Thursday, 18 March 2021

सपा की 5 साल की गुंडागर्दी पर योगी के 4 साल का विकास भारी

उत्तर प्रदेश के माफियाराज, गुंडाराज और जंगलराज के चर्चे देश ही नहीं, विदेशों में भी होते थे। व्यापारी हो या पत्रकार हो या आम आदमी या ठेला-खुमचा वाले लोग, अपनी बेडरुम में भी सुरक्षित नहीं थे। पुलिसिया गुंडागर्दी चरम पर थी। सपाई गुंडो के दबाव में कब किसे कहां फर्जी मुकदमें लगाकर गुंडाएक्ट में जिलाबदर कर दिया जाय, व्यापारियों की लूट, अपहरण कर फिरौती मांगना तो जैसे उद्योग बन गया था। राह चलती महिलाओं, युवतियों-किशोरियों की अपहरण, बलातकार की घटनाएं रुटीन में शामिल हो गयी थी। हाल यह था कि रोजी-रोजगार के लिए सुबह निकला व्यक्ति शाम को घर पहुंचने पर हनुमान चालिसा पढ़ता था। लेकिन अब आलम ये है कि प्रदेश का सबसे खतरनाक माफिया बाहुबलि विधायक विजय मिश्रा, मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे सैकड़ों जेल में है, और जो बाहर रहकर गुंडागर्दी की उन्हें ढेर कर दिया गया

सुरेश गांधी

फिरहाल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती का प्रतिफल है कि कल तक जो पुलिस सपाई गुंडो के एक इसारे पर किसी को भी ठोक देते थे, फर्जी मुकदमें दर्ज कर उत्पीड़न वसूली करते थे। आमलनमानस को हमेशा ही बाहुबलियों और अपराधियों की सत्ता ही झेलनी पड़ती थी, क्योंकि प्रदेश की सरकार का मुखिया हीं उनका आका हुआ करता था। अपराधिक घटनाओं का आलम ये था कि प्रदेश को जंगल राज्य से संबोधित किया जाता था। न्याय के लिए सड़क पर उतरे लोगों को लाठियां बरसती थी। सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की सपाई गुंडो द्वारा जवाहरबाग की तर्ज पर सरेराह कत्लेआम किया जाता रहा। पेड़ों पर फलों की जगह लटकती बहन-बेटियों की लाशे लटकती थी। हाईवे पर दरिंदगी का तांडव हो रहा था। मुजफ्फरनगर समेत 200 से अधिक दंगों में कत्लेआम, आगजनी खून-खराबा तथा आरोपियों को छोड़ निर्दोषों पर फर्जी मुकदमें दर्ज कर प्रताड़ना किया जाता रहा। कार्य पूरा हुए बगैर उद्घाटन की संस्कृति, दिन-रात बिजली की अघोषित कटौती, साफ पानी को तरसते शहर, अपनी किस्मत पर रोता बुंदेलखंड, बालीवुड के ठुमको पर झूमता सैफई, कश्मीर बनता कैराना अखबारों की सुर्खिया बनती थी।

आज वही पुलिस उनके गुंडों को ढूढ़-ढूढ कर उनके असल ठेकानों पर पुहंचा रही है। योगी और उनकी पुलिस अपराधियों के लिए काल बन गई है। अब यहां पर कोई भी अपराधी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता है। आए दिन सरकार इन अपराधियों को उनके सही ठिकाने पर पहुंचा रही है। अब तक 135 अपराधी ढेर हो चुके है। लगभग 2800 अपराधी घायल हुए। इस दौरान अपराधियों की काली कमाई पर शिकंजा कसने के साथ 933 करोड़ 41 लाख रुपए से अधिक की अवैध सम्पत्तियां भी जब्त की गई। इस सरकार में 25 हजार के ईनामी 9157 अपराधी, 25 से 50 हजार के ईनामी 773 अपराधी और 50 हजार से अधिक के 91 ईनामी अपराधी यानि कुल 10,021 जेल भेजे गए हैं। गैंगेस्टर एक्ट में ही अब तक कुल 11,930 मुकदमे दर्ज हुए है। खास बात यह है कि योगी सरकार के इन चार सालों में एक भी दंगे नहीं होना बड़ी उपलब्धि है। खासकर जिस तरह अयोध्या विवाद पर फैसले के बाद प्रदेश में शांति रही, वह सरकार की चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था का ही परिणाम रहा।

