Thursday, 20 June 2024

128 साल की उम्र में 18 साल युवा जैसा शिवानंद का योग

128 साल की उम्र में 18 साल युवा जैसा शिवानंद का योग

        जिस उम्र में लोगों का हाथ-पैर काम करना बंद हो जाता है। जीवन के अंतिम पड़ाव पर भगवान से लोग मुक्ति चाहते है। उससे भी अधिक उम्र में कोई व्यक्ति यदि 18 साल के युवा जैसा कसरत या यूं कहें योग करें तो सातवें अजूबे से कम नहीं। लेकिन धर्म एवं आस्था की नगरी काशी में 128 वर्षीय शिवानंद बाबा रामदेव की तरह योग की सारी जटिल क्रियाओं को घंटे भर में निपटा देते है। उनके इस जुनून या यूं कहें चमत्कार की गूंज जब सरकार के कानों में पड़ी तो उसे भी बिना किसी पैरवी के उन्हें पद्मश्री अवार्ड देने से नहीं रोक सकी। खास बात यह है कि इस उम्र में भी जो उनके फुर्तीले अंदाज में किए गए योग क्रियाओं को देखता है, उसकी आंखे खुली की खुली रह जाती है। इंटरनेशनल योगा डे 21 जून से पहले देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में बॉलीवूड हस्तियों के बीच जब शिवानंद ने अपने योग का परफार्मेंस दी तो फिल्म इंस्स्ट्री के जाने माने डायरेक्टर सुभाष घई भी उन्हें सम्मानित करने से बाज नहीं आएं। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा, “योग के कारण एक व्यक्ति 128 सालों से अधिक एक्टिव रह सकता है।उनके अपने अनुशासन और इच्छाओं के साथ इतने एक्टिव होना किसी हैरतअंगेज से कम नहीं। राष्ट्रपति भवन में अवार्ड लेने पहुंचे शिवानंद पर जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निगाह पड़ी तो उनके मुख से भी बरबस ही निकल पड़ा, आज उन्हें भारतीय संस्कृति का साक्षात दर्शन करने को मिला हैं

सुरेश गांधी 

फिरहाल, मामूली कद-काठी साधारण शकल सुरत के बीच कमर में एक अदना सी धोती में लिपटें शिवानंद जब सुबह दैनिक क्रियाओं से निबृत होकर लगातार 60 मिनट तक योगासनों की विभिन्न क्रियाएं करते है तो किसी को पता ही नहीं चलता कब घंटेभर हो गए। 128 वर्षीय स्वामी शिवानंद बिना किसी दिक्कत के जब खड़े होकर तेजी से योग करते है तो मजाल क्या वहां मौजूद लोगों की पलकें झपक जाएं। वाराणसी के कबीरनगर स्थित एक साधारण से घर में रह रहे कुछ शिष्यों के बीच उनसे मुलाकात हुई तो लगा ही नहीं आप 128 साल के हो गए है। लेकिन उनके पास इसके पुख्ता दस्तावेज भी हैं

    अपना आधार कार्ड, वोटर आई से लेकर कई अन्य कागजों को दिखाते हुए बाबा शिवानंद ने बताया कि उनके फिटनेस का राज सिर्फ और सिर्फ साधारण सादगी भरा दिनचर्या के बीच किया जाने वाला घंटेभर का योग है। हर दिन हर मौसम में उबले भोजन का सेवन भोर में 3 बजे उठकर ठंडे पानी से नहाना, दैनिक पूजा-पाठ घंटेभर का योग उनकी नियति बन गयी है। वो फल और दूध का सेवन भी नहीं करते हैं. दस्तावेजों के मुताबिक उनके आधार और पासपोर्ट पर उनकी जन्मतिथि 8 अगस्त 1896 दर्ज है. जिसके हिसाब से वर्तमान में बाबा की उम्र 128 साल है. इस हिसाब से ये दावा किया जाता है कि बाबा दुनिया में सबसे बुजुर्ग इंसान हैं. लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जापान के चित्तेसु वतनबे के नाम यह रिकॉर्ड दर्ज है. इस उम्र में भी उनके चेहरे पर छायी प्रसंनता के बीच आभा और बिना चश्में के आंखों की चमक बरकरार है। उनका यह जज्बा और ऊर्जा आज भी लाखों-करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत है।

