त्योहारी सीजन में 4500 करोड़ कारोबार के
असार, बाजारों में समस्याओं का पहाड़
कुछ जगहों
को
छोड़
दें
तो
पूरे
शहर
में
ढूढे
भी
नहीं
मिलेंगे
पार्किंग
सुरेश गांधी
वाराणसी। धर्म एवं आस्था
की नगरी काशी त्योहारी
व पर्यटन सीजन को लेकर
है. पूर्वांचल की सबसे बड़ी
मंडी के व्यापारियों ने
भी तीन अक्टूबर से
शुरु हो रहे नवरात्र
से लेकर दुर्गापूजा, दशहरा,
करवा चौथ, धनतेरस, दीवाली
छठ के साथ लग्न
की भी तैयारियां लगभग
पूरी कर ली है.
व्यापारियों की मानें तो
फेस्टिव सीजन और शादियों
के सीजन को मिला
दें तो अगले दो
महीने में 4500 सौ करोड़ रुपये
से ज्यादा का कारोबार देखने
को मिल सकता है.
वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा के मुताबिक बाजारों में जिस तरह की चहल पहल दिख रही है, उससे 4500 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार होने की उम्मीद है. पिछले वर्ष 2023 में करीब 3900 करोड़ रुपये का व्यापार देखने को मिला था. इस सीजन में ग्राहकों की मांग के अनुरूप व्यापारियों ने व्यापक रूप से सामान उपलब्ध कराने की बड़ी तैयारियों कर रखी है. घरेलू सामान, उपकरण, उपहार, कपड़े, आभूषण, नकली आभूषण, बर्तन, सजावटी सामान, फर्नीचर और फिक्स्चर, बरतन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, बिजली के सामान, मिठाई और नमकीन कॉन्फ़ेक्शनरी, फल सहित अन्य सामानों की बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं द्वारा खरीदारी की उम्मीद की जा रही है जिसपर लोग खूब खर्च करेंगे.
लेकिन बाजारों में उमड़ने वाली
भीड़ के मद्देनजर ना
ही पार्किंग की व्यवस्था है
और ना ही अन्य
सुविधाओं की। जाम के
झाम से निपटने की
प्रशासनिक तैयारियों का भी कहीं
अता-पता नहीं है।
खास यह है कि
पर्यटन सीजन में बाबा
विश्वनाथ धाम में देश
दुनिया के भक्तों की
भीड़ भी नजर आएगी।
बता दें, काशी के
बाजारों में छोटी-बड़ी
एक लाख से अधिक
दुकानें, प्रतिष्ठान व शोरूमों पर
रोजाना तीन से साढ़े
तीन लाख लोगों की
आवाजाही होती है। इसमें
बाबा के भक्तों को
शामिल कर लें तो
यह संख्या पांच लाख के
आसपास होगी। व्यापारियों का कहना है
कि इस त्योहारी सीजन
की बात छोड़िए सामान्य
दिनों में भी डेढ़
से दो सौ करोड
से अधिक का कारोबार
होता है। जबकि त्योहारी
सीजन में इस आंकड़े
में करीब 25 फीसदी तक उछाल की
उम्मीद है। ऐसे में
विशेसरगंज, लोहटिया, मैदागिन, गोलाबाजार, नई सड़क, गोदौलिया,
लंका अर्दलीबाजार, पांडेयपुर, शिवपुर सहित लगभग सभी
प्रमुख बाजारों में व्याप्त समस्याओं
से व्यापारी परेशान है। उन्हें इससे
कारोबार पर विपरीत प्रभाव
की चिंता भी सता रही
है।
व्यापारी और ग्राहक दोनों ही परेशान
बाजारों में पार्किंग, अतिक्रमण,
यातायात, जाम, सफाई और
सुरक्षा जैसी समस्याओं से
व्यापारी और ग्राहक दोनों
ही परेशान है। यह समस्याएं
दुर्गापूजा के दौरान और
भी गंभीर हो जाती है।
बाजारों में सुविधाओं की
कमी में शौचालय, पानी
और रोडलाइट की अपर्यात्ता और
भी बढ़ जाती है।
जहां तक जाम का
सवाल है तो लोग
मनमर्जी से सड़क पर
अपने वाहन खड़ा कर
रहे हैं। फुटपाथ टूटे
पड़े हैं। नालियां जाम
है। नियमित सफाई नहीं हो
रही है। मुख्य बाजारों
के साथ गलियों में
यातायात बड़ी समस्या है।
निर्धारित पार्किंग में जगह नहीं
होने के कारण ग्राहक
इधर-उधर भटकने को
मजबूर हैं। काशीपुरा सहित
कई ऐसी गलियां है
जहां अतिक्रमण के चलते पैदल
चलने में भी परेशानी
हो रही है। मुख्य
बाजारों में लाइटें तो
लगाई गयी है, लेकिन
उनकी रोशनी कम रहती है।
बाजारों में बरामदों और
सड़कों से अतिक्रमण हटाया
