Monday, 14 October 2024

आज से होगा चार दिवसीय इंटरनेशनल इंडिया कारपेट एक्स्पों का आगाज

केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह करेंगे कारपेट फेयर का उद्घाटन 

आज से होगा चार दिवसीय इंट रनेशनल इंडिया कारपेट एक्स्पों का आगाज

अमेरिका यूरोप सहित 65 देशों के लगभग 450 से अधिक विदेशी खरीदारों की होगी भागीदारी

कारपेट फेयर ग्रांउंड में 265 निर्यातक से अधिक भारतीय निर्यातक लगायेंगे रंग-बिरंगी कालीनों की प्रदर्शनी

कालीन निर्यातकों के लिए वरदान होगाइंडिया कारपेट एक्स्पों’ : चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल 

जर्मनी फ्रंकफर्ट डोमोटेक्स कैंसिल होने का मिलेगा पूरा फायदा : रोहित गुप्ता

सुरेश गांधी

वाराणसी। कारपेट इक्सपोर्ट प्रमोशन कौंसिल (सीईपीसी) के तत्वावधान में आयोजित एक्सपो मार्ट में मंगलवार से इंटरनेशनल इंडिया कारपेट एक्सपो का 46वां संस्करण शुरू हो जाएगा। यह कारपेट फेयर 15 से 18 अक्टूबर तक चलेगा। मकसद है एक ही छत के नीचे हैंडमेड कारपेट सहित अन्य हस्तनिर्मित कालीनों की प्रदर्शनी के जरिए सात समुंदर विदेशी ग्राहको को लुभाना। 

फेयर का उद्घाटन केंद्रीय कपड़ा मंत्री और भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह करेंगे। इसके अलावा केंद्र राज्य सरकार के विभिन्न सचिव, अधिकारी, जनप्रतिनिधिगण के अलावा मंत्री सीईपीसी पदाधिकारी भी भाग लेंगे। भदोही के कारपेट एक्सपो मार्ट में आयोजित इस फेयर में अमेरिका यूरोप सहित 65 देशों के लगभग 450 विदेशी खरीदार एवं उनके प्रतिनिधि भाग लेंगे। जबकि देश के कश्मीर, जयपुर, पानीपत, बीकानेर, आगरा, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी सहित अन्य कालीन परिक्षेत्रों के 265 कालीन निर्यातक अपने स्टालों पर रंग-बिरंगी हस्तनिर्मित कालीनों को प्रदर्शनी लगायेंगे।

परिषद सीईपीसी चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल ने बताया कि देशभर के कालीन निर्यातकों के लिए यह कारपेट फेयर वरदान साबित होगा। खासकर जर्मनी फ्रंकफर्ट डोमोटेक्स कैंसिल होने का पूरा फायदा मिलेगा। उनका कहना है कि इस फेयर में भारतीय निर्यातकों को एक ही छत के नीचे कालीन से जुड़े हर तरह के हस्तशिल्प उत्पादों को बेचने का मौका मिलेगा। इसके अलावा मेले में उभरते हुए उद्यमियों एवं स्टार्टअप उद्यमियों को खास अवसर दिया गया है। ताकि उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मंच मिल सके। 

प्रशासनिक समिति के सदस्य वासिफ अंसारी, रवि पटोदिया, सूर्यमणि तिवारी, अनिल कुमार सिंह, असलम महबूब, हुसैनी जाफ़र हुसैन, संजय गुप्ता, रोहित गुप्ता, इम्तियाज अहमद, पीयूष कुमार बरनवाल ने बताया कि यह एक्सपो भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों अन्य फर्श कवरिंग को बढ़ावा देने के लिए हर साल आयोजित किया जाता है। यह कार्पेट एक्सपो एशिया उपमहाद्वीप में सबसे बड़े हस्तनिर्मित कालीन मेलों में से एक है जहां विदेशी खरीदारों को एक छत के नीचे देश में बने हस्तनिर्मित कालीनों का संग्रह मिलता है।

गत कई दशक से यह कालीन मेला दुनिया भर में लोकप्रिय है। खरीदारों को यहां सस्ते से लेकर महंगे और विभिन्न क्वालिटी के उनकी आवश्यकतानुसार कालीनें मिल जाते हैं। आयोजकों का दावा हैं कि एक्सपो में 300 से 350 करोड़ रुपयों का कारोबार होता है, जो कालीन कारोबारियों के लिए बड़ी बात होती है। इस बार तकरीबन एक हजार करोड़ तक का निर्यात ऑर्डर मिल सकता है. फेयर में विदेशी ग्राहक जिस तरह से रजिस्ट्रेशन में रुचि दिखायी हैं उससे निर्यातक अच्छे कारोबार के प्रति उत्साही है

