500 साल बाद श्रीराम की नगरी में त्रेता वाली दिवाली...
कण-कण में राम, जगमग है अयोध्या धाम, भला क्यों नहीं 500 साल बाद त्रेता वाली दिवाली जो मनी। 25 लाख दीये एक साथ जलें, तो ऐेसा लगा जैसे हम त्रेता युग में पहुंच गए है। रामकथा के प्रसंगों पर दुल्हन की तरह सजी रथे निकली तो लगा साक्षात श्रीराम लंका विजय के बाद अपनी नगरी में प्रवेश कर रहे हैं। इस अद्भूत छटा को देख हर मुंख से यही निकला, भव्य राम मंदिर में विराजमान ’राम लला’ के आगमन के 500 साल बाद पहली बार ’रामलला की मौजूदगी’ में उनका भव्य एवं दिव्य स्वागत हो रहा है। खास यह है कि कीर्तिमान का साक्षी बनने के लिए खुद रामभक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पल के साक्षी बने। प्रभु श्रीराम का धाम अयोध्या दीयों से जगमग कर रहा है. सुंदरता नयनाभिराम हैं. कहीं लेजर लाइट्स के अद्भुत नजारे हैं तो कहीं मनमोहक रंगोलियां से कोना-कोना चमक रहा है. झालरें, झूमरें, दीये, रंगोली, फूल मालाएं, पुष्प लड़ियां... घरों में चार चांद लगा रही हैं. गली-कूचे रोशन हैं. चप्पा-चप्पा चमक रहा है. ‘सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आए हैं’, ‘बजाओ ढोल स्वागत में मेरे घर राम आए हैं’. जैसे भजन के गीत प्रभु राम के नगरी की चारों दिशाओं में गूंज और चमक दमक बिखेर रहे हैं. अयोध्या को निहारने की उत्सुकता में लाखों की संख्या में श्रद्धालु भी प्रभु राम की नगरी को अपने दिल के कैमरों मे कैद करते दिखे। अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद ये पहला दीपोत्सव है. इस दौरान 2 वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाए गए. पहला रिकॉर्ड एक साथ 25 लाख से से ज्यादा दीये जलाने का था. जबकि दूसरा एक साथ दीयों को रोटेट करने का रहा. अयोध्या तब उत्सव के माहौल में सराबोर हो गई, जब आठवें दीपोत्सव समारोह के तहत रामायण के पात्रों की जीवंत झांकियों के साथ एक जुलूस मंदिर नगरी से गुजरा. सीएम योगी खुद उस रथ को खींचकर राम दरबार स्थल तक पहुंचाया. राम दरबार में पहुंचने पर श्रीराम का राज्याभिषेक किया गया. इस दौरान वहां पर माता सीता, भरत, लक्षमण और शत्रुघ्न भी मौजूद रहे. राम दरबार का दृश्य देखकर लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाए. उस वक्त नजारा ऐसा हो गया था, जैसे वास्तव में भगवान श्रीराम धरती पर उतर आए हों. ड्रोन से खींचे गए फोटोज में अयोध्या नगरी आज दीये और रंगों की रोशनी में नहाई नजर आई. सरयू नदी के दोनों किनारों पर लाखों दीये जल रहे थे और घरों में जल रही रंग-बिरंगी लाइट अयोध्या की शान में चार चांद लगा रही थीं.
