वाराणसी : ‘वोटों’ के बिखराव से बढ़ेगा मोदी के ‘जीत’ की ‘मार्जिन’
यों तो लोकसभा की हर सीट का महत्व है, पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी खासा मायने रखती है। क्योंकि मोदी जीत की हैट्रिक लगाने के लिए तीसरी बार चुनाव मैदान में है। उनका मुकाबला अस्तित्व बचाने खातिर फिर से साथ आएं दो लड़कों की जोड़ी के गठबंधन कांग्रेस व बसपा से है। यहां मोदी के खिलाफ कांग्रेस के अजय राय व बसपा के पूर्व पार्षद सैय्यद नेयाज अली (मंजू भाई) से है। हालांकि अजय राय 2014 व 2019 में भी तीसरे नंबर पर थे। जबकि 2014 में आप के अरविन्द केजरीवाल व 2019 में सपा-बसपा की शालिनी यादव दुसरे नंबर पर थी, जो अब भाजपा के साथ मोदी की जीत का मार्जिन बढ़ाने के लिए हाड़तोड़ मेहनत कर रही है। यह अलग बात है कि इस बार एआइएमआइएम चीफ असुदुद्दीन ओवैसी का पीडीएम यानी पिछड़ा, दलित और मुस्लिम गठबंधन का भी प्रत्याशी मैदान में है। मतलब साफ है वोटों के बिखराव के बीच विपक्षी लोकसभा में मोदी को टक्कर दे पायेंगी या नहीं ये तो 4 जून को पता चलेगा, लेकिन बाजी किसके हाथ लगेगी इसकी बहस तेज हो गयी है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि लखनऊ की ही तरह यहां भी चार-चार सत्ता संभाल चुकी सपा-बसपा का खाता नहीं खुला है। लहुराबीर के रामजीत यादव कहते है बात जीत का नहीं, जीत के अंतर का है। यहां मुद्दा इस बार भाजपा का हैट्रिक लगेगा या विरोधियों के जमानत जब्त होगा, का हो गया है। लेकिन बड़ा सवाल तो यही है हैट्रिक लगाने का दंभ भर रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अपनी ही जीत का रिकार्ड तोड़ पायेंगे या नहीं? खासतौर से तब जब मोदी के घूर विरोधी कांग्रेस, आप व सपा आदि इंडी गठबंधन के उम्मींदवार सामने होंगे। बता दें, 2019 में वाराणसी सीट पर मोदी 6,74,664 वोट पाकर सपा को पौने पांच लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराकर जीत का रिकार्ड बनाया था। जबकि 2014 में मोदी 5,81,022 वोट हासिल कर आप के अरविंद केजरीवाल को पौने चार लाख वोट से हराया। मतलब साफ है इस बार जीत की हैट्रिक लगाने के लिए मोदी को सात लाख से अधिक वोट पाने होंगे
सुरेश गांधी
वाराणसी अस्सी से वरुणा के
बीच में बसा वह
शहर है जो शंकर
का शहर माना जाता
है. शिव के त्रिशूल
पर बसी मां जान्हवी
के अर्धचंद्राकार भौगोलिक आंचल में बसा
यह शहर धर्म एवं
आस्था के साथ-साथ वाराणसी, यूपी के प्रसिद्ध
शहरों में से एक
है। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख बाबा
श्री विश्वनाथ की नगरी है.
मोक्ष की नगरी है.
5-5 भारत रत्नों की जननी है.
