Saturday, 4 April 2020

‘तबलीगी जमात’ की ‘आतंकी कारनामा’


तबलीगी जमातकीआतंकी कारनामा 
कोरोना का संकट देश में तेजी से बढ़ रहा है. पिछले दो से तीन दिनों में कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस की संख्या में जबरदस्त उछाल आया है। ये आंकड़ा 2500 के पार चला गया है। जबकि 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। खासकर आंकड़ों में वृद्धि तब आयी जबमानव बमतबलीगी जमात में शामिल लोगों की धरपकड़ होने लगी। जांच के दौरान इनकी जो अजीब--गरीब हरकते सामने आई उससे साफ हो गया इनका मकसद कोरोना फैलाकर ज्यादा से ज्यादा भारत की तबाही करना है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या तबलीगी जमात के लोगों को उनकी हरकतों को देखते हुए आतंकियों की तर्ज पर सीधे गोली मारा जायेगा?
सुरेश गांधी
बेशक, देशभर में लॉकडाउन के बाद भी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में यह सवाल महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्या कुछ समूहों की लापरवाही सोशल डिस्टेंसी को गंभीरता से नहीं लेने से ऐसा हो रहा है? क्या दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात में शामिल होने वाले लोगों की अजीब--गरीब कारनामों से कोरोना का खतरा बढ़ गया है। क्या एक झटके में विदेशों से करीब 15 लाख लोगों के लौटने से महामारी तेजी से बढ रही है? क्या संदिग्धों की जांच तत्काल नहीं होने पाने से भी मरीजों की संख्या बढ़ी है? हो जो भी कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए भारत में चल रहा कई दिनों का लॉकडाउन 14 अप्रैल को समाप्त होने वाला है। लेकिन अगर संक्रमित मरीजों की संख्या ऐसे ही बढ़ती रही तो अवधि बढ़ाने से भी इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि यह लॉकडाउन की कमाल है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत में वायरस तेजी अपना पाव नहीं पसार सका है। यानी लॉकडाउन से महामरी फैलने से रोकने में मदद मिल रही है। लेकिन तीन दिन से तबलीगी जमात की वजह से जिस तरह से वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है, वह गंभीर चिंता की बात है।
कहने का अभिप्राय है कि आस्था चाहे किसी भी धार्मिक समुदाय से जुड़ी हो, जब अंधविश्वास में बदल जाती है तो खतरा पैदा होना स्वाभाविक है। आम तौर पर धार्मिक आयोजन में शरीक होने वालों को यह विश्वास होता है कि किसी भी आपदा के वक्त उनका कुछ नहीं बिगड़ने वाला। क्योंकि उनके यहां साथ ऊपर वाला है। कईयों को डॉक्टरों से ज्यादा धर्म गुरुओं पर भरोसा होता है। यही वजह है कि पाबंदियों के बावजूद एक बड़ा धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जबकि लॉकडाउनं लागू शुरू होने से पहले ही बाकायदा सभी धर्मगुरुओं ने जनता से अपील की थी कि वे घरों से ना निकले और आराधना स्थानों तक आने के बजाय अपने घरों से ही प्रार्थना करें। इसके बावजूद कड़ाई से लॉकडाउन का पालना नहीं होने से महामारी फैल रही है। अकेले यूपी में 24 घटे में कोरोना से कुल 172 मरीज आए हैं, जिसमें 90 जमात से ही है। यानी इसके लिए तब्लीगी जमात के लोग कहीं ना कहीं जिम्मेदार है। क्वारंटाइन के दौरान जिस तरह तबलीगी जमात के लोग इलाज कर रहे डाक्टरों पर थूक रहे है। इश्लील इशारे करते हुए कपड़े उतार रहे है, वह किसी आतंकी हरकत से कम नहीं है। ऐसे में सवाल है क्या जमात का असली मकसद कोरोना फैलाना है? और अगर यह सच है तो महामारी के मौलाना साद को पुलिस अब तक क्यों नहीं पकड़ सकी है? आखिर कब गिरफ्तार होगा लाखों की जान से खेलने वाला मौलाना साद? कब तक उसकी नापाक हरकतों को बर्दाश्त करेगा हिन्दुस्तान? क्योंकि तमाम प्रयासों के बावजूद देश में कोरोना वायरस थम नहीं रहा, बल्कि संक्रमितों की संख्या 2000 के पार पहुंच चुकी है। जबकि 70 लोगों की मौत हो चुकी है।
