इस बार आठ दिन की होगी नवरात्रि
लगातार
चैथे
साल
2018 में
चैत्र
नवरात्रि
आठ
दिन
की
मनाई
जाएगी।
सुबह
के
समय
लोग
घरों
व
मंदिरों
में
महाष्टमी
पर
देवी
का
पूजन
करेंगे।
फिर
दिन
में
रामनवमी
पर्व
पर
भगवान
श्रीराम
का
जन्मोत्सव
मनाया
जाएगा।
चैत्र
नवरात्रि
18 मार्च
को
शुरू
हो
रहीं
हैं।
25 मार्च
को
समाप्त
होंगी।
नवमी
तिथि
के
क्षय
होने
की
वजह
से
इस
बार
फिर
से
नवरात्रि
का
एक
दिन
घटने
से
यह
8 दिन
की
होगी।
साल
2014 में
चैत्र
नवरात्रि
पूरे
नौ
दिन
की
आई
थी,
लेकिन
इसके
बाद
साल
2015, 2016 और 2017 में तिथि की
घट-बढ़
होने
की
वजह
से
चैत्र
नवरात्रि
आठ
दिन
की
ही
रही।
इस
साल
चैत्र
नवरात्रि
का
शुभारंभ
और
समापन
दोनों
ही
रविवार
को
होगा।
शुभारंभ
सर्वार्थ
सिद्धि
योग
में
होगा
सुरेश
गांधी
शक्ति की अधिष्ठात्री
भगवती की आराधना
का पर्व माह
शुक्ल प्रतिपदा से
होता है। इसी
दिन से सनातनी
नववर्ष (नवसंवत्सर) का आरंभ
माना जाता है।
नववर्ष के पंचांग
की गणना की
जाती है। ज्योतिष
के मुताबिक सनातनी
नववर्ष में चंद्र
गणना पर आधारित
काल गणना पद्धति
प्रमुख है। इसमें
चंद्रमा की 16 कलाओं के
आधार पर दो
पक्षों का एक
मास होता है।
इसके आधार पर
विक्रम संवत की
गणना की जाती
है। बार
भी लगातार चैथे
साल 2018 में चैत्र
नवरात्रि आठ दिन
की मनाई जाएगी।
सुबह के समय
लोग घरों व
मंदिरों में महाष्टमी
पर देवी का
पूजन करेंगे। फिर
दिन में रामनवमी
पर्व पर भगवान
श्रीराम का जन्मोत्सव
मनाया जाएगा। चैत्र
नवरात्रि 18 मार्च को शुरू
हो रहीं हैं।
25 मार्च को समाप्त
होंगी। नवमी तिथि
के क्षय होने
की वजह से
इस बार फिर
से नवरात्रि का
एक दिन घटने
से यह 8 दिन
की होगी। साल
2014 में चैत्र नवरात्रि पूरे
नौ दिन की
आई थी, लेकिन
इसके बाद साल
2015, 2016 और 2017 में तिथि
की घट-बढ़
होने की वजह
से चैत्र नवरात्रि
आठ दिन की
ही रही। इस
साल चैत्र नवरात्रि
का शुभारंभ और
समापन दोनों ही
रविवार को होगा।
शुभारंभ सर्वार्थ सिद्धि योग
में होगा।
इस वर्ष
प्रतिपदा तिथि एक
दिन पहले ही
अर्थात 17 मार्च को संध्याकाल
में 7.41 बजे प्रारंभ
हो जाएगी, लेकिन
इसे सूर्योदय काल
से 18 मार्च को
ही माना जाएगा।
ज्योतिषियों के मुताबिक
लगातार चैथे वर्ष
2018 में फिर तिथि
घटने से यह
आठ दिन की
आई है। 18 मार्च
को उत्तरा भाद्र
पद नक्षत्र में
नवरात्रि शुरू होगी।
19 मार्च को द्वितीया,
20 को तृतीया, 21 को
चतुर्थी, 22 को पंचमी,
23 को छठ, 24 को
सप्तमी, 25 मार्च को सुबह
8.03 बजे तक अष्टमी
व इसके बाद
पूरे दिन नवमी
तिथि रहेगी। दोपहर
में 12 बजे रामनवमीं
पर राम जन्मोत्सव
मनेगा। हालांकि 2019 में नौ
दिन की चैत्र
नवरात्रि होगी। चैत्र नवरात्र
के पहले मां
आद्यशक्ति अवतरित हुई थीं।
ब्रह्म पुराण के अनुसार,
देवी ने ब्रह्माजी
को सृष्टि निर्माण
करने के लिए
कहा। चैत्र नवरात्र
के तीसरे दिन
भगवान विष्णु ने
मत्स्य रूप में
अवतार लिया था।
श्रीराम का जन्म
भी चैत्र नवरात्र
में ही हुआ
था। चैत्र नवरात्र
मां की शक्तियों
को जगाने का
आह्वान है ताकि
हम संकटों, रोगों,
दुश्मनों, आपदाओं का सामना
कर सकें और
उनसे हमारा बचाव
हो सके। नवरात्र
में श्रद्धालु उपवास,
संयम, नियम, भजन,
पूजन और योग
साधना करते हैं।
इन नौ दिनों
देवी दर्शन मात्र
से कष्ट दूर
होते। नौ दिनों
तक चलने वाला
यह पर्व देवी
दुर्गा और उनके
नौ स्वरूपों को
समर्पित है। माना
जाता है जब
दानवों ने देवताओं
पर आक्रमण कर
उनका राजपाठ छीन
लिया था तो
माता गौरी ने
दुर्गा और अन्य
नौ रूप धारण
कर उन दैत्यों
का संघार किया
था। क्योंकि यह
युद्ध नौ दिनों
