अब ‘‘लॉकडाउन’’ को सख्ती से पालन की चुनौती
विश्व
का
दूसरा
सबसे
बड़ा
आबादी
वाला
देश
होने
के
बावजूद
भारत
में
कोरोना
का
बेकाबू
ना
होना
मजबूत
नेतृत्व
क्षमता
को
दर्शाता
है।
लेकिन
जिस
तरह
से
कोरोना
का
संक्रमण
सुरसा
के
मुंह
की
तरह
बढ़
रहा
है
वह
काफी
गंभीर
है।
देश
में
कोरोना
वायरस
से
अब
तक
9 लोगों
की
मौत
हो
चुकी
है।
कोरोना
के
मरीजों
की
संख्या
5 सौ
के
पार
जा
पहुंची
है।
अकेले
24 घंटे
में
60 से
अधिक
नए
मरीज
आए
हैं
और
4 मौतें
हुई
हैं।
जबकि
जनता
कर्फ्यू
के
बाद
देश
के
राज्यों
व
जिलों
में
31 मार्च
तक
लॉकडाउन
है।
कहने
को
यूपी
के
16 जिलों
में
25 मार्च
तक
लॉकडाउन
है।
लेकिन
पुलिस
एवं
प्रशासनिक
लापरवाहियों
के
चलते
इसका
कड़ाई
से
अनुपालन
नहीं
हो
पा
रहा
है।
खासकर
मुस्लिम
व
दलित
आबादी
वालों
में
लोगों
को
झुंड
के
रुप
में
देखा
जा
सकता
है।
मतलब
साफ
है
सरकार
को
अब
लॉकडाउन
को
सख्ती
अनुपालन
कराने
की
चुनौती
है।
वरना
इटली
की
भूल
की
सजा
भारत
को
भी
भुगतना
पड़
सकता
है
सुरेश गांधी
फिरहाल, बड़ी सवाल
तो यही है
क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी आह्वान पर
‘जनता कर्फ्यू‘ की अभूतपूर्व
सफलता के बाद
अब लॉकडाउन को
सफल बनाने की
बड़ी चुनौती है?
हालांकि 22 मार्च को जिस
तरह से लोगों
ने एकजुटता के
साथ घंट-घड़ियाल,
शंख, थाली- लोटा
व पूरी उत्साह
के साथ ताली
बजाते दिखा उससे
तो साफ है
कि लोग ‘करोना‘ को मात देने
के लिए हर
कुर्बानी देंगे। क्या बुजुर्ग
क्या युवा, क्या
बच्चे, सब के
सब में गजब
का जोश दिखा।
लोगों की जोश
से तो यही
लगा कि ‘भागो
यहां से! हम
तैयार हैं तुम
से लड़ने के
लिए। यह अलग
बात है कि
कुछ मुस्लिम इलाकों
में झुंड को
खदेड़ने के लिए
पुलिस को बल
प्रयोग करना पड़ा।
कुछ ऐसा ही
अब लॉकडाउन के
बावजूद लोगों को झुंड
के रुप में
गली-मुहल्लों की
सड़कों पर देखा
जा रहा है।
देश के कई
इलाकों में लोग
लॉकडाउन को ठेंगा
दिखाते भी नजर
आए। हालांकि इस
बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने ट्वीट
कर देशवासियों से
लॉकडाउन को गंभीरता
से लेने की
बात कही। साथ
ही केंद्र सरकार
की तरफ से
बाकायदा राज्य सरकारों को
कहा गया है
कि लॉकडाउन का
सही से पालन
कराएं और अगर
कोई नियम का
उल्लंघन करे तो
सख्त कार्रवाई की
जाए। बुद्धिमता भी इसी में
है कि हालात
बिगड़ने का इंतजार
करने के बजाय
पहले से सब
कुछ चाक चौबंद
करने की जरुरत
है। आम गरीब
जनमानस की दिक्क्तों
को दूर करने
की। अगर ऐसा
नहीं किया गया
तो चौखट पर
खड़ी महामारी को
घर में घुसकर
आक्रमण करने से
कोई रोक नहीं
सकता। हमें इटली
की गलतियों से
सबक लेना होगा
और चीन की
तरह सख्ती करनी
होगी। खतरा को
टालने के लिए
लोगों को ज्यादा
से ज्यादा घरों
में कैद रखना
होगा।
या यूं
कहे हमें बेहद
सख्त कदम उठाने
होंगे। शहर दर
शहर दुकानों से
लेकर परिवहन तक
को बंद करना
होगा। शासन-प्रशासन
की इजाजत के
बाद भी आदेश
नहीं मांगने पर
जबरदस्ती करनी होगी।
ड्रोन के जरिए
निगरानी कराकर आदेश ना
मानने वालों के