खासकर तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज से लौटे लोगों में पॉजिटिव मिलने से तो देश के कोने कोने में हड़कंप मचा हुआ है। लोग अब डिमांड करने लगे है कि कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए एशियाई देश फिलीपींस की तर्ज पर कार्रवाई हो। बता दें, लॉकडाउन उल्लंघन के बढ़ते मामलों को देखते हुए फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने पुलिस और सेना को निर्देश दिए हैं कि लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं लेने वालों को देखते ही शूट कर दिया जाए। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि स्वास्थ्यकर्मियों से दुर्व्यवहार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि कोरोना वायरस रोकने में सबसे बड़ा खतरा तबलीगी जमात है। राजधानी दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में 1 से 15 मार्च के बीच 2000 से अधिक लोग तबलीगी जमात के आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद ये कहां गायब हो गए, पता ही नहीं चला। ये तो शुक्र है कि तेलंगाना में कुछ इंडोनेशियाई नागरिक मिले जो कोरोना वायरस से संक्रमित थे। काफी गहन पूछताछ के बाद जानकारी मिली कि बड़ी संख्या में तबलीगी जमात के सदस्य हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में मौजूद हैं। लेकिन सटीक जानकारी नहीं होने की वजह से दिल्ली सरकार के स्वास्थ्यकर्मी भवन में दाखिल नहीं हो पाए। इसी बीच तेलंगाना में फिर कुछ और पॉजिटिव मामले सामने आए। इन सभी पॉजिटिव लोगों का दिल्ली के मरकज से कनेक्शन था। इसके बाद अधिकारी मरकज भवन में घुसने की कोशिश करते रहे। लेकिन दरवाजे पर ही यह कह कर वापस भेज दिया जाता कि यहां कोई सदस्य नहीं है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की सक्रियता पुख्ता जानकारी के बाद ही पुलिस अंदर घुसी। फिर जांच में पता चला यहां तो मरीजों की पूरी जमात है। जब धरपकड़ शुरु हुई तो कुछ केजरीवाल की चलायी गयी डीटीसी बसे कुछ अपने निजी वाहन से भाग निकले।
24 घंटे में ये यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, एमपी सहित कई प्रांतो में पहुंच गए। जब जांच तेज हुई तो जिन मस्जिदों से पकड़ाएं वहां ये समूह में थे और संक्रमित थे। मध्य प्रदेश के इंदौर में तो इन्होंने हद कर दी। जांच करने गए डाक्टरों पर पत्थर चलाने लगे। दिल्ली के डाक्टरों पर थूक थूक कहने लगे मरोगों तुम लोग कोरोना से। यानी ये देश के लिए ही अब मानव बम की तरह बन गए हैं। जो स्वास्थ्य कर्मचारी इनकी जिंदगी बचाने में जुटे हैं। उनकी ही जान लेने पर आमादा है। अगर पुलिस फोर्स ना होती, प्रशासन के दूसरे लोग ना होते, तो आज ये डॉक्टर अपनी बात बताने के लिए जिंदा ना रहती। डॉक्टर, नर्स और दूसरे स्वास्थ्य कर्मचारी इतना डर गए हैं कि वो अपना नाम तक बचाने से हिचक रहे हैं। पुलिस ने इस मामले में रपट दर्ज कर ली है, कुछ लोगों को गिरफ्तार करके उनसे पूछताछ भी की जा रही है। लेकिन, ये मामला सिर्फ भारतीय दंड संहिता