Saturday, 14 June 2025

योग : “स्वास्थ्य, शांति और समरसता” की ओर विश्व का कदम

योग : “स्वास्थ्य, शांति और समरसताकी ओर विश्व का कदम 

21 जून को 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत की पहल, अब विश्व की पहचान बन गयी है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की 11वीं वर्षगांठ इस वर्षयोग से विश्व स्वास्थ्यकी थीम पर आधारित होगी। इस दिन पूरी दुनिया में लाखों लोग एक साथ योग करेंगे. यह सिर्फ एक भारतीय परंपरा का महोत्सव नहीं बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य चेतना का प्रतीक बन चुका है। पहले योग को वृद्धावस्था या संन्यासियों तक सीमित माना जाता था, परंतु अब युवा वर्ग, कॉरपोरेट कर्मचारी, महिलाएं, गृहणियां विद्यार्थी भी नियमित योग को अपनाते दिख रहे हैं। या यूं कहे योग अब वैश्विक स्तर परसॉफ्ट पावर डिप्लोमेसीका प्रतीक बन चुका है। इससे भारत की संस्कृति और अध्यात्म को नई पहचान मिली है। आज जब दुनिया मानसिक तनाव, जीवनशैली जनित बीमारियों से जूझ रही है, तब योग एक समाधान बनकर उभरा है 

सुरेश गांधी

योग सिर्फ रोग से मुक्ति नहीं देता, यह व्यक्ति को आत्मनिर्भर, अनुशासित और शांतिपूर्ण जीवन जीने की कला सिखाता है। जो भी दिन की शुरुआत योग से करता है, उसका दिन बेहतर और जीवन दीर्घ होता है।मतलब साफ है योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, यह एक समग्र जीवन-पद्धति है। बीमारी हो या मानसिक तनाव, अकेलापन हो या जीवन में उद्देश्य की तलाश कृ योग हर स्थिति में सहारा बन सकता है। 21 जून 2025 को जब विश्व 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की ओर कदम बढ़ा रहा है, तब भारत एक बार फिर विश्व कोयोगके बहुआयामी चमत्कारों की याद दिला रहा है। योग अब केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य विमर्श का आधार बन चुका है। कभी व्यस्तता, तनाव और बेचैनी से घिरा जीवन अब शांत, सुव्यवस्थित और ऊर्जावान है, यह बदलाव योग से ही संभव हुआ।  कहा जा सकता है योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का उपाय नहीं, बल्कि आत्मा की गहराइयों तक शांति पहुंचाने वाला माध्यम है। जब जीवन दिशाहीन लगने लगे, शरीर थक जाए और मन अशांत हो, ऐसे क्षणों में योग एक दीपक की तरह रोशनी देता है। आज विश्व जिस सबसे बड़ी महामारी से जूझ रहा है, वह है, मानसिक स्वास्थ्य संकट। डिप्रेशन, एंजायटी, पैनिक अटैक और अनिद्रा की बढ़ती दरें चिंता का विषय हैं। ऐसे में योग एक सशक्त समाधान बनकर उभरा है. प्राणायाम से तनावग्रस्त नाड़ी तंत्र को संतुलन मिलता है। ध्यान से डोपामिन और सेरोटोनिन जैसे रसायनों का प्राकृतिक स्राव होता है, जो मूड को बेहतर बनाते हैं। शवासन, बालासन, विपरीतकरणी जैसे आसनों से मानसिक विश्राम मिलता है। 

