Monday, 18 March 2019

‘बोट यात्रा’ से कांग्रेस की ‘कश्ती’ बचायेंगी प्रियंका?


बोट यात्रासे कांग्रेस कीकश्तीबचायेंगी प्रियंका? 
मैं आया, मुझे भेजा गया, मां गंगा ने बुलाया मुझे।ये बाते आज से ठीक पांच साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस वक्त कहीं थी जब वे लोकसभा चुनाव 2014 में वाराणसी सीट से नामांकन कर रहे थे। उन्होंने अपने को मां गंगा का बेटा बताया था। कुछ उसी अंदाज में 2019 फतह करने निकली प्रियंका गांधी बांड्रा कहती है। वे भी अपने को गंगा की बेटी बताकर प्रयागराज से ‘बोटयात्रापर निकली है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या मोदी की तर्ज पर प्रियंका पर बरसेंगे वोट? बोट यात्रा से मिलेंगे वोट? क्या कांग्रेस की कश्ती बचायेगी प्रियंका की बोट यात्रा? क्या 2019 की रण में राहुल की सारथी बनेगी प्रियंका? क्या राहुल के बाद अब मंदिर मंदिर घूमकर प्रियंका बजायेंगी कांग्रेस की जीत का डंका? क्या वाड्रा मां गंगा के सहारे सूबे में पार्टी की नैया पार लगाना चाहती हैं?
सुरेश गांधी
बेशक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में खुद को मां गंगा का बेटा बताकर लोगों की संवेदनाओं को छूने का काम किया था। अब उसी गंगा मैया के सहारे प्रियंका गांधी भी कांग्रेस में जान फूंकने चुनावी समर में उतरी हैं। वे प्रयागराज से नाव पर सवार गंगा में वोट यात्रा के जरिए एक साथ कई निशाने साध रही हैं। उनकी ये वोट यात्रा सिर्फ पार्टी को सॉफ्ट हिंदुत्व बताने, बल्कि इसके जरिए कांग्रेस मोदी सरकार के वादों का खोखलापन और विकास की असलियत भी जनता के सामने लाने की कोशिश कर रही है। लेकिन वे भूल रही है जिस गंगा में नाव पर सवार हो वो मोदी को घेरने निकली है, उस गंगा में नाव चलने लायक मोदी ने ही बनाया है। पूरा ना सही लेकिन गंगा काफी हद तक निर्मल हो चली है, इसकी जानकारी कुंभ में डूबकी लगा चुके 15 करोड़ से भी अधिक वोटर को मालूम है। 
बता दें, 2014 के आम चुनाव में गंगा चुनाव प्रचार का केंद्र बन गई थी। नरेंद्र मोदी की अगुवाई में जब बीजेपी ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई तो सरकार की प्राथमिकता में भी गंगा दिखाई जाती रही। अब जबकि मोदी सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है और नई सरकार के चयन के लिए चुनाव प्रचार जारी है तब भी गंगा सियासत का हॉट टॉपिक बनी हुई है। बीजेपी के साथ-साथ इस बार गंगा को भुनाने के लिए कांग्रेस में मैदान में उतर गई है। शुरुआत पार्टी की नवनियुक्त महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी बोट यात्रा से की है। गंगा उत्तराखंड के गंगोत्री से निकलकर 2,525 किमी दूरी तय करते हुए पश्चिम बंगाल की खाड़ी में गिरती है। 
इस दौरान गंगा देश के पांच राज्यों के होकर गुजरती है। इनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल है। इन राज्यों की करीब 80 लोकसभा सीटों पर गंगा का सीधा प्रभाव है। यूपी में गंगा कुल 1140 किमी के दायरे में बहती है। यही वजह है कि इस समय इसकी लहरों पर राजनीति तैर रही है। प्रियंका बांड्रा बोट से करीब 140 किमी यात्रा पर निकली हैं। ताकि वे गंगा की स्थिति जान सकें और गंगा के सहारे कांग्रेस के लिए प्रचार कर सकें। प्रियंका के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा की सफाई के लिए बनारस से ही गंगा एक्शन प्लान शुरू किया था। वाराणसी से ही 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद बने। फिर उनकी सरकार ने भी नमामि गंगे प्रोजेक्ट लॉन्च किया, ताकि गंगा साफ रहे।
