‘कोरोना’
के खौफ में ‘भारतीय उद्योगों’ का बैठता ‘भट्ठा’
चीन में जानलेवा बना कोरोना वायरस का खौफ अब भारतीय उद्योग पर भी मंडराने लगा है। एक अनुमान के मुताबिक न सिर्फ सौ हजार करोड़ का निर्यात प्रभावित हुआ है, बल्कि कालीन, कपड़ा, ज्वेलरी, हैंडीक्राफ्ट सहित अन्य उत्पादों की खरीदारी के लिए विदेशों से आने वाले हजारों आयातकों ने भी अपना दौरा रद्द कर दिया है। खासतौर से चीन से कच्चे माल की सप्लाई ठप होने से कई औद्योगिक क्षेत्रों को कच्चे माल की कमी से उत्पादन काम भी बंद होने के कगार पर है। मतलब साफ है कोरोना के आतंक से निर्यात और घरेलू उद्योग दोनों पर विपरीत असर होगा
सुरेश गांधी
बेशक, कोरोना
वायरस के
बढ़ते मामलों
से भारत
की अर्थव्यवस्था
को भारी
नुकसान हो
रहा है।
देश के
कई राज्यों
में उद्योगों
को खासा
नुकसान हुआ
है। यूपी
के भदोही-मिर्जापुर, आगरा,
राजस्थान के
जयपुर, पानीपत,
दिल्ली, जम्मू-कश्मीर का
शत् प्रतिशत
निर्यातपरक उद्योग कालीन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी के
संसदीय क्षेत्र
वाराणसी का
साड़ी समेत
भारत के
उद्योग जगत
पर कोरोना
वायरस का
कहर टूट
पड़ा है।
मुख्य रूप
से निर्यात
पर निर्भर
रहने वाले
उद्योगों पर
इसका खासा
प्रभाव देखने
को मिला
है। सबसे
ज्यादा नुकसान
कालीन, ज्वेलरी,
हैंडीक्राफ्ट व कपड़ा उद्योग को
हुआ है।
कालीन निर्यात
संवर्धन परिषद
की मानें
तो केवल
कारपेट अब
तक 100 करोड़
रुपए से
ज्यादा का
नुकसान हो
चुका है।
बड़ी संख्या
में न
सिर्फ आर्डर
कैंसिल हो
रहे हैं
बल्कि खरीदारों
ने भी
भारत आने
से मना
कर दिया
है। यही
वजह है
कि सीईपीसी
के प्रशासनिक
सदस्य एवं
ग्लोबल ओवरसीज
के कर्ताधर्ता
संजय गुप्ता
ने सीईपीसी
को पत्र
भेजकर दिल्ली
में 28 से
31 मार्च तक
आयोजित इंडिया
कारपेट एक्स्पों
को निरस्त
करने की
मांग की
है। उनके
मुताबिक भारत
सरकार ने
कई देशों
के खरीदारों
का बीजा
तो रद्द
किया ही
है, आयातकों
ने भी
भारत आने
से मना
कर दिया
है।
विभिन्न रिपोर्ट
के अनुसार
चीन में
फैले कोरोना
वायरस से
अबतक 2,200 लोगों की मौत हुई
है। वहीं
पूरी दुनिया
में इससे
करीब 77,000 लोग प्रभावित हुए हैं।
कोरोना वायरस
के फैलने
से वैश्विक
वृद्धि पर
0.3 प्रतिशत यानी 250 अरब डॉलर तक
का असर
पड़ सकता
है। पूरी
दुनिया के
लिए खतरा
बना कोरोना
वायरस के
भारत में
भी नये
मामले बढ़ने
की फिक्र
में शेयर
व सेंसेक्स
पर भी
खासा प्रभाव
देखने को
मिल रहा
है। अबतक
लगभग 74 देशों
में 92 हजार
से ज्यादा
लोग इस
वायरस से
पीड़ित हैं।
वैश्विक आपूर्ति
के बाधित
होने से
न केवल
चीन का
निर्यात प्रभावित
होगा बल्कि
आयातक देशों
के निर्यात
भी प्रभावित
होंगे। इसका
कारण कच्चे