सुरेश गांधी
अयोध्या में भव्य राम
मंदिर में रामलला के
विराजमान होने के बाद
यह पहला दीपोत्सव था,
जिसका इंतजार बेसब्री से न सिर्फ
अयोध्या, बल्कि समूचा देश कर रहा
था। पूरी अयोध्या दुल्हन
की तरह सजी थी।
रामलला की मौजूदगी में
जब एक साथ 25 लाख
दीएं जले तो लोगों
की पलके खुली की
खुली रह गयी। रामनगरी
रंग बिरंगी लाइटों से जगमगा उठी।
राम की पैड़ी पर
त्रेता युग की याद
दिला रही थीं। रामपथ
पर गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस के
सातों अध्याय (बाल कांड, अयोध्या
कांड, अरण्य कांड, किष्किंधा कांड, सुंदर कांड, लंका कांड और
उत्तर कांड) पर आधारित खूबसूरत
द्वार लोगों को आकर्षित कर
रहे थे। राम मंदिर
मॉडल, चांद मॉडल, दीप
मॉडल व वॉल मॉडल
की लाइटों से अयोध्या जगमग
उठी। लोगों में हर्ष और
उत्साह देखा गया. ठीक
उसी तरह जैसे त्रेता
युग में लंका विजय
के बाद अपने राम
को देख अयोध्या निहाल
हो गई थी। चौदह
वर्ष के वनवास के
बाद सरयू के तीर
पर अपने राम के
स्वागत में अयोध्या ने
खुद को प्रकाशमान करने
की जो परंपरा डाली,
आज पूरी दुनिया उसे
दीपावली के नाम से
जानती है।
22 जनवरी 2024 को रामलला 500 वर्ष बाद अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान हुए। इसके बाद बुधवार को पहला दीपोत्सव हुआ, जब रामलला स्वयं के महल में विराजमान होकर अपनी नगरी को अपलक निहारते रहे. अयोध्या का सौंदर्य देख रामलला खुद भी भाव-विह्वल हो उठे। योगी सरकार के आठवें दीपोत्सव में राम मंदिर की अनुपम छटा हर किसी को आह्लादित कर रही थी. रामलला की मौजूदगी में बुधवार को पहला दीपोत्सव मनाया गया. श्री राम के सीता और लक्ष्मण हनुमान (रामायण के पात्रों) के साथ 'पुष्पक विमान' (हेलीकॉप्टर) से अयोध्या पहुंचने पर योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य ने उनका स्वागत किया. अयोध्या तब उत्सव के माहौल में सराबोर हो गई, जब आठवें दीपोत्सव समारोह के तहत रामायण के पात्रों की जीवंत झांकियों के साथ एक जुलूस मंदिर नगरी से गुजरा. सीएम योगी खुद उस रथ को खींचकर राम दरबार स्थल तक पहुंचाया. राम दरबार में पहुंचने पर श्रीराम का राज्याभिषेक किया गया. इस दौरान वहां पर माता सीता, भरत, लक्षमण और शत्रुघ्न भी मौजूद रहे. राम दरबार का दृश्य देखकर लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाए. उस वक्त नजारा ऐसा हो गया था, जैसे वास्तव में भगवान श्रीराम धरती पर उतर आए हों.
इससे पहले आज दिन में सीएम योगी ने अयोध्या में बनी रामायण गैलरी का भ्रमण किया. उन्होंने गैलरी में प्रभु श्रीराम के जीवन प्रसंगों और उनसे जुड़े पात्रों को गहराई से देखा. इस दौरान पर्यटन विभाग के अधिकारी उन्हें गैलरी के बारे में ब्रीफ करते रहे. रामायण गैलरी में भ्रमण के दौरान केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, प्रदेश के कैबिनेत मंत्री स्वतंत्र कुमार सिंह और सूर्य प्रताप शाही भी सीएम योगी के साथ मौजूद रहे. इसके पश्चात मुख्यमंत्री योगी ने प्रभु के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किए. बाहर भी मुख्यमंत्री ने पांच-पांच दीप जलाए. वहीं, मंदिर प्रांगण में हजारों दीप प्रज्ज्वलित किए गए. अयोध्या में दीपोत्सव के दौरान सरयू नदी के किनारे घाटों को रोशन करने के लिए 25 लाख दीये जलाए गए.
