Sunday, 20 January 2019

‘काशी’ के ‘टेंट सिटी’ में ‘प्रवासी’ देखेंगे पूरा ‘भारत’


काशीकेटेंट सिटीमें प्रवासी’ देखेंगे पूराभारत’ 
जी हां, भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी के ऐढ़े गांव में बसाया गयाटेंट सिटीमें सात समुन्दर पार से आने वाले प्रवासी भारतीयों को पूरा भारत दिखेगा। इस नगरी में उन्हें सिर्फ भारत के अलग-अलग राज्यों के सिर्फ पर्यटक स्थलों की झलक, सरकार के सभी मंत्रालयों, बैंकों बल्कि उनके रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा एवं संस्कृति से रु--रु होने का प्राविधान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर यागीराज में इस टेंट सिटी को बेहद भव्य तरीके से आयोजित किया गया है। एक तरफ जहां काशी के घाटों को स्वच्छ और सुरक्षित बनाया गया है, बुद्ध स्थली सारनाथ से लेकर पूरे बनारस सड़कों के डिवाइडरों पर लगे खंभों को आकर्षक विद्युत झालरों से रोशन किया गया है। सभी प्रमुख स्थलों के दीवारों पर काशी समेत पूरे भारत की विरासत से जुड़ी पेंटिंग्स बनाई गई हैं। जब जब इन रास्तों से प्रवासी गुजरेंगे तो उन्हें हिंदू धर्म से जुड़ी परंपराओं का अक्स देखने को मिलेगा
सुरेश गांधी 

 फिरहाल, प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी सज-धज कर तैयार है। बड़ालालपुर स्थित ऐढ़ें गांव में प्रयागराज के कुंभ की तर्ज पर तंबू-कनात से तैयार टेंट सिटी में भारत के हर राज्यों की प्रदर्शनी तो लगायी ही गयी है। सरकार के मिनी प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय, डाकसेवा, बैंक, इनकम टैक्स विभाग सहित टूरिज्म एवं विदेश व्यापार से जुड़े हर विभागों के मंत्रालय अस्थायी रुप से बनाएं गए हैं। इसके अलावा प्रवासी भारतीयों की सहूलियत के लिए पूरे टेंट सिटी में कारपेट, हैंडीक्राफ्ट, बनारसी साड़ी समेत हर प्रमुख उद्योगों के स्टाल लगाएं गए है। मकसद है प्रवासियों को एक ही क्षत के नीचे हर जरुरत की चीजें उन्हें आसानी से मुहैया हो जाएं। अगर प्रवासी भारतीय खरीदारी करना चाहेंगे तो इक्सोर्ट तक की सुविधा उपलब्ध की गयी है। इसके अलावा उन्हें घुमाने के लिए सभी मुख्य आयोजन स्थल के अलावा पूरे शहर को सजाया संवारा गया है।
मोदी चाहते है कि जिस बेस कल्चर को प्रवासी देश छोड़कर गए हैं, वहीं उनको दिखाना है। उन्हें काशी की समृद्ध परंपरा और संस्कृति से भी रूबरू कराना है। प्रवासी आधुनिक जीवन के साथ ही ग्रामीण जीवन का भी लुत्फ उठाएंगे।  इस प्रवासी प्रवासी भारतीय सम्मेलन में दुनिया के 132 देशों में रह रहे भारतीयों की नई से लेकर पुरानी पीढ़ी तक चुकी है। तीन दिवसीय प्रवासी सम्मेलन में रहे पूर्वांचल की माटी से जुड़े प्रवासी भारतीय यहां रोजगार बढ़ाने की संभावना पर भी चर्चा करेंगे। नए भारत के निर्माण में प्रवासी भारतीयों की भूमिका तो तय होगी ही, दुनिया के विकसित विकासशील देशों के साथ लंच डिनर टेबल पर रिश्तों की डोर मजबूत होगी। साथ ही भोजपुरी को उसका अधिकार और संवैधानिक मान्यता देने की वर्षों से उठ रही मांग को मजबूती मिल सकती है। मल्येशिया, मॉरीशस, सूरीनाम, गुयना फिजी, त्रिनिदाद एवं टोबैगो जैसे देशों में रह रहे भोजपुरी भाषी प्रवासी कुंभ का हिस्सा बनेंगे।
खास बात यह है कि विदेशी मेहमानों को खास बनारसी व्यंजन चखने के साथ काशी की विरासत को देखने का मौका भी मिलेगा। मेहमानों के स्वागत-सत्कार के लिए शहर दुल्हन की तरह सजधज कर तैयार हो चुका है। रोशनी से चैराहे, तिराहे जगमग हैं तो डिवाइडर भी चमचमा रहे हैं। उनकी शोभा बढ़ाने को 20 हजार से अधिक रंग-बिरंगे और सुगंधित फूलों के गमले लगाए गए हैं। मेहमानों के स्वागत के लिये हर जगह होर्डिंग लगाई गई हैं। बाबतपुर से लेकर ऐढ़े गांव और बड़ालालपुर स्टेडियम के अलावा गंगा के घाट लेजर शो और फसाड लाइटों से निखर उठे हैं।