माल और
मध्यवर्ती वस्तुओं का बड़ा हिस्सा
चीन से
आयात होता
है और
उससे अंतिम
वस्तु तैयार
कर दूसरे
देशों को
निर्यात किया
जाता है।
इस समय
हमें घरेलू
खपत मांग
और क्षमता
बढ़ाने की
जरूरत है
ताकि वैश्विक
व्यापार पर
कोरोना वायरस
के संभावित
प्रभाव को
कम किया
जा सके।
गौरतलब है
कि कोरोना
वायरस के
कहर से
बड़े पैमाने
पर भारतीय
कारोबारियों की कार्यशील पूजी ब्लॉक
हो गई
है। चीन
से कच्चे
माल का
आयात रुकने
से यहां
की रिटेल
इंडस्ट्री मानों थम सी गई
है। प्लास्टिक,
दवाएं, इलेक्ट्रॉनिक्स
आदि का
आयात थमने
से भारतीय
उद्योगों को
हजारों करोड़
का फटका
लग चुका
है। ज्वेलरी
इंडस्ट्री की तो कमर ही
टूटी चुकी
है। हांगकांग
शो और
ब्राजील शो
स्थगित होने
से ज्वेलरी
इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा
है। ज्वेलर्स
कारोबारियों का माल कारखानों में
ठप पड़ा
है। आने
वाले दिनों
में मंदी
और गहरा
सकती है।
कुछ ऐसा
ही प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप
से 20 लाख
से अधिक
लोगो की
आय का
जरिया बना
कारपेट इंडस्ट्री,
हैंडीक्राफ्ट व कपड़ा उद्योगों की
है। कोरोना
के डर
से दुनियाभर
के ज्यादातर
खरीदारों ने
नए माल
खरीदना तो
दूर अपने
पुराने आर्डर
कैंसिल कर
रहे है।
उनका कहना
है कि
कोरोना के
दहशत के
चलते लोग
अभी लक्जरियस
सामानों की
खरीदारी के
बजाय अपने
जानमाल की
रक्षा में
जुटे है।
इसके चलते
खिलौना, फर्नीचर,
बिल्डर, हार्डवेयर,
फुटवियर, कपड़े,
मोबाइल, आयरन
और स्टील
के उत्पाद
भी प्रभावित
हो रहे
है।
वैसे भी
चीन भारतीय
वस्तुओं के
निर्यात के
लिए भी
बड़ा बाजार
है। औषधि,
सौर ऊर्जा
और लोहा,
इस्पात व
चमड़े के
उत्पाद के
निर्माण के
लिए कच्चे
माल की
कमी होने
लगी है
और काफी
हद तक
कच्चे माल
के लिए
हम चीन
पर निर्भर
है। कोरोना
फैलने के
बाद चीन
में औद्योगिक
इकाइयां बंद
हैं। परिणाम
यह है
कि वस्तुओं
के निर्यात
में पिछले
साल के
जनवरी के
मुकाबले 2.6 फीसदी की गिरावट दर्ज
की गई।
यूं तो
चीन के
मुकाबले भारत
के उद्योगों
को विकसित
करने के
लिए यह
एक सटीक
अवसर के
रूप में
भी देखा
जा रहा
है। अगर
यही हाल
रहा तो
चीनी कच्चे
माल से
गारमेंट बनाने
वाले निर्माता
भारत में
तैयार होने
वाले फैबरिक
लेने लगेंगे।
हालांकि इससे
उनकी लागत
अधिक आएगी।
गारमेंट में
इस्तेमाल होने
वाले कई
विशेष प्रकार
के फैबरिक
चीन से
आते हैं।
अभी भारत
में उन
विशेष फैबरिक
का उत्पादन
मामूली होता
है, लेकिन
चीनी हालत
में सुधार
नहीं होने
पर इस
प्रकार के
फैबरिक का
उत्पादन भारत
में भी
शुरू हो
सकता है।
लेकिन फिलहाल
जो हालात
हैं उसमें
कोरोना ने
उद्योग व्यापार
को बीमार
करना शुरू
कर दिया
है।
अभी यह
कहना मुश्किल