प्रभु श्रीराम का धाम अयोध्या दीयों से जगमग कर रहा है. सुंदरता नयनाभिराम हैं. कहीं लेजर लाइट्स के अद्भुत नजारे हैं तो कहीं मनमोहक रंगोलियां..इस अवसर पर राममंदिर में पहली दिवाली पर रामलला पीतांबर धारण करेंगे. पीले रंग के सिल्क की धोती और वस्त्र में ही रामलला का शृंगार होगा. दीपावली के लिए ख़ास तौर पर रामलला का डिज़ाइनर वस्त्र तैयार किया गया है. पीले रंग के सिल्क के वस्त्र पर रेशमी कढ़ाई के साथ ही सोने और चांदी के तारों की कढ़ाई भी की गई है. कई लड़ियों की माला और आभूषणों से रामलला का शृंगार किया जाएगा. पीला रंग शुभ माना जाता है और रेशमी वस्त्र को भी शुभ माना गया है. गुरुवार को दिवाली होने की वजह से भी रामलला पीले वस्त्र में दर्शन देंगे.
बता दें, त्रेता युग में जब प्रभु राम का जन्म अयोध्या में हुआ था. उसके बाद प्रभु राम को 14 साल वनवास मिला था. वनवास के दौरान रावण का वध करने के बाद जब प्रभु राम अयोध्या पहुंचे, तो अयोध्या वासियों ने दीपावली के अवसर पर कैसे उनका स्वागत किया था? दरअसल, सनातन में कार्तिक माह की अमावस्या तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. धार्मिक ग्रंथ के मुताबिक कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर ही अयोध्या के राजाराम लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या पहुंचे थे. तब अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. इतना ही नहीं उत्तरकांड में बताया गया है कि प्रभु राम के अयोध्या आगमन पर प्रकृति में भी बहार आ गया था. तभी से अयोध्यावासी दीप माला जलाकर दीपावली मनाते हैं. इतना ही नहीं अब उस त्रेता युग के इस दृश्य को अब कलयुग में प्रदेश की योगी सरकार अयोध्या में दिव्य दीपोत्सव मना कर साकार कर रही है. मानो कलयुग में प्रभु राम की नगरी अयोध्या दीपावली के उत्सव में त्रेता युग की छटा विखेर रही है. महंत गिरजाशंकर बताते हैं कि 14 साल का वनवास जब प्रभु राम को मिला, तो उसके बाद अयोध्या वासी मायूस हो गए, लेकिन जब प्रभु राम लंका पर विजय प्राप्त कर पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे और लंका का राजा विभीषण को बनाया, तो प्रभु राम के अयोध्या आने पर अयोध्या वासियों ने पूरी नगरी को दीप माला से सजा दिया और प्रभु राम का स्वागत किया.
बताया जाता है कि
जैसे ही यह सूचना
अयोध्या में फैली, प्रकृति
भी खिल उठी और
सूखी सरयू नदी फिर
से अविरल बहने लगी. जिस
मार्ग से प्रभु राम
गुजरे, वहां की प्रकृति
का सौंदर्य निखर गया था.
लोग खुशियों में पटाखे फोड़ने
लगे और देवी-देवता
भी पुष्पों की वर्षा कर
रहे थे. जब प्रभु
राम अयोध्या पहुंचे, तो उन्होंने सभी
को गले लगाया, और
अयोध्या वासियों ने उनका स्वागत
पुष्पों से किया. यह
दिन कार्तिक अमावस्या का था, जिसे
अब दीपावली के रूप में
मनाया जाता है. यह
पर्व असत्य पर सत्य की
विजय का प्रतीक है.
इस प्रकार आज अयोध्या में
प्रदेश की योगी सरकार
बनने के बाद त्रेता
का वह सपना कलयुग
में भी देखने को
मिल रहा है. लाखों
दीपों से सजी अयोध्या
नगरी त्रेता युग की इस
दिव्य घटना का पुनः
अनुभव कराती है. आज भी
चाहे वह सरयू घाट
हो या मठ मंदिर
सभी स्थानों को भव्यता के
साथ सजाए जाने का
कार्य किया गया है
शाम होते ही पूरी
अयोध्या विश्व की अनोखी नगरी
के रूप में दिखाई
देने लगती है। भगवान
श्री राम लला का
जन्म स्थान भी लाखों दीपको
से सजाया गया है। तो
वही सरयू घाट पर
भी इस बार 25 लाख
से अधिक दीप जलाकर
एक नए वर्ल्ड रिकॉर्ड
बनाने का दावा किया
गया।
इस अवसर पर
सीएम योगी ने कहा
कि जिन लोगों ने
राम की पैड़ी में
सड़े जल से आचमन
कराया, आज वो भी
राम-राम कर रहे
हैं. सीएम योगी ने
कहा कि मथुरा-काशी
भी अय़ोध्या जैसी दिखनी चाहिए.
