Wednesday, 8 January 2025

‘पुनर्वसु’ और ‘पुष्य नक्षत्र’ के ‘युग्म संयोग’ में मनेगा ‘मकर संक्रांति’

‘पुनर्वसु और ‘पुष्य नक्षत्र के ‘युग्म संयोग में मनेगा ‘मकर संक्रांति’  

14 जनवरी को मकर संक्रांति पर 30 साल बाद पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इससे इस पर्व की शुभता और बढ़ जाएगी। लोगों के जीवन में सकारात्मकता आएगी। खास यह है कि इस हदन अक्षय पुण्य फल मिलेगा। इससे लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव सकता है। ऐसे में सूर्य संग शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा. संक्रांति शब्द का अर्थ है- मिलन, एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक का मार्ग, सूर्य या किसी ग्रह का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना, दो युगों या विचारधाराओं के संघर्ष से परिवर्तित होते वातावरण से उत्पन्न स्थितियां। संक्रांत होना ही जीवन है। परिवर्तन और संधि, इसके दो महत्वपूर्ण पक्ष हैं, जिन्हें समझना जरूरी है। जैसे धनु और मकर। जैसे फल और फूल। जैसे बचपन और यौवन। जैसे परंपरा और आधुनिकता। जैसे शब्द और वाक्य। एक-दूसरे से जुड़ना, बदलना और विस्तार या विनिमय। खिचड़ी का भी यही भाव है। खिचड़ी यानी मिश्रण। विश्व के सारे समाजों और संस्कृतियों का मूलाधार ही है- मिश्रण। मकर संक्रांति को सूर्य की गति से निर्धारित किया जाता है। बच्चे की विस्मय भावना में सृजनशील कलाकार की कल्पना में हर सूर्योदय अपने प्रकार का पहला सूर्योदय होता है। जीवन को अंधकार से उजाले की ओर ले जाने का। यही एक ऐसा पर्व है जो नए साल के शुरु होते ही हर किसी के मन में उत्साह और उमंग भर देता है। यही वजह है कि भारतीयों का असली नव वर्ष मकर संक्रांति का दिन ही होता है। कहते है इस दिन स्नान-दान करने से दस हजार अश्वमेघ यज्ञ जितना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जटिल से जटिल रोगों का निवारण भी होता है

सुरेश गांधी 

सनातन के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति की तैयारियां शुरू हो गई हैं. पौष मास में पड़ने वाला यह त्योहार तब मनाया जाता है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. जब सूर्य की गति उत्तरायण हो जाती हैं। तब सूरज की किरणों से होने लगती है अमृत की बरसात, तो उस घड़ी को कहते है मकर संक्रांति। इसीलिए मकर संक्रांति सूर्य उपासना का पर्व है। जो जीवन की वजह है और आधार भी। इस मौके पर जितना शुभ गंगा स्नान को माना गया है, उतना ही शुभ इस दिन दान को भी माना गया है। इस दिन घरों में खिचड़ी बनाई जाती है, जिसके कारण इसेखिचड़ी का पर्वभी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन गंगा, युमना और सरस्वती के संगम, प्रयाग मे सभी देवी देवता अपना स्वरूप बदलकर स्नान के लिए आते है। इसलिए इस दिन दान, तप, जप का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है। गुड, तिल आदि का इसमें शामिल होना इस बात का संदेश देता है कि मन के हर बैर मिटाकर एक-दुसरे से मीठा बोलो। इसीलिए इस दिन बड़े के हाथों से तिल-गुड़ का प्रसाद लेना सबसे अहम् माना जाता है। इस दिन ब्राहमणों को अनाज, वस्त्र, उनी कपड़े आदि दान करने से शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

मतलब साफ है सूर्य देवता ज्योतिष विज्ञान और प्रकृति दोनों के ही आधार है। उनकी आराधना से दैहिक, दैविक और भौतिक तापों का क्षय होता है। इस दिन चावल और काली उड़द की दाल से मिश्रित खिचड़ी बनाकर खाने दान करने का भी विधान है। इसके पीछे यह वैज्ञानिक आधार है कि इसमें शीत को शांत करने की शक्ति होती है। आकाश में उड़ती पतंगे भी इस पर्व की परंपरा का ही हिस्सा है, जो इस बात को बताती है कि उंचाईयों को छू लों। दरअसल, सूर्य हर माह मेष से लेकर मीन राशि में गोचर करते हैं इसलिए हर माह संक्रांति होती है. सूर्य के मकर राशि में गोचर करने को मकर संक्रांति कहते हैं. मकर संक्रांति से ही ऋतु परिवर्तन भी होने लगता है. आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहां से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. मकर संक्रांति के बाद से ही विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन खरमास का अंत हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा मैय्या पृथ्वी पर अवतरित हुई थी. इसलिए आज के दिन गंगा में स्नान करना शुभ और भाग्यशाली माना जाता है. इस दिन सूर्य को सुबह-सुबह अर्घ्य जरुर दें. इस दिन अपनी इच्छा को बोल कर लोटे में जल, गंगा जल, कच्चा दूध, काले तिल, लाल चंदन डाल कर मनोमाना कह कर, सूर्य को अर्घ्य दें.

