Saturday, 22 October 2022

इस दीवाली जलाएं गोबर से बने दीए-धूपबत्ती, होगा पर्यावरण संरक्षित

इस दीवाली जलाएं गोबर से बने दीए-धूपबत्ती, होगा पर्यावरण संरक्षित

अजीत सिंह बग्गा ने कई मंत्रियों को भेंट की गोबर निर्मित पूजन सामाग्रियों की पोटली 

कहा, बाजार में खूब बिक रही गोबर से बने हवन कुंड, गौरी- गणेश की मूर्तियां दीए-धूपबत्ती

इसके इस्तेमाल से रोशन होगा घर-आंगन, लोगों को मिलेगा रोजगार  

सुरेश गांधी

वाराणसी। इस बार गोबर के दीए से घर- आंगन रोशन होंगे। मकसद है पर्यावरण संरक्षण और महिला स्वसहायता समूहों को रोजगार मुहैया कराना। इसके लिए वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा ने बीडा उठा रखा है। वह डोर-टू-डोर मिलकर लोगों को गोबर से बने दीए, धूपबत्ती के अलावा गौर गणेश पूजन सामग्रियों के इस्तेमाल की अपील कर रहे है। इस अभियान के तहत बग्गा ने सूबे के आयुश मंत्री दयाश ंकर मिश्रा दयालू, केन्द्रीय उद्योग मंत्री अनुप्रिया पटेल, धर्म गुरु सतंआ महराज सहित दर्जनों मंत्रियों, व्यापारियों  समाजसेवियों को गोबर से निर्मित पूजन सामाग्री की पोटली भेंट की। पोटली के अंदर, दीए, धूपबत्ती, हवनकुंड, मोमबत्ती आदि शामिल है। बग्गा के साथ युवा समाजसेवी सुमित सराफ सहित कई गणमान्य लोग साथ में थे। बग्गा का कहना है कि इससे सिर्फ पर्यावरण संरक्षित होगा, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिल सकता है।

बता दें, ईको फ्रेंडली दिवाली को लेकर नई पहल की है। गाय के गोबर से प्रदूषण रहित पर्यावरण अनुकूल दीए मूर्तियां बनाई हैं। गोबर से बनाए गए दीए मूर्तियां ना केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि उन्हें आसानी से नष्ट भी किया जा सकता है। खास यह है कि रंग-बिरंगे गोबर के ये दीए पहली बार बाजार में आया है। इको फ्रेंडली होने के कारण इन दीयों की काफी मांग है। गोबर से बने वस्तुओं की बिक्री भी खूब हो रही है। बग्गा ने कहा कि गमले या बगीचे में डालने पर यह मूर्तियां और दीए स्वयं ही उसमें मिल जाएंगे और इनसे फलदार पौधे सब्जियों के अंकुर फूटेंगे। उन्होंने कहा कि गाय के गोबर को शुद्ध माना जाता है। पहले से ही हम पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक कार्यों में प्रयोग करते हैं, लेकिन अब इससे आकर्षक मूर्तियां और दीप बनाए जा सकेंगे। इससे पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं होगा। साथ ही मूर्ति को जल में विसर्जन करने पर पानी को नुकसान होने की बजाए जलीय जीव वनस्पतियों को खाद के रूप में खुराक भी मिलेगी। गोबर के दीयों को बाद में खाद भी बनाया जा सकता है, जो पर्यावरण के लिए काफी हितकर होगा।

हरित भू-अहं पर्यावरण रक्षामि’, एक कदम प्रकृति की ओर के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बग्गा ने अभियान चल रखा है। बग्गा का कहना है कि हमें सरकार और समाज के साथ मिलकर चलना होगा। गाय के गोबर से बनने वाले दीपक और अन्य वस्तुएं धूप में सुखाकर तैयार होती है जिसे कोई प्रदूषण नहीं होता और गाय के गोबर से बने दीपक जलाने से ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है। गोबर से बने दीपक को बाद में पेड़- पौधों की मिट्टी में मिलाकर खाद के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बग्गा ने कहा कि दीवाली पर चीन के बने आइटम को टक्कर देने, गौशालाओं की आय का साधन बनाने और गाय के गोबर का महत्व लोगों तक पहुंचाने के मकसद सेगोबर सामाग्री के उपयोग के लिए अभियानचलाया गया। इस अभियान के तहत लोगों से गाय के गोबर से बने पूजन सामग्री के उपयोग की मांग की है। पूजन सामाग्री के पोटली मे दीवाली के लिए खास दिये, मोमबत्ती, धूपबत्ती, अगरबत्ती, शुभ-लाभ, स्वस्तिक, समरणी, हार्डबोर्ड, वॉल-पीस, पेपर-वेट, हवन सामग्री, भगवान लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां रखी बनाई गई हैं. इस अभियान से पंचगव्य उत्पादों को भी बढ़ावा मिलेगा.

बग्गा ने कहा कि लोगों से अपील की है कि दीवाली पर घरों को रोशन करने के लिये जलाये जाने वाले मिट्टी के दियों के स्थान पर इस बार गोबर के दियों से घर-आंगन रोशन करें। बग्गा ने बताया कि शास्त्रों के मुताबिक गौमाता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास है। इसलिए हमारा लक्ष्य गोबर के दीये के प्रति लोगों को जागरुक करना है। यही वजह है कि गोबर से निर्मित दीयों की मांग लगातार बढ़ रही है। होलसेल में 250 रुपए प्रति सैकड़ा के हिसाब से दीपक बिक रहे हैं। स्थिति यह है कि मांग के अनुपात में आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इतना नहीं इसके साथ-साथ गणेश और लक्ष्मी माता की मूर्ति भी इको फ्रेंडली बनाई जा रही है। बग्गा पे बताया इस दीपक के जलने से घर में हवन की खुशबू महकेगी। जिससे घर के वातावरण को पटाखों की गैस को कम करने में सहायक होगी। दीये को दीपावली में उपयोग करने के बाद जैविक खाद बनाने उपयोग में लाया जा सकता है। दीये के अवशेष को गमला या कीचन गार्डन में भी उपयोग किया जा सकता है। इस तरह मिट्टी के दीए बनाने और पकाने में पयार्वरण को होने वाले नुकसान के स्थान पर गोबर को दीए को इको फ्रेंडली माना जाता है। उन्होंने सनातन धर्मियों से गाय के गोबर से बने दीपक जलाने का आह्वान किया है।

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