जागरूकता के अभाव में बढ़ रही स्तन कैंसर की दर : डॉ. सत्यजीत प्रधान
महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केन्द्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल द्वारा दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस “वीमेंस ओंको-इमेजिंग ऐंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी” का आयोजन
सुरेश गांधी
वाराणसी। महामना पं मदन मोहन
मालवीय कैंसर केन्द्र एवं होमी भाभा कैंसर अस्पताल के तत्वावधान में
शनिवार को दो दिवसीय
कॉन्फ्रेंस “वीमेंस ओंको-इमेजिंग ऐंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी” सेमिनार का आयोजन किया
गया गया। कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन अस्पताल
के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान एवं टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के रेडियोलॉजी विभाग
के प्रमुख डॉ. सुयश कुलकर्णी ने संयुक्त रूप
से फीता काटकर किया। मकसद है कॉन्फ्रेंस में
देश के अलग-अलग
हिस्सों से आएं लोगों
को महिलाओं में स्तन कैंसर के लक्षण व
इससे बचाव की जानकारी देना
है। कॉन्फ्रेंस में देश के अलग-अलग
हिस्सों से तकरीबन 100 डॉक्टर
हिस्सा ले रहे हैं,
जो कैंसर के क्षेत्र में
रेडियोलॉजी की भूमिका और
आने वाले दिनों में इसके जरिए होने वाले बदलाव पर प्रकाश डालेंगे।
इस मौके पर
डॉ. सत्यजीत प्रधान ने कहा कि
भारत मे स्तन कैंसर
से मारने वाली महिलाओं की संख्या में
लगातार वृद्धि हो रहा है।
स्तन कैंसर अब कम उम्र
की लड़कियों में भी पाया जाने
लगा है। जागरूकता के माध्यम से
इन भयावह बीमारियों से बचा जा
सकता है। उन्होंने कहा कि स्तन में
गांठ हो तो अनदेखा
न करें। दुनियाभर में महिलाओं में होने वाले कैंसर के मामलों में
स्तन कैंसर पहले पायदान पर है। इसका
एकमात्र कारण महिलाओं में जागरूकता का अभाव व
झिझक है। अक्टूबर माह को दुनिया भर
में ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता महीने के तौर पर
मनाया जाता है। एक रिपोर्ट के
मुताबिक दुनिया भर में औसतन
आठ में से एक महिला
को ब्रेस्ट कैंसर है।
प्रधान ने कहा कि
कैंसर रोगियों को छूने या
उनके साथ बैठने या खाना खाने
से कैंसर नहीं फैलता। स्तन कैंसर का जल्दी पता
लगाने से उपचार अधिक
प्रभावी हो सकता है।
हालांकि सभी बदलाव स्तन कैंसर का संकेत नहीं
होते। कुछ महिलाओं में ब्रेस्ट टिशू के सिस्ट हो
जाते है, जो कि सामान्य
है। एक कैंसर शोध
के अनुसार, 10 में से नौ स्तन
की गांठें कैंसर नहीं होती हैं। स्तन कैंसर एक प्रकार का
कैंसर है जो स्तन
के ग्रंथियों के ऊतकों में
नलिकाओं या लोब्यूल के
एपिथेलियम (अस्तर कोशिकाओं) में उत्पन्न होता है। 2020 में दुनिया भर में 2.3 मिलियनसे
अधिक महिलाओं को स्तन कैंसर
का पता चला था। लगभग 50 फीसदी स्तन कैंसर महिलाओं में विकसित होते हैं, जिनमें लिंग और उम्र (40 वर्ष
से अधिक) के अलावा अन्य
पहचान योग्य स्तन कैंसर जोखिम कारक नहीं होते है। उन्होंने कहा कि हास्पिटल द्वारा
कई गतिविधियों की योजना बनाई
गई है। इसमें कैंसर का पता लगाने
वाले शिविर, कैंसर जागरूकता वार्ता, सार्वजनिक सूचना पुस्तिकाओं का प्रकाशन और
अन्य कार्यक्रम शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मेमोग्राफी प्रारंभिक स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए एक विशेष एक्स-रे तकनीक है। इसका उपयोग स्क्रीनिंग के लिए होता है। उन्होंने बताया कि पहले कैंसर की दवाएं नहीं थी। अब बहुत सारी नई मेडिसिन आ गई हैं, जिनसे कैंसर के शुरुआती स्टेज में ही इसे ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर गंभीर बीमारी है, लेकिन लाइलाज नहीं। सही समय पर इसकी पुष्टि होने और समय पर इलाज से पूरी तरह से छुटकारा पाया जा सकता है। अब ब्रेस्ट कैंसर में स्तन को हटाने की जरूरत नहीं है। सर्जरी से इसका इलाज संभव है। इसे ब्रेस्ट ऑनकोप्लास्टिक कहते हैं। अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ एस.एन. सिंह ने बताया कि “वीमेंस ओंको-इमेजिंग ऐंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी” के जरिए हम इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा रहे, जहां एक साथ इस क्षेत्र के विशेषज्ञ अपने विचार साझा कर सकेंगे। इसके अलावा हम वाराणसी जिले के तमाम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को “सेल्फ ब्रेस्ट स्क्रीनिंग” की ट्रेनिंग भी उपलब्ध कराएंगे, ताकि समय रहते बीमारी की पहचान होने में मदद मिले।
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