Wednesday, 16 October 2024

पर्वो की खरीदारी में महंगाई का बट्टा 

महंगाई (इंफ्लेशन) को अर्थशास्त्र में एक ऐसा टैक्स कहा जाता है, जो दिखाई तो नहीं देता, लेकिन उसकी मार से कोई नहीं बच पाता है. यह ऐसा टैक्स है, जिसका भुगतान हर कोई करता है. अभी भारत में खुदरा महंगाई की दर का पारा सातवें आसमान पर है। और यह लगातार आठ महीने से रिजर्व बैंक के भी अपर लिमिट से ऊपर है. महंगाई का सबसे बुरा असर यह होता है कि इसके कारण पैसों की वैल्यू कम हो जाती है यानी परचेजिंग पावर कम हो जाती है. बेतहाशा बढ़ती महंगाई ने देशवासियों का जीना मुहाल कर रखा है. हाल यह है रोजमर्रा की जरुरतों में आलू, प्याज, टमाटर सहित सब्जियों के दाम चार गुना पहुंच गए हैं तो सेब और अनार भी कछ कम नहीं है। ख्खस यह है कि पर्वो के इस सीजन में चढ़ावा से लेकर खाने तक के मेवा, मिठाई से लेकर दाल-चाल आटा भी लोगों के पहुंच से दूर होता जा रहा है। आम लोगों के मन में यही सवाल उठ रहे हैं कि क्या खाएं, क्या पिएं और कैसे उत्सव मनाएं? ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है क्या पर्वों पर पड़ रही महंगाई की मार लोगों के जीवन में पलीता लगा रही है? पर्व में दान, पुण्य के साथ खानपान के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों की दामों में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष बीस फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई है। या यूं कहे सब्जियों के दाम एक साल पहले की तुलना में 36 फीसदी बढ़े. दालों और उनके उत्पादों के दाम भी 9.81 प्रतिशत बढ़े. इस दौरान, फल 7.65 प्रतिशत और अनाज 6.84 फीसदी महंगे हुए है. 

सुरेश गांधी

त्योहारों पर महंगाई का तड़का लगा है. कई चीजों के दाम पहले से बढ़े हुए हैं. हालांकि सरकार का दावा है खाने-पीने की चीजों के दाम 2 से 11 परसेंट तक कम हुए हैं. लेकिन ये कमी इस हिसाब से है कि कुछ महीने पहले खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान पर चढ़ गए थे जिनमें अब हल्की कमी देखी जा रही है. इस हिसाब से ग्राहकों के लिए थोड़ी राहत जरूर है, मगर इसे पूरी तरह राहत नहीं कह सकते. आटा, चावल, तेल, सब्जी, फल आदि के दाम आसमान छू रहे है। सीएनजी, पीएनजी, एलपीजी के रेट पहले से बढ़े हैं जिसका असर त्योहारों से जुड़ी खरीद पर देखा जा रहा है. इस समय महंगाई की ऐसी मार पड़ रही है कि पर्वों और त्योहारों की चमक और उत्साह भी फीका पड़ गया है। त्योहारों पर दिखने वाला उत्साह अब वैसा नहीं रह गया जैसा कुछ वर्षों पहले तक देखा जाता था। 

महंगाई ने लोगों को मजबूर कर दिया है। यह अलग बात है कुछ धनकुबेरों के लिए लोगों के लिए महंगाई का कोई मतलब नहीं है और कार, बाइक ज्वलैरी सहित अन्य सामानों की खरीदरी के लिए होड़ मची है। लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार इस बेतहाशा महंगाई से हलकान है। इसलिए अब उनके समक्ष त्योहारों पर सिर्फ औपचारिकता पूरी करने और पूजा-अनुष्ठान तक ही सीमित रहने के अलावा कोई चारा नहीं हैं। खाने-पीने की मामूली चीजें पर अब लोगों की पहुंच से बाहर हो रहीं हैं, इसके चलते लोग त्योहारों पर खुलकर खर्च करने के बजाय हाथ सिकोडऩे लगे हैं। करवा चौथ, दीवाली, मधनतेरस, छठ आदि पर्वो पर महंगाई की मार साफ नजर रही है। आवश्यक खाद्य पदार्थों की दामों में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष बीस फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई। इनके ऊंचे दाम लोगों का बजट बिगाड़ रहे हैं। गत वर्ष की तुलना में दामों में बीस फीसदी की वृद्धि हुई है। 

