Wednesday, 31 July 2019

विदेशी खरीदारों के लिए विपणन समर्थन बढ़ाने की जरुरत


विदेशी खरीदारों के लिए विपणन समर्थन बढ़ाने की जरुरत
प्राइजवार में सरकारी सहयोग के बिना निर्यात लक्ष्य पूरा करना असंभव : सिद्धनाथ सिंह 
सुरेश गांधी
नयी दिल्ली। अंतराष्ट्रीय कालीन बाजार में प्रतिद्वंदी देशों के मुकाबले भारतीय कालीनों की कीमतों में इजाफा होने से खरीदारों की रुची घटी है। इसकी बड़ी वजह यह है कि भारतीय कालीने हाथ से बुनी हुई होती है, जबकि बाकी देशों में ज्यादातर मशीनमेड कालीने होती है। जिससे भारत के मुकाबले उनकी कालीने सस्ती होती है। ऐसे में जरुरी है कि सरकार रास्ता सुझाएं कि इस प्राइजवार में प्रतिद्वंदी देशों के सापेक्ष भारतीय कालीने कैसे सस्ती हो और ग्राहकों की रुचि बढ़े। यह बातें बुधवार को अशोका होटल, नई दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने कहीं। वे यूएसए और चीन में भारत के निर्यात दर को बढ़ाने के लिए इंटरएक्टिव सत्र को संबोधित कर रहे थे। 
श्री सिंह ने कहा कि भारतीय हस्तनिर्मित कालीनें चीनी कालीनों की जगह ले सकते है। क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से भारत के लिए अवसर पैदा हो रहे हैं। दोनों देशों ने उच्च टैरिफ लगाए हैं जो भारत को अमरीका और चीन को निर्यात बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। लेकिन इसके लिए जरुरी है कि विकसित देशों से आने वाले खरीदारों के लिए विपणन समर्थन बढ़ाया जाना चाहिए। जिसे हाल ही में भारत सरकार ने वापस ले लिया है। श्री सिंह ने कहा कि चीन को अधिक वस्तुओं का निर्यात करके अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध से भारत को लाभ हुआ है। चीन के व्यापार युद्ध के बाद भारत का निर्यात अमेरिका की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ा है। श्री सिंह ने कहा कि उन उत्पादों को देखते हुए जिन पर चीन और अमेरिका ने एक-दूसरे पर टैरिफ लगाया है, भारत ने ऐसे बाजार पर कब्जा करने में मामूली बढ़त हासिल की है। विशेष रूप से अमेरिका का कपड़ा आयात चीन से दूसरे देशों में स्थानांतरित हो गया है। निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ बदलते फैशन से निपटने के लिए हमें निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है। वेयरहाउस : वर्तमान बदलते परिदृश्य में बढ़ते -कॉमर्स बाजार के कारण निर्यात को बढ़ावा देने में हमारी मदद करेगा। इसलिए हमें आवश्यक समर्थन की आवश्यकता है ताकि हम भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों के भंडारण के लिए शुरू कर सकें। यह निर्यातकों को बाजार और खरीदारों दोनों को मदद करेगा, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग से बिचौलियों को समाप्त किया जाएगा। यह केवल उनकी कीमत बढ़ाएगा, बल्कि अंतिम उपभोक्ता के लिए भी कीमत कम करेगा। श्री सिंह ने कहा कि अभियान के मूल में कारीगर के साथ हस्तनिर्मित कालीनों के बारीक शिल्प को शिक्षित करने के लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधानों की जरुरत है। साथ ही सोशल मीडिया में प्रचार और डिजिटल मार्केटिंग पहल के माध्यम से ब्रांडिंग पहल पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। क्योंकि यह ब्राडिंग हस्तनिर्मित कालीन बुनाई की बारीक कला के लिए युवा वयस्कों और अगली पीढ़ी में रुचि पैदा करेगा। इस अवसर पर सीनियर प्रशासनिक सदस्य उमेश कुमार गुप्ता मुन्ना एवं ईडी संजय कुमार सहित कई कालीन निर्यातक सीइपीसी सदस्य मौजूद थे।

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