खिलाफ रपट दर्ज
कर सलाखों में
डालना होगा। क्यों
कि कोरोना से
जूझ रहे इटली
जैसे देशों ने
इसे हल्के में
लिया, जिसका नतीजा
वे भुगत रहे
हैं।
कहने
का अभिप्राय यही
है कि इस
समय जनता व
सरकार दोनों को
बहुत सचेत रहना
चाहिए। इस समय
अधिकतम जांच कराने
के साथ हर
दिन दवा छिड़कते
रहने की जरूरत
है। माना कि
जनता कर्फ्यू के
व्यापक समर्थन से अनेकता
में एकता की
वह मिशाल देखने
को मिली, जिसे
बरसों पहले कहां
गया था, ‘कुछ
बात है कि
हस्ती मिटती नहीं
हमारी‘। या
यूं कहे जनता
ने अपनी तरफ
से कर्फ्यू लगा
कर और उसका
मुकम्मल पालन कर
कोरोना के खिलाफ
लड़ाई को समर्थन
देने के साथ
ही यह भी
जता दिया है
कि देश के
लिए उसे कुछ
दिन कष्ट झेलने
से परहेज नहीं
है। लेकिन कुछ
मोदी विरोधी मानसिक
बीमरी से जूझ
रहे लोगों को
यूं ही भ्रम
फैलानेख् आमजनमानस को गुमराह
करने, अनाफ-शनाप
बोलने व सड़कों
पर झुंड बनाकर
घुमने की इजाजत
नहीं दी जा
सकती है। मुठ्ठीभर
लोगों की लापरवाहियों
की सजा बड़े
मॉब को देने
का कहां का
इंसाफ है। यूपी
के कबीना मंत्री
रवीन्द्र जायसवाल के उस
सख्त रवैये की
तारीफ करनी होगी,
जिसमें उन्होंने साफ शब्दों
में कहा है
कोरोना अखबारों के जरिए
भी घरों में
पहुंच सकता है।
मुंबई में अखबारों
के प्रिंट पर
पाबंदी लगा दी
गई है। इसलिए
कुछ दिन तक
लोगों को घरों
में अखबार आने
से रोकना होगा।
उनके इस आह्वान
को गंभीरता से
लेनी होगी। खुशी
की बात है
कि कोरोना के
बढ़ते खतरे को
देखते हुए मुंबई
में अखबारों के
प्रिंट पर पाबंदी
लगा दी गई
है। घरेलू उड़ानों
पर भी रोक
लगा दी गई
है। इससे पहले
रेल सेवा पर
पहले ही रोक
लगाई जा चुकी
है।
कहा
जा सकता है
कोरोना ने पूरे
देश में ब्रेक
लगा दिया है।
देश के 75 जिलों
में लॉकडाउन लागू
किया गया है।
इसमें दिल्ली, महाराष्ट्र,
पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश,
चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल
प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख,
कर्नाटक, मध्य प्रदेश,
केरल, ओडिशा, पुडुचेरी,
राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी,
उत्तराखंड और पश्चिम
बंगाल शामिल है।
पंजाब में कर्फ्यू
है। लोकसभा की
कार्यवाही भी अनिश्चितकाल
के लिए स्थगित
है। यूपी के
16 जिलों में लॉकडाउन
है। लिहाजा अब
इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर
सबकुछ बंद है।
होना भी चाहिए।
कोरोना वायरस का कहर
दुनियाभर में इस
कदर बढ़ रहा
है कि हर
दिन सैकड़ों लोग
अपनी जान गंवा
रहे हैं। कोरोना
से दुनियाभर में
मरने वालों की
संख्या 14616 पहुंच गई है।
अब विश्व की
महाशक्ति अमेरिका इस महामारी
की चपेट में
बुरी तरह से
आ गया है।
वहां हालात इतने
खराब हैं कि
यहां पिछले 24 घंटों
में 112 लोगों ने दम
तोड़ दिया है।
इसके
अलावा अमेरिका के
सीनेटर रैंड पॉल
भी कोरोना वायरस
से संक्रमित हो
गए हैं। इटली
की लापरवाही का
ही आलम यह
है कि 22 मार्च
तक वहां कोरोना
के संक्रमण के
59,138 मामलों की पुष्टि
हुई और इस