तक चला था
इसीलिए इसे नवरात्रि
कहा जाता है।
इन दिनों भक्त
गण अपने घर
माँ दुर्गा का
दरबार लगाते है,
कलश स्थापना करते
है, पूजा आदि
करते है।
आठ दिनों
की पूजा के
बाद नौवे दिन
कंजिकों को भोजन
कराया जाता है
जिसमे उन्हें हलवा,
चना और पूरी
का प्रसाद दिया
जाता है। माना
जाता है इस
दिन घर आने
वाली नौ कन्याएं
देवी के नौ
स्वरूपों के समान
होती है और
उनका सेवा सत्कार
करने से माँ
दुर्गा प्रसन्न होती है।
बहुत से लोग
इन दिनों उपवास
भी रखते है।
कुछ पहला और
आखिरी उपवास रखने
का प्रण लेते
है तो कुछ
पुरे नौ दिनों
तक अन्न का
सेवन नहीं करते।
बहुत से लोग
पुरे नौ दिन
केवल फल आदि
पर ही जीवित
रहते है जबकि
कुछ केवल नींबू
पानी पीकर अपना
दिन गुजारते है।
लेकिन इस विषय
पर किसी पर
भी कोई पाबंदी
नहीं है आप
जैसे चाहे वैसे
उपवास रख सकते
है। क्योंकि सभी
के रीती रिवाज
और क्षमताएं एक
दुसरे से भिन्न
होती है। इसीलिए
आप अपनी क्षमता
के अनुसार ही
उपवास रखें। बता
दें, मार्च महीने
में कई त्योहारों
का संयोग बन
रहा है। महीने
की शुरुआत रंगों
के त्योहार होली
से शुरू हुई
और आखिरी तारीख
को हनुमान जन्मोत्सव
होगा। इसी महीने
में वासंतिक नवरात्र,
चैती छठ, रामनवमी
और महावीर जयंती
भी है। 89 वर्ष
के बाद इस
तरह की संयोग
बन रहे है।
इसी महीने 18 तारीख
को हिंदू नववर्ष
संवत् 2075 भी शुरू
होगा। ऐसा कम
होता है जब
एक महीने में
इतने सारे त्योहार
आते हैं। हिंदू
नववर्ष का प्रारंभ
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
से माना जाता
है। वास्तव में
यह वर्ष का
सबसे श्रेष्ठ दिवस
है, क्योंकि ब्रह्मपुराण
के अनुसार, पितामह
ब्रह्मा ने इसी
दिन सृष्टि की
रचना की थी।
इसलिए यह सृष्टि
का प्रथम दिन
माना गया है।
यही नहीं, इसी
तिथि को भगवान
विष्णु ने मत्स्य
अवतार लिया था।
इसी तिथि को
सतयुग का प्रारंभ
भी माना गया
है। भगवान श्रीराम
व युद्धिष्ठिर का
राज्याभिषेक, चैत्र नवरात्र का
प्रारंभ, आर्य समाज
की स्थापना, संत
झूलेलाल जयंती और आरएसएस
के संस्थापक डॉ
केशवराव हेडगेवार का जन्म
भी इसी तिथि
को हुआ था।
इसी माह 22 मार्च
को नहाय-खाय
के साथ चार
दिनी चैती छठ
का अनुष्ठान शुरू
होगा।
घट स्थापना
शुभ
मुहूर्त
नवरात्रि के प्रारंभ
में घट स्थापना
का विशेष महत्व
है। इसे शक्ति
स्वरूपा के आवाहन
के तौर पर
देखा जाता है।
शुभ मुहूर्त पर
अगर घट स्थापना
की जाए तो
यह देवी का
आशीर्वाद बन जाता
है और अगर
शुभ मुहूर्त का
ध्यान रखे बिना
घट स्थापना की
जाए तो यह
उनके क्रोध का
कारण बनता है।
इस बार घट
स्थापना का शुभ
मुहूर्त 18 मार्च सुबह 6 बजकर
31 मिनट से लेकर
7 बजकर 46 मिनट तक
है। नवरात्री में
माँ भगवती के
सभी 9 रूपों की
पूजा भिन्न - भिन्न
दिन की जाती
है। नवरात्रों में
माँ भगवती की
आराधना दुर्गा सप्तसती से
की जाती है।
यदि समयाभाव है
तो भगवान् शिव
रचित सप्तश्लोकी दुर्गा
का पाठ अत्यंत
ही प्रभाव शाली
एवं दुर्गा सप्तसती
का सम्पूर्ण फल
प्रदान करने वाला
है।
18 मार्च (रविवार), 2018: घट
स्थापन
एवं माँ शैलपुत्री पूजा
19 मार्च
(सोमवार), 2018: माँ ब्रह्मचारिणी
20 मार्च
(मंगलवार), 2018: माँ चंद्रघंटा
पूजा
21 मार्च
(बुधवार), 2018: माँ कुष्मांडा
पूजा
22 मार्च
(बृहस्पतिवार ), 2018: माँ स्कंदमाता
पूजा
23 मार्च
(शुक्रवार ), 2018: माँ कात्यायनी
पूजा
24 मार्च
(शनिवार), 2018: माँ
कालरात्रि पूजा, माँ महागौरी
पूजा, दुर्गा अष्टमी
25 मार्च
(रविवार ), 2018: राम
नवमी
26 मार्च
(सोमवार ), 2018: नवरात्री पारण
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