‘साम्प्रदायिक साजिश’ है कमलेश तिवारी की हत्या
हो
जो
भी
हकीकत
तो
यही
है।
श्रीराम
जन्मभूमि
का
फैसला
आने
वाला
है।
फैसले
से
पहले
हिन्दू
नेता
कमलेश
तिवारी
की
जघंय
हत्या
कहीं
न
कहीं
इस
बात
का
संकेत
है
कि
सबकुछ
अच्छा
नहीं
है।
हत्यारे
कौन
है
उनका
मकसद
क्या
है,
ये
तो
जांच
के
बाद
पता
चलेगा। लेकिन
इतना
तो
तय
है
कि
हत्यारों
ने
महौल
को
बिगाड़ने
की
पूरी
कोशिश
की
है।
मतलब
साफ
है
हत्यारे
एवं
साजिशकर्ता
कत्तई
नहीं
चाहते
कि
यहां
की
गंगा
जमुनी
तहजीब
बनी
रहे।
ऐसे
में
बड़ा
सवाल
तो
यही
है
क्या
फैसले
से
पहले
अमन
के
दुश्मनों
से
लड़ने
के
लिए
मोदी-योगी
तैयार
है?
सुरेश
गांधी
फिरहाल, हिन्दू नेता
कमलेश तिवारी की
हत्या की गुत्थी
सुलझाने मेंयेनकेन प्रकारेण पुलिस
महकमा भले ही
सफल हो जाएं।
लेकिन घटना को
जिस तरह अंजाम
दिया गया है
और इसके तार
पाकिस्तान से लेकर
गुजरात, मेरठ, मुज्जफरपुर से
लगायत दुबई तक
जुड रहे है
उससे तो साफ
है कि सबकुछ
ठीक नहीं है।
क्योंकि गिफ्ट में मिठाई
का डिब्बा, रसीद,
गुजरात के सूरत
शहर का जिक्र,
तमंचा, चाकू और
बदमाशों को खुद
अपने हाथों से
कमलेश तिवारी द्वारा
खैनी-तंबाकू, दही
भल्ले खिलाना, सुरक्षा
में तैनात मात्र
दो लोगों में
एक गनर का
नदारद रहना, दूसरे
बुढ़ऊ सिपाही का
घटना के समय
खर्राटे भरना, उसके बाद
इत्मिनान से गला
रेतना, गोली मारना
और आराम से
निकल जाना किसी
बड़ी सुनिश्चित और
सुनियोजित साजिस की तरफ
इशारा करती है।
बता दें, प्रथम
दृष्टया जांच में
हिंदू समाज पार्टी
के अध्यक्ष कमलेश
तिवारी की हत्या
के पीछे पाकिस्तान
का कनेक्शन सामने
आया है। जांच
टीम के मुताबिक
हत्या का प्लान
दुबई में बनाया
गया और सूरत
में इसकी तैयारी
की गई। बाद
में इस प्लान
को लखनऊ में
अंजाम दिया गया।
गुजरात एटीएस ने
इस हत्याकांड की
जांच में कई
कड़ियों को जोड़ा
है और उसी
में यह बात
सामने आई है।
सूरत के लिम्बायत
इलाके से रशीद,
मोहसिन और फैजल
को गिरफ्तार किया
है। रशीद से
पूछताछ में पता
चला है कि
इसके तार कराची
से जुड़े है।
रशीद दुबई की
जिस कंपनी में
काम करता था
उसका मालिक पकिस्तान
के कराची का
है। वैसे भी
पुलिस सूरत से
खरीदे गए मिठाई
के बक्से के
जरिये आरोपियों तक
पहुंची है। दरअसल,
2015 में कमलेश तिवारी ने
पैगम्बर साहब के
खिलाफ टिपणी की
थी। उस दौरान
रशीद पठान के
भाई मयुदिन के
साथ मील कर
हत्या करने को
सोचा था लेकिन
वो इसे अंजाम
नहीं दे पाए
थे। सूत्रों के
मुताबिक अबतक की
जांच में जो
तथ्य सामने आए
हैं, उसके अनुसार
हत्यारों ने गूगल
की मदद से
कमलेश तिवारी के
बारे में जानकारी
जुटाई। इसके लिए
उन्होंने कई वेबसाइट
खंगाली। गूगल मैप
से कमलेश तिवारी
की लोकेशन ढूंढ़कर
हत्यारे खुर्शीदबाग पहुंचे थे।
अब तक की
जांच के मुताबिक
गुनहगारों की लोकेशन
हरदोई से मुरादाबाद
