फर्क : पहले बलातकारी बचाएं जाते रहे, अब जेल है उनकी जगह
2017 से पहले यूपी में राह तो छोड़िए, लोग अपने बेडरुम में भी सुरक्षित नहीं थे। राह चलते युवतियों का किडनैप कर सामूहिक बलातकार की घटनाएं आमबात हुआ करती थी। खास यह है कि अगर कोई बलातकारी पकड़ भी जाता था, सपा मुखिया के उस बयान पर कार्रवाई नहीं होती थी, बच्चे है बच्चों से गलतियां हो जाया करती है। परिणाम यह रहा कि छुटभैये सपाई गुंडे तो छोड़िए विजय मिश्रा व गायत्री प्रजापति जैसे उसके विधायक व मंत्री खुल्लमखुल्ला बलातकार की घटनाओं को न सिर्फ अंजाम देते थे, बल्कि पीड़िता की रपट ही नहीं लिखी जाती थी और जनमानस के दबाव में लिखी भी गयी तो एफआर लगा दी जाती रही। जबकि योगीराज में न सिर्फ पीड़िता की रपट लिखी जाती है, बल्कि दुद्धी-सोनभद्र के भाजपा विधायक रामदुलार गौड़, विजय मिश्रा सहित बीएचयू आईआईटी छात्रा के छेड़खानी के आरोपी भाजपा आईटी सेल कार्यकर्ता भी जेल की हवा खा रहे है। मतलब साफ है पहले जेबकतरे से लेकर लूट, हत्या, डकैती व बलातकार जैसे संगीन अपराधों के आरोपियों को बचाने के लिए सपाई न सिर्फ पूरी ताकत झोक देते थे, बल्कि फर्जी मुकदमों में बेगुनाहों को जेल भेजवा देते थे, आज बुलडोजरराज में रपट दर्ज तो हो ही रहे है, समय पर अपराधियों की सजा भी हो रही हैसुरेश गांधी
ताजा मामला, बीएचयू आईआईटी छात्रा के संग हुई
गैंगरेप का है। देर
से ही सही पुलिस
ने पीड़िता के बयान पर
दर्ज गुमनाम आरोपियों को ढूढ़ निकाला
और जेल भेज दिया। खास है कि ये
आरोपी कोई और नहीं बल्कि
भाजपा के आईटी सेल
के चार मनबढ़ युवक थे और इनके
वीआईपीज फोटो देखकर एकबारगी पुलिस के भी रोंगटे
खड़े हो गए, लेकिन
योगीराज के जीरो टॉलरेंस
अपराध नीति के आगे पुलिस
ने साहस का परिचय देते
हुए इन्हें न सिर्फ जेल
भेज दिया, बल्कि उसके पास इतना पुख्ता सबूत है कि सजा
होने से भी इन्हें
कोई नहीं बचा सकता। जबकि ये आरोपी अगर
सपाई होते और अखिलेश का
राज होता तो हस्र क्या
होता वो विजय मिश्रा
व गायत्री प्रजापति जैसे अपराधियो का नाम बताने
के लिए काफी है। उस दौर में
सपाई गुंडो का हाल यह
था कि अपराधी पार्टी
के है तो कार्रवाई
भूल जाइए, ये जेबकतरों, लूटेरे
व हत्यारों को बचाने के
लिए पुलिस की वर्दी तक
फाड़ डालते थे और किसी
पत्रकार ने इनके कारनामों
की बखिया उधेड़ने की कोशिश की
तो फर्जी रपट दर्ज कर न सिर्फ
उसके घर-गृहस्थी तक
लूटवा लेते थे, बल्कि जगेन्द्र जैसे पत्रकारों की हत्या तक
करवा देते थे।
फिरहाल, आमआदमी को छोड़िए बुलडोजरराज
में सर्वाधिक प्रभावशाली माफिया डॉन मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद व विजय मिश्रा
जैसे अपराधियों के साथ क्या
हो रहा है, ये सर्वविदित है।
ताबड़तोड़ न सिर्फ बुलडोजर
उनके अवैध कब्जों पर गरज रहे
है, बल्कि अवै संपत्ति भी सील हो
