इंडिया कारपेट एक्स्पों कालीन कारोबार के लिए है बड़ा प्लेटफार्म
कारपेट फेयर में दिखेगी ’’मेक इन इंडिया’’ की झलक
मेले का उद्घाटन केंद्रीय कपड़ा सचिव रवि कपूर करेंगे
देश के 230 से अधिक भारतीय कालीन निर्माता ट्रेड फेसेलिटी सेंटर में अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे
सुरेश गांधी
भदोही।
कालीन निर्यात संवर्धन परिषद
(सीईपीसी) के तत्वावधान
में आयोजित होने
वाले चार दिवसीय
इंडिया कारपेट एक्सपो 2019 का
आयोजन संपूर्णानंद संस्कृत
विश्व विद्यालय स्टेडियम
में होगा। यह
कारपेट फेयर 11 से 14 अक्टूबर
तक है। इसमें
58 देशों के तकरीबन
300 सौ आयातक भाग लेंगे।
इसकों देखते हुए
भदोही, वाराणसी, मिर्जापुर, आगरा,
राजस्थान, पानीपत, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, मुंबई, नेपाल
आदि शहरों के
230 से अधिक भारतीय
कालीन निर्माता प्रदर्शनी
हॉल में अपने
उत्पादों का प्रदर्शन
करेंगे। 38वें फेयर
का उद्घाटन 11 अक्टूबर
को भारत सरकार
के वस्त्र मंत्रालय
के कपड़ा सचिव
रवि कपूर करेंगे।
श्री शांतमनु, आईएएस,
विकास आयुक्त (हस्तशिल्प)
गेस्ट ऑफ ऑनर
होंगे। उम्मीद है कि
एक्सपो में लगभग
450 प्रतिष्ठित विदेशी कालीन खरीदार
शामिल होंगे।
श्री सिद्धनाथ
सिंह ने पत्रकारों
को बताया कियह
प्रदर्शनी हस्तनिर्मित कालीन के
भारतीय निर्यात को बहुत
अधिक और नई
ऊंचाइयों पर ले
जाएगी। एक्सपो अच्छा व्यवसाय
उत्पन्न करेगा। इस दौरान
परिषद ने 5 श्रेणियों
के तहत वर्ष
2018-19 के लिए उत्कृष्टता
निर्यात पुरस्कार प्रदान करेगी।
सम्मान पाने वाले
प्रमुख कालीन उद्यमी व
प्रमुख हस्तियां होगी। श्री
सिंह ने कहा
कि भारत कालीन
एक्सपो अंतर्राष्ट्रीय कालीन खरीदारों के
लिए एक आदर्श
मंच है। कालीन
एक्सपो खरीदारों के लिए
एशिया के सबसे
बड़े हस्तनिर्मित कालीन
मेलों में से
एक है, जहां
खरीदारों के लिए
एक छत के
नीचे सर्वश्रेष्ठ हस्तनिर्मित
कालीनों और अन्य
फर्श कवरिंग का
स्रोत है। यह
हस्तनिर्मित कालीनों पर दुनिया
भर में एक
लोकप्रिय गंतव्य बन गया
है। कालीन खरीदारों
की विशिष्टताओं के
अनुसार किसी भी
प्रकार के डिजाइन,
रंग, गुणवत्ता और
आकार के अनुरूप
भारत की अद्वितीय
क्षमता ने इसे
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक
घरेलू नाम बना
दिया है। उद्योग
भारत के विभिन्न
बंदरगाहों यानी ऊन,
रेशम, मानव निर्मित
फाइबर, जूट, कपास
और विभिन्न यार्न
के विभिन्न मिश्रणों
से विभिन्न रॉ-सामग्रियों का उपयोग
करता है। उद्योग
में उत्पादन और
निर्यात दोनों में वृद्धि
की अपार संभावनाएं
हैं। उद्योग पर्यावरण
के अनुकूल है
और ऊर्जा और
खराब ऊर्जा संसाधनों
का उपयोग नहीं
करता है।
वाराणसी में एक्स्पों
के आयोजन का
मुख्य मकसद कार्पेट
उत्पादक बेल्ट में सभी
विदेशी कालीन खरीदारों को
’अद्वितीय पिक और
चॉइस’ का अवसर
प्रदान करना है।
यह परिषद का
प्रयास है कि
दोनों कालीन आयातकों
के साथ-साथ
निर्माता और निर्यातकों
को भी विशेष
कारोबारी माहौल प्रदान किया
जाए। इस अवसर
पर उमेर हमीद,
सीनियर मेम्बर उमेश कुमार
गुप्ता, ओंकारनाथ मिश्रा, अब्दुल
रब अंसारी, राजेंद्र
प्रसाद मिश्रा, श्रीराम मौर्य,
कार्यकारी निदेशक सीइपीसी संजय
कुमार, आदि मौजूद
थे। श्री िंसंह
ने कहा कि
फेयर में भारत
सरकार वस्त्र मंत्रालय
के अधीन कालीन
निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी)
पिछले 38 वर्षो से अंतरराष्ट्रीय
खरीदारों को उनकी
जरूरतें पूरी करता
आ रहा है।
फेयर में बुनकरों
के हाडतोड़ मेहनत
व कारीगरी से
निर्मित पर्सियन नॉटेड, नेपाली,
टफटेड, दरी एवं
जूट एवं बम्बू
से निर्मित कालीन
के अलावा क्रिसमस,
वैलेंटाइन, जन्मदिन और सालगिरह
जैसे मौकों के
लिए सजावट वाले
हस्तनिर्मित कालीनों की प्रदर्शनी
लगाई जाती है।
इसकी तैयारियां लगभग
पूरी हो चुकी
है। सीइपीसी के
चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने
बताया कि मेले
का मकसद विदेशों
से आने वाले
खरीदारों में भारतीय
कालीनों और अन्य
फ्लोर कवरिंग की
सांस्कृतिक विरासत व बुनाई
कौशल को बढ़ावा
देना है। मेले
में भारतीय कालीन
निर्माताओं को अपने-अपने उत्पादों
की प्रदर्शनी लगाने
का मौका मिलेगा।
मेले में आने
वाले आयातकों को
खास सुविधा मुहैया
कराई गयी है।
फेयर में कालीन
ही नहीं देश
भर के हस्तशिल्प
उत्पाद देखने को मिलेंगे।
जो पूरी तरह
हाथ से बने
होंगे।
यूरोप व अमेरिका के 450 कारोबारी आएंगे
अमेरिका यूरोप के
बड़े कारोबारियों के
अलावा इस बार
जापान, फ्रांस, इटली, कनाडा,
स्विटजरलैंड, नार्वे, स्वीडन, चीन,
ऑस्ट्रेलिया, साउथ अमेरिका,
पेरु, चिली, बुल्गारिया,
इजरायल, मॉरीशस, ताईवान, वियतनाम
समेत 58 देशों से करीब
450 बायर्स ने फेयर
में आने की
स्वीकृति दी है।
मेले के दौरान
हस्तशिल्प उत्पादों के लिए
अवसर एवं निर्यात
से जुड़ी रणनीति
और हस्तशिल्प क्षेत्र
में डिजिटल मार्केटिंग
और ऑनलाइन प्रमोशन
के प्रभावी इस्तेमाल
से जुड़े विषयों
की भी जानकारी
दी जायेगी।
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