Monday, 22 January 2024

कुछ लोग कहते थे राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी. : पीएम मोदी

पीएम मोदी का महाअनुष्ठान संपन्न, चरणामृत ग्रहण कर तोड़ा उपवास

कुछ लोग कहते थे राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी. : पीएम मोदी 

राम मंदिर किसी आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है

पीएम ने भाषण राम-राम से शुरू, जय सियाराम पर खत्म

ः35 मिनट में 114 बार राम नाम लिया

सुरेश गांधी

अयोध्या। अयोध्या में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य यजमान बने। दोपहर 12 बजे हल्की पीली धोती-कुर्ता पहने मंदिर आए। हाथ में थाल थी, जिसमें श्रीराम के लिए चांदी का छत्र था। 12.05 बजे गर्भगृह में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा शुरू हुई, जो करीब घंटेभर चला। इसमें प्रधानमंत्री ने भगवान की आरती कर चंवर डुलाया, फिर राम के चरणों में कमल रखकर परिक्रमा की और साष्टांग प्रणाम किया। पीएम ने श्री राम की आंखों से पट्टी हटाई और रामलला ने सबको दर्शन दिए. जिसके बाद पीएम मोदी ने मंच से अपना 11 दिन का उपवास तोड़ा. इससे पहले मोदी ने मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास से कलावा बंधवाया और उनके पैर छुए। संतों ने उन्हें उपहार स्वरूप सोने की अंगूठी भी भेंट की। मोदी के साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गर्भगृह में मौजूद थे। इस दौरान पीएम मोदी ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. करीब 35 मिनट के भाषण में 114 बार नाम का राम लिया।

पीएम मोदी ने कहा कि रामलला अब टेंट में नहीं, दिव्य मंदिर में रहेंगे। राम मंदिर के निर्माण के बाद से देशवासियों में नया उत्साह पैदा हो रहा था। आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, श्रीराम का मंदिर मिला है। 22 जनवरी, 2024 का ये सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया है। ये कैलेंडर पर लिखी एक तारीख नहीं, बल्कि ये एक नए कालचक्र का उद्गम है। लोग इसे हजारों साल याद करेंगे। उन्होंने कहा कि वह गर्भगृह में ऐश्वर्य चेतना का साक्षी बनकर सबके सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि अब रामलला टेंट में नहीं रहेंगे, वे अब दिव्य मंदिर में रहेंगे. पीएम मोदी ने विश्वास जताया कि जो घटित हुआ, उसकी अनुभूति देश और दुनिया के कोने-कोने में रामभक्तों को हो रही होगी. यह क्षण अलौकिक है. यह माहौल, यह घड़ी हम सब पर प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद है. 

पीएम मोदी ने कहा कि ये राम की ये कितनी बड़ी कृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं और इसे साक्षात घटित होते देख रहे हैं. इसके साथ ही देश के प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भगवान राम से क्षमा याचना करते हैं, क्यों कि हमारे पुरुषार्थ, त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि इतनी सदियों तक यह कार्य नहीं किया जा सका. लेकिन आज वह कमी पूरी हुई है. पीएम ने विश्वास जताया कि भगवान राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे. सभी जानते हैं कि जहां राम का काम होता है, वहां पवनपुत्र हनुमान जरूर विराजमान होते हैं. इसलिए वह रामभक्त हनुमान और हनुमानगढ़ी को प्रणाम करते हैं.

देश के माहौल पर उन्होंने कहा कि आज गांव-गांव में एक साथ कीर्तन, संकीर्तन हो रहे हैं। आज शाम घर-घर राम ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी है। अपने 11 दिन के व्रत-अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों का चरणस्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु राम के चरण पड़े थे। मेरा सौभाग्य है कि इसी पुनीत पवित्र भाव के साथ मुझे सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उन्होंने कहा, मैं प्रभु राम से क्षमा याचना करता हूं। हमारे त्याग, तपस्या, पूजा में कोई तो कमी रह गई होगी कि इतने साल मंदिर निर्माण का काम नहीं हो पाया। आज ये कमी पूरी हुई। भारत के संविधान की पहली प्रति में राम विराजमान हैं। दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व पर कानूनी लड़ाई चली। मैं न्यायपालिका का शुक्रगुजार हूं कि उसने लाज रख ली। भगवान राम को लेकर हुए विवाद पर प्रधानमंत्री ने कहा, कई राष्ट्र अपने ही इतिहास में उलझ जाते हैं। जब भी उन्होंने इतिहास की गांठें सुलझाने का प्रयास किया मुश्किल परिस्थितियां बन गईं। हमने जिस गांठ को भावुकता और समझदारी के साथ खोला है, वो बताता है कि भविष्य बहुत सुंदर होने जा रहा है।