है कि
कोरोना वायरस
की वजह
से भारत
के निर्यात
में कितनी
कमी आएगी,
लेकिन इतना
तय है
कि इसका
असर दिखेगा।
नायलोन जैसे
कई आइटम
बाजार में
नहीं मिल
रहे हैं।
कारोबारियों का कहना है कि
कोरोना वायरस
की वजह
से मुख्य
रूप से
खिलौने, फर्नीचर,
बिल्डर हार्डवेयर,
फुटवियर, कपड़े,
फर्निशिंग फैब्रिक, एफएमसीजी उत्पाद, गिफ्ट
का सामान,
घड़ी, मोबाइल,
मोबाइल उपकरण,
इलेक्ट्रॉनिक सामान, बिजली के सामान,
चिकित्सा और
सर्जिकल उपकरणों,
सर्जिकल सामान,
फार्मास्युटिकल्स, आयरन और
स्टील के
उत्पाद प्रभावित
होंगे। निर्यातकों
के मुताबिक
वस्तुओं के
कुल वैश्विक
निर्यात में
उसका योगदान
करीब 13 प्रतिशत
है। मुख्य
रूप से
अमेरिका, हांगकांग,
जापान, कोरिया,
वियतनाम, जर्मनी,
भारत, नीदरजैंड
समेत अन्य
देशों को
निर्यात किया
जाता है।
वैश्विक व्यापार
पर प्रभाव
पड़ने से
वैश्विक अर्थव्यवस्था
की वृद्धि
संभावना कमजोर
होगी। कोरोना
वायरस के
प्रकोप के
चलते भारत
से चीन
को रूई
और धागे
का निर्यात
ठप पड़
गया है।
कपड़ा उद्योग
में इस्तेमाल
होने वाला
रासायनिक पदार्थ
व एसेसरीज
आइटम का
आयात नहीं
हो रहा
है, जिससे
घरेलू कपड़ा
उद्योग पर
असर पड़ा
है। चीन
से केमिकल्स
और एसेसरीज
आइटम का
आयात नहीं
होने से
घरेलू कपड़ा
उद्योग की
लागत बढ़
गई है,
जिससे आने
वाले दिनों
कपड़ा महंगा
हो सकता
है। चीन
दुनिया में
रूई का
बड़ा खरीददार
है, लेकिन
कोरोना वायरस
के कारण
वहां परिवहन
व उद्योग-धंधों पर
असर पड़ने
के कारण
रूई का
आयात नहीं
हो रही
है जिसके
कारण अंतर्राष्ट्रीय
बाजार में
रूई के
दाम में
गिरावट आई
है। एक
रिसर्च के
मुताबिक किसी
महामारी की
वजह से
दुनिया की
अर्थव्यवस्था को करीब 215 लाख करोड़
रुपए का
नुकसान हो
सकता है।
भारत की
जीडीपी लगभग
204 लाख करोड़
रुपए की
है। यानी
भारत की
जीडीपी से
ज्यादा का
घाटा विश्व
की अर्थव्यवस्था
हो सकता
है। और
दुनिया के
लगभग 190 देश
ऐसे हैं
जिनकी अर्थव्यवस्था
215 लाख करोड़
रुपए से
कम है।
कोरोना वायरस
की वजह
से दुनिया
की दूसरी
सबसे बड़ी
अर्थव्यवस्था यानी चीन को बड़ा
नुकसान हुआ
है। और
इसका बुरा
असर अब
पूरी दुनिया
पर दिखाई
दे रहा
है। सेकेंड
वर्ल्ड वार
की वजह
से विश्व
को लगभग
136 लाख करोड़
रुपए का
नुकसान हुआ
था। और
कोरोना वायरस
की वजह
से इससे
दोगुना नुकसान
होने की
आशंका है।
इस विश्व
युद्ध में
दुनिया के
30 देश शामिल
थे लेकिन
आज कोरोना
वायरस से
70 से ज्यादा
देश प्रभावित
हैं। अगर
यह वायरस
दुनिया के
और देशों
तक पहुंच
गया तो
दुनिया भर
के देशों
की अर्थव्यवस्था
में मंदी
आ सकती
है। दुनिया
में इससे
सबसे ज्यादा
प्रभावित देश
चीन है।
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