इसे ’बनारस’ और ’काशी’ भी
कहते हैं। इनके अलावा
इसे मंदिरों का शहर’, ’भारत
की धार्मिक राजधानी’, ’भगवान शिव की नगरी’,
’दीपों का शहर’, ’ज्ञान
नगरी’ नाम से भी
संबोधित किया जाता है।
इसे हिन्दू धर्म में सबसे
पवित्र नगरों में से एक
माना जाता है। इसके
अलावा बौद्ध और जैन धर्म
में भी इसे पवित्र
माना जाता है। हिन्दुस्तानी
शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना
वाराणसी में ही जन्मा
और विकसित हुआ है। भारत
के कई दार्शनिक, कवि,
लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं,
जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा
देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया
एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह
ये तो आपने सुना ही होगा कि वाराणसी की राजनीति से न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरा देश प्रभावित होता है. दरअसल, कमलापति त्रिपाठी से लेकर राज नारायण और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की सियासत के ऐसे दिग्गज हैं, जिन्होंने वाराणसी सीट पर चुनाव लड़ कर ही सफलता पाई और उनका राजनीतिक ग्राफ ऊपर गया. मतलब साफ है वाराणसी पहले से ही भारत की विरासत में एक विशेष स्थान के रूप में स्थापित होकर इतिहास रचने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने इस प्राचीन केंद्र को दुनिया के सामने पृथ्वी पर सबसे स्वच्छ और संरक्षित स्थानों में से एक के रूप में प्रदर्शित करने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक प्रमुख अभियान पहले से ही परिणाम दिखा रहा है. प्रमुख घाटों पर वाईफाई कनेक्टिविटी एक वास्तविकता है और जापानी शहर की क्योटो के साथ एक विशेष साझेदारी समझौते से वाराणसी को भारत जापान संबंधों और इसके मानवीय आयाम की विविधता और गहराई को प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने भारतीय रेलवे की मदद से कपड़ा और साड़ी उद्योग को पुनर्जीवित करके क्षेत्र में रोजगार सृजन पर भी बड़ा जोर दिया है। पीएम मोदी के नाम से ही यह सीट हाई प्रोफाइल और वीवीआईपी सीट बन गई है। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि इस लोकसभा चुनाव में भी पीएम मोदी भारी मतों से इस सीट पर जीत दर्ज करेंगे। वैसे भी पूर्वांचल में वाराणसी लोकसभा सीट हमेशा से अहम मानी जाती रही है. इस सीट पर कई शानदार चुनावी मुकाबले हुए हैं. इस बार भी पीएम मोदी यहां से मैदान में है.
देखा जाएं तो
पिछले 10 साल में पीएम
मोदी ने बतौर सांसद
43 बार अपने संसदीय क्षेत्र
का दौरा किया है।
इस बार भी भाजपा
पूर्वांचल से बिहार और
पूर्वी भारत तक की
सियासत को पीएम मोदी
के जरिये भाजपा वाराणसी से ही साधने
का प्रयास करेगी। आजादी के बाद यह
पीएम मोदी के सामने
उस रिकॉर्ड की बराबरी का
भी मौका होगा, जब
काशी से लगातार तीन
बार सांसद हो सकते हैं।
इससे पहले कांग्रेस के
रघुनाथ सिंह और भाजपा
के शंकर प्रसाद जायसवाल
के लगातार तीन बार वाराणसी
सांसद का रिकॉर्ड है।
वाराणसी सीट पर पीएम
मोदी से पहले भाजपा
के दिग्गज नेता मुरली मनोहर
जोशी का कब्जा था।
2014 में भाजपा ने प्रधानमंत्री पद
के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी को वाराणसी
सीट से उतारकर देश
भर में हिन्दुत्व के
मसले को साधा था।
तब आप आदमी पार्टी
के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने वाराणसी सीट
से चुनाव लड़ा था। मोदी
ने 3 लाख से ज्यादा
वोटों से जीत हासिल
की थी। केजरीवाल 2 लाख
वोटों के साथ दूसरे
नंबर पर रहे थे।
देश की हिन्दू आस्था
के बड़े केंद्र काशी
में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी
विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का
निर्माण करवाकर दक्षिण से उत्तर और
पूरब से पश्चिम तक
के मतदाताओं में जगह बनाई।
2019 में दोबारा पीएम मोदी वाराणसी
से चुनावी रण में उतरे
तो नामांकन के बाद वे
एक बार भी प्रचार
करने नहीं आए। इसके
बावजूद उन्होंने अपने ही रिकार्ड
को तोड़कर बड़ी जीत हासिल
की। उन्होंने सपा की शालिनी
यादव को करीब पांच
लाख मतों से पराजित
किया था। कांग्रेस के
दिग्गज नेता और पूर्व
सांसद श्याम लाल यादव की
बहू शालिनी यादव ने पिछले
दिनों भाजपा में शामिल हो
गई है।
कुल मतदाता
वाराणसी सीट पर पांच
विधानसभा क्षेत्र रोहनिया, सेवापुरी, शहर दक्षिणी, शहर
उत्तरी और कैंट हैं।
इस बार चुनाव में
कुल 19,62,948 मतदाता अपने मताधिकार का
प्रयोग करेंगे। इनमें 31,538 ऐसे युवा मतदाता
हैं जो पहली बार
लोकसभा के चुनाव में
वोटर होंगे। इसके अलावा 25,984 ऐसे
मतदाता हैं, जिनकी उम्र
80 साल या उससे अधिक
है। इस सीट पर
10,65,485 पुरुष और 8,97,328 महिला मतदाता हैं। थर्ड जेंडर
वोटर्स की संख्या 135 है।
आंकड़ों की बात करें
तो रोहनिया विधानसभा क्षेत्र में 4,12,612 मतदाता हैं। इनमें पुरुष
मतदाता 2,26,220 और महिला मतदाता
1,86,365 हैं। थर्ड जेंडर वोटर
27 हैं। सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में 1,91,259 पुरुष और 1,63,034 महिला वोटर्स हैं। यहां थर्ड
जेंडर वोटर्स की संख्या 20 है।
इस प्रकार इस विधानसभा क्षेत्र
में कुल मतदाताओं की
संख्या 3,54,323 है। शहर दक्षिणी
में कुल 3,11,213 मतदाता हैं। इनमें पुरुष
1,70,068, महिला
1,41,118 और थर्ड जेंडर 27 हैं।
शहर उत्तरी विधानसभा में कुल 4,31,051 मतदाता
हैं। इनमें पुरुषों की संख्या 2,34,182 और
महिला वोटरों की संख्या 1,96,826 है।
यहां सबसे अधिक 43 थर्ड
जेंडर वोटर्स हैं। सर्वाधित मतदाता
कैंट विधानसभा में हैं। इनकी
कुल संख्या 4,53,749 है। यहां 2,43,746 पुरुष
और 2,09,985 महिला मतदाता हैं। यहां सबसे
कम केवल 18 थर्ड जेंडर वोटर
हैं।
जातीय समीकरण
वाराणसी लोकसभा में शहर उत्तरी,
दक्षिणी, कैंट, रोहनिया व सेवापरी विधानसभा
शामिल हैं. इन विधानसभा
क्षेत्रों में महिला मतदाताओं
की भागीदारी बड़ी है. 2024 के
लोकसभा चुनाव में यह युवा
मतदाता विनिंग फैक्टर साबित हो सकते हैं.
कहा जाता है कि
यूथ का मूड जिस
ओर होगा हवा की
बयार भी उसी और
वह चलती है. जातिगत
लिहाज से इस सीट
पर सवर्ण वोट बैंक असरदायक
माना जाता है. नरेंद्र
मोदी के प्रत्याशी हो
जाने के बाद 2014 में
जिस तरह से तस्वीर
बदली, वह किसी से
छुपी नहीं है. बीजेपी
को वैश्य, बनियों और व्यापारियों की
पार्टी मानी जाता है.
वैश्य मतदाताओं की संख्या यहां
पर लगभग साढ़े चार
लाख के बीच है,
जो सबसे ज्यादा है.
लगभग ढाई लाख ब्राह्मण
मतदाता हैं. तीन लाख
के आसपास मुस्लिम मतदाता हैं. सवा लाख
के आसपास भूमिहार मतदाता हैं. राजपूत मतदाताओं
की संख्या भी एक लाख
के आस पास है.
यहां पर यादव मतदाताओं
की संख्या ढेड़ लाख के
आसपास है. पटेल बिरादरी
जो कुर्मी बहुल क्षेत्र माना
जाता है, उनकी संख्या
भी दो लाख है.
वाराणसी में चौरसिया मतदाताओं
की संख्या अभी 80,000 से ऊपर है
और लगभग 80,000 से 90,000 के बीच में
दलित मतदाता भी हैं. इसके
अलावा अन्य पिछड़ी जातियां
हैं. जो किसी एक
प्रत्याशी पर वोट कर
दें तो जीत तय
की जा सकती है.
इनकी भी संख्या 70,000 से
ऊपर है. आकड़े बताते
हैं कि छोटी-छोटी
जातियों के वोट बैंक
बड़े मायने रखते हैं. 2014 एवं
2019 में बीजेपी के साथ अपना
दल जैसे क्षेत्रीय छोटी
पार्टियों का गठजोड़ उसकी
कामयाबी की बड़ी वजह
थी. लेकिन इस बार चुनौती
बड़ी है. यह चुनौती
मोदी को खुद अपने
रिकार्ड तोड़ने की चुनौती है.