रही है, सजाएं धड़ाधड़ हो रही है।
यह अलग बात है कि कुछ
सपाई चहेतो को यह सब
नहीं दिख रहा है, लेकिन जनता सब समझ रही
है। 2022 का परिणाम तो
योगी के बुलडोजर संस्कृति
पर जनता ने दिया है।
बता दें, योगीराज में हर अपराध पर
कार्रवाई होती है। किसी बेगुनाह को नेताओं के
प्रभाव में फसाया नहीं जाता है। अपराधियों के अवैध कब्जे
एक-एक कर ढहाएं
जा रहे है। एनसीआरबी के आंकड़े देखने
से लगता है बाबा ने
यूपी को ठंडा कर
दिया है। जहां हर तीसरे रोज
दंगा होते थे, वहां आज तक एक
भी दंगा नहीं हुए। मतलब साफ है 2017 के पहले और
2017 के बाद का उत्तर प्रदेश
बदल चुका है। तमाम सर्वे रिर्पोटो की मानें तो
योगी सरकार की ‘पुलिस कार्रवाई’
में अखिलेश सरकार से चार गुना
अधिक है। 2017-18 से 2021-2022 की अवधि में
’पुलिस कार्रवाई’
में 162 व्यक्ति मारे गए, जबकि 2012 से 2017 तक 41 लोगों की जान गई
थी. मार्च 2017 में सत्ता में आने के बाद से
यूपी में आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली
भाजपा सरकार कथित गोलीबारी में संदिग्ध अपराधियों को गोली मारने
के लिए कुख्यात हुई है.
यह अलग बात
है कुछ कुंठाग्रस्त आलोचकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं
द्वारा इन पुलिस ‘मुठभेड़ों’ को
न्यायेतर, फर्जी हत्याएं करार दिया गया है, जिन्हें आदित्यनाथ सरकार द्वारा अपराध के खिलाफ ‘जीरो
टॉलरेंस नीति’ बताती है. आंकड़े के मुताबिक 2017 से
2022 तक पुलिस ने 3,574 व्यक्तियों या संदिग्ध अपराधियों
को गोली मार दी. हालांकि, अखिलेश यादव के कार्यकाल के
दौरान मारे गए संदिग्ध अपराधियों
की संख्या या मारे गए
व्यक्तियों के वर्षवार विवरण
के उपलब्ध नहीं कराया गया था. पुलिसकर्मियों पर हमलों के
मामले में भी आदित्यनाथ का
पहला कार्यकाल यादव के शासन की
तुलना में आगे रहा है. 2012-2017 में पुलिसकर्मियों पर हमले की
4,361 घटनाएं हुईं, जो 2017 से 2022 तक बढ़कर 5,972 पहुंच
गईं. योगी सरकार पर लगातार ‘फर्जी
मुठभेड़’ करने
का आरोप लगता रहा है, दूसरी ओर, यूपी पुलिस का कहना है
कि वे अपराधियों को
केवल आत्मरक्षा में गोली मारते हैं. आंकड़े के मुताबिक योगीराज
में आईपीसी की धाराओं के
तहत हर साल औसतन
3 लाख 40 हजार 170 मामले दर्ज हुए. इनमें हिंसक वारदातों की संख्या 59 हजार
277 थी. जबकि अखिलेश सरकार मे हर साल
अपहरण की औसतन 17 हजार
784 मामले दर्ज किए गए. वहीं चोरी की 49 हजार 874 मामले दर्ज हुए. वहीं रेप के हर साल
औसतन 3 हजार 507 मामले दर्ज किए गए. वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों
के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध
के 56 हजार 174 मामले हर साल दर्ज
किए गए. इसी तरह दंगों के हर साल
औसतन 7 हजार 345 मामले दर्ज किए गए.
बता दें, अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री थे.
