Wednesday, 14 August 2019

जश्न-ए-आजादी में डूबा हिंदुस्तान


जश्न--आजादी में डूबा हिंदुस्तान
चप्पे-चप्पे पर तैनात सुरक्षा के जवान, बाजारों में राखियां भी तिरंगा रंगों में रंगी हैं. देश आज़ादी की 73वीं वर्षगांठ मना रहा है। 15 अगस्त 1947 का दिन भारतीय इतिहास का सबसे यादगार दिन है। इस दिन अंग्रेजों ने भारत को आजाद करने का फैसला किया था। उसी की याद में गुरुवार को देश आजादी की सालगिरह के जश्न के साथ-साथ रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाएगा। भाई और बहन के लिए ये सबसे बड़ा त्योहार है। लेकिन इन दोनों पर्वो को मनाने में जुटे लोग की तैयारियां इस कदर है कि सड़कों पर आज ही तिरंगा लहराने लगा है। तो बहने बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए रक्षाबंधन की खरीदारी देर रात करती दिखी। पूरा बाजार तिरंगा से अटा पड़ा है। बाजारों में राखियां भी तिरंगा झंडा के रंगों में रंगी हैं 
सुरेश गांधी
जी हां, 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शहर हो या देश गुलजार हो गया है। लोगों में जश्न--आजादी मनाने को लेकर खासा रोमांचित कर रहा है। देश की शान तिरंगा झंडा लोगों के आकर्षण का केंद्र बना है। चारों तरफ देशभक्ति गीत सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा, मिले सुर मेरा तुम्हारा गूंज रहे है। उन वीरों को याद कर श्रद्धाजंलि देने की तैयारी पूरी गई है, जिन्होंने देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते जान कुर्बान कर दी थी। आजादी की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रमों कहीं सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत की झलक पर लोग झूमते नजर आएं तो कहीं जलियावाला बाग की शहादत की झलक देख लोग गमगीन भी हो गए।
लोगों के आंखों मे यदि उस समय कुछ था तो वो थे सिर्फ आंसू। दिन चढ़ने से पहले ही हाथों में झंडा लिए लोगों की सड़कों पर भीड़भाड़ नजर आयी। लोगों के उत्साह सड़कों पर तिरंगे के साथ उमड़ी भीड़ देखकर लगता है देश की आजादी का ये जश्न मनाने का कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते। आतंकी अपने किसी मंसूबे में सफल हो पाएं इसके लिए राजधानी से लेकर पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। लाल किले की प्राचीर से नरेन्द्र मोदी छठी बार देश को संबोधित करेंगे। सुरक्षा बलों की चप्पे चप्पे पर तैनाती गयी है। क्योंकि खुफिया एजेंसियों के मुताबिक देश पर आतंकी खतरा बड़ा है। गृहमंत्रालय की ओर से सभी राज्यों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। एलर्ट में काशी सहित देश के सभी धार्मिक स्थलों पर विशेष चैकसी बरतने की हिदायत दी गयी है।
15 अगस्त है..यानी आजादी का दिन और कश्मीर के लिए तो इस बार ये दिन बेहद खास और दोहरी खुशी का दिन है। क्योंकि एक तो अंग्रेजों से गुलामी का दिन है तो दूसरी ओर अनुच्छेद-370 से आजादी की भी खुशी है। हालांकि सुरक्षा के मद्देनजर कश्मीर में अभी भी सख्त पहरेदारी है। 15 अगस्त, 1947 की आधी रात 12 बजे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू नेनीयती से मुलाकातका भाषण दिया है। अपने भाषण में नेहरू ने कहा, ’’कई सालों पहले, हमने नियति के साथ एक वादा किया था, और अब समय गया है कि हम अपना वादा निभायें, पूरी तरह सही लेकिन बहुत हद तक तो निभायें। आधी रात के समय, जब दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा।’’
क्या आप जानते हैं कि ब्रिटेन ने सन् 1947 में भारत को आजादी देने का फैसला क्यों किया था? यह 19के दशक में हो रहे जबरदस्त आंदोलन और ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनने के परिणाम से संभव हो पाया। साथ ही दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन खुद भी काफी कमजोर हो गया था इसलिए 1947 में ब्रिटेन ने भारत को आजाद करने का फैसला किया। उस दौरान ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने 1945 में हुए चुनाव में ये वादा किया था कि वो भारत और उसके अलावा दूसरी ब्रिटिश कॉलोनियों को मुक्त कर देंगी। जीत के बाद लेबर पार्टी के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने यह घोषणा कर दी कि जून 1948 तक भारत को पूर्ण स्वराज दे दिया जाएगा। इस कड़ी में फरवरी 1947 में लार्ड माउंटबेटन को भारत के आखिरी वायसरॉय के पद पर नियुक्त किया गया था ताकि वो सत्ता के हस्तांतरण की प्रक्रिया करवा सकें। पहले आजादी 1948 में होनी थी लेकिन भारत में बढ़ रहे सांप्रदायिक तनाव के चलते उन्होंने आजादी को अगस्त 1947 में ही देने का फैसला किया।