15 हजार करोड़ को होता है कालीन निर्यात 

सीईपीसी के पूर्व सीनियर प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता ने बताया की इस फेयर से निर्याजकों एवं बुनकरों को बेहद लाभ मिलेगा. फेयर में महिला निर्यातकों ने भी स्टाल लगाए हैं। इसके अलावा इस बार परंपरागत डिजाइनों से हटकर नई डिजाइनों की कालीनें निर्यातकों ने प्र्रदर्शनी में लगायी हैं. उनका कहना है कि भारत से लगभग 15 हजार करोड़ के कालीन निर्यात होते हैं. इस बिजनेस का 60 फीसदी हिस्सा अकेले भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी का है. भदोही को भारत का कार्पेट शहर भी कहा जाता है. यह गर्व की बात है कि जहां उत्पाद बनाया जा रहा है और वहीं फेयर का आयोजन हो रहा है.

इन देशों की होगी भागीदारी

मेले में कुल 65 देशों के खरीदार पहुंच रहे हैं। उनमे अमेरीका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, तुर्किये, चीन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्राजील, बेल्जियम, इरान, डेनमार्क, कोलंबिया, अफगानिस्तान, अल्जीरिया, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बांग्लादेश, बुल्गारिया, चिली, फिनलैंड, घाना, हंगरी, जापान, जॉर्डन, मैक्सिको, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, ताइवान, ट्यूनीशिया आदि देशों के आयातक शामिल हैं। इन आयातकों में से कुछ चुने हुए खरीदारों को सीईपीसी अपनी ओर से होटल में रहने की व्यवस्था दे रही हैं। सभी के लिए वाराणसी के तीन होटलों में कमरे बुक किए गए हैं। प्रतिदिन उन्हें वाराणसी से भदोही लाने और यहां से शाम को वापस ले जाने के लिए लग्जरी व्यवस्था की गई है।

प्रदर्शनी सज-धजकर तैयार

कारपेट एक्सपो की पूर्व संध्या पर सोमवार को मार्ट में कालीन निर्यातक अपने स्टॉलों को सजाने में लगे रहे। इस बार के फेयर में जूट कालीनों, दरियों के साथ परंपरागत हैंड नाटेड कालीनों का बोलबाला रहेगा। जूट कालीन केवल सस्ते होते हैं बल्कि जमीन पर बिछने के बाद पैर में अलग फील देते हैं। इसके अलावा लोगों को हैंडलूम कालीनों और दरियों पर भी निर्यातकों का भरोसा बना हुआ है। निर्यातकों का कहना है कि उनके पास हर प्रकार के कालीनों की बड़ी रेंज है। खासकर जूट की वैश्विक मांग को देखते हुए इस पर अधिक फोकस किया गया है। इसके अलावा हर प्रकार के कालीनों के सेंपुलों पर महीनों काम किया गया है। इससे आयातकों की मांग अनुसार ऑर्डर तैयार करने में आसानी होती है। वैसे इस बार विभिन्न स्टॉलों पर परंपरागत कालीनों का भी प्रदर्शन रहेगा। कुछ स्टॉलों पर महंगे हैंड नाटेड कालीनों को लोगों ने प्रदर्शन के लिए रखा है। इनमें बहुत महंगे से लेकर सस्ते क्वालिटी के हैंड नाटेड कालीन लोग बनाकर लाए हैं। 

इंडिया कार्पेट एक्सपो से कारपेट 

इंडस्ट्री को मिलेगी ऊंचाइयां 

अंतर्राष्ट्रीय मेला कालीन उद्योग के लिए संजीवनी साबित होगी : वासिफ अंसारी

सुरेश गांधी 

भदोही। कालीन निर्यातक संवर्धन परिषद (सीईपीसी) की ओर से आयोजित चार दिवसीय इंडिया कार्पेट एक्सपो-2024 की पूर्व संध्या पर निर्यातकों ने कहा, इस मेले से कालीन उद्योग को नयी ऊंचाइयां मिलेगी। डोमोटेक्स निरस्त होने का भी फायदा इस मेले में स्टॉल लगाने वाले निर्यातकों को मिलेगा। इसकी बड़ी वजह है कि बड़ी संख्या में विदेशी आयात भारत पहुंच चुके है। वाराणसी के विभिन्न होटलों में वे ठहरे है, मंगलवार को एक्स्पों में पहुंचेंगे। 

