Sunday, 25 September 2022

जूट कारपेट को कृषि उत्पाद में शामिल कर 10 प्रतिशत इंसेटिव की मांग

उद्यमियों की समस्याओं को दूर करना योगी सरकार की प्राथमिकता : केशव मौर्या 

जूट कारपेट को कृषि उत्पाद में शामिल

कर 10 प्रतिशत इंसेटिव की मांग

सीईपीसी के पूर्व सीईओ एवं सीनियर कालीन निर्यातक संजय गुप्ता उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या को सौंपा ज्ञापन

कहा, इंसेटिव मिला तो पीएम के 20 हजार करोड़ के टारगेट को 2024 में करेंगे पूरा

सुरेश गांधी

वाराणसी। कारपेट इंडस्ट्री को यदि पूर्व की भांति 10 प्रतिशत इंसेटिव सहित अन्य सुविधाएं मिलने लगे तो 2024 तक निर्यात दर 10 हजार करोड़ से बढ़ाकर 20 हजार करोड़ कर दिया जायेगा। लेकिन यह तभी संभव है जब सरकार कारपेट इंडस्ट्री को टेक्सटाइल से हटाकर कृषि उत्पाद में शामिल करें। यह बातें कालीन निर्यात संवर्धन परिषद के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ कालीन एवं ग्लोबल ओवरसीज, गोपीगंज-भदोही के कर्ताधर्ता संजय गुप्ता ने कहीं। इस बाबत संजय गुप्ता ने एक प्रतिनिधिमंडल के रुप में रविवार को भदोही दौरे पर आएं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या से मिलकर उन्हें ज्ञापन भी सौंपा। जवाब में केशव मौर्या ने निर्यातकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार कारपेट इंडस्ट्री के विकास एवं सुविधाओं के विस्तार के लिए वचनवद्ध है। निर्यातकों की जो भी वाजिब मांगे होंगी सरकार उसे पूरा करेगी।

ज्ञापन पत्र में संजय गुप्ता ने कहा है कि भदोही की धरती पर डिप्टी सीएम केशव मौर्या सहित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्वागत करती है। इसके अलावा डबल इंजन सरकार द्वारा जो सुविधाएं मुहैया कराई गयी है पूरी इंडस्ट्री उसकी सराहना करती है। चूकि प्रधानमंत्री ने 2018 में वाराणसी में आयोजित कारपेट एक्स्पों के उद्घाटन अवसर पर निर्यात दर को 10 हजार करोड़ से बढ़ाकर 20 हजार करोड़ का लक्ष्य दिया था। इसके लिए निर्यातक एवं बुनकर लगातार प्रयासरत भी रहे। परिणाम यह हुआ कि कोरोनाकाल के बावजूद 10 हजार करोड़ से बढ़कर 14 हजार करोड़ निर्यात दर हो गया। लेकिन लगातार महंगाई एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार से मिल रही चुनौतियों के चलते उद्यमियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार यदि पूर्व में मिल रही 10 प्रतिशत की इंसेटिव देने के साथ ही कारपेट इंडस्ट्री को कृषि उत्पाद में शामिल कर दें तो 2024 तक पीएम का टारगेट हरहाल में पूरा हो जायेगा।

संजय गुप्ता ने पत्र में कहा है कि कालीनों का घर भदोही और मिर्जापुर में लगभग 1000 करोड़ का जूट कालीनों का निर्यात होता है। चूकि जूट एक प्राकृतिक उत्पाद है और विदेशों में लोगों का झुकाव इसके प्रति झुकाव बढ़ता जा रहा है, ऐसे में समय रहते सरकार उद्यमियों की मदद करें तो लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत का कालीन के क्षेत्र में सबसे बड़ा प्रतियोगी चीन, नेपाल, पाकिस्तान और ईरान है, लेकिन इनके यहां जूट उत्पादन नहीं होने से फायदा भारतीय निर्यातकों को मिल सकता है। ऐसे में हमारे लिए एक एडवांटेज है और इससे हमें उम्मीद है कि हम अपने इस 1000 करोड़ के व्यापार को चौगुना कर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मिल रही चुनौतियों का सामना कर सकते है। परंतु इसके लिए हमें अपने उत्पादों क्वालिटी का बेहतर तरीके से प्रचार-प्रसार करना होगा। इसके लिए मार्केटिंग बनानी पड़ेगी और इसमें जो खर्च आएं उसका वहन सरकार की तरफ से हो, जिसे इंसेटिव के रुप में दिया जा सकता है।

संजय गुप्ता ने कहा कि जूट से निर्मित कालीन हाथ द्वारा बनाया जाता है। इसलिए इससे समय ज्यादा लगता है और इसमें हमारी पूंजी ज्यादा दिनों तक फंसी रहती है। इस वजह से हम लोग अपनी पूंजी उत्पादन पर ही इन्वेस्ट करते करते खत्म कर देते हैं। अपने ब्रांडों की मार्केटिंग नहीं कर पाते। ऐसे में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सरकार का सहयोग जरुरी है। उन्होंने कहा कि बीते कुछ सालों से डब्ल्यूटीओ के नियमों की वजह से कालीन को कृषि उत्पाद से बाहर रखा गया है, जिसे अब शामिल करने की जरुरत है। जबकि अमेरिका जैसे देश भी इस कारोबार के लिए अपना उत्पाद निर्यात करते हैं तो उल्हें 5 प्रतिशत इंसेटिव दिया जाता है। प्रतिनिधिमंडल में सांसद रमेश बिन्द, सत्तार अंसारी, अशफाक अंसारी, जय प्रकाश गुप्ता, असलम महबूब, अनिल सिंह, राजेश सिंह, मोहसिन अंसारी आदि शामिल थे।

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