अक्षय उर्जा के स्रोत सूर्य मकर संक्रांति के दिन ही उत्तरायण होते है। इस दिन से प्रकृति में दिव्य परिवर्तन की शुरुवात होने के साथ-साथ नए साल के प्रारंभ में पहला बड़ा उत्सव मनाने का मौका के बीच जनजीवन में वास्तविक उल्लास का संचार भी होता है, जिसमें हर कोई नई उमंगों और उत्साह से लबरेज होता है। मान्यता है कि मकर राशि के शनिदेव है, जो सूर्य के पुत्र होते हुए भी सूर्य से शत्रु भाव रखते है। शनिदेव के घर में सूर्यदेव की उपस्थिति के दौरान शनि उन्हें कष्ट दें, इसीलिए इस दिन तिल का दान सेवन किया जाता है। कहा जा सकता है मकर संक्रांति प्रगति, ओजस्विता, सामाजिक एकता समरसता का पर्व है। यह सूर्योत्सव का द्योतक है। संपूर्ण भारतीय गणराज्य में कोई भी प्रदेश ऐसा नहीं है, जहां यह पर्व किसी किसी रुप में मनाया ना जाता रहा हो। वास्तव में यह एक ऐसा पर्व है जिसमें हमारे देश के बहुरंगी संस्कृति के दर्शन होते है।

मकर संक्रांति जैसे त्योहार व्यक्तित्व समाज को उस नैसर्गिकता की ओर ले जाते है, जहां व्यक्ति अपनी धरती की गंघ में डूब कर नव-उर्जा अर्जित करता है और उसके जीवन में उल्लास आता है। शायद यही वजह भी है कि भारत के प्रमुख त्योहारों में इसे महापर्व का दर्जा दिया गया है। हिन्दू धर्म में मकर यानी घडियाल को एक पवित्र जलचर माना गया है। मकर संक्रांति के दिन गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति पर्व के दिन तिल-गुड़ और खिचड़ी खाना शुभ होता है। देश के कुछ राज्यों में यह भी मान्यता है कि चावल, दाल और खिचड़ी का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करना भी शुभफलदायक माना जाता है। महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह ने भी प्राण त्यागने के लिए इस समय अर्थात सूर्य के उत्तरायण होने तक प्रतीक्षा की थी। सूर्योदय के बाद खिचड़ी आदि बनाकर तिल के गुड़वाले लड्डू प्रथम सूर्यनारायण को अर्पित करना चाहिए बाद में दानादि करना चाहिए। अपने नहाने के जल में तिल डालने चाहिए। ओम नमो भगवते सूर्याय नमः या ओम सूर्याय नमः का जाप करें। माघ माहात्म्य का पाठ भी कल्याणकारी है। सूर्य उपासना कल्याण कारी होती है। इस दिन सूर्य को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए।

उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति इस बार 14 जनवरी को ही मनाई जाएगी. इस दिन सूर्य सुबह 8 बजकर 41 मिनट मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इस तरह मकर संक्रांति का क्षण यही होगा। साथ ही इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण (देवताओं के दिन की शुरुआत होना) हो जाती है। इसलिए देश भर में अलग-अलग नामों से उत्सव मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. मकर संक्रांति का क्षण - सुबह 07 बजकर 33 मिनट तक है। संक्रांति करण - बालव, संक्रांति नक्षत्र - पुनर्वसु है। मकर संक्रांति पर दान करना बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं जो सूर्य को अपना शत्रु मानते हैं. जबकि सूर्य देव शनि को अपना शत्रु नहीं मानते हैं.

