सुरेश गांधी
फिरहाल, जीएसटी के बढ़े दरों
के विरोध में पूरा देश उद्धेलित है। लेकिन सरकार के कान पर
जूं तक नहीं रेंग
रही है। जबकि व्यापारी से लेकर आम
जनमानस तक सड़कों पर
शोर मचा रहा है। गृहणियों का कहना है
कि जीएसटी की बढ़ी दरों
से घर का मासिक
बजट तहस-नहस हो जायेगा। रोजमर्रा
की वस्तुओं के दाम बढ़
गएं है। इसकी मार आम आदमी पर
पड़ी है और घर
की रसोई का बजट गड़बड़ा
गया है। खाद्यान्न और पहले से
पैक किए गए खाद्य पदार्थों
पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगने के बाद अब
उनकी कीमतों में इजाफा हो जाएगा। वे
सभी उत्पाद, जिन पर जीएसटी दरों
को बढ़ाया गया है, वे ऐसे आइटम
हैं, जिनका दैनिक उपभोग किया जाता है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, यह
अनुमान है कि घरेलू
बजट में प्रति माह 1,000 रुपये से अधिक की
वृद्धि होने की संभावना है।
यहां जिक्र करना जरुरी है कि ’ब्रांडेड
और लेबल्ड, ’प्री-पैकेज्ड और लेबल्ड’ से
अलग है। पहले में बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट्स प्रभावित
होते हैं। जिनकी कीमत अधिक होती है। इनके खरीददार मध्यम एवं उच्च मध्यम वर्ग हैं। इससे छोटे व्यवसायों पर जबरदस्त असर
पड़ेगा। क्योंकि इनके प्रोडक्ट के खरीददार निम्न
आय वर्ग एवं गरीब हैं।
जीएसटी दरें बढ़ने के बाद केंद्र
सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर
आ गई है। कांग्रेस,
एनसीपी, सपा समेत तमाम विरोधी दल केंद्र सरकार
के खिलाफ सड़क से लेकर संसद
तक लामबंद हैं। हंगामे की वजह से
संसद में काम नहीं हो पा रहा
है। विरोधियों का कहना है
कि आवश्यक वस्तुओं में जीएसटी वृद्धि अमानवीय है। देखा जांए तो स्वच्छता से
पैक किए गए सामान खरीदने
की इच्छा इन दिनों निम्न
आय वर्ग के लोगों को
कुछ ज्यादा ही है। इसलिए
जीएसटी की बढ़ी दरों
का प्रभाव इसी तबके पर ज्यादा पड़ता
दिखाई दे रहा है।
खास तौर से तब जब
यह तबका दो सालों से
कोविडकाल में अपना सबकुछ जमापूंजी गवा चुका है। बेरोजगारी चरम पर है। रुपया
सबसे निचले स्तर पर है। चालू
खाते का घाटा बढ़
रहा है और दुनिया
भर में महंगाई और बढ़ने की
आशंका है। ऐसे वक्त निम्न तबके पर बोझ पर
डालना कहीं से भी न्याय
व तर्कसंगत नहीं लग रहा है।
बता दें, जीएसटी की बढ़ी दरों
के बाद अब आटा, चावल
और दाल महंगी हो जाएंगी। 20 किलो
के आटे की कीमत 630 रुपये
से 650 रुपये हो जाएगी, जो
पहले 600 रुपये प्रति बैग थी। इसके अलावा परिष्कृत (रिफाइंड) आटे की कीमतों में
भी इजाफा होगा। इसी तरह चावल, जिसकी कीमत 25 किलो के बैग के
लिए 1300 से 1600 रुपये है, उसकी कीमत 1400 रुपये से 1800 रुपये होगी। दालों की कीमत 5 से
7 रुपये प्रति किलो अधिक होगी। आटा मिल मालिकों का कहना है
कि जीएसटी से पहले एक
क्विंटल की कीमत लगभग
2600 रुपये थी, लेकिन अब खुदरा विक्रेता
को 2730 रुपये खर्च करने होंगे। दर में 5 फीसदी
की बढ़ोतरी का असर मार्च
2014 की तुलना में दर के हिसाब
से हर घर पर
पड़ेगा। आटा जिसकी कीमत 20 रुपये प्रति किलो थी, अब 28 रुपये की कीमत हो
चुकी है, इसी तरह 400 ग्राम दही की कीमत अब
40 रुपये है, जबकि देसी घी की कीमत
