तेज होगी मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ जंग
हालांकि
अमेरिकी
राष्ट्रपति
डोनाल्ड
ट्रंप
के
दो
दिवसीय
भारत
दौरे
से
कई
बड़ी
डील
हो
सकती
हैं।
लेकिन
सबसे
अधिक
फायदा
यह
होगा
कि
मोदी
व
ट्रंप
के
मिलने
से
न
सिर्फ
भारत
सैन्य
शक्ति
काफी
मजबूत
होगी,
बल्कि
मुस्लिम
आतंकवाद
के
खिलाफ
लड़े
रहे
दोनों
महारथियों
की
जंग
और
तेज
होगी।
पाकिस्तानी
प्रधानमंत्री
इमरान
खान
की
हैकड़ी
पर
ब्रेक
लगेगा
और
डिफेंस
डील,
ट्रेड
डील
समेत
कई
बड़े
मसलों
पर
भी
समझौता
हो
सकता
है।
या
यूं
कहे
आतंकवाद
के
खिलाफ
मिलकर
लड़ने
पर
भारत
और
अमेरिका
कुछ
बड़े
फैसले
ले
सकते
हैं
नरेंद्र मोदी और
डोनाल्ड ट्रंप का साथ
आना भारत-अमेरिका
के बीच बढ़
रही रणनीतिक निकटता
दर्शाता है। दोनों
मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ
जंग छेड़े हुए
है। दोनो का
मकसद मुस्लिम आतंकवाद
का सफाया है।
दोनों नेता चाहते
है अपने देश
को महान बनाना।
दोनों नेता भारत
और अमेरिका के
बीच व्यापार को
लेकर बढ़ रहे
तनाव को कम
करने की कोशिश
में लगे है।
अमेरिका द्वारा हाल ही
में भारत से
होने वाले स्टील
और अलुमिनियम उत्पादों
पर आयात शुक्ल
बढ़ाने को लेकर
हुए विवादों को
खत्म करना चाहते
है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी का दावा
है कि ट्रंप
के दौरे से
दोनों देशों के
संबंध और अधिक
मजबूत होंगे। राष्ट्रपति
के रूप में
डोनाल्ड ट्रंप का यह
पहला भारत दौरा
है। ट्रेड, इन्वेस्टमेंट,
डिफेंस, सुरक्षा, आतंकवाद, एनर्जी
सुरक्षा, धार्मिक सुरक्षा, अफगानिस्तान
के मसले पर
दोनों नेता कुछ
नया कर सकते
है। इंटलैक्चुएल प्रॉपर्टी
राइट्स, ट्रेड फैसिलेशन, होमलैंड
सिक्युरिटी समेत कुल
पांच मसलों पर
दोनों नेताओं की
बात होगी, जिसमें
भारत-अमेरिका समझौता
फाइनल कर सकता
हैं। सभी की
नजर डिफेंस डील
पर है, जिसमें
भारत 60 रोमियो हेलिकॉप्टर खरीदने
पर विचार कर
रहा है। अगर
ये डील होती
है, तो इसकी
कुल कीमत 2.6 बिलियन
अमेरिकी डॉलर है।
इसके अलावा भारत
अमेरिका से 800 मिलियन डॉलर
के 6 अपाचे हेलिकॉप्टर
ले सकता है।
भारत में
सटीक खुफिया सूचनाओं
की कमी आतंकवाद
के खिलाफ लड़ाई
में एक बड़ी
समस्या रही है
और इस मुश्किल
का हल निकालने
के लिए अमेरिका
की होमलैंड सिक्योरिटी
और भारत के
इंटेलीजेंस ब्यूरो के बीच
समझौता हो सकता
है। जिसके तहत
दोनों देश एक
दूसरे के साथ
आतंकवादियों से जुड़ी
जानकारियां साझा करेंगे।
बता दें, ट्रंप
अक्सर अपने भाषणों
में कहते रहे
है “मैं हिन्दू
से प्यार करता
हूं।“ इसका मकसद
तो वे ही
जाने लेकिन यह
हकीकत है कि
इसका वह अपनी
चुनावी हित सोच
रहे है। उनकी
नजर अमेरिका में
रह रहे 40 लाख
अमेरिकी भारतवंशी वोटों पर
है। दुसरी तरफ
वो मोदी के
सुर में सुर
मिलाते हुए कहने
से नहीं हिचकते
कि उनकी लड़ाई
मुस्लिम आतंकवाद से है।
यह अलग बात
है कि इस
दो दिवसीय यात्रा
के पीछे आर्थिक
समझौता ही अहम
मुद्दा है। खासतौर
पर तब जब
दुनिया यह समझने
लगी है कि
ट्रंप विश्वसनीय व्यक्ति
नहीं हैं। वे