पीएम ने कहा कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। राम मंदिर किसी आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है। राम आग नहीं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं। राम वर्तमान नहीं, अनंत काल हैं। ये मंदिर महज देव मंदिर नहीं, भारत की दृष्टि-दर्शन का मंदिर है। राम भारत का विचार-विधान है। राम भारत का चिंतन, चेतना, प्रवाह, प्रभाव, नेति, निरंतरता है। राम विश्व हैं, विश्वात्मा हैं। इसलिए जब राम की स्थापना होती है तो उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है। कारसेवकों और संतों पर प्रधानमंत्री ने कहा ऋषियों ने कहा है कि जिसमें रम जाएं, उसी में राम है। हर युग में लोगों ने राम को जिया है। हर युग में लोगों ने अपने-अपने शब्दों, अपनी-अपनी तरह राम को व्यक्त किया है। ये राम रस निरंतर बहता रहता है। आज के इस ऐतिहासिक समय में देश उन व्यक्तित्वों को भी याद कर रहा है, जिनकी वजह से शुभ दिन देख रहे हैं। हम कारसेवकों, संत-महात्माओं के ऋणी हैं। 

देश के विजन पर प्रधानमंत्री ने कहा युवाशक्ति चांद पर तिरंगा फहरा रही है तो 15 लाख किमी दूर अंतरिक्ष में यान पहुंचा रही है। आने वाला समय अब सफलता का है। आने वाला समय सिद्धि का है। ये राम मंदिर भारत के उत्कर्ष-उदय का साक्षी बनेगा। मंदिर सिखाता है कि लक्ष्य प्रमाणित हो तो उसे हासिल किया जा सकता है। शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद हम यहां पहुंचे हैं। अब हम रुकेंगे नहीं। उन्होंने कहा कि आज से इस समय तक अगले 1000 साल तक की नींव रखनी है. मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर सभी देशवाशी भव्य और दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं. राम के विचार मानस के साथ जनमानस में भी हों, यह राष्ट्रनिर्माण की सीढ़ी है. आज के युग की मांग है कि हमें अपने अंतःकरण को विस्तार देना होगा. हनुमान की भक्ति, सेवा और समर्पण को हमें बाहर नहीं खोजना पड़ता. हर भारतीय में ये गुण निहित हैं. यही देव से देश और राम से राष्ट्र का आधार बनेंगे.

गुलामी की मानसिकता को तोड़कर खड़ा हुआ राष्ट्र

पीएम मोदी ने कहा, “राम मंदिर के निर्माण के बाद से देशवासियों में नया उत्साह पैदा हो रहा था. आज हमें सदियों की धरोहर मिली है, श्रीराम का मंदिर मिला है. गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा होता राष्ट्र ऐसे ही नवइतिहास का सृजन करता है. श्रीराम की कितनी बड़ी कृपा है कि हम सब इस पल को घटित होते देख रहे हैं.“ पीएम ने कहा कि उस सम तो राम से वियोग सिर्फ 14 सालों का था, तब भी सहन करने योग्य नहीं था. इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों सालों का वियोग सहा है. हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है. मोदी ने कहा कि राम को हर युग के लोगों ने जिया है. लोगों ने हर युग में अपने-अपने शब्दों में अपनी तरह से राम को अभिव्यक्त किया है. यह राम रस जीवन प्रवाह की तरह निरंतर बहता रहता है. पीएम ने कहा कि आज देश में निराशा के लिए बिल्कुल भी जगह नहीं है.

राम नेति भी और नीति भी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राम भारत की आस्था हैं, भारत का आधार हैं, भारत का विचार हैं, भारत का विधान हैं,भारत की चेतना हैं, भारत का चिंतन हैं, भारत की प्रतिष्ठा हैं, भारत का प्रताप हैं, प्रभाव हैं, प्रवाह हैं, नेति भी हैं और राम नीति भी हैं. पीएम ने कहा कि राम नित्यता भी हैं और निरंतरता भी हैं, राम व्यापक हैं, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं, इसलिए जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव शताब्दियों तक नहीं होता. उसका प्रभाव हज़ारों सालों तक होता है.

राम और गिलहरी के संवाद से दिया संदेश

प्रधानमंत्री ने भगवान राम और गिलहरी के संवाद की प्रेरक कहानी का भी जिक्र किया। उन्होंने नागरिकों को इससे प्रेरणा लेने की अपील भी की। उन्होंने लोकश्रुति और आस्था से जुड़ी इस प्रेरक कहानी के जरिए खुद के योगदान को कम न आंकने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गिलहरी और भगवान राम का संवाद हमें बताता है कि सकारात्मक सोच और प्रयास हमेशा जारी रहने चाहिए।



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