Sunday, 8 April 2018

शांति दूत तो संकटमोचन मंदिर है: जावेद अख्तर


शांति दूत तो संकटमोचन मंदिर है: जावेद अख्तर
प्रख्यात गीतकार जावेद अख्तर की इस बात में दम है। चाहे वह साल 2006 के मार्च महीने में संकट मोचन मंदिर परिसर में हुए आतंकी धमाके की हो या समय समय पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा काशी के गंगा जमुनी तहजीब पर कुठाराघात करने वालों से निपटने की या फिर कला के क्षेत्र में काशी से लेकर देश के नामी गिरामी विभूतियों को सम्मानित करने की। हर मौके पर संकट मोचन मंदिर के महंत घराना ने बखूबी अपनी भूमिका निभाई है। अब इसे हनुमत कृपा नही ंतो और क्या कहेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि काशी में वैचारिक सोच विद्वता के साथ साथ धनवानों की सूची लंबी है, लेकिन तमन्ना बिरले ही लोगों में है और यह तमन्ना संकट मोचन मंदिर घराने में कूट कूट कर भरी है
सुरेश गांधी
फिरहाल, हाल के दिनों में जिस तरह धर्म मजहब की काली छाया देश की साख पर पलीता लगा रहा है उसमें श्री संकट मोचन संगीत समारोह में प्रख्यात गीतकार जावेद अख्तर का आना एवं मंच साक्षा करना अपने आप में बड़ा संदेश है। जैसा कि उन्होंने कहा भीरामायण और महाभारत का रिश्ता हर हिन्दुस्तानी से है। जो हिन्दुस्तानी इस रिश्ते को नहीं मानता, उसके अंदर कहीं कहीं खोट है। शिव, राम और कृष्ण किसी जाति-वर्ग या संप्रदाय के नहीं बल्कि हर हिन्दुस्तानी, हर उस व्यक्ति के हैं जो हिन्दुस्तान का है, जिसका हिन्दुस्तान है। जावेद अख्तर ने कहा कि सामाजिक समरसता ही इस देश की सबसे बड़ी पूंजी है। उस पूंजी को संभाल कर रखना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। खासकर जिस तरह की गतिविधियां पहले कट्टर मुस्लिमों की तरफ से हुआ करती थे अब वो कट्टर हिन्दुुओं में भी देखने को मिल रहा है। इस तरह की गतिविधियां कम से कम राष्ट्र हित में तो किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं हैं।
बता दें, समारोह में संकट मोचन मंदिर के महंत ने जावेद अख्तर को शांति दूत का सम्मान प्रदान किया। इस दौरान महंत जी ने 2006 में मंदिर परिसर में हुए बम विस्फोट के दौरान शांति के लिए किए गए जावेद अख्तर के प्रयासों को भी सराहा। कहा कि सभी श्रोता शिव तत्व हैं। संगीत के माध्यम से सभी धर्मो के लोग मिल सकते हैं, सभी एक दूसरे से प्यार करें, सम्मान करें। संकट मोचन बम विस्फोट के समय जावेद अख्तर यहां आए थे और शांति की अपील की थी। हालांकि संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने मंच पर जब ऐलान किया कि जावेद अख्तर को शांति दूत के सम्मान से नवाजा जायेगा तो वे भौचक्के से रह गए लेकिन माइक संभालते हुए जावेद अख्तर ने कहा मेरी दृष्टि में असली शांति दूत तो यह मंदिर है। असली शांति दूत इस मंदिर के महंत वीरभद्र जी थे। मैंने जब पहली बार उनके दर्शन किए थे तो मुझे उनके चारों ओर एक आभामंडल दिखाई दिया था। मैंने जीवन में बहुत कम लोगों के पैर छुए हैं। उनमें पंडित वीरभद्र मिश्र भी थे। बम विस्फोट के समय मैं आया था, उस हालात में महंत जी ने जो किया उसका 100वां हिस्सा मिल जाए तो लोग धन्य हो जाएं। नजीर बनारसी ने बनारस के बारे लिखा-‘जहां पे गंगा वहीं पर तुलसी एकता और दोस्ती पवित्र है। बिखराव दुश्मनी अपवित्र है। हम अपनी धरोहरों से प्यार करें। आमिर खान डेढ़ साल से महाभारत पढ़ रहे हैं, इस पर एतराज जो करे वह हिंदुस्तानी नहीं है। 
तुलसीदास जब मानस लिख रहे थे तो लोग नाराज थे कि किस भाषा मे तुलसी लिख रहे हैं। हमारी सभ्यता महासागर है जो इसमें डूबा वही सच्चा हिंदुस्तानी है। संगीतकार के रिश्ते में भाषा, धर्म-जाति नहीं आती। जब तक हमारी जड़ें धरती में हैं तब तक हम फलेंगे- फूलेंगे। हमे अपने इतिहास से प्रेम करना है। जो प्रेम से सम्बंधित इतिहास है वही इतिहास है। प्रेम पर टिके हिंदुस्तान की हमें रक्षा करनी है। यह अलग बात है कि असहिष्णुता में पहले के मुकाबले काफी कमी आई है। मुझे विश्वास है कि देश में सहिष्णुता कायम रहेगी क्यों कि यहां सभी धर्मो का समान आदर है। जावेद अख्तर ने कहा कि संगीत की भाषा का व्याकरण कभी लिखा नहीं जा सकता मगर यह सबके हृदय में सदैव जिंदा रहेगा। अंत में जावेद अख्तर ने अपनी एक छोटी सी कविता सुबह की गोरी के कुछ अंश सुनाए -रात की काली चादर ओढ़े मुंह को लपेटे सोई है कब सेरूठ के सबसे उसका सूरज हो गया चोरी सुबह की गोरी आओ चल के सूरज खोजें फिर ना मिला तो हम किरण किरण जमा करें और एक नया सूरज बनाएं रूठे हुए को जगाएं आओ उसे मनाएं फिर से जगाएं।
बॉलीवुड में 50 वर्ष से अधिक का समय बिता चुके मशहूर गीतकार, शायर और पटकथा लेखक जावेद अख्तर का मानना है किधर्म निश्चित रूप से होना चाहिए। लेकिन यह संग्रहालय में होना चाहिए।उच्च स्तर पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा,” महिलाओं के खिलाफ अत्याचार अक्सर परिवार के आन के कारण होती है। क्या समाज में असहिष्णुता में वृद्धि हुई है के जवाब में उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि इस समय सब सही हो रहा है या सब कुछ गलत नही ही हो रहा है, लेकिन अगर आज फिल्म जाने भी दो यारों की तरह महाभारत का कोई सीन किया जाए तो शायद उसके खिलाफ धरना शुरू हो जाएगा। कहा, राष्ट्र की बेहतरी के लिए मोदी जी कास्वच्छ भारत मिशननिश्चित रूप से एक बेहतरीन विचार है। अब समय गया है, जब लोगों को आगे आकर अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है। हमें यह समझने की जरूरत है कि हम ही सरकार हैं। कोई हमारे लिए काम नहीं करेगा। हम बड़े बड़े भव्य मॉल के बाहर गंदगी देखते हैं और सिर्फ बदलाव की बात करते हैं। लेकिन खुद बदलाव के लिए कुछ नहीं करना चाहते। गौरतलब है कि जावेद अख्तर को हृदयनाथ मंगेशकार पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। 

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