        आजादी के पहले उनका जन्म बंगाल के श्रीहट्ट जिले के ग्राम हरिपुर (थाना क्षेत्र बाहुबल) में एक गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मौजूदा समय में यह जगह बांग्लादेश में है। लेकिन 6 साल के उम्र से ही वह उत्तर प्रदेश के वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित कबीर नगर में हैं. वह इस उम्र में भी योग से अपनी सेहत का ध्यान रखते हैं. विश्व योग दिवस की पूर्व संध्या पर सीनियर पत्रकार सुरेश गांधी से बातचीत के दौरान स्वामी शिवानंद ने अपनी दिनचर्या को बताते हुए कहा कि उनका मानना है कि उम्र महज एक संख्या होती है. आज भी वह ब्रह्ममुहूर्त में 3 बजे उठकर योग करते हैं. वो अभी तक कभी बीमार नहीं पड़े. योगाचार्य शिवानंद की फुर्ती देखकर युवा भी हैरान हो जाते हैं.
  उम्र के इस पड़ाव पर आज भी शिवानंद अपने सारे काम खुद ही करते हैं. योग के साथ ही भगवत गीता और मां चंडी के श्लोकों का पाठ करना भी उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं. बाबा शिवानंद को लेकर कहा जाता है कि वह लाइम लाइट से दूर रहना पसंद करते हैं. वह हिन्दी तो नहीं बोलते, लेकिन बाते सब समझते है और सवालों का जवाब अपने शिष्या के जरिए देते है। उनका कहना है कि उनके सेहद का बड़ा राज यह है कि वो बचपन से ही योग करते चले रहे है। शिवानंद का कहना है कि योग की वजह से अनिद्रा और तनाव की समस्या नहीं होती है. प्राणायाम करने से दवा की जरूरत नहीं पड़ती. बाबा शिवानंद का कहना है कि योग के जरिए ही निरोग रहा जा सकता है. युवाओं को योग के प्रति प्रेरित किया जाना चाहिए. योग को जीवन में शामिल कर कई रोगों से जीता जा सकता है. बाबा शिवानंद ने बताया कि वो सर्वांगासन करते हैं, इससे थॉयराइड कभी नहीं होगा. इसके बाद पवन मुक्तासन जरूर करना चाहिए. इससे पेट और गैस की समस्या नहीं होती. वज्रासन वह भोजन करने के बाद करते हैं, इससे खाना आसानी से पच जाता है. योगासन के बाद पूजा करते हैं.

शिवानंद दोपहर में बिना तेल-मसाला वाला भोजन करते हैं. इसमें उबली दाल और सब्जियां होती है. शरीर में नमक की पूर्ति के लिए कभी-कभी सेंधा नमक का सेवन करते हैं. वे दिन में कभी नहीं सोते. रोजाना शाम को आठ बजे स्नान करते हैं और रात्रि भोजन में जौ से बना दलिया, आलू का चोखा और उबली सब्जियां लेते हैं. इसके बाद रात नौ बजे तक वे सो जाते हैं. यही वजह है कि बीमारियां उनसे दूर रहती हैं

उनके वायरल हो रहे वीडियो पर कई लोगों के कमेंट्स देखने को मिल रहे हैं. एक यूज़र ने कमेंट करते हुए लिखा है- योग की महिमा अपरमपार है. एक अन्य यूज़र ने लिखा है- योग के कारण स्वामी जी ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है. एक अन्य तीसरे यूज़र ने लिखा है- इनकी शक्ति देखने के बाद मैं भी योग करूंगा.बाबा की फिटनेस इस उम्र में कठिन योगाभ्यास करने का हुनर तब ज्यादा चर्चा में आया जब बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी ने ट्विटर पर उनका वीडियो शेयर कर उनकी सेहत के बारे में सबको बताया था. इन्हीं सेरणा पाकर शिल्पा ने योगासन शुरू किया था

जीवन के 126 वसंत देख चुके बाबा शिवानंद छह वर्ष की आयु से ही संयमित दिनचर्या का पालन कर रहे हैं। पूरी तरह स्वस्थ बाबा ब्रह्म मुहूर्त में तीन बजे ही चारपाई छोड़ देते हैं। उन्होंने विवाह नहीं किया है। उनके मुताबिक, ईश्वर की कृपा से उनको कोई बीमारी और तनाव नहीं है। बाबा शिवानंद की मानें तो वे कभी स्कूल नहीं गए, जो कुछ सीखा वह अपने गुरु से ही। उन्हें अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान है। 

बाबा शिवानंद के शिष्य दीपक विश्वास ने बताया कि स्वामी जी वर्ष के 365 दिन ब्रह्म मुहूर्त में ठंडे पानी से स्नान करते हैं। हर मौसम में एक ही जैसे वस्त्र धारण करते हैं। सर्दियों में भी वे कुर्ता और धोती ही पहनते हैं। इस अवस्था में भी बिना चश्मे के ही स्पष्ट रूप से देख पाते हैं। सुबह एक घंटे योग के बाद वे एक घंटे तक उसी कमरे में चहलकदमी करते हैं। शाम होने के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करते हैं। रात में 10 बजे वे सोने के लिए जाते हैं।