विपक्ष अयोध्या के विकास का
बैरियर बन रहा है.
जबकि माफियाओं की तर्ज पर
ऐसे बैरियर हटाए जा रहे
हैं. हमें सनातन धर्म
के बैरियर को भी हटाना
है. सनातन और विकास के
कार्य में बैरियर बनने
वालों की माफियाओ जैसी
दुर्गति होगी. त्रेता युग में दीपावली
की शुरुआत इसी अयोध्या से
हुई थी. 22 जनवरी को रामलला के
धाम की दुनिया में
प्रसन्नता हो रही थी.
भारत ने लोकतंत्र की
ताकत का दुनिया को
अहसास कराया. अयोध्या में राम मंदिर
का निर्माण इसका उदाहरण है.
उन्होंने कहा कि कुछ
लोग राम के अस्तित्व
पर सवाल उठाते थे.
ये सवाल राम के
अस्तित्व पर नहीं, सनातन
और आपके पूर्वजों पर
था. सीएम ने कहा
कि पीएम मोदी ने
रामराज की तरह कार्य
करना शुरू कर दिया.
70 वर्ष से ऊपर के
बुजुर्गों को 5 लाख तक
का निशुल्क इलाज मिलेगा. आज
भी बिना भेदभाव के
सभी को फ्री में
राशन मिल रहा है.
सबका साथ-सबका विकास
के भाव से कार्य
किया जा रहा है.
आज एक भारत श्रेष्ठ
भारत की परिकल्पना विरासत-विकास का अदभुत संगम
है.
श्रीराम की अयोध्या वापसी
पर जो दीपमालाएं अयोध्या
में जगमगाईं होंगी, उनकी किरणों हमारे
घर में उजास फैला
रहे दीपों में मंडरा रही
हैं। निश्चित ही इन दीपों
ने सहस्नों साल पहले के
त्रेतायुग में अयोध्या वालों
के उल्लास को देखा था।
सरयू की बहती जलधारा
में अपने प्रतिबिंब निहारे
थे। राम और भरत
के भातृभाव के बेजोड़ दृश्य
को देखा था। साथ
ही देखा था माता
कैकेयी के मन में
मिटते अंधेरे को और मंथरा
की दम तोड़ती जालसाजी
को। राम आए तो
सबसे पहले माता कैकेयी
से भेंट हुई और
सारा अंधेरा मिटता रहा। अयोध्या की
उस रात्रि में जले दीयों
के प्रकाश की किरणों प्रत्येक
वर्ष हमें चेताने आती
हैं कि मन में
रावण की लंका को
मारकर वहां राम की
अयोध्या बनाओ। हमें हर क्षण
चेतना होगा और अंधेरे
को दूर करने के
लिए नित नए प्रयत्न
करने होंगे। जब तक कहीं
भी असत्य, अन्याय या असमानता रूपी
अंधेरा है तब तक
प्रकाश के सहारे हमें
आगे बढ़ना होगा। एक
ऐसा समाज रचना ही
दीपावली का संदेश है
जिसमें दुःख और अभाव
के लिए कोई स्थान
न हो। इसके लिए
हमें बाहर के अंधेरे
के साथ ही अंतस
के अंधेरे से भी लड़ना
होगा। यह एक निरतंर
प्रक्रिया है। दीपावली यह
स्मरण कराती है कि इस
प्रक्रिया को बल देते
रहना है।
दिवाली एक तरह से राम के रूपांतरण का दिन भी है। वनवासी और योद्धा राम, दुष्टों का दलन करने वाला राम, शापितों का उद्धार करने वाला राम, गिरिजनों-पर्वतवासियों का मित्र राम इसी दिन से राजा राम बनता है, जिसे सार्वजनिक अपवाद की इतनी चिंता है कि वह अपनी मर्यादा की वेदी पर उस पत्नी को भी चढ़ाने से नहीं हिचकता, जिसके लिए उसने कई योजन का समुद्र पार कर एक पूरा युद्ध लड़ा।
दिवाली पर
राम के इस रूपांतरण