कांग्रेस अपना दल के
दूसरे गुट के सहारे
कुर्मी वोट बैंक में
सेंध लगाने की कोशिश में
है. ब्राह्मण और अति पिछड़ी
जातियों पर भी उसकी
नजर है. ऐसे में
इस बार रिकार्ड तोड़
पाना उतनी आसान नहीं
रहने वाली. खास यह है
कि रोहनिया और सेवापुरी विधानसभा
सीट पटेल बहुल मानी
जाती है। सेवापुरी से
भाजपा विधायक नीलरतन पटेल और रोहनिया
से अपना दल एस
के विधायक सुनील पटेल हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 के परिणाम
वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी 6,74,664 लाख वोट पाकर
जीत हासिल की है। उन्होंने
4,79,505 लाख से ज्यादा के
मार्जिन से जीत दर्ज
की है। यहां से
समाजवादी पार्टी की शालिनी यादव
195159 वोट पाकर दूसरे स्थान
पर रही हैं। जबकि
कांग्रेस के अजय राय
152548 लाख वोट पाकर तीसरे
स्थान पर रहे हैं।
2024 में कांग्रेस व सपा साथ
लड़ेंगी। यह अलग बात
है कि सपा व
कांग्रेस के वोट मिलाकर
3,47,707 के मुकाबले मोदी 3,26,957 वोट से आगे
है। मतलब साफ है
सपा कांग्रेस गठबंधन भी मोदी की
लोकप्रियता के आगे बौने
ही साबित होने वाले है।
खासतौर से तब जब
बनारस ही नहीं पूरे
देश में मोदी सुनामी
बह रही हो। वाराणसी
व्यापार मंडल के अध्यक्ष
अजीत सिंह बग्गा की
मानें तो इस बार
मोदी दस लाख से
भी अधिक वोट पाकर
अपना ही रिकार्ड तोड़ेंगे।
एक सर्वे की माने तो
वाराणसी के 19.39 लाख मतदाताओं में
87 फीसदी मतदाता का झकाव मोदी
की ओर ही है। जबकि
अन्य दलों में 13 फीसदी
ही रुचि रखते है।
नरेंद्र मोदी
: भाजपा
: 6,74,664 वोट
शालिनी यादव
: सपा
: 1,95,159 वोट
हार का
अंतर
: 4,79,505
वोट प्रतिशत
: 57
पुरुष मतदाता
: 10,27,113
महिला मतदाता
: 8,29,560
कुल मतदाता
: 1856791
लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम
वर्ष 2014 में वाराणसी लोकसभा
क्षेत्र से नरेंद्र मोदी
को 5,81,022 वोट मिले। जबकि
आप के अरविंद केजरीवाल
को 3,71,784 वोटों से हराया। निकटतम
प्रतिद्वंद्वी की पार्टी आप
थी। 2014 में कुल 58.35 प्रतिशत
वोट पड़े। जबकि अजय
राय सहित चुनाव मैदान
में उतरे 42 में 40 लोगों की जमानत जब्त
हो गई। अजय राय
को 2014 में सिर्फ 75,614 वोट
मिले थे। जबकि बसपा
के विजय प्रकाश जायसवाल को
60,579 च सपा के कैलाश
चौरसिया को
45,291 वोट मिले। 2019 में भी अजय
राय को 1,52,548 वोट मिले और
उनका मत प्रतिशत बढ़ा,
लेकिन हार का अंतर
भी बढ़ा. इस बार
सपा और कांग्रेस गठबंधन
के तहत कांग्रेस ने
एक बार फिर अजय
राय को मोदी के
मकाबले उतारा है. अजय राय
वर्तमान में यूपी कांग्रेस
अध्यक्ष भी हैं. इसके
अलावा अजय राय पांच
बार के विधायक रहे
हैं. वह 1996, 2002 और 2007 में वाकी कोलासला
विधानसभा सीट से भाजपा
विधायक रहे हैं. अजय
राय ने 2007 में भाजपा छोड़ने
के बाद 2009 में निर्दलीय उम्मीदवार
के रूप में कोलासला
में उपचुनाव जीता और चौथी
बार विधायक बने. फिर 2012 में
उन्होंने वाराणसी की पिंडरा सीट
से कांग्रेस के टिकट पर
चुनाव लड़ा और जीतकर
पांचवीं बार विधायक बने.