होते हुए गाजियाबाद
में मिली है।
हत्यारे कत्ल को
अंजाम देने के
लिए ट्रेन से
लखनऊ पहुंचे थे।
लखनऊ के चारबाग
रेलवे स्टेशन से
कमलेश तिवारी के
घर का पता
पूछते हुए दोनों
आरोपी गणेशगंज पहुंचे
थे। हत्यारों के
सुराग का पता
लगाने के लिए
पुलिस ने 3 मोबाइल
नंबर खंगाले। जिस
नंबर पर पुलिस
की निगाह टिकी
वो नंबर 17 अक्टूबर
को एक्टिवेट हुआ
था। ये नंबर
राजस्थान का निकला
है। पड़ताल करने
पर ये फोन
नंबर कानपुर देहात
के एक टैक्सी
चालक के नाम
पर जारी किया
गया है। वारदात
के एक दिन
पहले कातिलों ने
रात करीब साढ़े
12 बजे कमलेश तिवारी को
कॉल की थी।
जांच टीम
के मुताबिक 2017 में
रशीद दुबई गया
जहा वो आईटी
कंपनी में नौकरी
करता था और
हाल ही में
2 महीने पहले रशीद
सूरत आया था।
सूरत आने के
बाद रशीद ने
फिर से कमलेश
तिवारी की हत्या
करने के लिए
षड़यंत्र तैयार किया जिसके
लिए रशीद ने
उसी की बिल्डिंग में रह
रहे मोलाना मोहसिन
से बात की
थी। मोहसिन ने
कहा कि सरियत
और कुरान में
वाजिब-ऐ-कत्ल‘ बोला गया है
जो कहता है
की इनकी हत्या
करने में कोई
पाप नहीं है।
मौलाना की बात
से कट्टर हुए
रशीद ने खुद
कमलेश की हत्या
करने का फैसला
लिया, जिसके लिए
भाई मयुदिन ने
मना कर दिया
और असफाक के
साथ इस जुर्म
को अंजाम देने
रशीद चला गया।
फैजान और रशीद
ने साथ में
सूरत की धरती
स्वीट शॉप से
मिठाई खरीदने गए
थे। जिसके बाद
सूरत से ही
पिस्तौल और चाकू
खरीद कर मिठाई
के डिब्बे में
छिपा दिया। 16 अक्टूबर
को रात 9.55 बजे
ट्रेन से लखनऊ
जाने के लिए
रवाना हुए। ट्रेन
में उसने दाढ़ी
निकालकर वेश बदल
लिया और भगवा
कपडे पहनकर हिन्दू
का वेश धारण
कर लिया। लखनऊ
में एक होटल
में ठहरने के
बाद ह्त्या कर
फरार हो गए।
होटल से खून
से लतपथ भगवा
कपाड़ा पुलिस के
हाथ लगे है।
असफाक और रशीद
का भाई मयुदिन
अभी तक फरार
है। पुलिस का
दावा है कि
हत्या में शामिल
दोनों शूटरों की
पहचान कर ली
गई है। हत्यारों
के नाम मोईनुददीन
और अश्फाक हैं।
दोनों 16 को उद्योगकर्मी
एक्सप्रेस से लखनऊ
आये थे। मास्टरमाइंड
राशिद पीलीभीत का
रहने वाला है।
तिवारी की पत्नी
ने मुफ्ती काजमी
और अनवारुल हक
पर हत्या का
नामजद मामला दर्ज
कराया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
ने भी माना
है कि हत्या
भय फैलाने के
मकसद से किया
गया है। उनका
कहना है कि
प्रदेश में भय
और आतंक का
माहौल बनाने वाले
तत्वों के खिलाफ
सख्ती से निपटा
जाएगा और उनकी
योजनाओं को ध्वस्त
किया जाएगा। ऐसी
घटनाओं को कतई
बर्दाश्त नहीं किया
जाएगा और ना
ही इसमें शामिल
लोगों को बख्शा
जाएगा। फुटेज से पता
चला है कि
हत्यारे चारबाग गए और
वहां से दिल्ली
की ट्रेन में
बैठे। एसटीएफ की
एक टीम सर्विलांस
के आधार पर
पीछा करते हुए
दिल्ली गई हैं।
बताया जा रहा
है कि हत्यारों
ने घटना से