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3 जून 1947 में लार्ड माउंटबेटन के साथ हुई मीटिंग में भारत की आजादी को लेकर दो बड़े फैसले हुए। पहला भारत के बंटवारे को लेकर जिसके तहत भारत को दो हिस्सों में बांटा गया और दूसरा कि सत्ता का हस्तांतरण जो 15 अगस्त 1947 को किया जाएगा। इसेमाउंटबेटन प्लानभी कहा जाता है। भारत के आखिरी वायसरॉय लार्ड माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को अपने लिए अच्छा मानते थे क्योंकि 15 अगस्त 1945 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान की आर्मी ने उनकी फौज के आगे समर्पण किया था। जब भारत 14 और 15 अगस्त की मध्यरात्रि में पूरी देश आजादी का जश्न मना रहा था उस वक्त आजादी के आंदोलन के सबसे बड़े प्रतिनिधि महात्मा गांधी वहां मौजूद नहीं थे। महात्मा गांधी बंटवारे के फैसले से नाखुश थे और बंटवारे की वजह से हो रहे साम्प्रदायिक दंगों और तनाव को रोकने के लिए वो कलकत्ता में अनशन कर रहे थे।
15 अगस्त 1947 की सुबह 8.30 बजे वायसराय हाउस, जिसे अब राष्ट्रपति भवन कहा जाता है, वहां आजाद भारत की पहली सरकार का शपथ ग्रहण समारोह शुरु हुआ। भारत के पहले प्रधानमंत्री ने 10.30 बजे काउंसिल हाउस के ऊपर तिरंगा फहराया। 14-15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि, आजादी मिलने के लगभग 20 मिनट बाद, भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु और पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, लार्ड माउंटबेटन के पास गए जिन्हें देश का पहला गवर्नर जनरल बनने का न्योता दिया। साथ ही पंडित नेहरू ने लार्ड माउंटबेटन को एक लिफाफे में पहली कैबिनेट मंत्रियों की सूची सौंपी। जब वो लिफाफा खोला गया तो वो खाली था। लेकिन शपथ ग्रहण समारोह तक गुम हुई सूची ढूंढ ली गई थी। 15 अगस्त 1947 को ब्रिटेन ने भारत को सत्ता सौंपी थी। उस वक्त भी भारत ब्रिटेन के राजा किंग जॉर्ज 6 के आधीन संवैधानिक राज्य बना था। लेकिन 26 जनवरी 1950 को अपना संविधान लागू करने के साथ ही भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य को पूर्णत खत्म कर खुद को गणराज्य घोषित कर दिया था।
भारत का झंडा पहली बार 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता के पारसी बगान क्लब में फहराया गया था। उस वक्त झंडे के सबसे ऊपर लाल पट्टी थी जिस पर 8 कमल थे। नीचे हरी पट्टी पर बाईं तरफ सफेद सूरज था और दाईं तरफ चांद और तारा बना था। भारत के तिरंगे को 1921 में पिंगली वैंकय्या ने बेज़वाड़ा (विजयवाड़ा) में बनाया था। वो झंडा उन्होंने दो रंग, लाल और हरे से बनाया था, जो देश के दो सबसे बड़े समुदाय के प्रतीक थे। बाद में लाल रंग को बदल कर केसरी कर दिया गया था। गांधीजी की सलाह पर झंडे के बीच में सफेद रंग की पट्टी डाली गई। सफेद पट्टी बाकी सभी समुदायों का प्रतीक थी. साथ ही गांधीजी ने चरखे को भी डालने को कहा जो कि देश की तरक्की का प्रतीक हो। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में भारत के झंडे को लेकर संविधान सभा में प्रस्ताव पारित किया गया था जिसके अनुसार तिरंगे के किसी भी रंग को किसी भी समुदाय के साथ ना जोड़ा जाए। साथ ही चरखे की जगह अशोक चक्र को रखा गया क्योंकि वो धर्म और शासन का प्रतीक था। भारत की आजादी के बाद पुर्तगाल ने अपने संविधान में संशोधन करके गोवा को पुर्तगाल का हिस्सा घोषित कर दिया था।
19 दिसंबर 1961 को भारतीय फौज ने गोवा पर कब्जा कर उसे भारत का हिस्सा बनाया। भारत देश का संस्कृत में नाम है भारत गणराज्य। इसलिए इसे भारत कहते हैं। इंडिया शब्द इंडस नदी से आया जहां हमारे देश की पहली सिंधु सभ्यता यानि इंडस वैली सिविलाइजेशन बसा था। सिंधु सभ्यता दुनिया की सबसे पहली शहरी सभ्यातओं में से एक है। 3 जून 1947 के भारत देश के विभाजन के फैसले के बाद डेक्कन हेरल्ड अखबार ने 4 जून 1947 का अविभाजित भारत का नक्शा छापा था जिसमें भारत का किस तरह से बंटवारा हो सकता है उसे दिखाया गया था, सभी राज्यों की आबादी भी साथ ही लिखी गई थी। ध्यान से देखिए पंजाब और बंगाल के बंटवारे के फैसले के बारे में सोचा जा रहा है, ये भी इस नक्शे में लिखा गया था। 15 अगस्त 1947 को भारत के पास कोई राष्ट्रगान नहीं था। वंदे मातरम के साथ स्वतंत्रता का स्वागत किया गया था। इसके साथ ही आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने देश को संबोधित किया था। 1947 में 1 डॉलर के मकाबले रुपये की कीमत 1 रुपया थी और सोने का भाव 88 रुपए 62 पैसे प्रति 10 ग्राम था। 15 अगस्त 1947 को भारत की पहली कैबिनट ने शपथ ली थी। इस कैबिनेट में 5 अलग अलग धर्मों से आए 13 मंत्री थे जिसमें एक महिला भी थीं।

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