पद्मश्री से हो चुके हैं सम्मानित

बाबा शिवानंद को साल 2022 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. पद्म पुरस्कार लेने पहुंचे अपने नाम की घोषणा सुनने के बाद अपने स्थान से खड़े हुए और राष्ट्रपति के पास पहुंचने तक तीन बार नंदीवत योग की मुद्रा में प्रणाम कर दुनिया का मन मोह लिया। पहले पीएम के सामने दोनों पैर मोड़कर हाथों को आगे कर प्रणाम किया तो पीएम मोदी ने भी झुककर उनका अभिवादन किया। यह नजारा देख वहां मौजूद हर शख्स खड़ा हो गया जोर-जोर से तालियां बजाने लगा. इसके बाद राष्ट्रपति के सामने पहुंचने पर उन्होंने इसी मुद्रा में प्रणाम किया और पास पहुंचने के बाद फिर झुके तो राष्ट्रपति ने उन्हें आगे बढ़कर सहारा दिया। इस घटनाक्रम के जरिए भी बाबा ने योग कला को दुनिया के सामने रखा। 

पद्मश्री अवार्ड मिलने से वो बेहद खुश हैं. शिवानंद का कहना है कि जीवन को सामान्य तरीके से जीना चाहिए. शुद्ध और शाकाहारी भोजन करने की वजह से वो पूरी तरह से स्वस्थ और निरोग हैं. बताते है पद्मश्री अवॉर्ड की खुशी ने जब शिवानंद के छोटे से घर पर दस्तक दी तो वे ही नहीं उनके सारे भक्त भी खुशी से झूम उठे थे. अवॉर्ड की घोषणा के बाद से लगातार उनके घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ था। शिवानंद ने बताया कि सरकार के इस सम्मान से योग को अंतराष्ट्रीय पहचान मिलेगी. योग का ही कमाल था कि वो कोरोना महामारी जैसे विपरीत समय में भी खुद को निरोग रहे।

भूख से हुई थी मां-बाप की मौत

शिवानंद ने बताया कि उनके मां-बाप की मौत भूख से हुई थी, तभी से वह आधा पेट खाना खाते है। योग का महत्व हमारे जीवन में बहुत ही ज्यादा है. योग की मदद से हम अपने शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं. इसका जीता जागता उदाहरण वह स्वयं हैं. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से लेकर फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार तक ने सोशल मीडिया पर इनके वीडियो शेयर करते हुए इनकी चुस्ती और फुर्ती की तारीफ की है. उनके शिष्यों ने बताया कि वे अपनी दैनिकि क्रिया करने के बाद योग गुरु योग करना नहीं भूलते हैं. योग के कारण ही 128 साल की उम्र में भी वह जिंदा हैं और लोगों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं

आश्रम में तीसरी मंजिल पर स्थित कमरे में निवास करने वाले बाबा शिवानंद दिन में तीन से चार बार बिना किसी सहारे के सीढ़ियां चढ़ते और उतरते हैं। चार वर्ष की उम्र में अपने परिवार से अलग हो गए बाबा शिवानंद ने छह वर्ष की उम्र से ही योग को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया। तब से ही उन्होंने पवित्र जीवन जीने की ठानी, वह भी बिल्कुल सामान्य वेशभूषा में और आज तक उसका पालन करते हैं। बाबा ने बताया कि उनके माता-पिता भीख मांगकर गुजारा करते थे। चार साल की उम्र में माता-पिता ने बेहतर भविष्य के लिए उन्हें नवद्वीप निवासी बाबा ओंकारनंद गोस्वामी को समर्पित कर दिया। शिवानंद छह साल के थे, तभी उनके माता-पिता और बहन का भूख के चलते निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने काशी में गुरु के सानिध्य में आध्यात्म की दीक्षा लेनी शुरू की।

विदेशों में भी है शिवानंद के शिष्य

बाबा शिवानंद के आश्रम अमेरिका, जर्मनी और बांग्लादेश में भी हैं। वे समय-समय पर अपने इन आश्रमों में भी प्रवास के लिए जाते हैं। बाबा शिवानंद ने बताया कि उन्हें मिलने वाले दान को वे गरीबों में ही वितरित करते हैं। बाबा ब्रम्हचर्य जीवन का पालन करते हैं। कभी दूध, चीनी और तेल से बना कोई पदार्थ ग्रहण नहीं करते. उबला हुआ भोजन और सब्जी ही उनका मुख्य आहार है. बाबा भोर में 3 बजे उठकर नित्य कर्म के बाद शिव मंत्र ध्यान और फिर 5 से 6 तक योग आसन करके सुबह 630 बजे एक गिलास जल ग्रहण करते हैं इसके बाद श्री कृष्ण मंत्र साधना गीता पाठ अन्य साधना करते हैं. बाबा के आश्रम में आने का नियम भी अनोखा है. यहां पर आपको खाली हाथ आना होता है. बाबा बिना भोजन किए आपको आश्रम से नहीं लौटने देंगे. बाबा स्वयं अपने हाथ से परोस कर आने वाले सभी लोगों को भोजन देते हैं.

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