लगभग 650 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाएगा,
जो कि 2014 के आसपास 350 रुपये
प्रति किलो था।
इस बढ़ी दर
का असर खाद्य पदार्थ ही नहीं, बल्कि
साबुन और डिटर्जेंट से
लेकर सरसों और सूरजमुखी के
तेल की कीमत भी
अब ज्यादा होगी। पूर्व-पैक और पूर्व-लेबल
वाले खाद्यान्न, मछली, पनीर, लस्सी, शहद, गुड़, गेहूं का आटा, छाछ,
अनफ्रोजन मीट-मछली, और मुरमुरे (मुरी)
के लिए छूट वापस लेने के कारण दर
में वृद्धि की गई है।
इन पर अब ब्रांडेड
वस्तुओं के बराबर 5 प्रतिशत
कर लगेगा। इसके अलावा होटल और अस्पताल के
बिल बढ़ेंगे। नई संशोधित दरों
ने होटल में ठहरने के लिए प्रतिदिन
1,000 रुपये तक की छूट
वापस ले ली है।
अब इस पर 12 फीसदी
टैक्स लगेगा। ऐसे में अब उपभोक्ता को
एक होटल के 1000 रुपये के बिल पर
120 रुपये अधिक चुकाने होंगे। वहीं अस्पतालों में गैर आईसीयू बेड, जो प्रतिदिन 5000 रुपये
से अधिक हैं, वे महंगे होंगे।
स्याही, चाकू, पेंसिल के दाम भी
बढ़ जाएंगे। प्रिंटिंग, राइटिंग या ड्रॉइंग इंक,
कटिंग ब्लेड वाले चाकू, चम्मच, कांटे, पेपर चाकू, पेंसिल शार्पनर और एलईडी लैंप
पर जीएसटी 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत
कर दिया गया है। सोलर वॉटर हीटर पर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा। पेय पदार्थ भी बढ़े हुए
टैक्स से नहीं बच
पाए हैं। तरल पेय और डेयरी उत्पादों
की पैकेजिंग के लिए उपयोग
किए जाने वाले टेट्रा पैक पर अब 12 प्रतिशत
के बजाय 18 प्रतिशत जीएटी लगेगा।
कृषि के लिए उत्पाद और मशीनों की बात करें तो कृषि उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से बीज की सफाई, छंटाई और ग्रेडिंग के लिए उपयोग की जाने वाली मशीनों की दर, कुटीर उद्योग आटा चक्की में उपयोग की जाने वाली मशीनें जो पवन ऊर्जा और गीली ग्राइंडर से संचालित होती हैं, पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा, जो पहले महज 6 प्रतिशत था। क्लीनिंग अंडों की छंटाई, फ्रूट एंड मिल्किंग मशीनों और डेयरी मशीनरी में इस्तेमाल होने वाले अन्य उपकरणों पर जीएसटी 6 प्रतिशत बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। बिजली से चलने वाले पंप जैसे सेंट्रीफ्यूगल पंप, डीप ट्यूबवेल टर्बाइन पंप, सबमर्सिबल पंप 6 फीसदी महंगे होंगे। वित्तीय सेवाएं और कार्य अनुबंध के बारे में बात करें तो उनमें सड़क, पुल, रेलवे, मेट्रो आदि के लिए काम का अनुबंध शामिल है, जिस पर अब 18 प्रतिशत कर लगेगा। इसके अलावा आरबीआई, आईडीआरए और सेबी सेवाओं पर भी जीएसटी में बढ़ोतरी होगी। खाद्य उत्पादों, होटल आवास और अस्पताल के बिस्तर जैसी बुनियादी वस्तुओं पर लगाया गया जीएसटी मौजूदा गतिरोध का मुख्य कारण है. प्रिंटिंग, राइटिंग या ड्रॉइंग इंक, कटिंग ब्लेड वाले चाकू, चम्मच, कांटे, पेपर चाकू, पेंसिल शॉर्पनर और एलईडी लैंप जैसे उत्पादों पर टैक्स की दरों को 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया गया है. 5,000 रुपये प्रतिदिन की दर से ऊपर के अस्पताल के कमरों पर भी पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा, हालांकि आईसीयू बेड में छूट दी गई है.