चार साल में सख्त कार्रवाई का असर ये रहा कि अपराधों की घटना में गिरावट दर्ज की गई। हाल यह है कि अब यूपी में अपराधी गुजरने से भी कांपते हैं। पिछले कई सालों से प्रदेश की जनता को दहलाने वाले बड़े से बड़े अपराधी और बाहुबली अब यूपी की सीमा से गुजरने तक से परहेज करते हैं। यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इन उपलब्धियों के बावजूद अगले एक साल विपक्ष उनके लिए चुनौती खड़ी करता रहेगा। पुलिस विभाग के आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 के सापेक्ष साल 2020 में डकैती के मामलों में 65.72 फीसदी, लूट के मामलों में 66.15 फीसदी, हत्या के मामलों में 19.80 फीसदी, बलवा के मामलों में 40.20 फीसदी और बलात्कार के मामलों में 45.43 फीसदी की कमी दर्ज की गई। योगी सरकार के चार साल में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों के हुए नुकसान को लेकर लाया गया अध्यादेश भी चर्चा में रहा है। सरकार ने मार्च 2020 में रिकवरी ऑफ डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य है कि विरोध प्रदर्शनों, आंदोलनों, जुलूसों और धरने के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को क्षति पहुंचाने वाले लोगों से नुकसान की भरपाई की जाएगी। लखनऊ में हुई हिंसा के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर 57 लोगों के पोस्टर भी चर्चा रहे। इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी तल्ख टिप्पणी की थी।

गृह विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार विरोध प्रदर्शन और संपत्तियों के नुकसान को लेकर कुल 510 मुकदमे 7,304 व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किए गए। इनमें 4,578 अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 312 लोगों को आरोप पत्र भेजा जा चुका है। लगभग 1.73 करोड़ रुपये की क्षतिग्रस्त राज्य की संपत्ति के बदले में दोषी व्यक्तियों से 23.36 लाख रुपये की वसूली की जा चुकी है। इसके लिए सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले असामाजिक तत्वों की स्थानीय स्तर पर पहचान कराई गई। माफियाओं के खिलाफ शुरू हुई कार्यवाही में अवैध बूचड़खानों और स्लाटर हाउस के ध्वस्तीकरण, पार्किंग ठेके की आड़ में अवैध वसूली पर लगाम,  अवैध मछली कारोबार, सरकारी जमीनों को अवैध कब्जे से अवमुक्त कराने के सघन प्रयास, अपराधी शूटरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही, ठेकेदार माफिया के खिलाफ कार्यवाही, कोयला कारोबार से अवैध रूप से अर्जित की गई सम्पत्ति के जब्तीकरण आदि की कार्यवाहियां प्रमुख हैं। पुलिस ने सिर्फ मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद ही नहीं, बल्कि प्रदेश के ऐसे 25 बड़े माफिया को चिह्नित किया, जिनके नाम से लोगों में दहशत थी। पुलिस ने उनके गैंग के अन्य अपराधियों और सहयोगियों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की। योगी सरकार के चार साल में अपराधियों की काली कमाई पर बुल्डोजर चला। विकास दुबे जैसे कुख्यात अपराधी का खात्मा हुआ।

पुलिस ने उनके गैंग के अन्य अपराधियों और सहयोगियों के खिलाफ भी कार्यवाही शुरू की। अवैध संपत्तियों को ढहाने और कब्जा मुक्त कराने में जो खर्च रहा है, वह भी अपराधियों और माफिया से वसूला जा रहा है। इनमें चिह्नित माफिया और उनके सहयोगियों की आपराधिक कार्य से जुटाई गई सम्पत्तियों में से गैंगेस्टर अधिनियम के तहत करीब 446 करोड़ रुपए से अधिक है। इतना ही नहीं, माफिया, उनके परिजनों और सहयोगियों के लगभग 150 शस्त्र लाईसेंसों के निरस्तीकरण की कार्यवाही की गई है। गैंगेस्टर एक्ट में ही अब तक कुल 11,930 मुकदमे दर्ज कर 3699 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। इसके अलावा 523 अभियुक्तों के खिलाफ रासुका लगाई गई है। योगी सरकार की सख्ती का ही नतीजा है कि 4 साल में यूपी पुलिस ने 7,500 से ज्यादा एनकाउंटर किए, जिसमें 135 अपराधी मारे गए। योगी सरकार के कार्यकाल में मार्च 2017 से 15 फरवरी 2021 के बीच प्रदेश भर में पुलिसवालों और अपराधियों के बीच 7,500 से ज्यादा मुठभेड़ हो चुकी हैं, जिसमें 135 अपराधी मारे जा चुके हैं। 2,900 से ज्यादा अपराधी गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं। अब तो आलम ये है कि अपराधी या माफिया यूपी से भाग रहे हैं। नौबत ये गई है कि अब कोई भी अपराधी उत्तर प्रदेश की सीमा से गुज़रना तक नहीं चाहता कि कहीं उसका भी एनकाउंटर कर दिया जाए। अपराधियों एवं माफियाओं को भी ये अहसास हो चुका है कि अब उनके लिए यूपी में कोई जगह नहीं है, नतीजन अब वो दूसरे राज्यों में शरण ले रहे हैं।

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