की धाराओं का नहीं है। ये मामला देश को खतरे में डालने वाली, आत्मघाती मानसिकता का भी है। कोरोना से मुकाबला कर रहे सिस्टम और समाज के लिए ये बेहद खतरनाक स्थिति है। खतरनाक स्थिति सिर्फ ये नहीं कि ये लोग सिस्टम को काम नहीं करने दे रहे हैं। खतरनाक बात ये भी है कि ऐसी सोच वाले लोग वायरस को फैलाने में भी जुटे हैं। देश भर में तबलीगी जमात के 9 हज़ार लोगों की पहचान हुई है और इन्हें अलग अलग स्थानों पर क्वारंटाइन के लिए रखा गया है। इन 9 हज़ार लोगों में 1306 लोग विदेशी नागरिक हैं। इन विदेशी नागरिकों पर केंद्र सरकार ने कड़ी कार्रवाई की है। गृह मंत्रालय ने जमात के 960 विदेशी नागरिकों की बीजा रद्द कर दी है।
भारत में कोरोना के 20 प्रतिशत मामले तबलीगी जमात के लोगों के हैं। अब तक जमात के करीब 400 लोग कोरोना पाजिटिव मिले हैं। इनमें तमिलनाडु में 173, आंध्र प्रदेश में 67, तेलंगाना में 33, दिल्ली में 47, जम्मू-कश्मीर में 22 और असम में 16 केस मिले हैं। तमिलनाडु में 74 कोराना केस मिले, जिनमें 73 लोग तबलीगी जमात से जुड़े हैं। दिल्ली में कोरोना के करीब 219 मामले हैं, इनमें 108 लोग निज़ामुद्दीन मरकज़ के हैं। उनमें से कई लोग अपने टेस्ट करवाने से इनकार कर रहे हैं। ये कह रहे हैं कि उन्हें तो अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत ही नहीं है। यही वजह है कि भारत में मरीज़ों की संख्या दोगुनी हो गई है। लेकिन ये जानकर आपको हैरानी होगी कि सऊदी अरब जहां से इस्लाम की शुरुआत हुई, वहां और ईरान जैसे शिया मुस्लिम बहुल देशों में तबलीगी जमात पूरी तरह से बैन है। वहां इन्हें इस्लाम के प्रचार-प्रसार करने की इजाजत नहीं है। गौरतलब है कि मौलाना इलियास कांधलवी ने 1927 में तबलीगी जमात का गठन किया था। ये देवबंदी विचारधारा से प्रेरित और मुसलमानों में हनफी संप्रदाय के मानने वाले हैं। इलियास कांधलवी पहली जमात दिल्ली से सटे हरियाणा के मेवात के मुस्लिम समुदाय लोगों को इस्लाम की मजहबी शिक्षा देने के लिए ले गए थे। इसके बाद से तबलीगी जमात का काम दुनिया के तमाम देशों में काफी फल-फूल रहा है, लेकिन सऊदी अरब और ईरान में तबलीगी जमात अपनी जगह नहीं बना पाई है।
सऊदी अरब में सलफी मसलक (संप्रदाय) के मानने वाले लोग ज्यादा हैं। वहां की मस्जिदों के इमाम भी ज्यादातर सलफी मसलक के हैं. वहीं, तबलीगी जमात के लोग हनफी मसलक के हैं। ऐसे में इस्लाम के अंदर धार्मिक और वैचारिक मतभेद होने के चलते एक तरह से सऊदी अरब में तबलीगी जमात पर बैन है, क्योंकि सलफी मसलक में इस्लाम के प्रचार-प्रसार की इस तरह से कोई पद्यति नहीं है। इसके अलावा सऊदी अरब में मस्जिदों की सारी जिम्मेदारियां सरकार के पास हैं। वहां पर मस्जिदों में किसी को ठहरने की इजाजत नहीं है और ही किसी तरह की कोई धार्मिक भीड़ इकट्ठा करने की है। जबकि, तबलीगी जमात के लोग मस्जिदों में जाकर ठहरते हैं और लोगों के बीच प्रचार-प्रचार करते हैं। इसी के चलते सऊदी अरब की हुकूमत ने तबलीगी जमात को अपने देश में बैन कर रखा है। इसके अलावा अरब का एक ये भी तर्क है कि यहां से ही इस्लाम पूरी दुनिया में फैला है, ऐसे में कोई हमें क्या इस्लाम बताएगा। सऊदी अरब ने तबलीगी जमात के अलावा भी दूसरे मुस्लिम समुदायों की क्रियाकलाप को भी बैन कर रखा है। सार्वजनिक रूप से तो किसी को अपने धार्मिक कार्य करने की इजाजत है और ही किसी तरह के कोई चंदा इकट्ठा करने की।

No comments:

Post a Comment