पहले दो महीने
से ज्यादा तैयारी
की। कमलेश का
विश्वास जीता और
भगवा कपड़े पहनकर
मिलने आए। फिर
हत्या के बाद
मिठाई का डिब्बा,
बिल और पिस्टल
छूटी जैसे सबूत
मौके पर कैसे
छूट गए, जिनसे
आसानी से उनकी
पहचान हो सके।
क्या वे वाकई
पेशेवर थे या
अपनी पहचान बनाने
के लिए ऐसा
किया। हमलावरों से
ऐसा तभी होता
है, जब वे
हड़बड़ी में हों।
इसके उलट हत्यारों
ने जिस तरह
कमलेश को मारा,
उनके पास पर्याप्त
समय था। वे
सभी सबूत साक्ष्य
लेकर आराम से
निकल सकते थे,
लेकिन उन्होंने ऐसा
नहीं किया। सूरत
में भी धरती
मिठाई शॉप में
खरीदारी के वक्त
फैजान ने सीसीटीवी
कैमरे से बचने
की कोशिश नहीं
की। यही नहीं,
हमलावर मिठाई संग बिल
भी लाए थे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कमलेश
की मौत का
कारण अधिक खून
बहने के कारण
शॉक ऐंड हैमरेज
बताया गया है।
रिपोर्ट में चेहरे
पर बाईं तरफ
मांसपेशी तक गहरा
घाव होने की
बात लिखी है।
ठुड्डी से 6 सेमी
गले में नीचे
धारदार हथियार का गहरा
कट है। इसके
अलावा गले, सीने
और कंधे पर
भी गहरे घाव
थे।
डीजीपी ओपी सिंह
ने दावा है
कि कमलेश के
हत्यारे गुजरात में रह
रहे थे, लेकिन
उनका यूपी कनेक्शन
है। बरेली के
निजी अस्पताल में
इलाज करवाना इसको
पुष्ट भी करता
है। डीजीपी का
कहना है कि
जरूरत पड़ने पर
पुलिस गुजरात में
गिरफ्तार हुए तीनों
आरोपितों को ट्रांजिट
रिमांड पर लखनऊ
लाएगी। बिजनौर पुलिस ने
नामजद किए गए
मौलाना अनवारुल हक को
उसके ससुराल से
हिरासत में लिया
है। दरअसल, 4 दिसंबर
2015 को मौलाना ने बिजनौर
में कमलेश तिवारी
का सिर कलम
करने वाले को
51 लाख रुपये देने की
बात कही थी।
पैगंबर साहब पर
विवादित टिप्पणी कर सुर्खियों
में आए तिवारी
हिंदू महासभा से
जुड़े रहे और
कुछ समय के
लिए अयोध्या के
राम मंदिर मामले
में सुप्रीम कोर्ट
में पक्षकार भी
रहे। पैगंबर साहब
पर टिप्पणी के
बाद सरकार ने
उन पर रासुका
लगाया गया था।
कहा जाता है
कि बिजनौर के
उलेमा अनवारुल हक
और मुफ्ती नईम
कासमी ने तिवारी
का सिर कलम
करने का फतवा
भी जारी किया
था। तिवारी ने
पैगंबर साहब पर
की गई टिप्पणी
के पीछे राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ का
हाथ बताते हुए
दावा किया था
कि यह बयान
मेरा नहीं, संघ
का था। हाल
ही में इलाहाबाद
हाई कोर्ट की
लखनऊ खंडपीठ ने
रासुका हटा दी
थी। कमलेश तिवारी
पैगंबर साहब को
लेकर दिए अपने
बयान के बाद
हुए विवाद और
उससे संघ की
दूरी से आहत
होकर संघ से
भी दूर हो
गए थे। उन्होंने
कई अवसरों पर
संघ और भाजपा
के खिलाफ भी
खुलकर बोला। तिवारी
ने संघ को
दोहरे चरित्र वाला
संगठन बताया था।
तिवारी ने भाजपा
की भी आलोचना
करते हुए उसे
भी कांग्रेस और
सपा, बसपा जैसी
पार्टी बताते हुए सवाल
किया था कि
चुनाव के समय
क्यों चिल्लाते हो
कि हिंदू अस्मिता