योग केवल व्यायाम मात्र नहीं, बल्कि स्वयं को जानने और प्रकृति को पहचानने की भी कला है। इन दोनों को यदि समझ लिया जाय तो संसार से नकारात्मक को निकाल सकारात्मकता का संचार किया जा सकता है। भारत योग की जन्मभूमि है। आज इसका डंका पूरे विश्व में बज रहा है। दुनिया के हर देश में योग की चर्चा है। बता दें, भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक है। भारत ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है और इन्हीं में से एक योग भी है। आज योग सिर्फ भारत की सीमाओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि अब इसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिल चुकी है। इसे योग की महिमा ही कहा जाएगा कि आज दुनिया भर के लोग इसे अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना रहे हैं। या यूं कहे स्वस्थ जीवन जीने की कला को योग कहते हैं। योग शब्द संस्कृत भाषा के युज (लनर) से लिया गया है जिसका अर्थ है एक साथ जुड़ना। यानी मन-मस्तिष्क एवं शरीर पर नियंत्रण रखने एवं खुशहाल जीवन के लिए योग काफी लोकप्रिय है। काया को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखने के लिए योग से बेहतर कुछ नहीं। यही नहीं योग आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी लेकर आता है। यही वजह है कि हाल के दिनों में अगर सबसे ज्यादा क्रेज किसी का देखा गया है तो वह योग है. नियमित अभ्यास के साथ, अनुलोम-विलोम ने मन की गति को साधा, सूर्य नमस्कार ने शरीर को लचीला और सक्रिय बनाया, ध्यान ने चिंताओं को धीमा और चेतना को जागृत किया। अर्थात योग से जीवन में उद्देश्य आता है, और उद्देश्य से ऊर्जा। मानसिक रोगों पर योग का प्रभाव, चिंता नहीं, चेतना का अभ्यास है.

एम्स, निमाहंस जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के शोध में प्रमाणित हुआ है कि योगाभ्यास करने वाले मानसिक रोगियों की रिकवरी दर 60 फीसदी तक तेज होती है। आज योग पर रिसर्च हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, आईआईटी, डीआरडीओं और इसरो जैसे संस्थानों में हो रही है। योग करने से ब्रेन केप्रीफ्रंटल कॉर्टेक्सकी सक्रियता बढ़ती है, जिससे निर्णय क्षमता और एकाग्रता में सुधार होता है। हृदय गति और रक्तचाप को संतुलित रखने में योग प्रमुख भूमिका निभाता है। योग शरीर मेंएनके सेल्सको सक्रिय करता है, जिससे रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ती है. डब्ल्यूएचओं, जी-20 और सीओपी जैसे मंचों पर भारत की यह अवधारणा गूंज रही है, “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य यह विचार सिर्फ भाषणों तक सीमित नहीं, योग इसका व्यावहारिक स्वरूप है। योग प्राकृतिक जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है, जैसे ब्रह्ममुहूर्त में उठना, शुद्ध आहार, प्रकृति से जुड़ाव। योगाभ्यास का समूहिक आयोजन सामाजिक समरसता, मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करता है। योग हमें सभी जीवों के साथ तादात्म्य का बोध कराता है। जब मनुष्य संतुलन में होगा, तभी पृथ्वी भी संतुलन में रह पाएगी, यही है योग का वैश्विक योगदान।

योग केवल व्यायाम नहीं, यह जीवन दर्शन है

योग कर्मसु कौशलम्यानी योग केवल आसनों का अभ्यास नहीं, यह जीवन को सशक्त, संयमित और समर्पित करने की प्रक्रिया है। आज जब मानवता भटक रही है, तनाव, रोग, युद्ध, पर्यावरणीय आपदाएं घर कर रहीइ है, ऐसे समय में योग सामूहिक समाधान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में जिस आत्मविश्वास से योग का प्रस्ताव रखा था, वह आज 190 से अधिक देशों में जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है। बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में योग को वैश्विक दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा था। 193 देशों में से 177 ने इसका समर्थन किया। परिणामस्वरूप, 11 दिसंबर 2014 को एूएनजीए ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया। इस वर्ष योग दिवस को और भी भव्य स्वरूप में मनाने की तैयारी है। केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, स्वायत्त संस्थान, स्कूल, कॉलेज, आरडब्ल्यूए, और योग गुरुओं के साथ मिलकर पूरे भारत में व्यापक आयोजन हो रहे हैं। देश और विदेश के लाखों लोग इस वर्ष डिजिटल माध्यम से जुड़े रहेंगे। भारत सरकार कीडलळवअ ल्वहं ।चचपर लाइव योग सत्र, पोस्टर प्रतियोगिताएं और क्विज का आयोजन भी होगा। डब्ल्यूएचओं के अनुसार, योग शरीर के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी है। नियमित योग से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन और मोटापा में कमी पाई गई है। 

