‘प्रवासियों’ के लिए हाईटेक हुआ ‘काशी’

सुरेश गांधी
देश का
15वां और यूपी
के पहले प्रवासी
भारतीय दिवस के
लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को नयी
नेली दुल्हन की
तरह सजाया जा
रहा है। कभी
धूल-मिट्टी से
सनी दीवारें अब
वर्ली, मधुबनी समेत थ्रीडी
पेंटिंग से सज
गई हैं। दीवारों
पर कहीं गहरे
हरे नीले रंग
के संयोजन के
साथ शंकर तांडव
नृत्य मुद्रा, तो
कहीं गंगा की
महिमा,ऐतिहासिक घाट
और मंदिर तो
कहीं भगवान बुद्ध
साधना में लीन
बैठे दिख रहे
हैं। या यूं
कहें काशी की
सशक्त पहचान सारनाथ
और महात्मा बुद्ध
से लेकर विश्व
प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला,
सांड-सीढ़ी, साधु-संयासी, संगीतकार, घंटघयिल
तक दीवारों पर
चटख रंगों से
उभारी गई है।
प्रभु श्रीराम के
साथ मां सीता,
लक्ष्मण के वन
गमन के प्रसंग
से लेकर संस्कृति,
परंपरा और इतिहास
को समेटे शहर
की दीवारों पर
बनी अनगिनत कलाकृतियां
लोगों के आकर्षण
का केन्द्र बनी
है। इसका मकसद
यही है कि
जिस बेस कल्चर
को प्रवासी देश
छोड़कर गए हैं,
वहीं उनको दिखाना
है। उन्हें काशी
की समृद्ध परंपरा
और संस्कृति से
भी रूबरू कराना
है।

खास यह
है कि प्रयागराज
में अर्धकुंभ के
दौरान प्रवास करने
वाले लाखों श्रद्धालुओं
के लिए बन
रहे ‘टेंट सिटी‘ की ही तर्ज
पर पीएम मोदी
के संसदीय क्षेत्र
वाराणसी में भी
43 हेक्टेयर में फैले
‘टेंट सिटी‘ में 1,480 प्रवासी
भारतीय प्रवास करेंगे। ‘टेंट
सिटी‘ में बने
सैकड़ों लग्जरी टेंटों में
प्रवास के अलावा
उसी ऐढे गांव
के ग्रामीण प्रवासी
भारतीयों को ग्रामीण
परिवेश का एहसास
भी कराएंगे। इस
गांव में बन
रहें ‘टेंट सिटी‘ में फाइव स्टार
होटल जैसी सुविधाएं
उपलब्ध होंगी। टेंट सिटी
पूरी तरह फायर
प्रूफ है। इसमें
सात ब्लॉक ह।
50 विला रूम, फाइव
स्टार सुविधा से
युक्त 450 डीलक्स और 120 फैमली
स्टे कॉटेज हैं।
कम से कम
1,000 वर्ग फीट एरिया
वाली 60 डॅारमेट्री भी बनाई
गई है।
टेंट सिटी
का हर डाइनिंग
हाल भी कुछ
अलग ही होगा।
इसमें विला के
लिए बनाए जा
रहे डाइनिंग हॉल
को भी मंदिर
नुमा बनाया जा
रहा है। टेंट
सिटी लालटेन की
रोशनी से रोशन
होगी। इसमें मिट्टी
तेल की जरूरत
नहीं होगी क्योंकि
आधुनिक ढंग से
बने में
बिजली के बल्ब
लगे हैं जो
रोशनी बिखेरेंगे। सभी
टेंट के अंदर
व बाहर लालटेन
टांगे जा रहे
हैं। इसके अलावा
रास्तों के किनारे
बल्ली के सहारे
भी लालटेन टांगकर
टेंट सिटी को
प्रकाशमय किया जा
रहा है। वहीं
एक दूसरे हॉल
के प्रवेश द्वार
पर काशी के
गंगा घाटों की
पेंटिंग बनाई जाएगी।
ऐसे में वहां
बनने वाले अस्पताल,
पुलिस स्टेशन सहित
सभी तरह के
बनावट को कुछ
अलग अलग तरह
से बनाया जा
रहा है। युवा
प्रवासी भारतीय दिवस के
तहत बीएचयू में
आने वाले प्रवासी
भारतीयों को लोक
नृत्य और संस्कृति
की झलक देखने
को मिलेगी। परिसर
में जिधर से
उनका काफिला गुजरेगा,
उन चौराहों पर
संगीत एवं मंच
कला संकाय के
छात्र-छात्राएं विभिन्न
अंचलों के नृत्य
की प्रस्तुति देंगे।




