श्रद्धा व भक्ति में डूबी काशी, मां के दर्शन कर धन्य हुए श्रद्धालु
भक्तों ने पूजा कर सुख-समृद्धि व कोरोना से मुक्ति की प्रार्थना की
मां दुर्गा
का
मनोहारी
रूप
श्रद्धालुओं
को
कर
रहा
मुग्ध
मां दुर्गा
का
मनोहारी
रूप
श्रद्धालुओं
को
कर
रहा
मुग्ध
पूजा समिति
के
लोग
कोविड-19
की
गाइडलाइन
का
कर
रहे
हैं
पालन
सुरेश गांधी
वाराणसी। तीनों लोकों में न्यारी शिव की नगरी काशी
शक्ति साधना में लीन है। धुप-धुवन, ढोल-ढाक, करताल और तुरही की
सुर लहरियों के बीच रोशनी
में डूबी शक्ति की अधिष्ठात्री जगत
जननी जगदंबा मां भगवती दुर्गा की भक्ति से
कण-कण मातृमय हो
गया है। जिधर मुंडी घुमाओं उधर हर कोई मां
दुर्गे से सुख-समृद्धि
की कामना करते ही दिखा। ढाक
के डंकों से गूंजते टोले-मुहल्लों में हवा का हर झोंका
गुग्गुल-लोबान की सुगंध से
गमगमा रहा है। मतलब साफ है अद्भूत व
अलौकिक काशी जगत जननी आदि शक्ति माता दुर्गा पूजा की धूम है।
धुप-धुवन से चारों दिशाएं
सुगंधित हैं। पूजा पंडाल से ढोल-ढाक
और तुरही की सुर लहरियां
मां भगवती का आह्वान कर
रही है तो भक्तों
के पग भी मचल
रहे हैं। बच्चे-बूढ़े सब दुर्गोत्सव के
रंग में रंगे हैं।
शारदीय नवरात्र के 8वें दिन पूजा पंडालों में दुर्गापूजा घूमने आएं श्रद्धालुओं की भीड़ ऐसी
थी कि सड़क पर
वाहनों की आवाजाही पूरी
तरह बंद थी, फिर भी लोगों के
हुजूम से सड़क पटा
पड़ा था। हर कोई निर्मल-शास्वत, उत्सवी रंग में डूबा हुआ है। सतरंगी रोशनी में काशी का चप्पा-चप्पा
सराबोर है। सृष्टि की देवी, त्रिनेत्र
धारणी मां जगदंबा की भक्ति में
हर कोई लीन-तल्लीन हैं। मइया के चरणों पर
रखे ज्वार अंकुरित होकर प्रष्फुटित हो चुके है,
तो मां के दर्शन के
लिए भक्तों की उत्कंठा भी
हिलोरे मारती नजर आ रही है।
धूप-नवेद सुगंधित वातावरण, ढोल-ढाक, करताल के बीच मंत्रों
से गुंजायमान है गली-कूचा।
पूरे शर में कौतूहल
हैं। भवानी के दर्शन में
कहीं पीछे न छूट जाय,
हर कदम बरबस पूजा पंडालों की ओर बढ़ता
जा रहा है।
मानों शहर की सारी सड़कें
मुड़ गई हैं और
नगर के इस छोर
से उस छोर तक
दिव्य आभा से निखरे पूजा
पंडालों से जुड़ गई
हैं। कोरोनाकाल की गाइडलाइन के
चलते इसबार भव्य मूर्तियां व पंडाल नहीं
है, लेकिन इसका आस्था पर कोई असर
नहीं दिखा। मेला घूमने वालों के चेहरों पर
रौनक ऐसी की देखकर काफूर
हो जाए थकान। इस पंडाल से
उस पंडाल इस तरह घूमे
जैसे कोई पात-पात तो कोई डाल-डाल। शिवपुर में बाबा केदारनाथ धाम पूजा पंडाल में तो सुबह से
देर रात तक लाइन लग
रही है। लोग इस पंडाल के
कलाकारों की दक्षता-क्षमता
पर भक्त इतराते नहीं थक रहे हैं।
पंडालों में कहीं भारतीय संस्कृति की झलक तो
कहीं भारतीय वास्तु कला का अद्भूत नजारा
तो कहीं पौराणिक विरासत को याद कराती
कलाकृति, इनकी भव्यता, सुंदरता ऐसी की हर कोई
निहारता ही रह जा
रहा है। देर शाम भक्ति के रस में
डूबा श्रद्धालुओं का जत्था पूजा
पंडाल के पास जाकर
ठीठक जा रहा है।
पूरी रातभर शहर गुलजार है। शाम हो या आधी
रात, मेले की रौनक बनी