योग ने जीवन को नई साँस दी

ज्वाला देवी कहती हैतीन साल पहले मुझे स्तन कैंसर हुआ। कीमोथेरेपी के दौरान शरीर और आत्मा दोनों टूट चुके थे। लेकिन जब आयुष विभाग के शिविर में योग सिखने का मौका मिला, तो शुरुआत की सिर्फ साँसों पर ध्यान देने से। धीरे-धीरे प्राणायाम और ध्यान से मन शांत हुआ। अब मैं सुबह सूर्य नमस्कार और भ्रामरी करती हूँ। आज मैं सिर्फ स्वस्थ हूँ, बल्कि खुद योग सिखा रही हूँ।

योग ने डिप्रेशन से बाहर निकाला’ 

चरनजीत कहते हैपढ़ाई का प्रेशर, घर से दूर रहना और निजी संघर्षों के चलते मैं मानसिक तनाव में चला गया। दवा और काउंसलिंग से असर कम था, लेकिन एक दिन कालेज में आयोजित योग वर्कशॉप में गया। वहां सीखा, सिर्फ शरीर नहीं, मन को भी साधना होता है। अब मैं रोज 40 मिनट योग करता हूं और जीवन में वापसी हो चुकी है।

अब बनीं योग शिक्षिका

नम्रता चौरसिया कहती है, “मैं कभी स्कूल नहीं गई, लेकिन गाँव में जब योग शिक्षक की जरूरत हुई तो आशा बहनों के साथ मुझे प्रशिक्षण मिला। योग ने सिर्फ मेरे शरीर को लचीलापन दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी दिया। आज मैं महिलाओं को सुबह-सुबह योग सिखाती हूँ। पहले मैं घर तक सीमित थी, आज पूरा गाँव मुझेयोग दीदीकहता है।

बीपी-शुगर कंट्रोल करने में सहायक

भूनेश्वर कॉलोनी के जना्रदन तिवारी (65) पहले हाई बीपी और टाइप-2 डायबिटीज के मरीज थे। डॉक्टर ने वॉक और योग की सलाह दी।मैंने कपालभाति और अनुलोम-विलोम शुरू किया, धीरे-धीरे दवाएं कम हो गईं। आज सुबह की शुरुआत बिना योग के होती ही नहीं।

बच्चों के भविष्य में योग की भूमिका

विद्यालयों में योग अनिवार्य होने के बाद कई छात्रों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं। भदोही के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र सलीम (13) ने बताया, “मैं चंचल था, पढ़ाई में मन नहीं लगता था। योग सर ने ध्यान सिखाया। अब मन एकाग्र रहता है, और मेरा रिजल्ट भी सुधरा है।

स्वयं को जानने की कला हैयोग

आप शांति नहीं खरीद सकते, लकिन योग के व्यावहारिक पद्धति को अपनाकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में शांति का अनुभव एवं आत्म साक्षात्कार के अंतिम लक्ष्य को जरुर हासिल किया जा सकता है। मतलब साफ है योग मनुष्य की शारीरिक, मानसिक, व्यावहारिक और सामाजिक उपलब्धियों को आध्यात्मिक उन्नति देता है। योग मानसिक के साथ-साथ शारीरिक रूप से भी लोगों को स्वस्थ बनाता है। या यूं कहे योग शरीर और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद है। योग केवल व्यक्ति को लचीला और फिट रखता है, बल्कि तनाव मुक्त करने और सकारात्मक रहने में भी मदद करता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर विभिन्न रोगों को भी दूर करता है। खासकर आज के दौर में योग से स्वास्थ्य लाभ तो हो ही रहा है, यह प्रोफेशन या पेशे के तौर पर भी बेहतर विकल्प के रूप में सामने रहा है। देश में जहां हजारों योग प्रशिक्षक अपनी प्रतिभा से रोजगार पा रहे हैं वहीं विदेशों में भी प्रशिक्षण देकर वह लाखों की कमाई कर रहे हैं। देखा जाएं तो योग की उत्पत्ति हजारों साल पहले की है जब लोगों के बीच धर्म की कोई अवधारणा नहीं थी। वेदों के अनुसार, भगवान शिव पहले योगी थे और उन्होंने योग के अपने ज्ञान कोसात ऋषियों’ (सप्तऋषियों) को हस्तांतरित किया. यह भी माना जाता है कि सप्तर्षियों ने योग के ज्ञान का प्रसार करने के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की.