इस दौरान आईपीसी की धाराओं के
तहत हर साल औसतन
2 लाख 37 हजार 821 मामले दर्ज किए गए. वहीं हिंसक वारदातों के हर साल
औसतन 44 हजार 39 मामले दर्ज किए गए. इसी तरह अपहरण के 12 हजार 64 मामले औसतन हर साल दर्ज
किए गए. वहीं चोरी के मामले दर्ज
करने का औसत हर
साल 42 हजार 57 का था. इस
दौरान बलात्कार के 3 हजार 264 मामले औसतन हर साल दर्ज
किए गए. वहीं आईपीसी और स्थानीय कानूनों
के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध
के 36 हजार 41 मामले हर साल दर्ज
किए गए. अखिलेश की सरकार में
दंगों के हर साल
औसतन 6 हजार 607 मामले दर्ज किए गए. अखिलेश यादव की सरकार में
ही मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे. इसमें 50 से अधिक लोगों
की मौत हो गई थी.
बसपा प्रमुख मायावती 2007 से 2012 तक प्रदेश की
मुख्यमंत्री थीं. उनके कार्यकाल में आईपीसी की धाराओं के
तहत हर साल औसतन
1 लाख 72 हजार 290 मामले दर्ज किए गए. इस दौरान हिंसक
वारदातों का औसत हर
साल 28 हजार 248 मामलों का था. इस
दौरान अपहरण के 6 हजार 162 मामले औसतन हर साल दर्ज
किए गए. वहीं चोरी के 16 हजार 1 मामले औसतन हर साल दर्ज
किए गए. बलात्कार के औसतन 1 हजार
777 मामले हर साल दर्ज
किए गए. आईपीसी और स्थानीय कानूनों
के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध
के 22 हजार 125 मामले दर्ज किए गए. दंगों के 4 हजार 469 मामले औसतन हर साल दर्ज
किए गए.
योगी के जीरों टॉलरेंस नीति से जनता खुश
जनता की नजर में
यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न सिर्फ बेहतर
है बल्कि कानून व्यवस्था मं भी अव्वल
है। उनके बुलडोजर एक्शन, पुलिसिया कामकाज, ट्रांसफर पोस्टिंग, कल्याणकारी योजनाएं, भ्रष्टाचार, विधायक निधि, सांसद निधि आदिद में अखिलेश की तुलना में
अति उत्तम है। योगी के इन सबसे
बड़े फैसलों ने जनता का
दिल जीतने में कामयाब रही। जीरो टॉलरेंस की नीति, कांवरियों
पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा समेत
कई कार्य ऐसे है, जो आमजनमानस में
उन्हें हीरों बनाती है। अपराधियों के खिलाफ जीरो
टॉलरेंस नीति, एनकाउंटर के लिए खुली
छूट, महिला सुरक्षा के लिए एंटी
रोमियो स्क्वायड, माफियाओं के खिलाफ बुलडोजर
एक्शन, पोस्टर लगाकर दंगाईरूज्ञै। अपराधियों से वसूली करना,
लव जेहाद रोकने के लिए कानून
व्यवस्था बनाना, अयोध्या में भव्य दीपोत्सव के साथ भव्य
राम मंदिर निर्माण सहित अयोध्या व वाराणसी का
कायाकल्प अखंड रामायण पाठ के लिए फंड
जैसे काम योगी को और पापुलर
बनाते है।
अपराध किसी प्रकार का हो वह अक्षम्य है : योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहते है अपराध किसी प्रकार का हो वह अक्षम्य है। खासकर महिला संबंधी अपराध। इसे लेकर सरकार पूरी तरह संवेदनशील है। अपराधियों के खिलाफ कठोरतापूर्वक कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह भाजपा की सरकार है। यहां अपराधियों के बारे में यह नहीं कहा जाता कि ’लड़के हैं गलती हो जाती है’। उन्होंने कहा कि अगर अपराधी है तो जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ कार्रवाई होती है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि बीते पांच वर्षों में कानून-व्यवस्था के बेहतर माहौल ने ही इस सरकार को फिर से इतना व्यापक जनसमर्थन दिलाया है। ’प्रत्यक्षं किं प्रमाणं।’ जनता और आधी आबादी ने जिस भाव के साथ हमें समर्थन दिया है, मैं उसका अभिनन्दन करता हूं। अपराध और अपराधियों के खिलाफ बिना किसी भेदभाव के कठोर कार्रवाई जारी रहेगी। कोई सरेआम अपराध करे, सरकार इसे स्वीकार नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017 में हमने महिला अपराधों को रोकने के लिए ’एंटी रोमियों स्क्वाड’ का गठन किया था। एंटी रोमियों के गठन के साथ ही 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना भी की गई है। बीते पांच वर्षों में लूट, हत्या, महिला संबंधी अपराध, डकैती सहित विभिन्न प्रकार के अपराधों में भारी गिरावट आई है। आंकड़े इसके गवाह हैं। 2012-17 के बीच 700 से ज्यादा बड़े दंगे हुए थे। जबकि आज उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था देश के अंदर नजीर बनी हुई है। बीते पांच वर्षों में कोई दंगा नहीं हुआ। महीनों-महीनों तक मुजफ्फरनगर, लखनऊ, बरेली ,....“कोई ऐसा जिला नहीं था, जहां दंगा न हुआ हो। कहीं कोई कर्फ्यू नहीं। नई सरकार के गठन के बाद राम नवमी पर सात राज्यों में दंगे हुए, यूपी में कोई दंगा नहीं हुआ। हनुमंत जयंती पर कोई दंगा नहीं। उत्तर प्रदेश में यह सब पहले भी हो सकता था, पर पिछली सरकारों में इच्छाशक्ति नहीं थी। हर चीज को वोटबैंक के नजरिये से देखने की जो प्रवृत्ति है, उसने नहीं करने दिया। शायद इतिहास में पहली बार उत्तर प्रदेश में अलविदा की नमाज़ सड़कों पर नहीं हुई। 02 हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति अपराधियों व माफियाओं से जब्त की गई है। यह पहली बार हो रहा है। सबको सुरक्षा देना हमारा दायित्व है, सुविधा देना सरकार
का कार्य है।आंकड़े बयान करते हैं हकीकत
अगर अखिलेश यादव के शासनकाल पर
नजर डालें तो हर रोज
4695 हत्या की घटनाएं होती
थी तो भाजपा के
के कार्यकाल में यह आंकड़ा घट
कर 2987 तक पहुंच गया।
2013 में हुए अपराध
हत्या
- 5047
अपहरण
- 11183
बलात्कार
- 3050
दंगा-फसाद - 6089
लूट
- 3591
डकैती
- 596
गंभीर
वारदातें - 38779
2014 में हुए अपराध
हत्या
: 5150
अपहरण
: 12361
बलात्कार
: 3467
दंगा-फसाद : 6438
लूट
: 3920
डकैती : 294
गंभीर
वारदातें : 41889
2015 में हुए अपराध
हत्या
: 4732
अपहरण : 11999
बलात्कार
: 3025
बलात्कार
का प्रयास : 422
दंगा-फसाद : 6813
लूट
: 3637
डकैती
: 277
गंभीर
वारदातें : 40,613
2016 में हुए अपराध
हत्या-4889
अपहरण-15898
बलात्कार-4816
बलात्कार
का प्रयास-1958
दंगा-फसाद- 8018
लूट-4502
डकैती-284
गंभीर
वारदातें-65090
2017 में हुए अपराध
हत्या-4324
अपहरण-19921
बलात्कार-4246
बलात्कार
का प्रयास-601
दंगा-फसाद- 8990
लूट-
4089
डकैती-263
गंभीर
वारदातें-64450
2018 में हुए अपराध
हत्या-4018
अपहरण-21711
बलात्कार-3946
बलात्कार
का प्रयास-661
दंगा-फसाद-8908
लूट-3218
डकैती-144
गंभीर
वारदातें-65155
2019 में हुए अपराध
हत्या-3806
अपहरण-16590
बलात्कार-3065
बलात्कार
का प्रयास-358
दंगा-फसाद-5714
लूट-2241
डकैती-124
गंभीर
वारदातें-55519
2020 में हुए अपराध
हत्या-3468
बलात्कार-2317
दंगा-फसाद-5376
लूट-1384
डकैती-85
कुल दर्ज
एफआईआर
: 3,52,651
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