Wednesday, 25 September 2024

मंदिरों के प्रसादों की हो जांच, दोषियों को मिले फांसी

मंदिरों के प्रसादों की हो जांच, दोषियों को मिले फांसी 

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद और लड्डुओं में मिलावट का मामला सुर्खियों में है। इस बीच देश के अन्य मंदिरों के प्रसाद की भी जांच की मांग उठने लगी है. या यूं कहे हर कोई प्रतिष्ठित मंदिरों के प्रसादों की जांच की मांग कर रहा है। मामला करोड़ों भक्तों के आस्था से जुड़ा है तो जांच होना भी चाहिए। चंद मुनाफे के लिए अगर कुछ जल्लाद मंदिर में बटने वाले प्रसाद में घी की जगह सूअर की चर्बी, बीफ टालो आदि का इस्तेमाल कर रहे है तो उन्हें फांसी भी होनी ही चाहिए। ताकि फिर भविष्य में कोई भी व्यक्ति या संस्थान लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की जुर्रत कर सकें। हालांकि केन्द्र सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और कहा है कि भारतीय खाद्य संरक्षण एवं मानक प्राधिकरण इसकी पूरी जांच करेगा और रिपोर्ट आने के बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी। सुखद है प्रशासन ने बिना किसी डिमांड के बाबा विश्वनाथ धाम के प्रसाद की जांच करायी, और शुद्ध पाया गया। कुछ इसी तर्ज पर पुरी के जगन्नाथ मंदिर के प्रसाद की गुणवता की जांच करने का फैसला किया है. जबकि उज्जैन के महाकाल मंदिर  के प्रसाद की सैंपलिंग जांच के लिए भेजी गयी है। पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने मिलावट कोपापबताते हुए कहा है, “मिलावट तो पाप है, और हिंदू शास्त्रों में भी इसे पाप कहा गया है. श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद आस्था का प्रतीक है, और इसमें मिलावट करना निंदनीय है.“ ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है, क्या मंदिरों के प्रसादों की जांच कराकर मोदी सरकार दोषियों को फांसी होने तक तत्परता दिखायेगी

            सुरेश गांधी

दरअसल, तिरुपति बालाजी मंदिर को भारत के सबसे चमत्कारी मंदिरों में से एक माना जाता है. तिरुमाला या तिरुपति बालाजी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति के पास तिरुमाला पहाड़ी पर स्थित है, जहां पर भगवान श्री हरि विष्णु के श्री वेंकटेश्वर रूप की पूजा-उपासना की जाती है. हर साल, तिरुपति बालाजी मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त यहां आकर दान करते हैं जिसके कारण ये अमीर मंदिरों में से एक कहलाता है. भगवान तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट की रिपोर्ट आने के बाद से सियासी धर्म युद्ध छिड़ गया है. आलम ये है कि मामले में फांसी और सीबीआई जांच तक की मांग हो गई है. या यूं कहे विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले प्रसाद के लड्डू में मिलावट को लेकर पूरे देश में गुस्सा है. करोड़ों सनातन प्रेमियों की आस्था के केंद्र भगवान तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलावट से हर कोई दुखी है। इसके चलते देश के अन्य मंदिरों के प्रसादों को लेकर भी लोगों के मन में शंका होने लगी है। 