वैश्विक महामारी के चलते
5,746 लोगों को अपनी
जान से हाथ
धोना पड़ा है।
जबकि वहां पूरी
तरह से लॉकडाउन
किया गया है।
कुल मिलाकर कोरोना
से बचाव के
लिए लोगों को
चाहिए कि घरों
से कम से
कम निकलें। सार्वजनिक
जगहों पर जानें
से परहेज करें।
पार्टियों में जाना
बंद कर देना
चाहिए। कोरोना वायरस जैसे
लक्षण दिखें तो
डॉक्टर की सलाह
लेंना चाहिए। खासकर
60 से अधिक उम्र
के लोगों को
घरों में कैद
रहना होगा। डब्ल्यूएचओ
के अनुसार कोरोना
वायरस विशेष परिस्थितियों
जैसे गर्मी और
नमी में आठ
घंटे तक हवा
में ठहर सकता
है। ऐसे कोरोना
ग्रसित मरीजों का इलाज
कर रहे डॉक्टर्स
को काफी सावधान
रहने की जरूरत
है। स्वास्थ्य अधिकारी
का कहना है
कि सांस की
बीमारी मानव से
मानव के संपर्क
में आने, छींक
या खांसी के
साथ निर्जीव वस्तुओं
पर छोड़े गए
कीटाणुओं के माध्यम
से फैलती हैं।
यह एक
बिल्कुल नई तरह
का कोरोना वायरस,
जो कोविड-19 के
रूप में भी
कुख्यात है। तीन
महीने पहले चीन
में पहली बार
प्रकट होकर एक
के बाद एक
इलाके फतह करता
हुआ पूरी दुनिया
को रौंदता चला
आ रहा था।
अब ऐसे देशों
की संख्या 185 तक
पहुंच गई है,
जहां वायरस जड़ें
जमा चुका है,
इनमें से अधिकतर
देशों को अपने
इलाकों के अंदर
इस वायरस का
और आगे फैलाव
रोकने में पसीने
छूट रहे हैं।
अपवाद स्वरूप कुछ
ऐसे देश जरूर
हैं, जिन्होंने वायरस
की गंभीरता कम
करने के लिए
शुरुआती और ठोस
उपाय कर लिए
थे। लेकिन किसी
विश्व विजेता की
भांति यह वायरस
सरहदों को कुछ
नहीं समझता, राष्ट्र-राज्यों की हस्ती
नहीं पहचानता और
न ही संप्रभुता
की रत्ती भर
परवाह करता है।
यह भी एक
कारण हो सकता
है कि कई
देशों के लीडरों;
यहां तक कि
‘अमेरिका फर्स्ट’ विचार की खुली
हिमायत करने वाले
डोनाल्ड जे. ट्रम्प
ने भी घोषणा
कर दी है
कि वायरस द्वारा
उत्पन्न की गई
निपट अप्रत्याशित परिस्थिति
ने समूची मानव
जाति के लिए
चिंता पैदा कर
दी है।
डब्ल्यूएचओ
के महानिदेशक ने
वायरस को सर्वव्यापी
महामारी घोषित करते हुए
कहा है, “सतर्कतापूर्वक
एक दूसरे का
खयाल रखें”- “क्योंकि इस काम
में हम साथ
मिलकर ठंडे दिमाग
से सही कदम
उठाने और दुनिया
के नागरिकों की
रक्षा करने के
लिए उपस्थित हैं।“ संगीतकार,
अभिनेता और प्रमुख
लोकप्रिय हस्तियां दुनिया को
आश्वस्त करने के
लिए सुर में
सुर मिला रही
हैं कि “इसमें
हम सब साथ-साथ हैं।“ राष्ट्रों,
जातीयताओं और धर्मों
को नजरअंदाज करने
के अनोखेपन के
अलावा इस वायरस
की कई अन्य
विशेषताएं भी हैं।
इनमें यह तथ्य
भी शामिल है
कि तुलनात्मक रूप
से इसके बारे
में बहुत कम
जानकारी उपलब्ध है। और
सबसे महत्वपूर्ण बात
यह है कि
यह “अदृश्य“ है। इंटरनेट
पर सैकड़ों तथाकथित
उपचारों और औषधियों
की बाढ़ के
बावजूद अभी तक
इसका कोई इलाज
मौजूद नहीं है।
अब
हर कोई मानने
लगा है कि
यदि वायरस का
फैलाव रोकना है
तो गतिविधियों की
स्वतंत्रता कम करनी
ही पड़ेगी। कहा
जा सकता है
कि कोरोना वायरस
ने उन लोगों
के हाथ कमजोर
कर दिए हैं,
जो वैश्वीकरण के
साथ खड़े हैं
