Friday, 6 June 2025

कश्मीर के नए युग की शुरुवात : अब सिर्फ शांति, विकास और तिरंगा

कश्मीर के नए युग की शुरुवात : अब सिर्फ शांति, विकास और तिरंगा 

भारत ने एक बार फिर विश्व पटल पर अपने तकनीकी कौशल, राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता का ऐसा परिचय दिया है जिसे इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। कश्मीर की धरती से इस बार जो संदेश निकला है, वो सिर्फ देशवासियों के लिए गौरव नहीं, बल्कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए भी स्पष्ट चेतावनी है किभारत अडिग है, अखंड है और अजेय है।जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में स्थित चिनाब ब्रिज, अब सिर्फ एक रेलवे पुल नहीं रहा, यह भारत के संकल्प और इंजीनियरिंग प्रतिभा का प्रतीक बन चुका है। 359 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह पुल ईफिल टॉवर से भी ऊँचा है और विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज बन चुका है. पीएम मोदी द्वारा जब भारतीय तिरंगा पहली बार इस पुल पर पूर्ण शान से फहराया गया, तो वह दृश्य देश की एकता का प्रतीक बन गया। चिनाब अब केवल एक नदी नहीं, बल्कि हिंद के मस्तक का वह तिलक बन गया है जिसे देख पूरी दुनिया भारतीय हौसले को सलाम कर रही है. कश्मीर से इस बार जो संदेश निकला है, वह केवल एक क्षेत्रीय खबर नहीं, यह राष्ट्रीय चेतना का आह्वान है। तिरंगे का लहराना, चिनाब ब्रिज का निर्माण और वंदे भारत ट्रेन की रफ्तार. ये सब मिलकर उसनए भारतकी तस्वीर बना रहे हैं जिसकी नींव आत्मबल, तकनीक और राष्ट्रभक्ति पर टिकी है। अब कश्मीर एक विवाद नहीं, विकास का नया केन्द्र बन चुका है। और यह सब कुछ भारत की सामूहिक इच्छाशक्ति, नेतृत्व और जनता के सहयोग से संभव हुआ है 

सुरेश गांधी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चिनाब ब्रिज पर तिरंगा लेकर चलना एक शक्तिशाली प्रतीकात्मक कदम है. यह केवल एक औपचारिक कार्य नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता औएकता का स्पष्ट संदेश है. यह कदम विशेष रूप से हाल के संदर्भों में महत्वपूर्ण है. पाकिस्तान आज भी कश्मीर को अपना हिस्सा मानता है. पाकिस्तान बार बार कहत रहा है कि भारत यहां के लोगों की इच्छाओं का दमन करके जबरन कब्जा किए हुए है. अब दुनिया देख रही है कि यहां की चुनी हुई सरकार का मुख्यमंत्री यह खुद कह रहा है कि जो काम अंग्रेज नहीं कर पाए वो मोदी सरकार ने कर दिखाया है.

कश्मीर की जनता की खुशी भी आज देखने लायक थी. चिनाब ब्रिज का उद्घाटन और कश्मीर को भारतीय रेल नेटवर्क से जोड़ना भारत की आर्थिक तरक्की का प्रतीक है. भारत में पाकिस्तान आतंकी तो भेज सकता है पर अपने देश में खुद इस तरह का ब्रिज नहीं बना सकता. रेलवे ने कभी पूरे देश को जोड़ा था, कश्मीर छूट गया था. अब वो भी पूरा हो गया. जम्मू-कश्मीर में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का उद्घाटन और कटरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तिरंगा लेकर चहलकदमी करना केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक, राजनैतिक और आर्थिक ताकत का प्रतीक भी है. यह घटना कई स्तरों पर पाकिस्तान सहित विश्व समुदाय को एक स्पष्ट  संदेश देती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब ब्रिज और अंजी पुल का उद्घाटन किया है. साथ ही, उन्होंने कटरा-श्रीनगर वंदे भारत ट्रेको हरी झंडी दिखाई.

चिनाब पुल, दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्क ब्रिज है जो कश्मीर घाटी को पूरे भारत से हर मौसम में रेल संपर्क प्रदान करेगा. इसके साथ ही कटरा-श्रीनगर यात्रा का समय कम करेगा. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद ये प्रधानमंत्री का पहला कश्मीर दौरा है. यहां वह 46 हजार करोड़ की परियोजनाओं की सौगात देने पहुंचे थे. प्रधानमंत्री जब नवनिर्मित रेल पुल पर तिरंगा लेकर चहलकदमी कर रहे थे, जाहिर है कि पड़ोसी पाकिस्तान के सीने पर नश्तर चल रहा होगा. पीएम मोदी का आज का कार्यक्रम पाकिस्तान ही नहीं बल्कि चीन और अमेरिका के लिए भी आंख की किरकिरी बन गया होगा. बता दें, उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना भारत की सबसे जटिल और महत्वाकांक्षी इंजीनियरिंग परियोजनाओं में से एक है. इसका अंतिम चरण, कटरा-संगलदान. सेक्शन, और चिनाब ब्रिज का उद्घाटन होने के बाद जम्मू-कश्मीर देश के बाकी हिस्सों से अब हर मौसम में जुड़ गया है.  

