नारी शक्ति का अद्भुत संगम : 501 महिलाओं ने किया शिव महिम्न स्तोत्र का सामूहिक पाठ
काशी विश्वनाथ
धाम
गूंज
उठा
‘हर-हर
महादेव’
के
जयकारों
से
शिव महिम्न
स्तोत्र
: गंधर्व
पुष्पदंत
की
रचना,
अद्वैत
दर्शन
का
आधार
विश्वमांगल्य सभा
काशी
प्रांत
के
धर्म
शिक्षा
विभाग
द्वारा
आयोजन
आयोजन ने
दिया
संदेश
: नारी
शक्ति
ही
संस्कृति
की
असली
वाहक
सुरेश गांधी
वाराणसी. शिव की नगरी
काशी ने रविवार को
एक बार फिर धर्म,
आस्था और संस्कृति का
अद्भुत संगम देखा। श्री
काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के शिवार्चन मंच
पर 501 महिलाओं ने सामूहिक रूप
से शिव महिम्न स्तोत्र
का पाठ कर सम्पूर्ण
वातावरण को शिवमय बना
दिया। भगवान शिव की महिमा
का सामूहिक गुणगान करते हुए यह
आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान
नहीं रहा, बल्कि नारी
शक्ति, भक्ति और भारतीय परंपरा
का जीवंत प्रतीक बन गया।
सुबह से ही
मंदिर परिसर में महिलाएं पारंपरिक
वेशभूषा में एकत्र होने
लगी थीं। जैसे ही
501 स्वर एक साथ गूंजे,
शिव महिम्न स्तोत्र के प्रत्येक श्लोक
ने वातावरण को आध्यात्मिक बना
दिया। हर ओर “ॐ
नमः शिवाय“ और “हर-हर
महादेव“ के उद्घोष से
मंदिर चौक गूंज उठा।
शिव महिम्न स्तोत्र संस्कृत काव्य का एक अनमोल
रत्न है। इसका रचनाकार
गंधर्व पुष्पदंत माने जाते हैं।
पुराणों की कथा के
अनुसार पुष्पदंत ने भगवान शिव
के प्रति अनन्य भक्ति के कारण यह
स्तोत्र रचा था।
कार्यक्रम का आयोजन विश्वमांगल्य
सभा काशी प्रांत के
धर्म शिक्षा विभाग द्वारा किया गया। इसमें
प्रमुख अतिथि के रूप में,
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा, काशी प्रांत (अखिल
भारतीय विद्यार्थी परिषद) प्रांत संगठन मंत्री अभिलाष जी, केंद्रीय उच्च
तिब्बती शिक्षण संस्थान कुल सचिव डॉ.
सुनीता चंद्रा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
सदस्य कार्यकारी परिषद प्रो. श्वेता प्रसाद, अखिल भारतीय संयोजिका,
धर्म शिक्षा विभाग, विश्वमांगल्य सभा डॉ. राधिका
जी विशेष रूप से उपस्थित
रहीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता आनंद
प्रभा ने की, जबकि
सुगंधा ने संचालन कर
सभी को भक्ति में
डुबो दिया।
यह आयोजन केवल
स्तोत्र पाठ नहीं था,
बल्कि यह संदेश भी
था कि धर्म और
संस्कृति के संवाहक के
रूप में महिलाएँ आज
भी समाज को दिशा
दे रही हैं। सामूहिक
स्तोत्र पाठ ने यह
सिद्ध कर दिया कि
नारी शक्ति यदि एकजुट हो
जाए, तो उसका प्रभाव
आध्यात्मिक व सांस्कृतिक दोनों
स्तरों पर विराट हो
जाता है।
काशी की जीवंत परंपरा
काशी विश्वनाथ धाम
प्रशासन के सहयोग से
सम्पन्न इस आयोजन ने
यह सिद्ध किया कि काशी
की धार्मिक परंपराएँ आज भी उतनी
ही सजीव हैं, जितनी
सदियों पहले थीं। मंदिर
परिसर में उपस्थित श्रद्धालु
इस दृश्य को देखकर अभिभूत
हो उठे। शिवभक्ति में
लीन यह सामूहिक पाठ
काशी की उसी सनातन
परंपरा का द्योतक बना,
जिसमें धर्म केवल पूजा
तक सीमित नहीं, बल्कि समाज को संस्कारित
करने और जोड़ने का
माध्यम है।
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