काशी के घाट, मंदिर, ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के भवन सिर्फ दिन में चमक रहे हैं बल्कि रात में रोशनी के जरिए अद्भुत छटा बिखेर रहे हैं। रेलवे स्टेशन, सार्वजनिक स्थलों और कार्यक्रम स्थल को रंगबिरंगी झालरों से सजाया गया है। डिवाइडरों को नीले काले रंग से रंगने के बाद डेलीनेटर लगाये गये हैं। जिस मार्ग से मेहमान जायंगे, उन पर डिवाडरों पर गमले रखे गए हैं। इसे देखते हुए प्रशासन ने सभी घाटों पर फसाड और लेजर लाइटें लगवाई है। इससे घाटों का सौंदर्य बढ़ गया है। घाटों पर जगमगाती रोशनी बनारस के लोगों के लिये भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
महमानों के स्वागत के लिये लोगों ने अपने घरों को भी रंगवाया है। साथ ही आकर्षक पेंटिंग भी बनवाई है। कई घरों पर प्रवासी सम्मेलन की होर्डिंग लग गई हैं। प्रवासी सम्मेलन में आने वाले मेहमान पोखरण परमाणु परीक्षण की रेत पर बनी आकृति देखेंगे के अलावा गुजरात में बने स्टैच्यू आफ यूनिटी यानी सरदार बल्लभभाई पटेल की लंबी मूर्ति, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, कोलकाता, पंजाब, यूपी, बिहार सहित हर राज्य के प्रमुख स्थलों को भी आकर्षक तरीके से सजाया गया है। प्रवासी मेहमानों को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन से परिचित कराने के लिये लालपुर क्रीड़ा संकुल में अटल द्वार अटल हॉल बना है। इसमें अलट जी की कविताओं की पंक्तियां और उनके चित्र लगाये गये हैं। हॉल में दो एलईडी पर अटल जी के जीवन से जुड़ी 15 वीडियो क्लिप प्रसारित होंगी।
पीएम नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को प्रवासी भारतीय सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ मौजूद रहेंगे। इस दिन प्रधानमंत्री के साथ लंच टेबल पर दुनिया के देशों के साथ रिश्तों की गरमाहट महसूस होगी। शाम के समय भारत में अवसर और चुनौतियां तथा भारत में साइबर क्षमता पर चर्चा के बाद विदेशी मेहमानों के साथ डिनर टेबल पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रविशंकर प्रसाद होंगे।
मुख्य आयोजन स्थल दीनदयाल हस्तकला संकुल पहुंचते ही प्रवासियों को गोल्डन रंग की स्टील से बने मंदिर काशी में पहुंच जाने का अहसास कराते हैं। संकुल परिसर में बाहर बैठने के इच्छुक प्रवासियों के लिए गंगा घाटों की परंपरागत छतरियां लगाई गई हैं। मुख्य भवन में प्रवेश करते समय प्रवासियों को घाट का नजारा देखने को मिलेगा। संकुल में गंगा आरती करते हुए अर्चक, छतरी के नीचे बैठे तीर्थपुरोहित, पुजारी साधु के कटआउट को देख सराहना की। इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर, सारनाथ का धम्मेख स्तूप के भी कटआउट लगे हैं। 
खास बात यह है कि प्रवासियों को किसी दीवार पर भगवान हनुमान गदा लिए खड़े नजर आते हैं तो कहीं हजारों साल पुरानी कथा को चित्र के जरिए प्रदर्शित किया गया है। सात समंदर पार अमेरिका के न्यू जर्सी से पहुंची मीनाक्षी कहती है वे विदेश में जरुर रहती हैं लेकिन दिल में हिन्दुस्तान बसता है। कहा- यहां मशहूर बनारसी पान खाना है, कचैड़ी-जलेबी खानी है। इसी बीच पूछ पड़े- यार, ये कुल्हड़ वाली चाय कहां मिलेगी? वे पहली बार बनारस आई हैं। इस शहर के अल्हड़पन को जानने, समझने और यहां के मशहूर खान-पान का आनंद लेने। यह प्रवासी सम्मेलन उनके लिए बेहद खास है। इस बार काशी दर्शन होगा, कुंभ में जाने का मौका मिलेगा। फिर हम गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर होने वाली परेड का हिस्सा भी होंगे।