सड़क मार्ग सर्दियों में बंद हो जाता रहा .यह रेल लाइन कई मायनों में भारत के लिए महत्वपूर्ण है. चिनाब ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है, जो चिनाब नदी पर 359 मीटर की ऊंचाई पर बना है. यह भूककंप के जोन 5 में स्थित है, जो इसे तकनीकी रूप से असाधारण बनाता है. यह एफिल टावर से 35 मीटर ऊंचा है और इसे 120 साल तक टिकने के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी निर्माण प्रक्रिया में भारतीय इंजीनियरों ने अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया है, जो भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है. जो अभी पाकिस्तान के लिए दूर की कौड़ी है. कटरा से श्रीनगर तक दो नई वंदे भारत ट्रेनों का शुभारंभ क्षेत्र में तेज और आरामदेह कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा. यह पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए यात्रा को आसान बनाएगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.

भारत की तकनीकी और रणनीतिक ताकत का प्रदर्शन है. यह दिखाता है कि भारत जम्मू-कश्मीर में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और इसे मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे पाकिस्तान की अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को जवाब मिलता है. इसके साथ ही यह पाकिस्तान को यह भी बताता है कि भारत उससे कितना आगे निकल चुका है. पाकिस्तान आज भी ऐसे कार्यों के लिए चीन की कृपा का मोहताज है. यह परियोजना भारत की इंजीनियरिंग और इनोवेशन की क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करती है, जिससे भारत की छवि एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में और मजबूत होती है. इसके साथ ही पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. इसके बाद  पीएम का कश्मीर में तिरंगा लेकर चलना यह दर्शाता है कि भारत आतंकवाद के सामने झुकने वाला नहीं है. 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने
के बाद, जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के समान बना दिया गया. पीएम का यह कदम उस नीति को और मजबूती देता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा. यह एक प्रत्यक्ष संदेश है कि भारत जम्मू-कश्मीर में अपनी संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं करेगा. पीएम मोदी का तिरंगा लेकर चलना पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकवाद और अलगाववादी प्रचार के खिलाफ भारत की दृढ़ता का प्रतीक है. साथ ही, यह वैश्विक समुदाय को यह संदेश देता है कि भारत अपने क्षेत्रीय और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम और प्रतिबद्ध है.

रेल लिंक का उद्घाटन जम्मू-कश्मीर के आर्थिक तरक्की में एक मील का पत्थर है..यह क्षेत्र को देश के बाकी हिस्सों से जोड़कर इसे मुख्यधारा में लाने का प्रयास है. वैष्णो देवी मंदिर के कारण कटरा जम्मू कश्मीर का प्रमुख केंद्र है, जहां.हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. श्रीनगर और कश्मीर घाटी पर्यटन के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं. रेल कनेक्टिविटी से पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. बेहतर रेल कनेक्टिविटी से स्थानीय उत्पादों, जैसे सेब, केसर और हस्तशिल्प को देश के अन्य हिस्सों में आसानी से पहुं..चाया जा सकेगा. इससे स्थानीय व्यापारियों और किसानों को लाभ होगा. रेल लिंक से कश्मीर के लोग देश के अन्य हिस्सों से अधिक जुड़ाव महसूस करेंगे, जिससे अलगावकी भावना कम होगी. यह युवाओं को शिक्षा और रोजगार के लिए बेहतर अवसर प्रदान करेगा. यह रेल लिंक और इससे होने वाला

विकास पाकिस्तान के उस प्रचार को खारिज करता है, जिसमें वह जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग और अविकसित क्षेत्र के रूप में चित्रित करता है. यह दिखाता है कि भारत जम्मू-कश्मीर में शांति, स्थिरता और समृद्धि लाने के लिए विकास के रास्ते पर काम कर रहा है, कि केवल सैन्य उपायों पर निर्भर है.

जहाँ चिनाब ब्रिज भारत की ताकत का प्रतीक है, वहीं वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन (जिसे कई लोगवंदेमातरम ट्रेनभी कहने लगे हैं) कश्मीर के विकास की रफ्तार का परिचायक बन चुकी है। यह हाई-स्पीड ट्रेन अब श्रीनगर को जम्मू, दिल्ली और अन्य महानगरों से जोड़ रही है। पहली बार कश्मीर घाटी से चलकर जब वंदे भारत ट्रेन चिनाब ब्रिज को पार करते हुए गई, तो वह यात्रा इतिहास में दर्ज हो गई। हजारों लोगों ने स्टेशनों पर तिरंगा हाथ में लेकर इस दृश्य का स्वागत किया। स्थानीय युवाओं, छात्रों, व्यापारियों और पर्यटकों के लिए यह ट्रेन अब केवल एक यात्रा का साधन नहीं, बल्कि नई कश्मीर की पहचान बन चुकी है। इस पूरे घटनाक्रम ने पाकिस्तान को असहज कर दिया है। जिस कश्मीर को वह दशकों से एक विवादित क्षेत्र के रूप में पेश करता रहा, आज वही क्षेत्र विकास, शांति और प्रगति की मिसाल बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषण में कहा, “चिनाब ब्रिज पर तिरंगा और उस पर दौड़ती वंदे भारत ट्रेन इस बात का प्रमाण है कि भारत का कश्मीर अब पूरी तरह से शांति और समृद्धि की ओर बढ़ चुका है।गुलाम नबी का कहना है, “पहले हमें लगता था कि दिल्ली हमसे बहुत दूर है। अब जब वंदे भारत ट्रेन यहां आई है और ब्रिज के ऊपर से गुजरती है, तो लगता है हम भारत की मुख्यधारा में हैं।छात्रा अलीशा भट कहती हैं, “इस ट्रेन से अब मैं जम्मू जाकर प्रतियोगी परीक्षाएं दे सकती हूं, ये बदलाव हमारे लिए क्रांतिकारी है।

 

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