Thursday, 19 June 2025

बिजली कर्मियों का प्रबंध निदेशक कार्यालय पर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू

बिजली कर्मियों का प्रबंध निदेशक कार्यालय पर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू 

स्थानांतरण में "उत्पीड़न और लेन-देन" का आरोप, समाधान मिलने पर पूर्वांचल में उग्र आंदोलन की चेतावनी

सुरेश गांधी

वाराणसी. वाराणसी में बिजली कर्मियों ने आखिरकार दो महीने से अनसुनी पड़ी मांगों के विरोध में आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले, गुरुवार को प्रबंध निदेशक कार्यालय पर अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू कर दिया गया है। कर्मचारियों का आरोप है कि उनकी पाँच सूत्रीय मांगें सिर्फ अनदेखी की गईं, बल्कि इसके विपरीत स्थानांतरण आदेशों में पक्षपात, लेन-देन और उत्पीड़न की बू साफ नजर आती है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक सभी मांगों पर वार्ता कर समाधान नहीं किया जाता, सत्याग्रह जारी रहेगा। कर्मचारियों ने चेताया है कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो पूरे पूर्वांचल से बिजली कर्मियों को वाराणसी बुलाया जाएगा, जिससे औद्योगिक गतिविधियों पर भी असर पड़ सकता है।

गेट बंद कर रोका सत्याग्रह, फिर भी नहीं टूटा संयम

बिजलीकर्मियों ने यह भी आरोप लगाया कि बुधवार को सत्याग्रह स्थल विद्युत नगर के गेट को बंद कर दिया गया, जिससे कर्मचारियों को अंदर जाने से रोका गया। हालांकि प्रशासन के अनुरोध पर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की गई। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि तय समय तक गेट नहीं खोला गया तो कर्मचारी स्वयं निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होंगे।

निजीकरण का भी जोरदार विरोध

सभा में यह भी आरोप लगाए गए कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण को लेकर RFP डॉक्यूमेंट पर विद्युत नियामक आयोग पर दबाव बनाया जा रहा है। समिति को आशंका है कि निजी घरानों के हित में किसी भी समय आयोग अभिमत दे सकता है, जो पूरी व्यवस्था को चौपट कर देगा।

सत्याग्रह में कविता और चेतावनी दोनों गूंजीं

सभा की अध्यक्षता . मायाशंकर तिवारी ने की जबकि संचालन अंकुर पाण्डेय ने किया। ध्रुव और ज्ञानप्रकाश जैसे युवा कवियों ने अपनी रचनाओं से आंदोलन को नई ऊर्जा दी। वक्ताओं में . एस. के. सिंह, . विजय सिंह, संतोष वर्मा, जिउतलाल, रामजी भारद्वाज समेत कई वरिष्ठ कर्मचारी शामिल रहे।

दो टूक

1. वार्ता के अभाव में विद्युत कर्मियों का फूटा आक्रोश, कहाअब पीछे हटने का सवाल नहीं  

2. निजीकरण की तैयारी पर भी जताई चिंता, कहायह आम उपभोक्ता और कर्मचारियों दोनों के हितों के खिलाफ  

3. "पहले शांति से सत्याग्रह, अब पूरे पूर्वांचल से बुलाया जाएगा समर्थन"— संघर्ष समिति का ऐलान

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