खतरे में है।
राम मंदिर
के पक्षकार रहे
तिवारी मंदिर निर्माण पर
अपने बयान से
भी सूर्खियों में
रहे थे। उन्होंने
कहा था कि
जिस दिन अयोध्या
में पांच लाख
हिंदू इकट्ठा हो
गया, उस दिन
राम मंदिर का
निर्माण हो जाएगा।
कमलेश तिवारी ने
कहा कि अयोध्या
में राम मंदिर
निर्माण होकर रहेगा
चाहे वह तलवार
के दम पर
क्यों न हो।
तिवारी ने मोदी
सरकार को अगस्त
तक का अल्टीमेटम
देते हुए आंदोलन
की चेतावनी दी
थी। उन्होंने छह
दिसंबर 2018 को विवादित
स्थल पर कार
सेवा करने की
घोषणा की थी।
इसके बाद तीन
दिसंबर 2018 को उन्हें
अयोध्या में गिरफ्तार
भी किया गया
था। तिवारी ने
कहा था कि
अयोध्या में क्या
होगा यह कोई
न्यायालय या सरकार
तय नहीं कर
सकती। यह सिर्फ
हिंदुओं की हुंकार
तय कर सकती
है। कमलेश तिवारी
ने नाथूराम गोडसे
को देश का
सच्चा सपूत बताते
हुए सीतापुर में
अपनी पैतृक जमीन
पर गोडसे का
मंदिर बनवाने का
भी ऐलान किया
था और भाजपा
की आलोचना की
थी। तीन दिसंबर
2018 को उन्होंने कहा था
कि इस देश
में जिन्ना की
पूजा की जा
सकती है तो
गोडसे की क्यों
नहीं। भाजपा यदि
हिंदुओं की सरकार
होने का दावा
करती है तो
गोडसेवाद का विरोध
क्यों करती है।
उन्होंने घर-घर
से गोडसे निकालने
की बात करते
हुए कहा था
कि जिन्ना और
गांधी अब जहां
भी दिखेंगे, उन्हें
गोली मार दी
जाएगी। तिवारी ने कहा
था कि इस
देश में बढ़ती
जिन्ना की सोच
गोडसे का मंदिर
बनवाने को विवश
कर रही है।
सीतापुर, लखनऊ और
अहमदाबाद के साथ
ही 100 जिलों में हिंदू
समाज पार्टी गोडसे
की प्रतिमा स्थापित
कराएगी। कमलेश तिवारी खुद
को शिवसेना का
प्रदेश अध्यक्ष बताते थे।
इस पर शिवसेना
की आपत्ति के
बाद उन्होंने हिंदू
समाज पार्टी बनाई।
उबैद और
कासिम को उनके
हैंडलर ने वीडियो
दिखाकर कमलेश तिवारी को
मारने के लिए
कहा था। बता
दें कि गुजरात
एटीएस ने चार्जशीट
दाखिल की थी
जिसमें कमलेश तिवारी की
हत्या की साजिश
के बारे में
भी खुलासा किया
था। गुजरात एटीएस
के पास कमलेश
तिवारी से संबंधित
आतंकियों की चैटिंग
और सबूत मौजूद
हैं। गुजरात एटीएस
ने आतंकियों से
पूछताछ में कमलेश
तिवारी को लेकर
हुए खुलासे की
जानकारी सेंट्रल एजेंसी को
भी दी थी।
कमलेश की हत्या
के मामले में
पुलिस को तीन
जगह लगे सीसीटीवी
कैमरों में हत्यारों
के फुटेज मिले
हैं। कमलेश के
घर के पास
लगे कैमरे का
पहला फुटेज 12.24 मिनट
का है। इसमें
दो हमलावर भागते
हुए नजर आए।
टोपी पहने हमलावर
पीछे था। दूसरा
फुटेज एक क्रॉकरी
गोदाम में लगे
सीसीटीवी कैमरे का है।
12.31 बजे के इस
फुटेज में भी
भगवाधारी दोनों हमलावर तेजी
से सराय फाटक
की तरफ जाते
दिखे। सर्विलांस की
मदद से पता
चला है कि
हत्यारों ने सबसे
पहले सुबह 11रू
36 बजे पहली कॉल
की थी। इसके
बाद तीन-चार
और फोन किया।
सभी कॉल तीन
से चार मिनट