अक्सर असत्य बोलते
रहते है। कुछ
समय पहले ट्रंप
ने कश्मीर पर
मध्यस्थता की बात
कही और उसमें
पीएम नरेंद्र मोदी
को भी घसीट
लिया था। हालांकि
कुछ ही देर
में अमेरिका को
आनन-फानन में
सफाई देनी पड़ी।
लेकिन यह भी
सच्चाई है कि
वह दुनिया के
सबसे शक्तिशाली देश
के राष्ट्राध्यक्ष हैं
और भारत को
आतंकवाद के खिलाफ
संघर्ष में उनका
साथ चाहिए।
गौरतलब है कि
भारत में सटीक
खुफिया सूचनाओं की कमी
आतंकवाद के खिलाफ
लड़ाई में एक
बड़ी समस्या रही
है और इस
मुश्किल का हल
निकालने के लिए
अमेरिका की होमलैंड
सिक्योरिटी और भारत
के इंटेलीजेंस ब्यूरो
के बीच समझौता
हो सकता है।
जिसके तहत दोनों
देश एक दूसरे
के साथ आतंकवादियों
से जुड़ी जानकारियां
साझा करेंगे। इस
यात्रा में दोनों
देशों के बीच
दो बड़े रक्षा
समझौते भी हो
सकते हैं। भारतीय
नौसेना के लिए
18 हजार 200 करोड़ रुपए
में 24 अमेरिकी हेलीकॉप्टर्स और
5600 करोड़ में भारतीय
सेना के लिए
6 अपाचे हेलीकॉप्टर्स खरीदे जा सकते
हैं। ये डील
पिछले कई सालों
से जारी सेना
के हथियारों की
कमी को पूरा
करेगी और भारत
की सैन्य ताकत
को बढ़ाएगी। भारत
और अमेरिका के
बीच इंडो पैसिफिक
क्षेत्र में सहयोग
को बढ़ाने के
लिए भी एक
अहम समझौता हो
सकता है। चीन
के बढ़ते वर्चस्व
को देखते हुए
इस इलाके की
सुरक्षा भारत और
अमेरिका दोनों के लिए
ही जरूरी है।
कुछ ही दिनों
में अमेरिका और
तालिबान के बीच
अफगानिस्तान में एक
डील होने की
संभावना है। जिससे
इस इलाके में
शांति बनाए रखने
में भारत का
रोल बढ़ सकता
है। अमेरिका, अफगानिस्तान
में अपने ऑपरेशन
में भी भारत
की मदद चाहता
है और भारत
को भी चीन
का मुकाबला करने
के लिए अमेरिका
की जरूरत है।
एक रिपोर्ट
के मुताबिक अमेरिका
में काम करने
जाने वाले भारतीयों
का वीजा खारिज
होने की घटनाएं
बढ़ी हैं। साल
2015 में सिर्फ 1 प्रतिशत भारतीयों
का वीजा एप्लीकेशन
रद्द किया गया
था जो साल
2019 में बढ़कर 8 से 10 प्रतिशत
तक पहुंच गया
है। उम्मीद जताई
जा रही है
कि ट्रंप के
इस दौरे के
बाद इस स्थिति
में सुधार आएगा।
इसके अलावा पेटेंट
पर भी एक
समझौता होने की
संभावना है। इसके
तहत पेटेंट्स और
कॉपीराइट जैसी चीजें
आती हैं। अमेरिका
की एक रिपोर्ट
के मुताबिक भारत
उन 10 देशों में
शामिल है जहां
पेटेंट उल्लंघन के सबसे
ज्यादा मामले होते हैं।
भारत के लिए
इस एग्रीमेंट के
बाद ऐसे सभी
रिसर्च जिसमें अंतरराष्ट्रीय मानकों
के हिसाब से
पेटेंट्स और कॉपीराइट्स
की जरूरत होती
है उसमें आसानी
होगी और दवाइयों
की टेस्टिंग और
उनसे जुड़े पेटेंट्स
हासिल करने में
भी भारतीय कंपनियों
को आसानी होगी।
भारत दौरे से
पहले ट्रंप ने
एक वीडियो रीट्वीट
करते हुए लिखा
है कि भारत
में दोस्तों से
मिलने के लिए
बेकरार हूं। बता
दें कि इस
वीडियो में राष्ट्रपति
ट्रंप को बाहुबली
की तरह दिखाया
गया है। एक
मिनट 21 सेकेंड के इस
वीडियो में राष्ट्रपति
ट्रंप को रणक्षेत्र
में तलवारबाजी करते
हुए दिखाया गया
है। ट्रंप बाहुबली
के परिधान में
नजर आ रहे
हैं और वे
जंग के मैदान