नगर में प्रवासी मेहमानों का स्वागत परंपरा के मुताबिक किया जायेगा। इसके लिए शहनाई वादक और तबला वादक मौजूद रहेंगे। एक सेल्फी प्वाइंट पर वाद्य यंत्रों का प्रतिरूप रखा गया है। इसमें शहनाई, बासुरी, तबला और सितारा है। इसके पास साइन बोर्ड पर भारत रत्न शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खां, बासुरी वादक भोलानाथ प्रसन्ना, रघुनाथ प्रसन्ना, दिनेश मिश्रा, तबला वादक पं. किशन महराज, आशुतोष भट्टाचार्या, समता प्रसाद, सितार वादक पं. रविशंकर, देवब्रत मिश्रा, शिवनाथ मिश्रा का जिक्र है। एक सेल्फी प्वाइंट पर घंटियों का मंदिर बनाया गया है। इसकी खासीयत बताई गई है कि इन घंटियों से ओम की आवाज निकलती है। घंटियां कैडमियम, लेड, कॉपर, जिंक, निकल, क्रोमियम और मैग्नीज से बनी हैं।
मेहमान काशी, हरिद्वार, पाटलीपुत्र और प्रयागराज गेट से आएंगे-जाएंगे। जिन शहरों के नाम से गेट बने हैं, वहां उन शहरों की खासियत भी होगी। मसलन काशीद्वार पर बाबा विश्वनाथ मंदिर का प्रतिरूप तो प्रयागराज द्वार पर कुंभ को दर्शाया गया है। हरिद्वार द्वार पर मंदिर और पाटलीपुत्र पर पर्यटन स्थल को दर्शाया गया है। अमेरिका से आई सुव्रतो ने कहा, बनारसी साड़ी और यहां के दुपट्टे की पहचान सात समंदर पार तक है। उन्हें बनारसी साड़ी और दुपट्टा वहीं से खरीदनी है, जहां ये बनते हैं। उनका मानना है कि अगर भारत विकसित होगा तो उन्हें खुशी होगी। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में तेजी लाने की जरुरत है। उनकी इच्छा है कि भारत भ्रष्टाचार मुक्त हो जाएं। प्रवासी इस क्षेत्र के लिए कुछ करने को इच्छुक हैं। दशकों पहले यहां से विदेश गये लोगों को एकजुट किया जाये। यहां उद्योग, आईटी या सेवा क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर दिये जायेंगे।
डीएम सुरेंद्र सिंह ने बताया कि मलेशिया से 70, दुबई से 52 जबकि यूएसए, कनाडा, ओमान दक्षिण अफ्रीका से 143 सहित कुल 600 मेहमान पहुंच चुके हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 23 को कार्यक्रम का समापन करेंगे। इस दौरान वह प्रवासी भारतीयों को सम्मानित करेंगे। समापन से पहले आधुनिक भारत के निर्माण, अपशिष्ट प्रबंधन और किफायती सौर ऊर्जा उत्पादन में प्रवासियों की भूमिका पर चर्चा में केंद्रीय मंत्री उमा भारती रविशंकर प्रसाद मौजूद रहेंगे। मेहमानों को खास शाकाहारी व्यंजन परोसे जाएंगे। बनारस की मलइयो, कड़ाहे का गरम दूध, जलेबी, मथुरा का पेड़ा, निमोना-चावल, कढ़ी-चावल के साथ उत्तर से दक्षिण, पूर्व और पश्चिम के राज्यों के खानापान का भी इंतजाम किया गया है।
पूर्वांचल के खास व्यंजन चूड़ा-दही, जलेबी-दही, बाजरा की रोटी, चूरमा, बाटी-चोखा, गोहरी पर हांडी में पकी दाल चावल भी खाने को मिलेगी। बनारस की मशहूर मिठाइयों के स्टॉल पर मलाई गिलौरी, मलाई चाप, तिरंगी बरफी, लाल पेड़ा होगा। कुल्हड़ में चाय-कॉफी से लेकर गुड़ की सोंधी महक वाला तिलकुट (तिल की पट्टी) लइया पट्टी, और ऐसी तमाम चीजों का स्वाद चखने संग साथ ले जाने का मौका भी मिलेगा, जो ग्रामीण परिवेश का अहसास कराती है।
सम्मेलन के दौरान सुप्रसिद्ध सिने तारिका हेमा मालिनी का कार्यक्रम होगा। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से भारतीय शास्त्रीय संगीत, अमृत कुंभ आदि सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे गए हैं।कार्यक्रम स्थल के गेटों के नाम धार्मिक पर्यटन स्थलों पर रखे गए हैं। प्रवासी सम्मेलन में तीन दिनों के दौरान मेहमानों को नाश्ता, लंच और डिनर के दौरान भारत के अलग-अलग प्रांतों के व्यंजनों का स्वाद मिलेगा। इसमें पूर्वांचल के बाटी-चोखा से लेकर कांटिनेंटल डिश तक शामिल होंगे। मेन्यू के अनुसार पूर्वांचल का बाटी चोखा, सरसों की साग, मक्के के पराठे से लेकर तरह-तरह के शाकाहारी व्यंजन परोसे जाएंगे। विदेशों में रहने वाले लोगों की पसंद के हिसाब से बिना मसाले के हल्के उबले भोजन होंगे। साथ ही, मसालेदार व्यंजनों की भी सूची बनी है। एनआरआई विभाग के ओएसडी आनंद पांडेय ने बताया कि बनारस के खान-पान को विशेष जगह दी गई है। 

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