Wednesday, 16 November 2022

काशी में दिखेगा लघु तमिलनाडु की झलक

काशी में दिखेगा लघु तमिलनाडु की झलक

जी हां, संस्कृतियों के मेल-मिलाप का सबसे बड़ा महोत्सव काशी-तमिल संगमम की 17 नवंबर से शुरुवात होगी। काशी-तमिल संगमम 17 नवंबर से 16 दिसम्बर तक चलेगा। बीएचयू के एमपी थियेटर ग्राउंड में तमिलनाडु के हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, कुजिन और शैक्षिणिक प्रदर्शनी भी लगेगी। कार्यक्रम में पूरे माह में तमिलनाडु के लगभग 500 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। उद्घाटन समारोह में तमिलनाडु के 12 प्रमुख मठ मंदिर के आदिनम (महंत) को काशी की धरा पर पहली बार सम्मानित भी किया जाएगा। काशी में दक्षिण के स्वाद का आनंद लेंगे मेहमान, 12 ग्रुपों में रहे 2592 लोग, कई होटल बुक है। इसकी विधिवत शुरुवात पीएम मोदी 19 नवंबर को करेंगे। खास बात यह है कि इस आयोजन में सिर्फ भारतीय सनातन संस्कृति के दो अहम प्राचीन पौराणिक केंद्रों या यूं कहे उत्तर और दक्षिण का मिलन होगा, बल्कि दो सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सामजिक और शैक्षणिक विचारों का आदान-प्रदान भी होगा. इसके जरिए दक्षिण और उत्तर के उत्तरेत्तर संबंधों के साथ ही दोनों स्थानों की समानता को भी दर्शाया जाएगा। भगवान राम के हाथों स्थापित रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग के साथ ही स्वयंभू काशी विश्वनाथ की महिमा भी बखान किया जाएगा। काशी तमिल समागमम में आने वाले आदिनाम को काशी में बसे लघु तमिलनाडु का भ्रमण भी कराया जाएगा

सुरेश गांधी

19 नवंबर से 16 दिसंबर तक भगवान भोलेनाथ की नगरी काशी मेंकाशी-तमिल संगममका आयोजन किया गया है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की अनौपचारिक शुरुवात 17 नवंबर से होगी। माह पर्यंत चलने वाला यह कार्यक्रम बीएचयू के एमपी थियेटर ग्राउंड में होगा. जिसका शुभारंभ पीएम मोदी 19 नवंबर को करेंगे। पीएम मोदी 19 नवंबर को दोपहर में वाराणसी के एयरपोर्ट पहुंचेगे। वहां से हैलीकाप्टर से बीएचयू हैलीपैड आएंगे. फिर पीएम काशी-तमिल संगमम में लगी प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वहां मौजूद लोगों को संबोधित भी करेंगे. पीएम करीब साढ़े तीन घंटे बिताने के बाद वापस दिल्ली रवाना हो जाएंगे. उद्घाटन समारोह में तमिलनाडु के 12 प्रमुख मठ मंदिर के आदिनम (महंत) को काशी की धरा पर पहली बार सम्मानित भी किया जाएगा। सम्मान समारोह के बाद पीएम मोदी  भगवान शिव के ज्योर्तिलिंग काशी विश्वनाथ और रामेश्वरम के एकाकार पर आधीनम से संवाद भी करेंगे। 

खास बात यह है कि इस आयोजन में सिर्फ भारतीय सनातन संस्कृति के दो अहम प्राचीन पौराणिक केंद्रों या यूं कहे उत्तर और दक्षिण का मिलन होगा, बल्कि दो सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, सामजिक और शैक्षणिक विचारों का आदान-प्रदान भी होगा. तमिलनाडु के 12 प्रमुख आदिनाम इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 18 नवंबर को काशी पहुंचेंगे। काशी और तमिलनाड़ु के बीच आध्यात्मिक संबंधों पर संवाद के साथ ही काशी काशी विश्वनाथ से वहां के जुड़ाव पर परिचर्चा करेंगे। इसके जरिए दक्षिण और उत्तर के उत्तरेत्तर संबंधों के साथ ही दोनों स्थानों की समानता को भी दर्शाया जाएगा। भगवान राम के हाथों स्थापित रामेश्वरम ज्योर्तिलिंग के साथ ही स्वयंभू काशी विश्वनाथ की महिमा भी बखान किया जाएगा।