जीएसटी दरों में वृद्धि से खफा है व्यापारी संगठन : बग्गा
व्यापारियों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा : आरके चौधरी
रविवार को मलदहिया स्थित
विनायक प्लाजा में सभी व्यापारिक और औद्योगिक संगठन
एकजुट है। सभी ने एक स्वर
से कहा यदि बढ़े जीएसटी दरों को वापस नहीं
लिया गया तो बड़े आंदोलन
के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उद्यमियों ने कहा कि
जनता पहले से ही महंगाई
की मार झेल रही है। जीएसटी के दिन प्रतिदिन
लागू होने वाले नए प्रावधानों की
भूलभुलैया में उलझे छोटे उद्यमियों एवं खुदरा व्यापारियों की कोई सुध
लेने वाला नहीं है। बैठक में वाराणसी व्यापार मंडल से अजित सिंह
बग्गा, आईआईए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
आरके चौधरी, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से राजेश भाटिया,
दी स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से नीरज पारीख,
इंडस्ट्रियल स्टेट एसोसिएशन से पीयूष अग्रवाल,
रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन से दयाशंकर मिश्र,
महानगर उद्योग व्यापार समिति से प्रेम मिश्रा,
दी यूपी रोलर फ्लोर मिल एसोसिएशन से दीपक बजाज,
काशी व्यपार प्रतिनिधि मंडल से राकेश जैन,
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल से राकेश जैन
(सिगरा), वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मंडल से संजीव सिंह
बिल्लू, श्रीराम मशीनरी मार्केट से विपिन अग्रवाल,
प्रतिनिधि उद्योग व्यापार मंडल से बदरुद्दीन, एयो
पार्क एसोसिएशन करखियांव से मनोज मद्देशिया,
टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन से राहुल मेहता
सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
जीएसटी के विरोध में काशी के उद्यमियों और व्यापारियों का शंखनाद
कहा, सरकार
जीएसटी
की
दरों
में
वृद्धि
को
वापस
नहीं
लिया
तो
करेंगे
बड़ा
आंदोलन
जीएसटी की दरों में
की गई वृद्धि के
खिलाफ वाराणसी के सभी व्यापारिक
और औद्योगिक संगठन एकजुट हैं। रविवार को मलदहिया स्थित
विनायक प्लाजा में आयोजित व्यापारिक संगठनों की बैठक में
सामूहिक रुप से निर्णय लिया
गया कि यदि शीघ्र
ही केन्द्र सरकार जीएसटी की दरों में
की गई वृद्धि को
वापस नहीं लिया गया तो बड़े आंदोलन
के लिए बाध्य होना पड़ेगा। वक्ताओं ने कहा कि
पहली बार आटा, चावल, दूध व दही पनीर,
मछली आदि पर पांच प्रतिशत
जीएसटी लगा दिया गया। यही नहीं, पर्यटन एवं तीर्थाटन के दौरान रुकने
के लिए होटल 1000 रुपये प्रतिदिन तक के कमरों
पर भी 12 फीसदी जीएसटी लगा दिया गया। संयुक्त मंच से उद्यमियों ने
कहा कि जनता पहले
से ही महंगाई की
मार झेल रही है। जीएसटी के दिन प्रतिदिन
लागू होने वाले नए प्रावधानों की
भूलभुलैया में उलझे छोटे उद्यमियों एवं खुदरा व्यापारियों की कोई सुध
लेने वाला नहीं है। औद्योगिक व्यापारिक संगठनों की ओर से
आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते
हुए आईआईए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
आरके चौधरी ने कहा कि
उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को
एक ट्रिलियन के लक्ष्य तक
पहुंचाने के लिए सरकार
कृत संकल्प है। इसमें अग्रणी भूमिका के लिए प्रदेश
के उद्यमी और व्यापारी प्रयासरत
हैं। लेकिन जीएसटी काउंसिल के फैसलों से
उद्यमियों एवं व्यापारियों पर वज्रपात हुआ
है।
वाराणसी व्यापार मंडल से अजित सिंह
बग्गा ने जीएसटी दरों
में बढोतरी किये जाने का विरोध करते
हुए कहा कि आवश्यक खादय
वस्तुओं पर कर बढाने
से महंगाई बढ़ेगी। अनाज,दाल, गेहू, मुरमुरे आदि आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी की
दरों में वृद्धि करने से आम नागरिक
को महंगाई की मार झेलनी
पडेगी। ऐसे में होटल, अस्पतालों पर लगने वाले
पांच प्रतिशत अतिरिक्त कर को समाप्त
किया जाएं। जीएसटी की दरों में
की गई वृद्धि के
खिलाफ वाराणसी के सभी व्यापारिक
और औद्योगिक संगठन एकजुट है। बग्गा ने चेताया है
कि यदि बढ़े जीएसटी दरों को वापस नहीं
लिया गया तो व्यापारियों को
सड़कों पर उतरने के
लिए बाध्य होना पड़ेगा। बैठक में इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से राजेश भाटिया,
दी स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन से नीरज पारीख,
इंडस्ट्रियल स्टेट एसोसिएशन से पीयूष अग्रवाल,
रामनगर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन से दयाशंकर मिश्र,
महानगर उद्योग व्यापार समिति से प्रेम मिश्रा,
दी यूपी रोलर फ्लोर मिल एसोसिएशन से दीपक बजाज,
काशी व्यपार प्रतिनिधि मंडल से राकेश जैन,
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल से राकेश जैन
(सिगरा), वाराणसी नगर उद्योग व्यापार मंडल से संजीव सिंह
बिल्लू, श्रीराम मशीनरी मार्केट से विपिन अग्रवाल,
प्रतिनिधि उद्योग व्यापार मंडल से बदरुद्दीन, एयो
पार्क एसोसिएशन करखियांव से मनोज मद्देशिया,
टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन से राहुल मेहता
सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
गृहणियों का गड़बड़ाया बजट
बढ़ी कीमतों
के
चलते
5000 के
बदले
अब
लगेंगे
7000 खर्च
हो
रहे
है
जीएसटी की
दरों
में
बदलाव
से
आम
आदमी
को
अब
और
सताएगी
महंगाई
महंगाई सच है, जनता
के पास इसे स्वीकार करने के अलावा कोई
रास्ता नहीं बचता. लेकिन जिस तरह रोजमर्रा की जरुरतों वाली
सामाग्रियों की कीमतें जीएसटी
के नाम पर बढ़ाई गयी,
वह आम जनमानस के
गले नहीं उतर रहा है। क्योंकि पैकेटबंद दूध, दही, छाछ, दाल पर लगने वाला
ये 5 फीसदी जीएसटी महंगाई की नई दस्तक
देगा. पहले से ही पस्त
आम लोगों की पीठ पर
महंगाई का बोझ बढ़ेगा।
मतलब साफ है महंगाई आम
लोगों को अब से
और सताएगी. रोजमर्रा की वस्तुएं जैसे
दही, लस्सी, चावल, पनीर और अन्य की
कीमतें बढ़ गयी हैं.
सरकार ने इन वस्तुओं
पर जीएसटी की दरों में
बढ़ोतरी कर दी है.