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश होने से शनि प्रभावित होते हैं जिसका सीधा-उल्टा असर जनजीवन पर अवश्य ही पड़ता है. जिन लोगों की कुंडली में शनिदेव की स्थिति अच्छी होती है उनको इसका असर कम देखने को मिलता है, लेकिन इसके विपरीत जिन लोगों की कुंडली में शनि कमजोर या या दुर्बल स्थिती में होते हैं, उनको इसके दुष्परिणाम दिखाई देते हैं. ज्योतिषाचार्यो का कहना है कि मकर संक्रांति पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इससे मकर संक्रांति पर दान, स्नान और जप करने का महत्व बढ़ गया है। मान्यता है इस दिन सूर्य की पूजा अर्चना का कई गुना अधिक और अक्षय फल मिलेगा। इसके अलावा मकर संक्रांति के बाद ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। इस वजह से ठंड का असर कम होना शुरू हो जाएगा और धीरे-धीरे गर्मी बढ़ने लगेगी। इसके अलावा मकर संक्रांति के बाद नदियों में वाष्पन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे कई सारी शरीर के
अंदर की बीमारियां दूर हो जाती हैं। इस मौसम में तिल और गुड़ खाना काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर को गर्म रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तारायण में सूर्य के ताप शीत को कम करता है।

सूर्य को चढ़ाएं जल

मकर संक्रांति पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। नदी किनारे ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज और तिल-गुड़ का दान करें। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। अभी ठंड का समय है तो जरूरतमंद लोगों को ऊनी वस्त्र या कंबल का दान जरूर करें।

खिचड़ी के फायदे

मकर संक्रांति के दिन प्रसाद के रूप में खाए जाने वाली खिचड़ी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। खिचड़ी से पाचन क्रिया सुचारु रूप से चलने लगती है। इसके अलावा आगर खिचड़ी मटर और अदरक मिलाकर बनाएं तो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है। यह शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है साथ ही बैक्टिरिया से भी लड़ने में मदद करती है।

शनि दोष से मिलेगी मुक्ति

अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति खराब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं. गरीब एवं मजदूर वर्ग को शनि का कारक माना जाता है जिस वजह से सूर्य एवं शनि से संबंधित वस्तुएं जैसे गुड़, रेवड़ी, खिचड़ी, बाजरा, मूंगफली, कपड़े, कंबल आदि वस्तुओं का दान करना बेहद शुभ और फलदायी होता है. मकर संक्रांति पर इन वस्तुओं का दान करने से सूर्य एवं शनि के शुभ परिणाम प्राप्त किए जा सके लेकिन इस दिन के दान में खिचड़ी का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि खिचड़ी बाजरा, मूंग ,उड़द एवं चावल की बनाई जाती है.

इन मंत्रों से मिलेगा कष्टों से छुटकारा

आप उन लोगों में से हैं, जिनकी कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति खराब है, तो आप मकर संक्रांति पर 5 विशेष तरह के मंत्रों का जाप करके उनकी कृपपा पा सकते हैं.

पहला मंत्र- “ओम ऐहि सूर्य सह स्त्रांशों तेजोराशे जग त्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घ्यं नमो स्तुते।।यानी मकर संक्रांति पर सूर्य को जल अर्पित करते वक्त इस मंत्र का उच्चारण करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. ऐसा करने से आपकी कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होगी.

दूसरा मंत्र-आदित्यतेजसोत्पन्नं राजतं विधिनिर्मितम्। श्रेयसे मम विप्र त्वं प्रतिगृहेणदमुत्तमम्।।यानी मकर संक्रांति के दिन आप आदित्य मंडल ब्राह्मण को दान करने के दौरान आप इस मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं. कहा जाता है इस मंत्र को बोलने से व्यक्ति के सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं और उसके भाग्य में.र्य सा तेज जाता है.

तीसरा मंत्र-इन्द्रं विष्णुं हरिं हंसमर्कं लोकगुरुं विभुम्। त्रिनेत्रं त्र्यक्षरं त्र्यङ्गं त्रिमूर्तिं त्रिगति.शुभम्।।इस खास त्योहार पर आप इस मंत्र का जाप करते हुए देवताओं के राजा इंद्र देव और सूर्य देव को धन्यवाद दे सकते हैं. माना जाता है इस मंत्र के उच्चार. से सूर्य और इंद्र दोनों की कृपा मिलती है और  फसल की पैदावार अच्छी होती है.

चौथा मंत्र- ह््रीं सूर्याय नमःयह मंत्र सूर्य देव का बीज मंत्र है, जिसका जाप करने से सूर्य देव बहुत प्रसन्न होते हैं. अगर आप इसका जाप करते हैं, तो आपको उनकी विशेष कृपा मिल सकती है. मकर संक्रांति के दिन इस मंत्र का जाप कने से व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य भी बेहतर होता है.