एक्स्पो मार्ट में आयोजित चार दिवसीय 45वां चार दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कालीन मेले का शुभारंभ 15 अक्टूबर को होगा, जो 18 तक चलेगा। कालीन निर्यात संवधर्न परिषद ने चार दिनों में 400 करोड़ से ज्यादा कारोबार होने की उम्मीद जताई है। भदोही में तीसरी बार अंतरराष्ट्रीय कालीन मेला के आयोजन से निर्यातक के साथ ही सीईपीसी के प्रशासनिक समिति के सदस्य भी काफी उत्साहित थे। इस बार बीते साल की अपेक्षा ज्यादा आयातकों ने पंजीकरण कराया है। हालांकि सीईपीसी के अनुसार फेयर में आने वाले आयातक यहां से जाने के बाद तमाम आर्डर देते हैं। लेकिन फिर भी आने वाले चार से पांच महीने में फेयर से 300 से 400 करोड़ का कारोबार में परिवर्तित होगा। मेले में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राज़ील, बुल्गारिया, कनाडा, इजिप्ट, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, कज़ाकिस्तान, स्वित्ज़रलैंड, ताइवान, टर्की, यूएसए जैसे विदेशी खरीदारों से शानदार प्रतिक्रिया मिली है। आने वाले समय में भदोही में होने वाला कारपेट एक्स्पो और भी ऊंचाईयों को प्राप्त करेगा।     

प्रशासनिक समिति के सदस्य मो. वासिफ अंसारी, सूर्यमणि तिवारी, फिरोज वजीरी, अनिल कुमार सिंह, श्रीराम मौर्य, असलम महबूब, रोहित गुप्ता, दीपक खन्ना ने बताया कि मेला इस बार अच्छा होगा। पूरे देश से भदोही परीक्षेत्र में सबसे अधिक कालीन का निर्यात होता है. इस मेले में भारत में आने वाले विदेशी कालीन खरीदारों के बीच भारतीय हस्तनिर्मित कालीनों और अन्य फर्श कवरिंग की सांस्कृतिक विरासत और बुनाई कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इंडिया कार्पेट एक्सपो द्वारा किया जाता है। इस आयोजन से कारपेट एक्सपोर्ट और तेज गति पकड़ेगा. भदोही खुद को दुनिया भर के कालीन खरीदारों के लिए एक महान सोर्सिंग प्लेटफॉर्म के रूप में स्थापित किया है. इस एक्पो के माध्यम से भारतीय कालीन की मांग बढ़ेगी।

परिषद सीईपीसी चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल ने बताया कि देशभर के कालीन निर्यातकों के लिए यह कारपेट फेयर वरदान साबित होगा। खासकर जर्मनी फ्रंकफर्ट डोमोटेक्स कैंसिल होने का पूरा फायदा मिलेगा। उनका कहना है कि इस फेयर में भारतीय निर्यातकों को एक ही छत के नीचे कालीन से जुड़े हर तरह के हस्तशिल्प उत्पादों को बेचने का मौका मिलेगा। इसके अलावा मेले में उभरते हुए उद्यमियों एवं स्टार्टअप उद्यमियों को खास अवसर दिया गया है। ताकि उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय मंच मिल सके। सीईपीसी के पूर्व सीनियर प्रशासनिक सदस्य उमेश गुप्ता ने बताया की इस फेयर से निर्याजकों एवं बुनकरों को बेहद लाभ मिलेगा. फेयर में महिला निर्यातकों ने भी स्टाल लगाए हैं। इसके अलावा इस बार परंपरागत डिजाइनों से हटकर नई डिजाइनों की कालीनें निर्यातकों ने प्र्रदर्शनी में लगायी हैं. उनका कहना है कि भारत से लगभग 15 हजार करोड़ के कालीन निर्यात होते हैं. इस बिजनेस का 60 फीसदी हिस्सा अकेले भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी का है. भदोही को भारत का कार्पेट शहर भी कहा जाता है. यह गर्व की बात है कि जहां उत्पाद बनाया जा रहा है और वहीं फेयर का आयोजन हो रहा है.

मेले की तैयारिंयां पूरी, 265 स्टॉल लगे

कारपेट एक्सपो की पूर्व संध्या पर सोमवार को मार्ट में कालीन निर्यातक अपने स्टॉलों को सजाने में लगे रहे। इस बार के फेयर में जूट कालीनों, दरियों के साथ परंपरागत हैंड नाटेड कालीनों का बोलबाला रहेगा। जूट कालीन केवल सस्ते होते हैं बल्कि जमीन पर बिछने के बाद पैर में अलग फील देते हैं। इसके अलावा लोगों को हैंडलूम कालीनों और दरियों पर भी निर्यातकों का भरोसा बना हुआ है। निर्यातकों का कहना है कि उनके पास हर प्रकार के कालीनों की बड़ी रेंज है। खासकर जूट की वैश्विक मांग को देखते हुए इस पर अधिक फोकस किया गया है। इसके अलावा हर प्रकार के कालीनों के सेंपुलों पर महीनों काम किया गया है। इससे आयातकों की मांग अनुसार ऑर्डर तैयार करने में आसानी होती है। वैसे इस बार विभिन्न स्टॉलों पर परंपरागत कालीनों का भी प्रदर्शन रहेगा। कुछ स्टॉलों पर महंगे हैंड नाटेड कालीनों को लोगों ने प्रदर्शन के लिए रखा है। इनमें बहुत महंगे से लेकर सस्ते क्वालिटी के हैंड नाटेड कालीन लोग बनाकर लाए हैं। 

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