दशानन के अहंकार का दहन आज, कुंभकर्ण, मेघनाथ के साथ शूर्पणखा का भी होगा अंत!
बरेका में
इको
फ्रेंडली
रावण
का
पुतला
तैयार,
दशानन
के
पुतले
की
लंबाई
75 फीट
सुरेश गांधी
वाराणसी। भगवान राम ने किस
तरह से अहंकार को
ध्वस्त किया था उसकी
एकबानगी आज भी देखने
को मिलेगी। दशहरा पर वर्षो पुरानी
परंपरा के तहत शहर
में रावण का दहन
किया जायेगा। दशहरा 12 अक्टूबर, शनिवार को है. दशहरा
को विजयादशमी के नाम से
भी जानते हैं. वाराणसी के
बरेका मैदान में इस बार
75 फीट का रावण, 65 फीट
का कुंभकर्ण और 55 फीट के मेघनाद
का पुतला बनकर तैयार हो
गया है।
सनातन के अनुसार, अश्विन
माह के शुक्ल पक्ष
की दशमी तिथि को
दशहरा मनाते हैं. पौराणिक कथा
के अनुसार, दशमी के दिन
भगवान श्रीराम ने रावण का
वध किया था, जिससे
अधर्म पर धर्म की
जीत हुई थी. इस
वजह से हर साल
इस तिथि को दशहरा
मनाते हैं. वहीं मां
दुर्गा ने दशमी को
महिषासुर का वध किया
था. इस वजह से
भी यह दिन महत्वपूर्ण
है. दशहरा के दिन आप
देवी अपराजिता की पूजा करत
हैं तो आपको कठिन
से कठिन कार्यों में
सफलता प्राप्त होगी और दुश्मनों
पर विजय प्राप्त करेंगे.
कहा जाता है कि
रावण पर विजय के
लिए प्रभु राम ने भी
देवी अपराजिता की पूजा की
थी. दशहरा के अवसर पर
शमी के पेड़ और
शस्त्रों की भी पूजा
करते हैं.
मुहूर्त
12 अक्टूबर को दशहरा की
पूजा विजय मुहूर्त में
करते हैं. विजय मुहूर्त
दोपहर में 02ः03 बजे से
02ः49 बजे तक है.
इस दिन पूजा के
लिए 46 मिनट का समय
मिलेगा। दशहरा के दिन रावण
दहन का मुहूर्त शाम
05.54 से रात 07.27 मिनट तक का
मुहूर्त शुभ रहेगा। विजय
मुहूर्त में देवी अपराजिता
की पूजा की जाएगी.
इस समय में दशहरा
शस्त्र पूजा भी होगी.
देवी अपराजिता की पूजा करने
से व्यक्ति को 10 दिशाओं में विजय प्राप्त
होती है. व्यक्ति को
हर शुभ कार्य में
सफलता प्राप्त होती है.
मंत्र
दशहरा पर पूजा के
लिए देवी अपराजिता का
मंत्र है- ओम अपराजितायै
नमः। इसके अलावा आप
चाहें तो अपराजिता स्तोत्र
का पाठ कर सकते
हैं.
पूजा विधि
दशहरा पर सुबह में
उठकर स्नान आदि से निवृत
होकर साफ कपड़े पहनें.
फिर दशहरा पूजा का संकल्प
करें. उसके बाद दोपहर
को विजय मुहूर्त में
पूजा स्थान पर देवी अपराजिता
की मूर्ति या तस्वीर को
स्थापित करें. उनका गंगाजल से
अभिषेक करें. फिर ओम अपराजितायै
नमः मंत्र का उच्चारण करते
हुए देवी अपराजिता को
फूल, अक्षत्, कुमकुम, फल, धूप, दीप,
नैवेद्य, गंध आदि अर्पित
करें. आप चाहें तो
इसके बाद अर्गला स्तोत्र,
देवी कवच और देवी
सूक्तम का पाठ कर
सकते हैं. पूजा का
समापन देवी अपराजिता की
आरती से करें. देवी
अपराजिता की कृपा से
आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी, आपका
घर सुख और समृद्धि
से भर जाएगा.
शमी के पेड़ की पूजा
दशहरा के दिन देवी
अपराजिता के अलावा शमी
के पेड़ की भी
पूजा करते हैं. इस
दिन शमी पूजा करने
से धन, सुख, समृद्धि
बढ़ती है. शमी के
पेड़ के नीचे रंगोली
बनाएं और एक दीपक
जलाएं. उसके बाद शमी
के कुछ पत्तों को
तोड़कर घरवालों में बांटते हैं.
ऐसा करने से धन,
समृद्धि बढ़ती है. दुख
दूर होते हैं. शनि
देव की भी कृपा
प्राप्त होती है. शमी
पूजा से ग्रह दोष
और नकारात्मकता दूर होगी.
उपाय
दशहरे के दिन दान
करने के साथ कुछ
उपाय करना भी लोगों
के लिए बहुत शुभ
माना जाता है. हर
पर्व की तरह इस
दिन भी लोग दान
पुण्य करते हैं. इससे
जीवन में आने वाली
बुराइयां खत्म होती हैं.
दशहरा के दिन रोग
से मुक्ति पाने के लिए
सुंदरकांड का पाठ करें.
इसके अलावा, एक नारियल हाथ
में रखकर हनुमान चालीसा
का दोहा नासे रोग
हरे सब पीरा, जपत
निरंतर हनुमान बीरा पढ़कर रोगी
के सिर के ऊपर
से सात बार घुमाएं.
इसके बाद नारियल को
रावण दहन में फेंक
दें. ऐसा करने से
सभी तरह की बीमारियां
खत्म हो जाती हैं.
व्यापार-कारोबार में उन्नति पाने
के लिए दशहरे के
दिन पीले वस्त्र में
नारियल, मिठाई, जनेऊ किसी ब्राह्मण
को दान करें. इससे
मंद पड़े व्यापार में
फायदा पहुंचेगा और आर्थिक लाभ
पहुंचता है और कारोबार
में तरक्की के रास्ते खुल
जाते हैं. यदि आपकी
कुंडली में शनि की
साढ़ेसाती या ढैय्या है
तो इससे राहत पाने
के लिए दशहरे के
दिन शमी पेड़ के
नीचे तिल तेल का
11 दीपक जलाएं और प्रार्थना करें.
इससे शनि की साढ़ेसाती
और ढैय्या के प्रभाव से
राहत मिलेगी.
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