जहां तक सियासत का सवाल है तो यूपी होकर ही दिल्ली का रास्ता गुजरता है। यहां कुल 80 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से लगभग आधी सीटें गंगा से प्रभावित होती हैं। बिजनौर से निकली गंगा बलिया तक करीब 26 सीटों पर धार्मिक और आर्थिक तौर पर सीधा असर डालती हैं। इनमें से 70 सीटें बीजेपी के पास हैं, बाकी पर विपक्ष का कब्जा है। प्रियंका के गंगा दौरे से चुनाव में कितना असर पड़ेगा ये तो वक्त बतायेगा, लेकिन इसका धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर असर जरुर पड़ेगा। खास बात यह है कि देश में दूसरी बार नदी का सहारा लेकर बोट के जरिए प्रचार हो रहा है। 
इससे पहले नरेंद्र मोदी ने 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान साबरमती में बोट से प्रचार किया था। वैसे भी गंगा हिंदुओं के लिए आध्यात्म और आस्था का स्रोत है। प्रियंका खुद को गंगा की बेटी कहकर प्रचार कर रही हैं। उन्होंने इस यात्रा की शुरुआत प्रयाग में हनुमान मंदिर का दर्शन करके की। फिर गंगा की पूजा की तब बोट पर निकलीं। मकसद है गंगा के सहारे प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी समेत पूर्वांचल के कौशांबी, फूलपुर, मछलीशहर, जौनपुर, सोनभद्र, चंदौली और गाजीपुर के लोगों को साधने की। इस दौरान प्रियंका गंगा किनारे गुजर-बसर कर रहे लोगों से भी करती दिखी। कहा, आज देश का संविधान संकट में है, इसी वजह से मुझे घर से बाहर निकला पड़ा। किसानों को फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा है। पिछले पांच साल में देश में बेरोजगारी बढ़ी है। इस चुनाव में राहुल गांधी को मजबूत करने के लिए वोट दें। राहुल गांधी ने नई राजनीति की शुरुआत करने के लिए ही उन्हें यूपी भेजा है। जहां तक मोदी के चैकीदार होने का सवाल है तो चैकीदार किसानों के नहीं, अमीरों के चैकीदार होते हैं।
गौरतलब है कि यूपी में मल्लाहों की आबादी 08 फीसदी है। इनमें निषाद, मल्लाह, केवट, कश्यप, मांझी, बिंद, धीमार जैसी कई उपजातियां हैं। इस समुदाय का प्रभाव करीब 20 सीटों पर है। ये जातियां हार-जीत में अहम भूमिका निभाती हैं। खास यह है कि ये जातियां गंगा के आसपास ही रहती है। अगर वे इन जातियों को रिझाने में सफल रही तो इसका असर पड़ेगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में गंगा के किनारे बसी पांच राज्यों की 80 संसदीय सीटों में से बीजेपी 52 सीटें जीतने में सफल रही थी। जबकि करीब 18 सीटों विपक्षी दलों को जीत मिली थी। उत्तराखंड में पांच सीटें हैं, जिनमें से 3 सीटें गंगा के प्रभाव वाली हैं। इन तीनों सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। यूपी में बिजनौर से गाजीपुर तक करीब 40 लोकसभा सीटों पर असर है। इनमें से 35 सीटें बीजेपी के पास हैं। बिहार में गंगा के प्रभाव वाली 15 सीटें हैं, जिनमें से 12 बीजेपी और 3 विपक्ष के पास हैं।
ऐसे ही झारखंड की 5 सीटें गंगा के असर वाली हैं। ये सभी सीटें बीजेपी के कब्जे में हैं। पश्चिम बंगाल की करीब 11 सीटें हैं, इनमें से बीजेपी महज एक सीट ही जीत सकी थी और बाकी 10 सीटें विपक्ष ने जीती थी। इसीलिए प्रियंका बोट यात्रा पर निकलने से पहले से संगम स्थित मंदिर में लेटे हनुमान के दर्शन किए। इसके बाद वह अक्षयवट भी गईं। गंगा पूजन भी किया। इस दौरान उन्होंने देश के उत्थान और शांति की दुआएं मां गंगा से मांगी। इस दौरान वह कार्यकर्ताओं और समाज के अलग-अलग वर्गों के लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याओं को भी साझा किया।

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