पांचवां मंत्र- “सूर्य शक्ति मंत्रः सूर्याय आदित्याय श्री महादेवाय नमःइस मंत्र की मदद से आप सूर्य देव की शक्ति को जागृत कर सकते हैं. सूर्य देव की शक्ति को जागृत कर आपके भीतर आत्मविश्वास आता है और नई ऊर्जा का संचार होता होता है.  इस मंत्र के जाप से नकारात्मकता भी समाप्त होती है. 

इन राशियों का होगा लाभ

शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में है। ऐसे में सूर्य और शनि मिलकर मकर सहित 4 राशियों को भरपूर लाभ देंगे। आइए, जानते हैं किन राशियों को इन संयोग से लाभ मिलेगा। ज्योतिषाचार्यो का कहना है कि शनिदेव मकर संक्राति पर अपनी मूल त्रिकोण राशि यानी कुंभ विराजमान हैं। वही, शनिदेव 29 मार्च 2025 को अपनी कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसे में जब 30 साल बाद शनि फिर से कुंभ राशि में आएंगे, तब 30 सालों बाद फिर से यही संयोग बनेगा। ऐसे में मकर संक्रांति पर तुला राशि सहित 4 राशियों को सूर्य और शनि की कृपा मिलेगी। शनिदेव मिथुन राशि के लोगों पर कृपा बरसाएंगे। शनि मिथुन राशि के नौवें यानी भाग्य स्थान पर होंगे। ऐसे में मिथुन राशि वाले लोगों के लिए यह समय भाग्य खोलने वाला होगा। मिथुन राशि वालों की रूचि धर्म-कर्म में बढ़ेगी। धन लाभ के कई मौके मिलेंगे। कार्यस्थल पर ऐसी योजनाओं के भागीदार बनेंगे, जिससे कि भविष्य में लाभ मिलेगा। साथ ही पिछले कुछ समय से खर्चों में वृद्धि हो रही थी, उनमें भी कमी आएगी। मिथुन राशि के जो लोग जमीन-जायदाद के मामलों में परेशान चल रहे थे, उनके हक में फैसला सकता है। नौकरीपेशा लोगों के लिए खुशखबरी है। नई नौकरी की तलाश में हैं तो आपको नए मौके मिलेंगे। साथी भी आपकी मदद करेंगे। शनि के शुभ प्रभाव से तुला राशि के जातकों को विदेश यात्रा मौका मिलेगा। शिक्षा और बिजनेस के सिलसिले में विदेश यात्रा का योग बनेगा। साथ ही जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है, उनका विवाह का योग भी बनेगा। बिजनेस के मामले में भी तरक्की का योग दिख रहा है। खासकर जो लोग धातु से संबंधित कार्य करते हैं उन्हें लाभ होगा। वहीं, निर्माण कार्य में लाभ मिलेगा और धार्मिक यात्राओं का भी अवसर मिलेगा। आपके करियर में अच्छे योग बन रहे हैं। इससे आपको बड़ी सफलता मिलेगी। प्रभावशाली लोगों से भी मुलाकात होगी। नौकरी ढूंढ रहे लोगों को नए अवसर मिलने की उम्मीद है। कार्यस्थल पर आपके सहयोगी भी आपको लाभ पहुंचाएंगे। मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी, जिससे कि जो समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही थीं, उनका भी समाधान निकलेगा। मकर राशि के जातक बिजनेस में शानदार लाभ पाएंगे। जिन प्रोजेक्ट्स को लेकर मकर राशि के लोग कोशिशों में लगे हुए थे, उनकी कोशिशें कामयाब होंगी। साझेदारी में व्यापार करने वालों के लिए अच्छा समय है। लाभ होगा और पुराने कर्जों से छुटकारा मिलेगा। सूर्य और शनिदेव की कृपा से व्यापारियों को विशेष लाभ होगा। व्यापार में तरक्की के साथ-साथ आपकी साख भी बढ़ेगी। माता-पिता का आशीर्वाद भी मिलेगा। कुंभ राशि के जातकों पर शनि की तीसरे चरण की साढ़े साती चलेगी, जिससे कि करियर की परेशानियां दूर होंगी। वहीं, राहु का आगमन भी कुंभ राशि में होगा, जिससे राजनीति से जुड़े लोगों को लाभ होगा। बिजनेस में निवेश करने से लाभ होगा। सूर्य और शनि की कृपा से आपके लिए अच्छे दिन आने वाले हैं। खासकर संपत्ति खरीदने के लिए अच्छे मौके मिलेंगे। परिवार का पूरा सहयोग मिलेगा। आमदनी के रास्ते खुलेंगे और आमदनी बढ़ेगी। पारिवारिक और वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा। प्रेम संबंधों के लिए यह समय अनुकूल है। कई अटके काम पूरे होंगे।


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