और राष्ट्रवाद को
बल दे दिया
है, जो पहले
से ही दुनिया
भर के कई
देशों में उफान
पर है। कोरोना
की महामारी के
चलते विश्व में
जो सामाजिक, आर्थिक
और राजनीतिक उथलपुथल
मची है वो
ऐतिहासिक है। कोविड-19
जो दुनिया को
अपने चपेट में
ले चुका है।
वो आधुनिक इतिहास
में या बेहतर
तरीके से कहें
तो पिछले 100 सालों
में अभूतपूर्व है।
इसने हमारे आने
वाले निकट भविष्य
पर इतनी गहरी
छाप छोड़ दी
है। क्योंकि किसी
भी जीवित व्यक्ति
को अपने अनुभव
में ऐसा उदाहरण
देखने को नहीं
मिला था। अब
तक के समय
में सैकड़ों या
शायद कुछ हजार
युद्ध या नरसंहार,
नागरिक संघर्ष, अपमान, महामारी,
सूखा, भूकंप और
अन्य ’प्राकृतिक आपदाएं’ जो अब तक
हुई हैं उनमें
मृत्यु दर के
आंकड़े इतने भयावह
रहे हैं। प्रथम
विश्व युद्ध में
लगभग 4 करोड़ लोगों
की मृत्यु होने
का अनुमान है।
इसी तरह दूसरे
विश्व युद्ध में
करीब 10 करोड़ लोगों
के मारे जाने
की बात कही
जाती रही है
जिनमें कि सेना
के लोग, सामान्य
नागरिक के साथ
वो लोग भी
शामिल थे जो
युद्ध की वजह
से पैदा हुई
भूख, अकाल और
भुखमरी से पीड़ित
होकर मारे गए।
इस
तरह के आंकड़ों
को देखते हुए
ये कहा जा
सकता है कि
कोरोना वायरस के कारण
मारे गए लोगों
का जिक्र करना
शायद ज्यादा हो
जाए। फिर भी,
यह तर्क करना
जरूरी है कि
वर्तमान में दुनिया
में कोरोना वायरस
के चलते जो
कुछ भी देखा
जा रहा है
वो पिछले एक
सौ सालों के
हमारे अनुभव में
विशिष्ट और पूरी
तरह से विलक्षण
है। जहां तक
इसके भारत में
असर करने की
बात है तो
इसने पहले से
ही गरीबी, बीमारी,
खरोब पोषण और
मेडिकल सुविधाओं के अभाव
को झेल रहे
इस राष्ट्र को
काफी नुकसान पहुंचाया।
अनुमान लगाया जाता है
कि इस फ्लू
से कुछ 18 मिलियन
भारतीय लोगों की मौत
हो गई थी।
1918-19 के इन्फ्लूएंजा महामारी को
सच माना जाए
तो कोविड -19 के
तहत होने वाली
मृत्यु दर इसके
आंकड़ों से काफी
दूर है। आधुनिक
दवाओं ने निश्चित
तौर पर काफी
तरक्की कर ली
है और सदी
के दौरान दवाओं
के क्षेत्र में
सुधार हुआ है।
हालांकि इसके बावजूद
अभी तक ये
समझ आ चुका
है कि ये
खतरनाक वायरस केवल सामाजिक
आइसोलेशन और क्वारंटीन
के द्वारा ही
फैलने से रोका
जा जा सकता
है। दुनिया के
192 में से 189 देशों में
कोरोना महामारी फैल चुकी
है। जिन मामलों
के नतीजे आए
उसमें सिर्फ पांच
दिन में कोरोना
पीड़ितों की मृत्युदर
नौ से 13 फीसदी
हो गई है
जो कि चिंताजनक
है। कोरोना की
वजह से दुनियाभर
में 13 हजार से
ज्यादा लोगों की मौत
हो चुकी है।
इटली, स्पेन, फ्रांस
और श्रीलंका के
अलावा कई अमेरिकी
राज्यों में पूरी
तरह लॉकडाउन है।
35 देशों में करीब
90 करोड़ लोग अपने
घरों में कैद
हैं। इटली में
मरने वालों की
संख्या 5,800 के पार
पहुंच गई है।
महाराष्ट्र में कोरोना
वायरस के 22 नए
मामले सामने आए
हैं जिसके बाद
अकेले महाराष्ट्र में
89 लोग कोरोना वायरस से
संक्रमित हैं. इस
तरह भारत में
कोरोना पॉजिटिव की संख्या
बढ़कर 418 हो गई
है.....
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