पुरी के जिला कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन ने कहा कि हालांकि यहां इस तरह के कोई आरोप नहीं लगे हैं, लेकिन प्रशासन 12वीं सदी के मंदिर मेंकोथा भोग’ (देवताओं के लिए प्रसाद) औरबरादी भोग’ (ऑर्डर पर प्रसाद) तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे घी की गुणवत्ता की जांच करायेगा। एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा महाकाल के प्रसाद की सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है. क्योंकि सवाल आस्था से खिलवाड़ का है. वो भक्त जिनके चढ़ावे से तिरुपति बालाजी दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक बना है. वो भक्त जो अपने साथ सिर्फ प्रसाद लेकर नहीं जाते बल्कि प्रसाद के रूप में भगवान का आशीर्वाद लेकर जाते हैं. इसलिए ये मामला सीधे तौर पर करोड़ों श्रद्धालुओं के आस्था से जुड़ी है. ऐसे में सवाल है कि आखिर उनकी आस्था से खिलवाड़ का जिम्मेदार कौन है? सवाल है कि तिरुपति बालाजी मंदिर के पवित्र प्रसाद में किसने और क्यों मिलावट की? फिलहाल प्रसाद में महापाप की खबर से देश की सियासत में धर्मयुद्ध छिड़ गया है. महाप्रसाद में मिलावट की खबरों पर बयानों की बारिश हो रही है. देश भर में सनातनियों के बीच आक्रोश दिख रहा है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक अर्जियां दी जा रही हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे आंकड़े हैं, जिन्हें देखकर आप हैरान भी हो सकते हैं. तिरुपति बालाजी मंदिर में हर दिन 3 लाख से ज्यादा लड्डू तैयार किए जाते हैं. बालाजी मंदिर के ट्रस्ट को प्रसाद से हर साल 500 करोड़ की कमाई होती है. इस मंदिर में हर दिन 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. तिरुपति बालाजी मंदिर भारत का सबसे अमीर और दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है. मंदिर की कुल संपत्ति 3 लाख करोड़ की है. जो कई मल्टीनेशनल कंपनियों की संपत्तियों से भी ज्यादा है. बालाजी मंदिर को हुंडी से हर साल 1400 करोड़ की कमाई होती है. सिर्फ साल 2023 में 773 करोड़ की कीमत का एक हजार 31 किलो सोना भगवान वेंकटेश को चढ़ाया गया. इतना ही नहीं, बालाज.जी मंदिर का बैंकों में 11 हजार 329 किलो सोना जमा है. वहीं, मंदिर के नाम से 13 हजार 287 करोड़ रुपए फिक्स डिपॉजिट किया गया है. अप्रैल 2024 तक 18 हजार 817 करोड़ रुपए मंदिर के नाम से बैंक में जमा हो चुका है. टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड ने 2024-2025 के लिए कुल 5 हजार 141.74 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है. ये पहली बार है, जब मंदिर का वार्षिक बजट 5,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है. इसके बावजूद इस प्रसाद में यदि चर्बी और मछली तेल से बने घी का उपयोग किया जाता है तो यह अक्षम्य अपराध है। इस पवित्र मंदिर से देश के करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। बारहों महीने वहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु तिरुपति बालाजी के दर्शन करने जाते हैं और ये सभी श्रद्धालु लड्डुओं का प्रसाद अनिवार्य रूप से खरीदते हैं। इस मंदिर में प्रसाद वितरण की यह परंपरा पिछले तीन सौ सालों से चली रही है। इस प्रसाद में समय -समय पर परिर्वतन भी किया गया है। पहले पहल वहां प्रसाद के रूप में शुद्ध घी से बनी हुई बूंदी दी जाती थी। बाद में बूंदी के लड्डू दिए जाने लगे और उसमें क्रमशः मेवे भी मिलाए जाने लगे।

बहरहाल प्रसाद में मिलावट के इस मामले का खुलासा होने के बाद देश में बवाल खड़ा हो गया है। इस बीच तिरुपति बालाजी की इस घटना के बाद राजस्थान सरकार ने वहां के सभी प्रमुख मंदिरों में वितरित किए जाने वाले प्रसाद की गुणवत्ता की जांच कराने के आदेश दे दिए हैं। अन्य प्रदेशों की सरकारों की भी राजस्थान सरकार के निर्णय का अनुसरण करना चाहिए और देश के सभी प्रसिद्ध मंदिरों में वितरित होने वाले प्रसाद की जांच करानी चाहिए क्योंकि शुद्ध घी में मिलावट की खबरें पहले भी सामने आती रही है जानवरों की चर्बी से घी बनाने वाले कारखानों पर भी छापे पड़ते रहे हैं। बता दें, पूरे देश में मिलावटी दूध, पनीर, खोवा और घी का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। जिस तरह त्योहारी सीजन में मिठाइयों की मांग बढऩे पर मिलावटखोरी बढ़ जाती है। उसी तरह प्रसिद्ध मंदिरों में जहां प्रतिदिन लाखों दर्शनार्थी जाते हों वहां के प्रसाद में मिलावट की आशंका को नकारा नहीं जा सकता। इसे रोकने के लिए कड़े कदम उठाना निहायत जरूरी है। मथुरा में भी भगवान श्रीकृष्ण (ठाकुर जी) पर चढ़ाए जाने वाले भोग-प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर जांच की जा रही है। मथुरा और वृन्दावन के धर्मस्थलों के निकट एवं अन्य स्थानों पर मिठाई की 15 दुकानों के खाद्य पदार्थों के 43 नमूने एकत्र किए। उनमें से पेड़े के एक नमूने में मिलावटी सामग्री का इस्तेमाल किए जाने की आशंका पर विस्तृत जांच के लिए उसे लखनऊ स्थित राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिया है। प्रशासन ने कहा है मथुरा में यह कार्रवाई किसी शिकायत के आधार पर नहीं, बल्कि आगामी दिनों में त्योहारों के अवसर पर खपत होने वाले प्रसाद एवं अन्य खाद्य पदार्थों के अत्यधिक उपयोग की संभावना के मद्देनजर की जा रही है।

अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि मंदिर में विराजमान भगवान राम लला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने भी प्रसादों के जांच की मांग को सही बताते हुए कहा है जो भी दोषी हो उसे दंडित किया जाय। करोड़ों लोगों की आस्था यहां से जुड़ी है। भक्तगण इस सूचना से बहुत दुःखी हैं। उनको इस प्रकार का प्रसाद दिया गया। यह कब से शुरू हुआ इसकी जांच करके जो इसके जिम्मेदार हैं उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जाय। वृंदावन के प्रमुख संत बद्रीश जी महाराज ने कहा कि इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहिये। हमारे सनातन धर्म और पूजा पद्धति के, शास्त्रीय मर्यादाओं के विपरीत है। सनातन आस्थाओं से धोखा है, भावनाओं से खिलवाड़ है। यह किसी भी स्थिति में नहीं होना चाहिये था। महामिलावट के चलते ही पूरे भारत के अन्य मंदिरों पर भी इसका असर पड़ा है. वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर में अधिकारी अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं. प्रशासन ने मंदिर में बनाए जाने वाले लड्डुओं की शुद्धता की जांच शुरू कर दी है. वाराणसी के एसडीएम (सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट) शंभू शरण सिंह ने खुद लड्डुओं को चखा और प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित जांच करने का आदेश दिया. आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दो दिन पहले लैब रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि, मंदिर के प्रसादम में प्रयोग होने वाले शुद्ध घी में जानवरों की चर्बी मिली हुई है। भगवान तिरुपति के प्रसादम बनाने में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है। लड्डुओं में घी के बजाय जानवरों की चर्बी का उपयोग किया गया। ये मिलावट पिछली सरकार के दौरान दिए गए घी के ठेके के चलते हुई है। सीएम ने कहा था कि इस भ्रष्टाचार में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में सरकार की ओर से कई लोगों के खिलाफ एक्शन भी लिया जा चुका है। तिरुमला तिरुपति देवस्थानम मंदिर के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्यामला राव ने भी स्वीकार किया है कि मंदिर की पवित्रता भंग हुई है। पिछली सरकार ने मिलावट की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाए थे। राव ने आगे कहा कि, जब मैंने टीटीडी की कार्यकारी अधिकारी का पदभार संभाला था, तो मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने खरीदे गए घी और लड्डू की गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त की थी।

आंध्र में जून में सत्ता परिवर्तन हुआ था। जिसके बाद चंद्रबाबू नायडू की पार्टी सत्ता में वापस आई है। मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने मंदिर के लड्डुओं में मिलावट की आशंका जाहिर की थी। जिसके बाद मंदिर प्रशासन ने सप्लाई किए गए घी के सैंपल लेकर जांच के लिए गुजरात स्थित डेयरी विकास बोर्ड की लैबसेंटर ऑफ एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइव स्टॉक एंड फूडभेजे थे। जिसके बाद लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए। एनडीडीबी लैब की रिपोर्ट से पता चला कि शुद्ध घी में शुद्ध दूध में वसा की मात्रा 95.68 से लेकर 104.32 तक होना चाहिए था। लेकिन सैंपल्स में मिल्क फैट की वेल्यू 20 ही पाई गई थी। जिससे इस मिलावटी घी के बारे में खुलासा हुआ। जिसके बाद बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ। लैब की रिपोर्ट के मुताबिक इन सैंपल में  सोयाबीन, सूरजमुखी, जैतून का तेल, गेंहू, मक्का, कॉटन सीड, मछली का तेल, नारियल, पाम ऑयल, बीफ टैलो, लार्ड जैसे तत्व पाए गए हैं। इस घी को  चेन्नई की ।त् डेयरी एंड एग्रो प्रोडक्ट्स नाम की कंपनी ने सप्लाई किया था। कंपनी को सरकार की ओर से बैन कर दिया गया है। हालांकि कंपनी ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि, जून-जुलाई में जो घी हमने भेजा था। उसका सैम्पल टेस्ट एफएसएसएआई और एगमार्क ने कलेक्ट किया था। टीटीडी की लैब में भी हमारा सैंपल पास हुआ था। मेरे घी में किसी भी तरह की कोई मिलावट नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू से इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू से बात की है और तिरुपति लड्डू मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि केंद्र इस मामले में खाद्य सुरक्षा नियमों के तहत कार्रवाई करेगा। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) इसकी जांच करेगा, रिपोर्ट देगा और फिर हम कार्रवाई करेंगे।

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