की थीं। नंबरों
की डिटेल खंगाली
जा रही है।
तीन भाइयों में
सबसे बड़े कमलेश
तिवारी का जन्म
सीतापुर के संदना
थाना क्षेत्र स्थित
पारा कोटवा गांव
में हुआ था।
परवरिश महमूदाबाद (सीतापुर) में
हुई। चाचा महंत
रामदास महमूदाबाद स्थित रामजानकी
मंदिर के पुजारी
हैं, जबकि उनके
पिता राम शरण
दास महमूदाबाद के
ही श्रीदुर्गा मंदिर
में पूजा पाठ
करते हैं। कमलेश
का परिवार शुरू
से ही रामजानकी
मंदिर में रहता
है। हिंदू महासभा
में सक्रिय होने
के बाद कमलेश
ने अपना ठिकाना
खुर्शेदबाग में बना
लिया था। उनके
तीन पुत्रों में
बड़ा सत्यम अब
भी दादा के
पास रहता है।
पत्नी किरन ने
बताया कि उनके
पति कमलेश के
मोबाइल पर किसी
ने कॉल कर
अयोध्या मामले की सुनवाई
पूरी होने पर
बधाई देने के
लिए घर आने
की बात कही
थी। कमलेश ने
उन्हें कमरा ठीक
करने को कहा
था। मकान के
निचले हिस्से में
हिन्दू समाज पार्टी
का कार्यालय है।
कमलेश तिवारी के
घर पर रहने
वाले सौराष्ट्र जीत
सिंह का कहना
है कि गुरुजी
(कमलेश तिवारी) से मिलने
आने से 10 मिनट
पहले उनके पास
फोन आया था।
इसके बाद दोनों
(हत्यारे) घर आए।
नीचे सुरक्षाकर्मी सो
रहा था। इस
पर जब दोनों
ऊपर वाले कमरे
में पहुंचे तो
गुरुजी भी अपने
कमरे से बाहर
आ गए। गुरुजी
ने उनको पहले
दहीबड़ा खिलाया। इसके बाद
दोनों युवकों ने
पांच सिगरेट लाने
के लिए 100 रुपये
का नोट दिया।
मैं पास की
दुकान से सिगरेट
लेकर जल्दी से
आ गया। इसके
बाद गुरुजी ने
मसाला लाने को
कहा। जब मैं
मसाला लेकर पहुंचा
तो गुरुजी मेज
के नीचे लहुलूहान
पड़े थे। बकौल
सौराष्ट्र दोनों युवकों और
कमलेश के बीच
किसी मुस्लिम लड़की
की शादी को
लेकर भी बात
हो रही थी।
घटना के बाद
100 नंबर पर फोन
किया तो पुलिस
भी देर से
पहुंची। घर का
सीसी कैमरा खराब
था। जिस कमरे
में घटना हुई।
उसके बाहर एक
अधजली सिगरेट और
उसकी खाली डिब्बी
भी पड़ी मिली।
कमरे से लेकर
सीढ़ी तक खून
के कई निशान
भी पाए गए।
यह सिगरेट उन
युवकों ने ही
पी थी। पुलिस
के मुताबिक कमलेश
तिवारी के खिलाफ
आठ मुकदमे दर्ज
हैं। पांच मुकदमे
अयोध्या में, दो
हजरतगंज, एक नाका
और एक चैक
में है। उक्त
मुकदमे मारपीट, बलवा, धार्मिक
उन्माद फैलाने, शांति भंग
समेत अन्य धाराओं
में हैं। हत्या
के पीछे आइएसआइएस
का कनेक्शन दरकिनार
नहीं किया जा
सकता। कमलेश तिवारी
सोशल मीडिया पर
हिंदूूओं के मामलों
को लेकर मुखर
भी थे। पश्चिम
बंगाल में एक
ही परिवार के
तीन लोगों की
हत्या के विरोध
में जीपीओ में
उनकी पार्टी ने
प्रदर्शन किया था।
कमलेश तिवारी 22 अक्टूबर
को कोलकाता कूच
करने जा रहे
थे। इससे पहले
20 अक्टूबर को अमीनाबाद
के गंगा प्रसाद
मेमोरियल सभागार में पार्टी
के प्रदेश भर
से 500 कार्यकर्ताओं की बैठक
होने वाली थी।
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