‘अवसर’
नहीं ‘सहयोग’
से होगी कोरोना की जंग ‘आसान’
भारत
ही
नहीं
पूरी
दुनिया
‘मौत
रुपी
कोरोना‘ को मात देने
के
लिए
‘लॉकडाउन‘ रुपी हथियार से
जंग
लड़
रहा
है।
कुछ
देशों
ने
सफलता
पाई
है
तो
कुछ
जूझ
रहे
है।
या
यूं
कहे
सामने
खड़ी
मौत
रुपी
कोरोना
किसी
को
भी
बख्शने
की
मूड
में
नहीं
है।
लेकिन
अफसोस
है
कुछ
लोग
मौत
की
चिंता
के
बजाय
इसे
अवसर
के
रुप
में
ले
रहे
है।
कहीं
कोरोना
के
संक्रमण
से
बचाव
वाले
अस्त्र
‘मास्क
और
सैनेटाइजर‘ की घटिया क्वालिटी
बेचकर
मुनाफा
कमा
रहे
है
तो
कहीं
कारोबारी
रोजमर्रा
की
जरुरतों
व
राशन
सामाग्री
को
दुगुना
दाम
पर
बेचकर
रहे
है।
खास
बात
यह
है
कि
मदद
के
नाम
पर
कुछ
माफिया
चंदा
जुटाकर
मालामाल
हो
रहे
है।
जबकि
इस
वक्त
मानवता
रुपी
अस्त्र
‘सहयोग‘ की जरुरत है
सुरेश
गांधी
फिरहाल, बाजार में
नकली ‘मास्क और
सैनेटाइजर‘ की भरमार
है। लोग इसकी
गुणवत्ता पर सवालियां
निशान लगा रहे
है। इसके बावजूद
अभी तक न
इनकी गुणवत्ता की
जांच हो सकी
न अवैध रूप
से बनाने वाली
फैक्ट्रियों को पकड़ा
जा सका। मतलब
साफ है लोगों
की आशंकाओं पर
पैसा पीटने का
खेल शुरू हो
गया है। इससे
जुड़ी कंपनिया इसे
अवसर समझकर मुनाफा
कमाने में जुटी
है। कुछ ऐसा
ही ही रोजमर्रा
की जरुरतों वाले
सामानों की व्यापारियों
की है। जबकि
प्रशासन द्वारा खाद्य सामग्री
के दाम तय
है। इसके बावजू
राशन, सब्जी और
फल आदि खाद्य
सामग्री के थोक
और फुटकर बाजार
में दुगुने दाम
पर बेचे जा
रहे है। यह
स्थिति तब है
जब बाजार व
मंडी में फल,
सब्जी और राशन
की सामग्री की
कोई कमी नहीं
है।
लगातार इन सभी
की आपूर्ति जिलों
को मिल रही
है। व्यापारी खुलेआम
कालाबाजारी कर रहे
हैं। कल तक
जो दाल 84 रुपये
किलो थी, वह
आज 102 रुपये किलो बेच
रहे थे। व्यापारी
कोरोना के खिलाफ
जंग में प्रशासन
का सहयोग करने
के बजाय मुनाफा
कमाने में जुटे
है। चावल 30 रुपये
प्रति किलोग्राम तो
गेहूं का आटा
34 रुपये में बेच
रहे है। लेकिन
भूख के आगे
सब बेवस है
और महंगे सामान
खरीदने को विवश
है। आम जनमानस
में कुछ ऐसे
भी है जिनके
पास रुपये भी
नहीं है कि
राशन खरीद सके।
दो चार दिन
तो अगल बगल
से मांग किसी
तरह काम चला
लिए लेकिन अब
वो भी नहीं
मिल पा रहा
है। मतलब साफ
है कोरोना लोगों
की जाल ले
उससे पहले मुनाफाखोर
व राहत के
नामपर धन बटोर
रहे समाजसेवी संगठन
ही उन्हें मौत
कीनींद सुलाना चाहते है।
कहा जा सकता
है जनप्रतिनिधि, स्वयंसेवी
संगठनों, संस्थाओ, व्यापारियों व
चिकित्सकों के लिए
कोरोना अवसर बनकर
आई है।
हाल यह
है कि कुछ
जनप्रतिनिधि निधि अपने
निधि की राशि
राहत कार्य में
देने की ऐसी
घोषणा कर रहे
है जैसे इन्हीं
की कमाई है।
जबकि सूबे के
लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
का सख्त निर्देश
है वे अपनी
निजी से जनता
की मदद करे।
कुछ स्वयंसेवी संगठन
संस्थाओ का भी
यही हाल है।
ये संस्थाएं दो
चार लोगों की
थोड़ी बहुत मदद
कर सोशल मिडिया
में ऐसे फोटो
डाल रहे है
जैसे सारे गरीब
पीड़ित खुशहाल हो
गए है। शराब
माफिया, खनन माफिया
सहित अन्य दबंग
राजनीतिक व्यक्तिं सहित अन्य
तबके धनाढ्य व्यापारी
लाखों की चेक
ऐसे काट रहे
है जैसे अपने
खून पसीने की
कमाई से मदद
कर रहे है।
जबकि हकीकत यह
है माफिया नेताओं