जाना चाहिए। सफाई का समय
तय होना चाहिए। फुटपाथ,
सड़क और नालियों की
मरम्मत होनी चाहिए। मुख्य
बाजारों के साथ गलियों
के बाजारों में सुलभ शौचालय
बनाए जाएं। रोड लाइटें ठीक
किया जाएं और अधिक
रोशनी लगाई जाएं। बाजार
में पुलिस की रात्रि गस्त
बढ़ाई जाए। ट्रैफिक संचालन
के लिए अतिरिक्त पुलिसकर्मियों
की तैनाती होनी चाहिए।
सुविधाएं बढ़े
अजीत सिंह बग्गा
ने कहा कि त्योहारी
सीजन में कारोबार 10 से
30 फ़ीसदी तक बढ़ जाता
है। वैसे भी व्यापारी
20 से 25 करोड रुपए का
टैक्स दे रहे हैं।
तो सुविधाएं भी मिलनी चाहिए।
लेकिन बाजारों में सुविधा उपलब्ध
कराने के नाम पर
कुछ नहीं किया गया
है। यदि बाजारों में
सुविधा बढ़ेंगे तो कारोबार को
पंख लगेंगे।
सजावट की बिक्री में तेजी
दुकानदारों की मानें तो
नवरात्रों के तुरंत बाद
बाजारों में और भी
लोगों की संख्या बढ़ेगी।
त्योहारी सीजन में घर
की सजावट के लिए इन
दिनों आकर्षक गमले देखे जा
रहे हैं। इनमें कछुआ,
हाथी, मेंढक, चिड़िया, बत्तख और अन्य आकार
के चीनी मिट्टी से
बनाए गए गमले शामिल
हैं। इसके अलावा करवाचौथ,
अहोई अष्टमी जैसे त्योहारों के
लिए बाजारों में मिट्टी से
बने बर्तनों को सजाया गया
है। खुदरा विक्रेता भी त्योहारी सीजन
में अधिक बिक्री की
उम्मीद में पिछले साल
के मुकाबले अधिक स्टॉक मंगवा
रही हैं। इससे एफएमसीजी,
कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और खुदरा मांग
में उछाल आई है।
‘इस साल त्योहारी सीजन
के साथ-साथ शादी-ब्याह की तिथियां भी
अधिक होने के कारण
अधिक मांग की संभावना
है। इसलिए हम अधिक स्टॉक
के लिए ऑर्डर बढ़ा
रहे हैं।’
इन समस्याओं का करना पड़ता है सामना
शहर के सभी
प्रमुख बाजारों में पार्किंग की
उपयुक्त व्यवस्था नहीं होने से
दुपहिया व कहीं-कहीं
चार पहिया वाहन तक मनमाने
ढंग से खड़े कर
दिए जाते हैं।
बेतरतीब ढंग से खड़े
वाहनों और दुकानों के
आगे व आसपास किए
गए अतिक्रमणों की वजह से
बाजारों में दिन में
कई बार जाम लग
जाता है।
स्वच्छंद घूमते गोवंश से लेकर श्वानों
की समस्या बाजारों में कई बार
विकट रूप धारण कर
लेती है। इन पशुओं
के कारण यातायात प्रभावित
होता है। ग्राहक परेशान
होते हैं और दुकानदारों
को भी दिक्कतें पेश
आती हैं।
समस्याओं से मिले निजात
सभी बाजारों में
वाहनों को कहीं भी
खड़ा करने पर पुलिस
का भय नहीं होने
से लोग बाज नहीं
आते। इससे पहले से
संकरे बाजार और सिकुड़ गए
हैं। शहर के बाजारों
में पशुओं की आवाजाही और
उनके कहीं भी बैठ
जाने की वजह से
ग्राहक परेशान हो जाते हैं।
उन्हें दुकानों तक पहुंचने में
भी परेशानी पेश आती है।
ऑनलाइन बाजार की धूम
हालिया सर्वे में इस बात
का खुलासा हुआ है कि
इस बार मॉल्स और
बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में खरीदारी करने
वाले लोगों की तादात पिछले
साल के मुकाबले आधी
हो गई है. त्योहारों
का मौसम आ गया
है. दीवाली और करवा चौथ
जैसे बड़े त्योहार आने
में अब कुछ ही
दिन बचे हैं और
ये दोनों ही त्योहार ऐसे
है जिस पर लोग
जम कर खरीदारी करते
हैं. दीवाली पर घर सजाने
से लेकर नए पारंपरिक
परिधानों की खरीदारी का
चलन है तो वहीं
करवा चौथ पर सुहागिनें
नई साड़ियों के साथ साथ
सूट, लहंगे और साज-सज्जाके
दूसरे समान खरीदती हैं.
कुल मिलाकर बाज़ारों में रौनक दोगुनी
हो जाती है. पर
हालिया सर्वे में इस बात
का खुलासा हुआ है कि
इस बार मॉल्स और
बड़े शॉपिंग कॉमप्लेक्स में खरीदारी करने
वाले लोगों की तादात पिछले
साल के मुकाबले आधी
हो गई है, जिसका
बहुत बड़ा कारण है
ऑनलाइन।
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