साथ ही अस्पतालों में
इलाज के लिए भी
अब लोगों को अधिक पैसे
चुकाने पड़ रहे है।
प्री-पैक फूड आइटम जैसे दूध के पैक प्रोडक्ट-
दही, लस्सी, पनीर और छाछ के
अलावा मछली और मिंट की
कीमतों में भी 5 फीसदी की दर से
वृद्धि हो गयी है।
जबकि पहले ये वस्तुएं जीएसटी
के दायरे से बाहर थीं.
बढ़ी कीमतों के चलते 5000 के
बदले अब लगेंगे 7 हजार
खर्च हो रहे है।
बता दें, आम आदमी पर
महंगाई का बोझ लगातार
बढ़ता जा रहा है.
जीएसटी (ळैज्) की नई दरें
लागू होने के बाद और
भी बढ़ गया है.
इसके चलते रोजमर्रा की समानों को
खरीदने के लिए अब
अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ रही है।
इसके साथ एक आम इंसान
की किचन का बजट भी
गड़बड़ा गया है। दूध ,दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पद, गेहूं, मुरमुरे पर अब 5 प्रतिशत
जीएसटी लगने से इसके दाम
में बढ़ोत्तरी हो गयी है।
सिगरा में रहने वाली संगीता का हर महीने
किचन के लिए 5 हजार
रुपये का बजट अब
बढ़कर सीधा 7 हजार रुपये पहुंच गया है। उन्होंने केन्द्र सरकार के खिलाफ नाराजगी
जताते हुए कहा कि पहली बार
खाद्य पदार्थों पर जो जीएसटी
लगाई है, उसे तुरंत वापस लेना चाहिए. क्योंकि महंगाई के उच्च स्तर
के कारण आम आदमी की
कमर पहले से ही टूटी
हुई है. पांडेयपुर के मोहन के
मुताबिक वह पिछले 40 साल
से अपना स्टोर चला रहे हैं. कोरोनाकाल में आधे से ज्यादा बिजनेस
ऑनलाइन शिफ्ट हो गया और
रही सही कसर जीएसटी लगने से पूरी हो
गयी है। एक्स्ट्रा जीएसटी से कारोबार पर
भी असर पड रहा है।
वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत
सिंह बग्गा के मुताबिक जिस
तरीके से जीएसटी की
नई दरें लागू की गई हैं.
उससे व्यापारी खासे नाराज हैं. इस मुद्दे पर
व्यापारी अब सरकार के
खिलाफ आर-पार की
लड़ाई लड़ेगा। इसके विरोध हर व्यापारी एकजुट
है। बग्गा ने सरकार से
रोटी, कपड़ा और मकान की
कीमतें कम करने की
अपील करते हुए कहा कि ये सभी
बुनियादी जरूरतें हैं. लोग चाहते हैं कि भोजन, कपड़ा
और घर की कीमतें
कम हों। इसलिए सरकार को चाहिए कि
वह महंगाई और खाद्य पदार्थों
की कीमतों के बीच संबंध
पर गंभीरतापूर्वक विचार करें। क्योंकि जरूरी वस्तुएं सभी को सस्ती कीमत
पर मिलनी चाहिए, इसका भार किसानों, व्यापारियों व आम आदमी
पर नहीं डाला जाना चाहिए. जायसवाल क्लब के मनोज जायसवाल
ने कहा कि नई दरों
के मुताबिक एक हजार रुपये
प्रतिदिन से कम कीमत
वाले होटल के कमरों पर
12 फीसदी टैक्स देना होगा, फिलहाल इस पर छूट
थी. लेकिन ये मार सबसे
ज्यादा बजट होटल का कारोबार करने
वाले कारोबारियों पर पड़ेगी. जो
700 से 1000 रुपये तक के कमरे
बुक किया करते थे. ऐसे कमरों का इस्तेमाल सबसे
ज्यादा व्यापारी करते हैं जो एक राज्य
से दूसरे राज्यों से कारोबार करने
के लिए जाते हैं.
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