गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति और लो-वोल्टेज समस्या से राहत की उम्मीद
पूर्वांचल में बिजली व्यवस्था का होगा कायाकल्प,
824 करोड़ से बदलेगी तस्वीर
नए उपकेंद्र,
ट्रांसफार्मर
और
हाई-टेक
लैब
से
सुदृढ़
होगा
बिजली
नेटवर्क
योजना में
नए
उपकेंद्र,
33 केवी
लाइनें
और
हजारों
ट्रांसफार्मरों
की
क्षमतावृद्धि
जैसे
कार्य
शामिल
सुरेश गांधी
वाराणसी। पूर्वांचल की जनता के
लिए यह खबर किसी
राहत से कम नहीं
है। दशकों से बिजली कटौती,
लो-वोल्टेज और ट्रांसफार्मर जलने
जैसी समस्याओं से जूझते उपभोक्ताओं
को अब बेहतर भविष्य
की उम्मीद दिख रही है।
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड
(यूपीपीसीएल) ने पूर्वांचल विद्युत
वितरण निगम लिमिटेड (पीयूवीवीएनएल)
के लिए वर्ष 2025-26 का
बिजनेस प्लान मंजूर कर लिया है।
824 करोड़ की इस योजना
से पूर्वांचल का विद्युत ढांचा
सुदृढ़ होगा और उपभोक्ताओं
को गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित कराई जा सकेगी।
योजना में नए उपकेंद्र,
33 केवी लाइनें और हजारों ट्रांसफार्मरों
की क्षमतावृद्धि जैसे कार्य शामिल
हैं। आंकड़े बताते हैं कि 11 नए
उपकेंद्र और 25 नई 33 केवी लाइनें बनाई
जाएंगी। 34 पुरानी 33 केवी लाइनों का
सुदृढ़ीकरण होगा। 7493 वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमतावृद्धि की
जाएगी। लगभग 2133 सुरक्षा कार्य जैसे वीसीवी स्थापना
और अर्थिंग भी किए जाएंगे।
इस निवेश से वितरण नेटवर्क
की वह कमर मजबूत
होगी जो लंबे समय
से अतिभारित होकर बार-बार
टूटती रही है।
पूर्वांचल लंबे समय से
बिजली की असमान आपूर्ति
का शिकार रहा है। अक्सर
यहां की जनता यह
कहने को मजबूर होती
रही है कि “बिजली
और पानी, चुनावी वादे का हिस्सा
तो हैं, पर हकीकत
नहीं।” 824 करोड़ की यह
योजना उस धारणा को
बदल सकती है। बशर्ते
कि इसमें पारदर्शिता और ईमानदारी से
क्रियान्वयन हो। यह कदम
सिर्फ उपभोक्ताओं की राहत तक
सीमित नहीं रहेगा, बल्कि
औद्योगिक निवेश और रोजगार सृजन
में भी सहायक सिद्ध
होगा। क्योंकि बेहतर बिजली व्यवस्था किसी भी क्षेत्र
की आर्थिक प्रगति की रीढ़ होती
है।
लो-वोल्टेज की पुरानी समस्या पर वार
योजना में कैपेसिटर से
संबंधित कार्यों को भी शामिल
किया गया है। इससे
लो-वोल्टेज की वह समस्या
दूर होगी, जिससे गांव-गांव और
कस्बों के उपभोक्ता वर्षों
से परेशान रहे हैं। ट्रांसफार्मर
जलने की घटनाओं पर
भी लगाम लगाने के
लिए एलटी सुरक्षा कार्यों
पर अलग से 50 करोड़
रुपये खर्च किए जाएंगे।
गुणवत्ता पर भी ध्यान
सिर्फ ढांचा खड़ा करने पर
ही नहीं, बल्कि गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर भी
ध्यान दिया गया है।
इसी मकसद से एक
हाई-टेक लैब विकसित
की जाएगी, जहां इन-हाउस
सामग्री परीक्षण होगा। इसका सीधा असर
काम की टिकाऊपन और
उपभोक्ताओं की संतुष्टि पर
पड़ेगा।
समयबद्धता ही होगी असली चुनौती
योजना भले ही महत्वाकांक्षी
हो, लेकिन असली कसौटी इसका
समयबद्ध क्रियान्वयन होगा। अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश
दिए गए हैं कि
निविदा प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर सभी
कार्यों को आगामी गर्मियों
से पहले ही संपन्न
कराया जाए। यदि यह
योजना तय समय में
लागू हो जाती है
तो यह पूर्वांचल में
बिजली सुधार का नया अध्याय
साबित होगी।
आम उपभोक्ता की उम्मीदें
बनारस निवासी अशोक जायसवाल कहते
हैं, “गांव में रोज़ाना
कई बार लाइट चली
जाती है, गर्मी में
सबसे ज़्यादा दिक्कत होती है। अगर
यह योजना समय पर पूरी
हुई तो लोगों की
बड़ी समस्या हल हो जाएगी।”
वहीं, भदोही की गृहिणी मीना
देवी का कहना है,
“लो-वोल्टेज से पंखे और
फ्रिज जैसे उपकरण ठीक
से चलते ही नहीं।
कैपेसिटर लगेगा तो सच में
बहुत राहत मिलेगी।” जनता
की यह उम्मीदें ही
इस योजना की असली कसौटी
हैं। यदि वाकई उपभोक्ताओं
तक बेहतर आपूर्ति पहुंची, तो पूर्वांचल की
तस्वीर बदलना तय है।
योजना के मुख्य कार्य
11 नए
उपकेंद्रों का निर्माण
25 नई
33 केवी लाइनों का निर्माण
34 पुरानी
33 केवी लाइनों का सुदृढ़ीकरण
52 पावर
ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि
158 नई 11 केवी
लाइनों का विभक्तिकरण
7493 वितरण ट्रांसफार्मरों
की क्षमतावृद्धि
2133 विविध सुरक्षा
कार्य (वीसीवी, अर्थिंग आदि)
इसके
साथ ही, वितरण परितर्वकों
के एलटी सुरक्षा कार्यों
पर लगभग ₹50 करोड़ खर्च किए
जाएंगे। इससे ट्रांसफार्मर जलने
की घटनाओं में कमी आएगी
और नेटवर्क अधिक मजबूत होगा।
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