सनातन का शंखनाद, 23 देशों से पहुंचे प्रतिनिधि, 25 हजार धर्मनिष्ठों ने लिया राष्ट्र स्थापना का संकल्प
“यह कोई साधारण सम्मेलन
नहीं,
बल्कि
एक
युग
परिवर्तन
का
प्रारंभ
है
: अजीत सिंह बग्गा
सुरेश गांधी
वाराणसी। महाराष्ट्र के गोवा की पावन धरती एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी जब ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ के मंच से देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से आए हिंदू संगठनों ने एक स्वर में “सनातन राष्ट्र“ की स्थापना का संकल्प लिया। आयोजन में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, गॅबन, जर्मनी, न्यूज़ीलैंड, सिंगापुर, स्विट्ज़रलैंड, बेल्जियम, अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, मलेशिया, इंडोनेशिया, बहरीन, क्रोएशिया, हंगरी, आयरलैंड, मॉरिशस, क़तर, रोमानिया, ऑस्ट्रिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सर्बिया सहित कुल 23 देशों से 1000 से अधिक हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस भव्य आयोजन में लगभग 25,000 धर्मनिष्ठ हिन्दू एकत्रित हुए।
महोत्सव में वैदिक मंत्रोच्चार,
शंखनाद, भगवा ध्वज की
रैली, और विविध सांस्कृतिक
प्रस्तुतियों के माध्यम से
सनातन संस्कृति की गौरवगाथा को
उजागर किया गया। सभा
स्थल पर ‘धर्म रक्षा’,
‘राष्ट्र पुनरुत्थान’ और ‘सनातन जीवनशैली’
जैसे विषयों पर वक्ताओं ने
ओजस्वी भाषण दिए। वाराणसी
व्यापार मंडल के अध्यक्ष
अजीत सिंह बग्गा ने
इस अवसर पर कहा,
“यह
कोई साधारण सम्मेलन नहीं, बल्कि एक युग परिवर्तन
का प्रारंभ है। काशी नगरी
से जब-जब शंखनाद
हुआ है, तब-तब
परिवर्तन की लहरें उठी
हैं। आज 23 देशों से आए हमारे
सनातन धर्म के प्रतिनिधि
इस धरती पर यह
संकल्प ले रहे हैं
कि हम न केवल
अपनी संस्कृति को जीवित रखेंगे,
बल्कि आने वाली पीढ़ियों
को भी इसके गौरव
से जोड़ेंगे। अब समय आ
गया है कि हम
‘धर्मनिरपेक्षता’ के नाम पर
अपनी जड़ों को काटने
से इनकार करें और धर्म
के मूल स्वरूप को
पुनः स्थापित करें।” सीनियर एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने कहा
कि वैश्विक पटल पर हिंदू
संगठनों की यह एकजुटता
दर्शाती है कि ‘सनातन
धर्म’ अब जाग चुका
है और वह केवल
भारत तक सीमित नहीं,
बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी
भूमिका निभाने को तैयार है।
प्रमुख घोषणाएं और संकल्पः
कार्यक्रम के अंत में
एक सामूहिक संकल्प लिया गया, जिसमें
कहा गया कि धर्मनिष्ठ
हिंदू समाज एकजुट होकर
सनातन राष्ट्र की स्थापना हेतु
कार्य करेगा। युवा पीढ़ी को धर्म,
संस्कृति और इतिहास की
सशक्त शिक्षा दी जाएगी। मंदिरों,
संस्कृत और वेद शिक्षा
का विस्तार किया जाएगा। विदेशों
में बसे हिंदू समुदाय
को भारत से सांस्कृतिक
रूप से जोड़ा जाएगा।
सुरक्षा और व्यवस्था रही चाकचौबंदः
महोत्सव में हजारों की
संख्या में आए श्रद्धालुओं
को ध्यान में रखते हुए
प्रशासन की ओर से
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
पूरे क्षेत्र में पुलिस बल
तैनात रहा और स्वयंसेवकों
ने भी अनुशासन बनाए
रखा।
उल्लेखनीय योगदानः
इस आयोजन में
अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संतों,
धर्मगुरुओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और संस्कृत विद्वानों
ने भी हिस्सा लिया
और ‘सनातन राष्ट्र’ की विचारधारा को
विस्तार से समझाया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बांधा समां
कार्यक्रम में धार्मिक झांकियां,
भगवा ध्वज यात्रा, वेदपाठ,
और भारत के विविध
सांस्कृतिक स्वरूपों की झलक देखने
को मिली। युवाओं की भागीदारी उल्लेखनीय
रही, जिन्होंने “धर्म रक्षा, राष्ट्र
रक्षा“ के नारे लगाए।
संघठनों ने लिए चार प्रमुख संकल्प
आयोजन के अंत में
विश्वभर से आए हिंदू
संगठनों ने चार बिंदुओं
पर विशेष संकल्प लिया : -
1. सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार को वैश्विक स्तर
पर ले जाना।
2. धर्मशास्त्र, वेद, और संस्कृत
शिक्षा को पुनर्जीवित करना।
3. हिंदू युवाओं को अपने इतिहास
और संस्कृति से जोड़ना।
4. सामाजिक समरसता के माध्यम से
’सनातन राष्ट्र’ की नींव मजबूत
करना।
जन-जागरण का संदेश
कुल मिलाकर यह
आयोजन एक धार्मिक सम्मेलन
से कहीं बढ़कर जन-जागरण का संदेश बन
गया। सनातन विचारधारा से जुड़े लोगों
ने जिस एकजुटता का
प्रदर्शन किया, वह भविष्य में
सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर
पर बड़ा परिवर्तन ला
सकता है।
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