काशी तमिल समागमम में आने वाले आदिनाम को काशी में बसे लघु तमिलनाडु का भ्रमण भी कराया जाएगा। हनुमान घाट और उसके आसपास स्थित शंकर मठ सहित अन्य मंदिरों को भी दिखाया जाएगा। इसके अलावा तमिलनाडु के परिवारों के बीच भी वहां से आने वाले लोगों को ले जाया जाएगा। इसके जरिए काशी में तमिल परंपरा के जीवंत उदाहरण को भी प्रस्तुत किया जाएगा। मतलब साफ है हिंदी और तमिल भाषाई लोगों की संस्कृतियों के मेल-मिलाप का यह सबसे बड़ा महोत्सव है। दरअसल, तमिलनाडु के तेनकासी शहर में स्थित काशी विश्वनाथर मंदिर है। तमिलनाडु के जानकारों के अनुसार भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथर मंदिर को उल्गाम्मन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसे पांड्यन शासन ने बनवाया था और तमिलनाडु का दूसरा सबसे बड़ा गोपुरा भी है। द्रविड शैली में बने इस मंदिर का गोपुरा 150 फीट का है। ऐसे ही काशी और तमिलनाडु के मठ मंदिरों की पंरपराओं पर भी चर्चा होगी।

आम जनता को तमिल संगमम के दौरान कलाकृतियों, संस्कृतियों, मंदिरों और हेरिटेज की जानकारियों समेत तमिलनाडु के सैकड़ों व्यंजनों का स्वाद भी मिलेगा। काशी-तमिल संगमम के सांस्कृतिक प्रभारी वाराणसी परिक्षेत्र के पुरातत्व अधिकारी सुभाष यादव ने बताया कि यह कार्यक्रम उत्तर और दक्षिण के संगम का सुंदर प्रयास है. कोशिश है कि कार्यक्रम पूरी तरह से सफल रहे. सुभाष यादव के अनुसार 17 नवंबर से तमिलनाडु का कार्तिक मास शुरू होगा जो एक माह तक चलेगा. तमिल की परंपरा के अनुसार वहां के लोग शिव मंदिरों में पूरे कार्तिक मास दीपक जलाते हैं. इस बार निवेदन है कि तमिलनाडु के लोग काशी विश्वनाथ धाम में दीपक जलाएं. इसी के तहत एक माह तक कार्यक्रम आयोजित होगा, जिसमें 12 ग्रुप में ढाई हजार लोग वाराणसी आएंगे और भ्रमण करेंगे।

इस दौरान उन्हें प्रयागराज, अयोध्या घुमाते हुए वापस काशी लाते हुए तमिलनाडु वापस भेजा जायेगा। इस दौरान पूरे एक माह तक वाराणसी के बीएचयू के एमपी थियेटर ग्राउंड में तमिलनाडु के हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट, कुजिन और शैक्षिणिक प्रदर्शनी भी लगेगी. वाराणसी के लोगों के लिए भी प्रदर्शनी लगेगी। प्रतिदिन शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम में पूरे माह में तमिलनाडु के लगभग 500 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे. इस तरह पूरे माह का यह भव्य आयोजन है. उन्होंने बताया कि जिस तरह का सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक समन्वय हो सकता है, यह पूरे देश को देखने को मिलेगा. पूरे एक माह अलग-अलग विधा के लोग छात्र, अध्यापक, धार्मिक और व्यापारी लोग भी इसमें शामिल होंगे. इस तरह से यह केवल सांस्कृतिक समन्वय है, बल्कि आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक सामन्जस्य भी है.