सब्जियों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से देश में खुदरा महंगाई में एक बार फिर तेजी देखी गई है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, खाने-पीने की चीजों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी के कारण सितंबर में उपभोक्ता मूल्य आधारित खुदरा महंगाई की दर बढ़कर 5.49 प्रतिशत पर पहुंच गई. यानी जुलाई के बाद पहली बार महंगाई दर भारतीय रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के टारगेट को पार की है. यह पिछले साल दिसंबर के बाद का उच्चतम स्तर है. वहीं, खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 9.24 प्रतिशत दर्ज की गई. इससे पहले जुलाई में खुदरा महंगाई दर घटकर 3.60 प्रतिशत और अगस्त में 3.65 प्रतिशत पर रही थी. दोनों महीने में खाद्य महंगाई दर भी छह फीसदी से नीचे रही थी. रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह महंगाई फिर बढ़ने की आशंका जाहिर करते हुए रेपो दर तथा दूसरी नीतिगत दरें घटाने का फैसला किया था.

आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में सब्जियों के दाम एक साल पहले की तुलना में 36 फीसदी बढ़े. दालों और उनके उत्पादों के दाम भी 9.81 प्रतिशत बढ़े. इस दौरान, फल 7.65 प्रतिशत और अनाज 6.84 फीसदी महंगे हुए. अंडों के दाम भी 6.31 फीसदी बढ़े. हालांकि, मसालों में 6.13 प्रतिशत की गिरावट देखी गई. सरकार ने बताया कि सितंबर में स्वास्थ्य सेवाएं भी 4.09 फीसदी महंगी हो गईं. सौंदर्य प्रसाधन की महंगाई दर नौ फीसदी रही. हालांकि, ईंधन एवं बिजली वर्ग की महंगाई दर शून्य से 1.39 प्रतिशत कम रही. रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के फैसले की घोषणा करते हुए कहा था कि जब तक खुदरा महंगाई स्थायी रूप से कम नहीं हो जाती नीतिगत दरों में कटौती नहीं की जाएगी. इससे पहले थोक महंगाई के आंकड़े भी जारी किए गए थे. सितंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 1.84 प्रतिशत पर पहुंच गई है. हालांकि, खाद्य पदार्थों की थोक महंगाई दर भी 9.47 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई

देखा जाएं तो महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6 फीसदी है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी। हालांकि महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी। इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी। एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी सीपीआई करता है।

हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, सीपीआई उसी को मापता है। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है। सब्जियों और खाने-पीने के चीजों के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ी है। टमाटर के दाम 100 रुपये से कम होने का नाम नहीं ले रहे है. लगभग सभी हरी सब्जियां महंगी बिक रही है. सब्जी विक्रेता मंगरु ने कहा कि टमाटर के दामों में 2 हप्ते पहले से अचानक बढ़ोतरी हुई है. आज दाम 80 से 100 रुपए हो गए हैं. इसके चलते आम लोगों के किचन का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है. आसमान छूती महंगाई और सब्जियों की बढ़ती कीमतों से सब्जी विक्रेता और खरीदार दोनों परेशान हैं. हालात ये हैं कि लोगों की थाली से सब्जियां गायब हो रही है. सब्जियों के दाम सुनकर ही लोगों के पसीने छूट रहे हैं.महज दो हफ़्तों में ही टमाटर के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. जबकि दो हप्ते पहले टमाटर 40 से 50 रुपये किलो बिक रहा था. लेकिन अब टमाटर सहित अन्य सब्जियों के दामों में उछाल गया, खासकर टमाटर के दामों में आये अचानक उछाल की वजह क्या है? यह सवाल सभी के जहन में उठ रहा है.

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