में दुश्मनों से
लोहा लेते दिख
रहे हैं। इस
वीडियो में उनकी
पत्नी मिलेनिया ट्रंप
भी नजर आ
रही हैं। बैकग्राउंड
में गाना भी
वही बज रहा
है जो बाहुबली
में फिल्माया गया
है। गाने का
बोल है-जियो
रे बाहुबली.. इस
वीडियो की खास
बात यह है
कि इसमें प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी भी
दिख रहे हैं।
वैसे भी
1950 के दशक में
जब दुनिया की
दो महाशक्तियों के
बीच शीत युद्ध
यानी कोल्ड वार
चल रहा था,
तब भारत और
अमेरिका के संबंध
भी कोल्ड हुआ
करते थे। यानी
उस समय दोनों
देश उतने करीब
नहीं थे जितने
आज हैं लेकिन
मोदी और ट्रंप
की आपसी दोस्ती
ने दोनों देशों
को रिश्ते को
अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचा
दिया है। पिछले
73 वर्ष में 7 बार अमेरिकी
राष्ट्रपति भारत यात्रा
पर आए हैं।
और इन 7 दशकों
में भारत और
अमेरिका के संबंध
सदी की सबसे
शानदार भागीदारी में बदल
गए हैं। वर्ष
1947 में भारत को
आजादी मिलने के
बाद पहले 50 वर्षों
में सिर्फ 3 अमेरिकी
राष्ट्रपति भारत आए।
जबकि पिछले 20 वर्षों
में ही 4 बार
अमेरिकी राष्ट्रपति आए हैं।
और डोनाल्ड ट्रंप
की यात्रा 5वीं
होगी। वर्ष 1978 में
जिमी कार्टर भारत
की यात्रा पर
आने वाले तीसरे
अमेरिकी राष्ट्रपति थे। ये
वो वक्त था
जब भारत ने
वर्ष 1974 में अपना
पहला परमाणु परीक्षण
कर लिया था।
कार्टर ने तत्कालीन
प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के
साथ और परमाणु
परीक्षण ना करने
का समझौता करना
चाहते थे। लेकिन
ये डील नहीं
हो पाई। तब
कार्टर दिल्ली के पास
हरियाणा के एक
गांव में गए
थे और उस
गांव का नाम
कार्टरपुरी कर दिया
गया। जिमी कार्टर
के भारत दौरे
के करीब 22 वर्षों
बाद राष्ट्रपति बिल
क्लिंटन भारत आए।
ये वो समय
था जब भारत
और अमेरिका एक
दूसरे के करीब
आ रहे थे।
वर्ष 1999 के कारगिल
युद्ध में अमेरिका
ने भारत का
पक्ष लिया था।
और दोनों देशों
के बीच मजबूत
व्यापारिक संबंध बने थे।
वर्ष 2006 में जब
जॉर्ज डब्ल्यू वुश
भारत पहुंचे तो
उन्होंने भारत के
साथ परमाणु समझौता
करने की कोशिश
की थी। तब
भारत और अमेरिका
के आर्थिक और
रक्षा संबंध बेहतर
हो रहे थे।
इस यात्रा से
5 वर्ष पहले अमेरिका
के वर्ल्ड ट्रेड
सेंटर पर आतंकवादी
हमला हुआ था।
जिसके बाद अंतरराष्ट्रीय
मंचों पर भारत
और अमेरिका आतंकवाद
के मुद्दे पर
एक हो गए।
बराक ओबामा दो
बार भारत यात्रा
पर आने वाले
पहले अमेरिकी राष्ट्रपति
हैं। उनकी पहली
यात्रा वर्ष 2010 में हुई
थी। उस समय
मनमोहन सिंह भारत
के प्रधानमंत्री थे।
ओबामा ने संयुक्त
राष्ट्र सुरक्षा परिषद में
भारत की स्थाई
सदस्यता का समर्थन
किया था। और
उस समय भारत
और अमेरिका के
रिश्तों का स्वर्ण
काल शुरु हो
गया था। वर्ष
2015 में भारत के
गणतंत्र दिवस कार्यक्रम
में शामिल होने
वाले पहले अमेरिकी
राष्ट्रपति बन गए।
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ReplyDeleteGood work
ReplyDeletePrakharchetnablogspot.com
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