उसके बाद से उन्होंने
विधानसभा और लोकसभा के
जितने भी चुनाव लड़े,
सबमें हार का सामना
किया.
शंकर प्रसाद जायसवाल व रघुनाथ लगा चुके है जीत की हैट्रिक
स्वतंत्रता के बाद इस
सीट से दो सांसद
ही ऐसे रहे जो
तीन-तीन बार संसद
में पहुंचे। 1952 के पहले लोकसभा
चुनाव में कांग्रेस ने
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुनाथ सिंह को मैदान
में उतारा। बड़े जमींदार परिवार
से होने के बावजूद
रघुनाथ सिंह जनता के
बीच काफी लोकप्रिय थे।
वह 1952, 1957 और 1962 में लगातार यहां
से सांसद बने। इसी तरह
तीन बार वाराणसी सीट
से शंकर प्रसाद जायसवाल
सांसद चुने गए है।
श्रीराम मंदिर आंदोलन के बाद 1991 में
हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने
यहां से पूर्व पुलिस
अधिकारी और जन्मभूमि कारसेवा
में बढ़-चढ़कर हिस्सा
लेने वाले श्रीशचंद दीक्षित
को मैदान में उतारा। श्रीशचंद
ने सीट जीतकर भाजपा
की झोली में डाल
दी। इसके बाद भाजपा
ने 1996 में यहां से
शंकर प्रसाद जायसवाल को मैदान में
उतारा। उन्होंने पार्टी को निराश नहीं
करते हुए 1996, 1998 और 1999 में वाराणसी सीट
का प्रतिनिधित्व किया।
सबसे हाईप्रोफाइल सीट
देश की सबसे
हाईप्रोफाइल लोकसभा सीट वाराणसी से
सांसद देश के पीएम
नरेंद्र दामोदार दास मोदी हैं।
साल 2014 में नरेंद्र मोदी
ने यहां से चुनाव
लड़ने का ऐलान करके
सबको चौंका दिया था। नरेंद्र
मोदी ने यहां रिकार्ड
मतों से जीत दर्ज
कर की थी। देश
की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले
वाराणसी में तकरीबन 19 लाख
62 हजार मतदाता हैं, जिनमें लगभग
82 प्रतिशत हिंदू, 16 प्रतिशत मुसलमान हैं, हिंदुओं में
12 फ़ीसदी अनुसूचित जाति और एक
बड़ा तबका पिछड़ी जाति
से संबंध रखने वाले मतदाताओं
का भी है। साल
2014 से पहले यहां विकास
के कामों की गति धीमी
थी लेकिन केंद्र में सरकार बनने
के बाद से अब
तक बनारस के लिए तकरीबन
315 बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हुईं हैं, जिनमें
से अब तक लगभग
279 परियोजनाएं पूरी की जा
चुकी हैं। विकास के
पथ पर चल रहा
ये शहर स्वच्छ और
सुंदर दिखने की पूरी कोशिश
में लगा हुआ है।
रिकार्ड बनाने की चुनौती
इस बार पीएम
मोदी के निशाने पर
तीन रेकॉर्ड हैं। पहला रेकॉर्ड
है वाराणसी सीट से जीत
की हैट्रिक। इससे पहले दो
सांसद ही यहां से
जीत की हैट्रिक लगा
सके हैं। इसके अलावा
मोदी, पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और
इंदिरा गांधी की तरह यूपी
के एक निर्वाचन क्षेत्र
से तीन चुनाव जीतने
के रेकॉर्ड की बराबरी कर
सकते हैं। बतौर प्रधानमंत्री
नेहरू फूलपुर लोकसभा सीट से लगातार
तीन चुनाव जीते थे, जबकि
इंदिरा ने भी रायबरेली
से यही रिकॉर्ड बनाया
था। हालांकि, इंदिरा रायबरेली से जीत की
हैट्रिक नहीं लगा सकी
थीं।
बनारस शहर संस्कृतियों के
संगम के लिए जाना
जाता है। देशभर की
संस्कृतियां काशी में रच-बसी हैं। अलग
सोच और अलग अंदाज
में जीने वाले बनारसियों
ने सबसे ज्यादा लोकसभा
चुनाव में सबसे ज्यादा
कांग्रेस और भाजपा का
साथ दिया है। यहां
से सात-सात बार
भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों
ने जीत दर्ज की
है। बनारस यूपी की उन
लोकसभा सीटों में एक है,
जहां सपा या बसपा
ने कभी जीत हासिल
नहीं की। माफिया मुख्तार
अंसारी ने बसपा के
सिंबल पर 2009 में और अतीक
अहमद ने 2019 के चुनाव में
निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर
किस्मत आजमाई थी, लेकिन जनता
ने दोनों को नकार दिया
था।
विकास के दावे, 45 हजार करोड़ के हुए काम
जिसने काशी का दिल
जीता, काशी उसी की
हो गई। बाबा विश्वनाथ
की नगरी ऐसी ही
निराली है। ‘मुझे तो
मां गंगा ने बुलाया
है’, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस
बयान पर काशी फिदा
हो गई थी। काशी
के घाटों पर उनके फावड़ा
लेकर उतरने का दृश्य तो
याद ही होगा। काशी
को क्योटो बनाने के दावे के
साथ यहां से सांसद
बने पीएम नरेंद्र मोदी
के कई काम अब
सुर्खियों में हैं। देखा
जाएं तो 22 फरवरी को 43वीं बार
वाराणसी पहुंचे पीएम मोदी ने
यूपी की 80 सीटें जीतने वाला भाषण दी,
वो लोगों के दिलों दिमाग
पर छा गया है।
वैसे भी जब गुजरात
के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में
पूर्वांचल की वाराणसी लोकसभा
सीट से चुनाव लड़ने
का ऐलान किया तो
ये सबकी नजरों में
आ गई. मोदी ने
गंगा की सफाई से
लेकर घाटों की दुर्दशा तक
को दूर करके काशी
को क्योटो बनाने का भरपूर प्रयास
किया. मोदी के प्रयासों
से काशी बदली भी,
इसे हम नहीं हर
कोई कहता फिर रहा
हैं। अबकी बार मोदी
का मकाबला किससे होगा, यह तो अभी
तय नहीं है. लेकिन
ये जरूर है कि
जिस तरह से 2014 व
2019 में बीजेपी के प्रत्याशी नरेंद्र
मोदी के पक्ष में
जनता ने वोट दिया,
और जीत के बाद
वाराणसी में विकास की
धारा बही, उससे जनता
का मिजाज मोदी के पक्ष
में ही जाता दिख
रहा है. ‘हर हर
मोदी, घर घर मोदी’
का नारा इस बार
भी बीजेपी के लिए संजीवनी
की तरह दिख रहा
है. वाराणसी में मोदी की
लहर के आगे सभी
विपक्षी दल एक होकर
बीजेपी को रोकने का
प्रयास करेंगे. लेकिन ये रथ रुकेगा
या थमेगा, इसका फैसला तो
जनता जनार्दन ही करेगी. दस
साल में पीएम मोदी
ने बतौर सांसद अपने
संसदीय क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं
को मजबूत करने पर जोर
दिया। उन्होंने अपनी सांसद निधि
का पैसा पानी के
प्रबंधन, सुचारू बिजली आपूर्ति, बेहतर सड़कों और दिव्यांगों के
कल्याण पर खर्च किया
है। खुद प्रधानमंत्री ने
अपने दस साल के
कार्यों का लेखा-जोखा
बताया। इन दस सालों
में 45000 करोड़ से भी
अधिक के विकास काम
करा चुके है। इसमें
सड़कों के जाल व
सेतुओं का निर्माण हो
या अन्नदाताओं के लिए खजाना
खोलने की बात हो।
इन सभी चीजों को
इस रिपोर्ट कार्ड में रखा गया
है। बिजली के तारों में
उलझी काशी को व्यवस्थित
करने पर किए गए
कार्यों को भी इसमें
अंकित किया गया है।
रेलवे के कायाकल्प पर
ज्यादा फोकस मोदी ने
10 साल में रेल को
रफ्तार देने की बात
कही थी। आधुनिकीकरण और
सुंदरीकरण के लिए कार्य
किया गया। इसका नवीनतम
उदाहरण बनारस रेलवे स्टेशन है। जिसका उल्लेख
वह कईबार कर चुके हैं।
लोहता-भदोही-जंघई रेल मार्ग
का दोहरीकरण, वाराणसी-प्रयागराज सेक्शन का विद्युतीकरण कार्य,
देश की पहली वंदेभारत
