रकाशमणि शर्मा सहित एक हजार से अधिक कालीन निर्यातक एवं उनके सदस्य मौजूद रहे।

बता दें, सीईपीसी की प्रशासनिक समिति के 17 सदस्यों के लिए चुनाव हो रहा है। इसके लिए पूरे देश से 34 निर्यातकों ने आनलाइन नामांकन किया था। नामांकन पत्रों की जांच में संजय गुप्ता गुट के शमसुद्दीन अंसारी, अमित मौर्य अशोक अग्रवाल और कैप्टन मुकेश गुट के पीयूष बरनवाल और राजेंद्र मिश्रा का नामंकन पत्र निरस्त हो गया। रिटर्निंग आफिसर जगमोहन द्वारा जारी वैध प्रत्याशियों की सूची में उत्तर प्रदेश से 18 प्रत्याशी, शेष भारत से सात और कश्मीर कोटे से चार प्रत्याशी मैदान में हैं। चुनाव 10 सितंबर को होगा। इस बार चेयरमैन जम्मू कश्मीर से होगा जबकि प्रथम उपाध्यक्ष शेष भारत और द्वितीय उपाध्यक्ष उत्तर प्रदेश से होगा। चुनाव आनलाइन होगा और 2 सितम्बर से वोटिंग शुरु होगी।

Monday, 23 August 2021

यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन

यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन

उनके अंतिम संस्कार में सीएम योगी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेता शामिल हुए

बेटे राजवीर ने दी मुखाग्नि

सुरेश गांधी

बुलंदशहर। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान-हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए। राजकीय सम्मान के साथ बुलंदशहर जिले के नरौरा स्थित बंशी घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके पार्थिव शरीर को बेटे राजवीर सिंह ने मुखाग्नि दी गई। उनके अंतिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ा। उनके अंतिम संस्कार में सीएम योगी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। पूरी व्यवस्था सीएम योगी खुद देख रहे थे।

21 अगस्त को लखनऊ के अस्पताल में बीमारी के बाद 89 साल की उम्र में कल्याण सिंह का निधन हो गया था। निधन के बाद रविवार को कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के प्रदेश बीजेपी के लखनऊ स्थित कार्यालय में रखा गया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी लखनऊ जाकर कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि दी। साथ ही पीएम मोदी ने देश के वंचितों और पिछड़ों के कल्याण के लिए किए गए कामों के लिए कल्याण सिंह को याद किया। इसके अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी लखनऊ में कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन किए थे। कल्याण सिंह बीजेपी के नेताओं के लिए बाबूजी के तौर पर सम्मानित थे, लेकिन राजनीति का उनका कद ऐसा था कि धुर विरोधी मुलायम सिंह यादव हों या मायावती, यूपी की राजनीति में उनकी राजनीतिक हैसियत को समझा। 

जिस रास्ते से निकली यात्रा, लोगों की आंखें नम हो गईं

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंहबाबू जीकी अंतिम यात्रा में भारी सैलाब उमड़ा। जिस भी रास्ते से बाबू जी का पार्थिव शरीर गुजरा, लोगों की आंखें नम हो गईं। महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चों ने उन पर पुष्प वर्षा की। कई घंटों तक लोग अलीगढ़ के स्टेडियम से बुलंदशहर के नरौरा घाट तक सड़कों के दोनों तरफ खड़े रहे। सुबह 9 बजे से शुरू हुई ये यात्रा शाम तीन बजे नरौरा घाट पहुंची। घाट पर पूर्व सीएम को श्रद्धांजलि देने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा।

कल्याण सिंह के नाम पर सड़कों के नाम

कल्याण सिंह दो बार यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा वह राजस्थान के राज्यपाल भी रहे हैं। उनके निधन के बाद यूपी सरकार ने सूबे के छह जिलों की सड़कों को कल्याण सिंह के नाम पर समर्पित करने का फैसला किया है। सरकार की ओर से बताया गया कि अयोध्या, लखनऊ, प्रयागराज, अलीगढ़, बुलंदशहर और एटा की एक-एक सड़कों का नामकरण कल्याण सिंह के नाम पर किया जाएगा।

राम मंदिर आंदोलन के अग्रज नेता

कल्याण सिंह बीजेपी को देशभर में पहचान दिलाने वाले राम मंदिर आंदोलन के सबसे कद्दावर नेताओं में शामिल थे। अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के वक्त कल्याण सिंह की यूपी के मुख्यमंत्री थे और इस घटना के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कल्याण सिंह ने कहा कि था सरकार का मकसद पूरा हो गया और अब राम मंदिर के लिए मुख्यमंत्री पद का बलिदान देता हूं।