काशी-तमिल संगमम के संयोजक एवं भारतीय भाषा समिति दिल्ली के अध्यक्ष चमू कृष्ण शास्त्री ने बताया कि पूरे कार्यक्रम को शिक्षा मंत्रालय आयोजित कर रहा है। आईआईटी मद्रास और बीएचयू मिलकर कार्यक्रम को कर रहें हैं. यह पीएम मोदी की संकल्पना है। शिक्षा मंत्रालय इसका क्रियान्वयन कर रहा है. इसके तहत मद्रास आईआईटी एवं तमिलनाडु द्वारा ढाई हजार डेलीगेट्स का चयन किया गया है. जो 12 समूह में आएंगे और कार्यक्रम में शामिल होंगे. जो संगोष्ठियों में भी हिस्सा लेंगे. 30 दिनों तक अलग-अलग कार्यक्रम होंगे और शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा. इस दौरान तमिलनाडु के चाहे लोक या शास्त्रीय कला हो उसकी रोजाना प्रस्तुति भी होगी. इसके अलावा हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट के स्टॉल भी लगेंगे. इसके अलावा तमिलनाडु के सभी व्यंजनों को भी अलग-अलग स्टॉल पर लगाया जाएगा और पुस्तक प्रदर्शनी भी लगेगी और लघु फिल्मों के जरिए तमिलनाडु का दर्शन भी कराया जाएगा.

मेहमानों के आगमन की तैयारियां पूरी

वाराणसी में काशी तमिल संगमम की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। मेहमानों का पहला ग्रुप 18 नवंबर की रात एक बजकर 10 मिनट पर वाराणसी आएगा। तमिल संगमम की तैयारियों में जुटे अधिकारियों के मुताबिक तमिलनाडु से आने वाले मेहमान दो दिन वाराणसी रहेंगे। काशी-तमिल संगमम में आने वाले मेहमान श्रीकाशी विश्वनाथ, संकट मोचन मंदिर और गंगा आरती में भी शामिल होंगे। दक्षिण भारत के स्वाद के लिए वहां से ही कुक को भी बुलाया गया है, जो काशी में तमिलनाडु से रहे लोगों के लिए डिश तैयार करेंगे। मेहमानों को लाने के लिए विशेष प्रबंध किया गया है। 12 ग्रुपों में 2592 मेहमानों को बांटा गया है, जिसमें हर ग्रुप में 216 डेलीगेट शामिल हैं। रामेश्वर से बनारस तक आने वाली बनारस साप्ताहिक सुपरफास्ट एक्सप्रेस से चार ग्रुप, कैंट रेलवे स्टेशन पर चेन्नई सेंट्रल से गया जंक्शन तक जाने वाली गया सुपर फास्ट एक्सप्रेस से चार ग्रुप और पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन पर एरणाकुलम जंक्शन से पटना जंक्शन जाने वाली पटना सुपरफास्ट एक्सप्रेस से चार ग्रुप में मेहमानों को उतारा जाएगा। इन ट्रेनों में एक-एक वातानुकूलित कोच लगाए जाएंगे।

अवध-प्रयाग भी जाएगा तमिल समूह

काशी आने वाला समूह प्रयागराज और अयोध्या भी जाएगा। वाराणसी पुलिस की सुरक्षा में सड़क मार्ग से प्रयागराज जाएंगे, जहां प्रयागराज पुलिस की सुरक्षा में आधे दिन में निर्धारित स्थलों का भ्रमण कर अयोध्या जाएंगे। वहां अयोध्या पुलिस की सुरक्षा में रामजन्म भूमि और हनुमानगढ़ी का दर्शन करने के बाद सरयू आरती भी देखेंगे। इसके बाद अगले दिन अयोध्या पुलिस की सुरक्षा में वाराणसी आएंगे। जहां से निर्धारित ट्रेन से तमिलनाडु के लिए रवाना होंगे। मेहमानों के वाराणसी में ठहरने के लिए बीएचयू और लंका इलाके में 12 होटल भी बुक कराए गए हैं। समूह में छात्र, शिक्षक, साहित्यकार, सांस्कृतिक विशेषज्ञ, कला, संगीत, नृत्य, नाटक, लोक कला, योग, आयुर्वेद से जुड़े लोग, उद्यमी, व्यवसायी, कारीगर, पुरातत्वविद, विभिन्न संप्रदाय से जुड़े संगठन आएंगे। समूह काशी की ऐतिहासिक महत्ता को समझेंगे। इस दौरान तमिलनाडु की विभिन्न सांस्कृतिक टोली काशी में अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेगी। तमिलनाडु के छोटे व्यवसायी काशी में अपना स्टाल लेकर भी आएंगे। काशी संगमम ज्ञान, संस्कृति और विरासत के दो प्राचीन केंद्रों को फिर से जोड़ेगा।

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