Saturday, 19 July 2025

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भ्रष्टाचार का बड़ा पर्दाफाश

वीडीए में 25 हजार की घूस लेते रंगेहाथ पकड़े गए एई-जेई, एंटी करप्शन की छापेमारी से मचा हड़कंप

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में भ्रष्टाचार का बड़ा पर्दाफाश 

वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) का भ्रष्टाचार फिर बेनकाब

एंटी करप्शन टीम ने कार से बरामद की 25 हजार की रिश्वत

शिकायतकर्ता से नक्शा पास कराने के नाम पर मांगी जा रही थी रकम

प्रधानमंत्री के क्षेत्र में विकास की बजाय लूट का अड्डा बना है वीडीए

नक्शा पास कराने की प्रक्रिया को बनाया गया भ्रष्टाचार का औजार

विकास प्राधिकरण नहीं, 'वसूली प्राधिकरण' बन गया है वीडीए

आम नागरिक वर्षों से हो रहे हैं शोषण का शिकार

सरकार को चाहिए तत्काल निलंबन विभागीय जांच का आदेश

सुरेश गांधी 

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में विकास के नाम पर गठित वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) भ्रष्टाचार का पर्याय बनता जा रहा है। शनिवार को एंटी करप्शन टीम ने एक बड़ी कार्रवाई में वीडीए के अवर अभियंता (जेई), सहायक अभियंता (एई) समेत तीन कर्मचारियों को 25 हजार रुपये की घूस लेते रंगेहाथ धर दबोचा। यह रकम एक शिकायतकर्ता से नक्शा पास कराने के नाम पर मांगी जा रही थी।

कार में हो रही थी सौदेबाजी, वहीं हुई गिरफ्तारी

रामनगर के रहने वाले अजय कुमार गुप्ता ने जब इसकी शिकायत लखनऊ मुख्यालय स्थित एंटी करप्शन संगठन से की, तो शनिवार को ट्रैप टीम ने पड़ाव स्थित वीडीए कार्यालय के बाहर जाल बिछाया। जैसे ही तीनों कर्मचारी कार में अजय गुप्ता से 25 हजार रुपये लेते पकड़े गए, टीम ने उन्हें रंगेहाथ पकड़ लिया। कार से पूरी रकम बरामद कर ली गई और आरोपी कर्मचारियों को तत्काल हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी गई। इस कार्रवाई की खबर फैलते ही वीडीए कार्यालय में हड़कंप मच गया।  

नामजद आरोपी कौन?

सूत्रों के अनुसार, जिन कर्मचारियों को पकड़ा गया है, उनमें एक सहायक अभियंता (AE), एक अवर अभियंता (JE) और एक लिपिक शामिल है। तीनों का लंबा समय से रामनगर, भेलूपुर और नगवां क्षेत्र के भवन नक्शा स्वीकृति निर्माण निरीक्षण से जुड़ा काम रहा है। इन्हीं के जरिए अधिकतर "नक्शा पास कराना हो या अवैध निर्माण बचाना हो" जैसी चर्चाएं आम हो गई थीं।

वीडीएनाम विकास का, काम विनाश का!

वाराणसी विकास प्राधिकरण पर भ्रष्टाचार के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। भूमाफियाओं से मिलीभगत, बिना नक्शा पास कराए भवन निर्माण, मनमानी वसूली, और आम नागरिकों को अनावश्यक नियमों में फंसाकर रिश्वत मांगने की प्रवृत्ति इस विभाग को बदनाम कर चुकी है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'काशी विश्वनाथ कॉरिडोर', 'काशी स्मार्ट सिटी', और 'हर घर जल योजना' जैसी योजनाओं के बीच ऐसे भ्रष्टाचार की घटनाएं केवल सरकार की छवि धूमिल करती हैं, बल्कि नागरिकों का भरोसा भी तोड़ती हैं।

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