हवन-पजून के साथ प्राचीन हनुमान मंदिर, पांडेयपुर का भव्य श्रृंगार
भंडारे में
उमड़ा
असथावानों
का
हुजूम,
किया
प्रसाद
ग्रहण
श्रद्धालुओं ने
चालीसा
व
बजरंग
बाण
का
पाठ
किया
हनुमानजी को
तुलसी
व
फूल
का
माला
अर्पित
की
सुरेश गांधी
वाराणसी। धर्म एवं आस्था
की नगरी काशी के
पांडेयपुर स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में गुरुवार को
श्रीहनुमान जी का 84वां
भव्य श्रृंगार किया गया। इस
मौके पर पूरे मंदिर
को तरह-तरह के
फूलों एवं रंग बिरंगी
आकर्षक विद्युत झालारों से सजाया गया।
पूरा मंदिर परिसर दुल्हन की तरह सजा
है। सायं 6 बजे हवन के
साथ बजरंगबली का विशेष हवन
पूजन किया गया। इस
दौरान मंदिर कमेटी की तरफ से
भव्य भंडारा का आयोजन किया
गया। भंडारा में बड़ी संख्या
में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण
किया।
मंदिर में अलसुबह से
ही हनुमान चालीसा व अन्य भजनों
से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय
हो गया। इस दौरान
श्रद्धालुओं ने बजरंगबली का
दर्शन कर सुख-शांति
की प्रार्थना की। मंदिर पुजारी
दिलीप तिवारी के मुताबिक सुबह
ब्रह्ममुहूर्त में महाआरती और
विशेष श्रृंगार किया गया। मंदिर
में सुबह से ही
दर्शन और पूजन के
लिए भक्तों का तांता लगा
रहा। अद्भुत झांकियों के दर्शन-पूजन
के लिए भोर से
भक्तों की भीड़ जुटने
लगी, जो देर रात
तक अनवरत चलती रही। आरती
के साथ दर्शन-पूजन
शुरू हुआ। पवनपुत्र का
दर्शन कर लोग हनुमान
चालीसा का पाठ करते
हुए मंदिर की परिक्रमा करते
रहे।
रोने मात्र से मिल जाता है कष्टों से छुटकारा
कभी अपने आराध्य की रक्षा तो कभी अपने भक्तों का संकट हरने, समय-समय पर बजरंगबली ने कई रुप धरे है। कुछ ऐेसा ही हुआ है तीनों लोकों में न्यारी, सांस्कृतिक धरोहरों की विरासत केन्द्र के साथ खूबसूरत मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर बसी काशी में।
काशी
के पांडेपुर में विराजमान है
प्राचीन हनुमान मंदिर। यहां बजरंगबली हनुमान
बिल्कुल छोटे रुप में
हैं। लेकिन पूरी आन-बान-शान से स्थापित
इस हनुमान मूर्ति देख भक्त तो
मोहित हो ही जाते
है, केशरी नंदन भी देते
है खुशियों का वरदान। कहते
है यहां तमाम मुसीबतों
से हैरान-परेशान इंसान अगर बजरंगबली के
सामने रोते-बिलखते कहता
है तो उसकी सारे
कष्ट पल में दूर
हो जाते हैं। इसीलिए
इन्हें रोअनवा महावीर के नाम से
भी जाना जाता है।
सवापाव लड्डू की चढ़ावे व
हनुमान चालिसा पढ़ने मात्र से
ही हो जाते है
बजरंगबली प्रसंन। फिर चाहे बात
बुरी नजर की हो
या शनि के प्रकोप
से मुक्ति की। भक्तों को
देते है रक्षा कवच,
डाक्टर-इंजिनियर, गीत-संगीत व
परीक्षा में उत्तीर्ण होने
का वरदान। हर मंगलवार और
शनिवार को हजारों की
तादाद में श्रद्धालुओं का
दर्शन को तांता लगा
रहता है। मान्यता है
कि जो भक्त अपनी
पीड़ा या यू कहे
कष्ट को उनके सामने
रो-रोकर कहता है
उसकी सारी मुसीबत पल
भर में दूर हो
जाती है। उसे मिल
जाता है हर इच्छा
पूरी होने का आर्शीवाद।
तभी तो यहां सुबह
से लेकर शाम तक
लगा रहता है भक्तों
का जमघट। छात्र हो या व्यापारी
हर तबका सुबह जरुर
रोअनवा महाबीर को याद कर
करता है अपनी दिनचर्या
की शुरुवात। कहते है पचकोशी
यात्रा के दौरान हर
भक्त यहां जरुर ठहरते
व रुकते थे। बगैर मंदिर
में मत्था टेके उनकी पूरी
नहीं होती थी यात्रा।
मंदिर के पीछे अखाड़ा
हुआ करता, जहां से एक-दो नहीं सैकड़ों
पहलवान निकलकर देश में अपना
नाम रोशन कर चुके
हैं।
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