हैं। देवी दर्शन को सड़कों पर
मानों रेला उमड़ पड़ा है। पूजा पंडालों के अंदर जितनी
भीड़ थी, बाहर उससे ज्यादा लोग दर्शन को आतुर थे।
कोई खरीदारी में मग्न, कोई खाने-पीने में तो काई माता
की एक झलक पाने
के लिए बेताब दिखा। दिन से शाम तक
कुछ ऐसा ही नजारा था
काशी में सजे दुर्गापूजा पंडालों का। जैसे-जैसे शाम गहराती गई लोगों की
भीड़ भी बढ़ती गई।
संध्या आरती संग एक ओर भक्ति
की धार बही तो दूसरी ओर
आस-पास लगे विविध स्टॉल वालों की किस्मत भी
चमक उठी।
कन्या पूजन कर मांगा परिवार का सौभाग्य
कहीं नहीं बने हैं भव्य पंडाल
कोरोना महामारी के चलते कहीं
भी भव्य पंडाल नहीं बनेहै। जिन प्रमुख जगहों पर लाखों की
लागत से भव्य पंडाल
और थीम बेस्ट पंडाल बनते थे, वहां इस बार सिर्फ
छोटे से टेंट में
मां दुर्गा विराजमान है। हालांकि पूजन-अर्चन पूरे विधि-विधान से हो रहा
है। भक्तों की श्रद्धा में
कोई कमी नहीं है। शक्ति की देवी की
पूजा का महिमा भक्ति
भक्तों की छांव में
हैं। होम नवेद की सुगंध फिजाओं
में है। पूजा पंडालों में छोटी-छोटी मूर्तियों के अनुपम छटा
बिखेर रही है। लोगों के घरों में
दुर्गोत्सव का उल्लास दिख
रहा है। घर-घर कलश
स्थापना की गई है।
मां के भक्तों ने
उपवास रखी हैं। दोनों पहर भक्ति भाव से मां की
आराधना की जा रही
है।
मां विध्यवासिनी के श्रीचरणों में झुके लाखों शीश
शारदीय नवरात्र के महाअष्टमी के
दिन विध्य दरबार में लाखों श्रद्धालुओं ने शीश झुकाया
और मां विध्यवासिनी के महागौरी स्वरूप
का दर्शन-पूजन कर मंगलकामना की।
मध्य रात्रि से ही मंदिर
पर भक्तों का तांता लगा
रहा। मंदिर के आसपास की
गलियां भक्तों से पटी रहीं।
भीड़ का आलम यह
था कि मंदिर व
उसके आसपास प्रशासन की तमाम तैयारियां
धरी की धरी रह
गई। भक्त घंटों लाइन में लगे रहने के बाद मां
के गर्भगृह तक पहुंच पा
रहे थे। शहर के अन्य मंदिरों
में भी खासी भीड़
थी। नवरात्र में अष्टमी का एक अलग
ही महत्व है। इस दिन विध्य
दरबार में भक्तों की अधिक भीड़
रहती है। हर भक्त मां
की एक झलक पाने
के लिए सभी कष्टों से गुजरने को
तैयार रहते हैं। कहते हैं कि अष्टमी के
दिन मां के दर्शन करने
से सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति
होती है। तरह-तरह के फूलों व
स्वर्ण आभूषणों से माता का
किया गया भव्य श्रृंगार का दर्शन पाकर
श्रद्धालु भाव विह्वल हो उठे। महाअष्टमी
पर जगत कल्याणी मां विध्यवासिनी धाम में आस्थावानों का रेला लगा
रहा। मंगला आरती के बाद से
शुरू हुआ दर्शन-पूजन का दौर अनवरत
चलता रहा। मां विध्यवासिनी के दर्शन-पूजन
के बाद भक्तों ने अष्टभुजा व
काली माता का पूजन-अर्चन
कर त्रिकोण परिक्रमा की। त्रिकोण परिक्रमा के लिए पूरी
रात भक्तों का तांता लगा
रहा। गंगा घाटों पर भी स्नानार्थियों
की भीड़ जुटी रही। दर्शन-पूजन के बाद श्रद्धालुओं
ने विध्य पर्वत पर विचरण कर
रहे बंदरों को चना-गुड़
खिलाया। वहीं नर-नारियों ने
मंदिर परिसर पर चुनरी व
रक्षा बांधकर मन्नतें मांगी।
No comments:
Post a Comment