व प्रशाशन के
आलावा सम्बंधित अधिकारिओ
की निगाह में
शहंशाह बनने के
लिए चेक काट
रहे है और
अपने दो चार
चमचो की मदद
कर ऐसा सेखी
बघार रहे है
जैसे अब कोई
गरीब बचा ही
नहीं है। कुछ
लोग प्रधानमंत्री के
राहत कोष के
नाम पर चेक
काट रहे है
जबकि सरकारी योजनाओं
को ईमानदारी पूर्वक
लोगों तक पहुंचा
दिया जाय तो
गरीबी ही दूर
हो जायेगी।
बता दें,
बीते 24 घंटे में
कोरोना के 75 नए मरीज
सामने आएं है।
यानी भारत में
कोरोना से संक्रमित
मरीजों की संख्या
बढ़कर 724 हो गई
है। अब तक
17 लोगों की जान
जा चुकी है।
हालांकि इस आपाधापी
में 45 लोग पूरी
तरह से ठीक
हो गए हैं।
पूरी दुनिया में
कोरोना वायरस से 22,295 लोगों
की मौत हुई
है। यह अलग
बात है कि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कोरोना
वायरस के चक्र
को पूरी तरह
तोड़ना चाहते हैं,
इसलिए 14 अप्रैल रात 12 बजे
तक सभी घरेलू
उड़ानों को भी
बंद कर दिया
गया है। लॉकडाउन
के तहत रेल
से लेकर आवागमन
की सभी सेवाएं
ठप है। सभी
राज्यों को अलर्ट
रहने के लिए
कहा गया है।
कोरोना से लड़ने
के लिए टास्क
फोर्स भी बनाई
गई है। 30 हजार
वेंटिलेटर्स तत्काल बढ़ाने के
लिए कहा गया
है, ताकि किसी
भी आपात स्थिति
से निपटा जा
सके। महाराष्ट्र में
कोरोना वायरस से संक्रमित
मरीजों की संख्या
बढ़कर 130 हो गई
है। वहीं, दिल्ली
में यह संख्या
37 व यूपी में
55 है। इससे निपटने
के लिए मोदी
द्वारा उठाएं गए कदमों
की पूरी दुनिया
में सराहना हो
रही है।
यही वजह
है कि कोरोना
के खिलाफ जंग
जीतने के लिए
पूरी दुनिया प्रधानमंत्री
मोदी की रणनीति
फॉलो कर रही
है। जो देश
कभी भारत की
बात मानने से
इंकार किया करते
थे, अब वो
उसकी संस्कृति और
तरीकों को मानने
पर मजबूर हो
रहे हैं। उल्लेखनीय
है कि ब्रिटेन
में अब तक
कोरोना वायरस 578 लोगों की
जान ले चुका
है। बीते 24 घंटे
में वहां 100 लोगों
की मौत हुई
है, जबकि 8,000 से
ज्यादा लोग इसकी
चपेट में हैं।
यहां तक कि
शाही परिवार के
सदस्य प्रिंस चार्ल्स
तक इसकी चपेट
में हैं। ब्रिटेन
के प्रधानमंत्री बोरिस
जॉनसन ने कोरोना
वायरस के खतरे
से निपटने के
लिए सामाजिक मेलजोल
कम करने की
दिशा में कदम
उठाए हैं। उन्होंने
कैफे, पब, बार,
रेस्तरां, नाइट क्लब,
थिएटर, सिनेमा, जिम और
खाने-पीने की
जगहों को बंद
करने का ऐलान
किया है। जबकि
भारत में वित्त
मंत्री ने ऐलान
किया है कि
गरीबों को पांच
किलो अनाज मुफ्त
मिलेगा। पीडीएस के तहत
राशन में 5 किलो
चावल और 5 किलो
गेहूं का प्रावधान
है। अगले तीन
महीने तक सरकार
प्रति माह आपको
पांच किलो अनाज
अलग से मुफ्त
देगी। राशन कार्ड
धारक अपनी मर्जी
से चावल या
गेंहू चुन सकते
हैं। उज्जवला स्कीम
के तहत आपको
हर महीने एक
मुफ्त सिलेंडर का
प्रावधान किया गया
है। यानि अगले
तीन महीने में
कुल तीन सिलेंडर
मुफ्त मिलेंगे। अप्रैल
के पहले हफ्ते
में किसानों के
खाते में 2000 रुपये
डालेगी सरकार। रिजर्व बैंक
ने सभी बैंकों
से मासिक किस्तों
में तीन महीने
की राहत देने
की बात कही
है। मनरेगा में
मजदूरी 182 रुपये से बढ़ाकर
202 रुपये करने का
ऐलान किया है।
जहां तक
इस महामारी को
फैलाने में चीन
की भूमिका का
सवाल है तो
इसे लेकर मंथन
चल रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना
है कि महामारियां
हमेशा एक नए
किस्म के वायरस
की वजह से
नहीं फैलती, बल्कि
उस वायरस से
जुड़ी सही और
सच्ची जानकारियों के
अभाव में फैलती
है। कोरोना वायरस
के मामले में
भी ऐसा ही
हुआ और बहुत
हद इसका जिम्मेदार
चीन है। वुहान
में शुरुआत के
चार मामले दिसंबर
महीना खत्म होते
होते दर्जनों और
फिर सैंकड़ों मामलों
में बदल गए।
इस दौरान डॉक्टरों
को सिर्फ ये
पता था कि
ये एक वायरल
न्यूमोनिया है जो
सामान्य दवाओं से ठीक
नहीं हो रहा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि
इस दौरान ही
ये वायरस वुहान
के हजारों लोगों
को संक्रमित कर
चुका था। इस
वायरस से संक्रमित
हर एक मरीज
आगे दो या
तीन लोगों को
संक्रमित कर रहा
था लेकिन चीन
ने 30 दिसंबर तक
इस बारे में
दुनिया को कोई
जानकारी नहीं दी।
31 दिसंबर को चीन
ने विश्व स्वास्थ्य
संगठन को इस
बारे में सूचित
किया और भरोसा
दिलाया है कि
चीन इस वायरस
को रोकने में
सक्षम है। एक
अनुमान के मुताबिक
1 जनवरी को 1 लाख
75 हजार से ज्यादा
लोग नया साल
मनाने वुहान से
अपने-अपने गांव
और शहरों की
तरफ चले गए।
ठीक वैसे
ही जैसे भारत
के लोग अपने
गांव और शहरों
की तरफ लौट
रहे हैं। इस
दौरान ये संख्या
बढ़ती रही और
जनवरी के महीने
में यातायात पर
प्रतिबंध लगाए जाने
से पहले ही
करीब 70 लाख लोग
वुहान से होकर
गुजर चुके थे।
इनमें से हजारों
की संख्या में
यात्री संक्रमित हो चुके
थे। इस दौरान
21 जनवरी को चीन
ने मान लिया
कि ये वायरस
एक से दूसरे
व्यक्ति में फैल
रहा है। इसके
दो दिनों के
बाद पूरे वुहान
को लॉकडाउन कर
दिया गया और
कुछ दूसरे शहरों
में यातायात को
पूरी तरह रोक
दिया गया लेकिन
इन सबके बावजूद
स्थानीय संक्रमण तेजीसे फैल
रहा था। पूरे
चीन में संक्रमण
के मामले सामने
आने के बाद
भी चीन ने
अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध
नहीं लगाया। वुहान
से हजारों की
संख्या में लोग
दुनिया के दूसरे
शहरों में पहुंच
गए।
नया साल
मनाने चीन के
15 हजार लोग थाइलैंड
की राजधानी बैंकॉक
पहुंच गए। जनवरी
के मध्य में
चीन से बाहर
कोरोना वायरस का पहला
मामला बैंकॉक में
ही सामने आया
था। जनवरी के
आखिरी हफ्ते में
ही टोक्यो, सियोल,
सिंगापुर, हांगकांग और अमेरिका
में संक्रमण के
मामले सामने आने
लगे. विशेषज्ञों के
मुताबिक इस दौरान
85 प्रतिशत यात्रियों में संक्रमण
की जांच नहीं
हो पाई और
ये लोग अपने
अपने देश लौटकर
दूसरों में संक्रमण
फैलाते रहे. आखिरकार
31 जनवरी को वुहान
से आने और
जाने वाली उड़ानों
को रोका गया.
लेकिन तब तक
बहुत देर हो
चुकी थी. कई
देशों में ये
वायरस तेजीसे फैलने
लगा और वो
लोग भी संक्रमित
होने लगे जिन्होंने
कभी वुहान की
यात्रा नहीं की
थी. इसके बाद
इटली, ईरान और
दक्षिण कोरिया जैसे देश
इस वायरस के
नए केंद्र बन
गए और आने
वाले दिनों में
इन देशों ने
संक्रमण के मामले
में चीन को
भी पीछे छोड़
दिया। भारत में
इस वायरस से
संक्रमित शुरुआती मरीज चीन
से नहीं बल्कि
इटली से आए
थे। कहा जा
सकता है चीन
से फैलना शुरू
हुआ, चीन ने
लापरवाही दिखाई, सच छिपाया
और आज ये
महामारी दुनिया के सैंकड़ों
देशों के लिए
सबसे बड़ा संकट
बन गई है।
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