समेत 12 नई ट्रेनों की
सौगात काशी को मिली
है। डेडीकेटेड फ्रेट काडीडोर, बलिया-गाजीपुर खंड, औड़िहार-गाजीपुर,
भटनी-औड़िहार सेक्शन का विद्युतीकरण आदि
का विकास हुआ। सड़कों का
भी फैला है जाल
तंग गलियों के रूप में
पहचान रखने वाले बनारस
में फ्लाइओवर व सड़कों के
चौड़ीकरण पर काम हुआ
है। इसमें वाराणसी से जौनपुर, फुलवरिया
फोरलेन, राजातालाब से हड़िया, भदोही-कपसेठी-बाबतपुर, भोजूबीर-सिंधोरा, अदलपुरा चुनार-भिखारीपुर मार्ग, कैंट-पड़ाव, वाराणसी-गोरखपुर, वाराणसी रिंग रोड फेज
एक व दो समेत
कई मार्ग हैं। जिसका मोदी
ने अपने रिपोर्ट कार्ड
में जिक्र किया है। वाराणसी
और उसके आसपास सड़कों
का जाल फैला हुआ
है। फ्लाईओवर भी राह आसान
कर रहे हैं। तो
वहीं, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर
देश ही नहीं दुनिया
में चर्चा का विषय है।
इतिहास
साल 1951-52 में जब पहली
बार देश में आम
चुनाव हुए थे तो
वाराणसी में तीन लोकसभा
सीटें थी. ये सीट...बनारस मध्य, बनारस पूर्व और बनारस-मिर्जापुर
थी. साल 1952 आम चुनाव में
इस इलाके से रघुनाथ सिंह
और त्रिभुवन नारायण सिंह ने जीत
हासिल की थी. साल
1957 और स.साल 1962 आम
चुनाव में वाराणसी सीट
से कांग्रेस नेता रघुनाथ सिंह
सांसद चुने गए. साल
1967 में सीपीएम के सत्य नारायण
सिंह ने चुनाव जीता.
लेकिन साल 1971 मे.कांग्रेस के
राजाराम शास्त्री सांसद बने. साल 1977 में
कांग्रेस विरोधी लहर में इस
सीट से जनता दल
के उम्मीदवार चंद्रशेखर ने जीत हासिल
की थी. 1980 आम चुनमें एक
बार फिर यह सीट
कांग्रेस के खाते में
चली गई. इस सीट
से कमलापति त्रिपाठी ने जीत हासिल
की. लेकिन 1984 में कांग्रेस ने
उम्मीदवार बदल दिया और
श्यामलल यादव को मैदान
में उतारा. इस बार श्यामलाल
यादव सांसद चुने गए. लेकिन
साल 1989 में पूर्व पीएम
लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल
शास्त्री को जनता दल
नेमैदान में उतारा और
उन्होंने जीत हासिल की.
साल 1991 में बीजेपी के
शिरीष चंद्र दीक्षित ने जीत हासिल
की. इसके बाद लगातार
तीन चुनाव साल 1996, 1998 और 1999 में बीजेपी के
शंकर प्रसाद जायसवाल सांसद चुने गए. साल
2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्रा
ने जीत हासिल की
और साल 2009 में बीजेपी के
मुरली मनोहर जोशी कोजीत मिली.
साल 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी इस सीट का
प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
कब कौन रहा सांसद
1952 रघुनाथ
सिंह : कांग्रेस
1957 रघुनाथ
सिंह : कांग्रेस
1962 रघुनाथ
सिंह : कांग्रेस
1967 सत्यनारायण
सिंह : भाकपा
1971 राजाराम
शास्त्री : कांग्रेस
1977 चंद्रशेखर
: जनता पार्टी
1980 कमलापति
त्रिपाठी : कांग्रेस (इंदिरा)
1984 श्यामलाल
यादव : कांग्रेस
1989 अनिल
कुमार शास्त्री : जनता
दल
1991 शिरीषचंद्र
दीक्षित : भाजपा
1996 शंकर
प्रसाद जायसवालः भाजपा
1998 शंकर
प्रसाद जायसवाल : भाजपा
1999 शंकर
प्रसाद जायसवाल : भाजपा
2004 डॉ.
राजेश कुमार मिश्रा : कांग्रेस
2009 डॉ.
मुरली मनोहर जोशी : भाजपा
2014 नरेंद्र
मो दीः भाजपा
2019 नरेंद्र
मोदी : भाजपा
No comments:
Post a Comment