को अक्सर अलक्षित किया जाता है,
क्योंकि दिवाली हम राम के
लिए नहीं, दरअसल रोशनी के लिए मनाते
हैं। मगर दिवाली पर
रोशनी का यह छल
समझना होगा। इन दिनों फिर
से राम की चर्चा
है। हमें राजा राम
नहीं, वनवासी राम चाहिए, मंदिरों
में पूजा जाने वाला
राम नहीं, तपस्वियों का रक्षक व
स्त्रियों का उद्धारकर्ता वाला
राम चाहिए। जिस अंधेरे से
लड़ने के लिए मनुष्य
ने अपने लिए रोशनी
का पर्व गढ़ा, वह
अब नई शक्ल में
सामने है। दिवाली भरोसा
दिलाती है कि हम
इस नए अंधेरे से
भी लड़ लेंगे। लेकिन
ध्यान रहे, यह लड़ाई
उधार ली हुई, रेडिमेड
रोशनियों से नहीं, अपने
अनुभव और अपनी जरूरत
के हिसाब से रची गई
रोशनी के हथियारों से
लड़ी जाएगी।
मन में जले सद्गुणों का दीया
दीप जला देने भर से समाज और प्रकृति में फैला अंधेरा दूर नहीं हो सकता, इसके लिए तो मन में सद्गुणों को दीया जलाना होगा। यह तभी संभव हो पायेगा जब हम दीपों के उजास को अपने भीतर भी उतार पायेंगे। तभी हम अंधेरे से प्रकाश की ओर उन्मुख अपनी यात्रा के लक्ष्य का संधान कर सकेंगे। किसी भी समस्या के समाधान और किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति से निपटने का सूत्र भी यही है। कहने का अभिप्राय यह है कि व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के रूप में हमें उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रति संकल्पबद्ध होना चाहिए। वर्ग, वर्ण और संप्रदाय की संकीर्णता दीपावली के उजास को मलिन न करें, इसका ध्यान रखना चाहिए। आर्थिक विषमता और सामाजिक विभेद को पाटने की ओर उन्मुख होना चाहिए। जब सभी सुखी होंगे, जब समुचित संसाधन होंगे, तभी त्योहार का आनंद भी आएगा। भारतीय दर्शन में अंधेरा अनादि है। यह सृष्टि की शुरूआत के पहले से है, पर इसे जीतने के लिए दीप जलाया जा सकता है और चहुंओर उजाला फैलाया जा सकता है।
अंधकार भले ही बलवान
है, पर डरे बिना
उससे जूझने का संकल्प मानव
की विजय है। किसी
दिन एक शुभ मुहूर्त
में दीये तेल और
रुई की बत्ती का
अग्नि से संयोग आदिमानव
ने पहले-पहल किया
होगा। यह संकल्प शक्ति
के पांचजन्य का माधवी नाद
था। मनुष्य को अंधेरे से
जीतने की प्रेरणा थी।
इसी प्रेरणा के परिणाम में
किसी ने पहला दीप
बनाया होगा। दीप भी ऐसे
जो अपना बलिदान कर
प्रकाश को स्थापित करने
वाले हैं। ये दीप
धन्य हैं। इनका प्रकाश
सूरज और चांद की
रोशनी से बड़ा है,
क्योंकि इन्हें विधाता ने नहीं, बल्कि
मानव ने अपने हाथों
से बनाया। दीपावली की रात मनुष्य
के हाथ में हथियार
के रूप में दीप
अंधकार से लड़ते हैं।
अंधेरे को जीतने के
प्रयत्न की यही प्रक्रिया
भारतीय परंपरा में तमसो मा
ज्योतिर्गमय है।
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