रोगरोधक क्षमता को मजबूत बनाता हैयोग

 कोविड-19 के दौरान, योग ने लोगों को केवल अपने विवेक को बनाए रखने में मदद की, बल्कि उनकी पीड़ा, परेशानी को भी कम किया. योग के नियमित प्रैक्टिस से कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज दोनों के लेवल में सुधार हो सकता है. कुछ आसन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखते हुए सर्कुलेटरी और नवर्स सिस्टम को ठीक करने में भी मदद करते हैं. योग मुद्राओं की मदद से इंसुलिन प्रोडक्शन को फिर से बेहतर करने में मदद मिलती है. शोध से पता चला है कि कुछ योग आसनों का नियमित अभ्यास पेट को कंप्रेस करने में मदद करता है, पैन्क्रीऐटिक या हार्मोनल सिक्रीशन को बेहतर करता है. जबकि सूर्य नमस्कार या सूर्य नमस्कार जैसे कठिन योग अभ्यासों से ब्लड प्रेशर के अलावा पूरी बॉडी को संतुलित किया जा सकता है। योग के आसन और प्राणायाम की विधि से मनुष्य अपने चेतन को निर्देशित कर सही भावनाओं का सृजन कर सकता है और अपने रोगरोधक क्षमता को मजबूत बना सकता है. योग आसनों में आमतौर पर शरीर की गतिविधियों को सिंक्रनाइज करते हुए गहरी सांस लेना शामिल होता है. यह मुख्य रूप से तनाव से राहत देकर ब्लड प्रेशर को स्वाभाविक रूप से नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है. शिशुआसन (चाइल्ड पोज), पश्चिमोत्तानासन (फॉरवर्ड बेंड पोज), विरासन (हीरो पोज), बधाकोनासन (बटरफ्लाई पोज) और अर्ध मत्स्येन्द्रासन (सिटिंग हाफ स्पाइनल ट्विस्ट) जो हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों के लिए अत्यधिक फायदेमंद साबित हो सकते हैं.

तनाव को कम करने में भी मदद करता हैयोग

आसनों के अलावा कपालभाति और अनुलोम विलोम जैसे सांस लेने के व्यायाम भी बेहद फायदेमंद होते हैं. अनुलोम विलोम एक वैकल्पिक ब्रीदिंग टेक्निक है जो आपके नर्वस सिस्टम को शांत करती है और बॉडी सिस्टम को मेंटेन करने में मदद करती है. यह तनाव को कम करने में भी मदद करता है, जो हाइपरग्लेसेमिया और हाई ब्लड प्रेशर का मुख्य कारणों में से एक है. कपालभाति इंसुलिन के उत्पादन में मदद करती है और ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में मदद करता है. मानव मस्तिष्क के चार स्तर हैं, जिनमें से तीन- अचेतन, अर्धचेतन और चेतन- तो मनुष्य में मौजूद रहते हैं और चौथा- परा चेतन- विकसित किया जा सकता है. अचेतन अर्धचेतन का चेतन पर गहरा प्रभाव पड़ता है और मानव सोच प्रभावित होती है. अधिकतर बीमारियों की जड़ में अचेतन और अर्धचेतन चेतन से उपजी दुश्चिंता है. यह दुश्चिंता मन के द्वारा नकारात्मक सोच और सोच के द्वारा आंतरिक प्रणाली को प्रभावित करती है और रक्त में नकारात्मक हार्मोंस का प्रवाह बढ़ाती है. यदि नकारात्मकता अधिक समय तक रहती है, तो फिर शरीर की आंतरिक प्रणाली रोग को जन्म देती है. यही नहीं, इस नकारात्मकता के प्रभाव के चलते शरीर की रोगप्रतिरोधी क्षमता भी कमजोर पड़ती है और संक्रमण से लड़ने की शक्ति क्षीण होती है. योग अचेतन और अर्ध चेतन मन को नियंत्रित कर नकारात्मक भावनाओं की उपज को रोकने का माध्यम है तथा अपने चेतन मन को सही दिशा में ले जाने में मनुष्य की मदद करता है. योग के प्रभाव से नकारात्मक हार्मोंस का प्रवाह रुकता है और सकारात्मक हार्मोंस का प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य को सुदृढ़ और रोगमुक्त रखने में कारगर होता है.

 

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