Thursday, 14 August 2025

हिंदुओं को जागृत होना होगा, वरना पाकिस्तान जैसा हश्र : रमेशजी

काशी मेंअखंड भारत संकल्प दिवसपर गूंजा वंदे मातरम्, शहीदों की याद में जले असंख्य दीप

हिंदुओं को जागृत होना होगा, वरना पाकिस्तान जैसा हश्र : रमेशजी 

युवाओं से शहीद चंद्रशेखर आज़ाद के साहसिक कार्यों से प्रेरणा लेने का आह्वान

जागृत युवा मंच ने मनायाअखंड भारत संकल्प दिवस’, भारत माता मंदिर में उमड़ी देशभक्ति की लहर

संस्कृति, स्वाभिमान और एकता की रक्षा ही सच्ची आज़ादी

सुरेश गांधी

वाराणसी। जागृत युवा मंच के तत्वाधान में गुरुवार को भारत माता मंदिर विद्यापीठ, सिगरा में अखंड भारत संकल्प दिवस धूमधाम, उत्साह और भक्ति भावना के साथ से मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुई। अंत में असंख्य दीपदान एवं सामूहिक वंदेमातरम् गायन के बाद समापन हुआ, जिससे पूरा प्रांगण देशभक्ति के माहौल में सराबोर हो उठा। इस मौके पर मुख्य अतिथि काशी प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश जी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया, जबकि इससे पहले प्रचारिका शशि जी ने प्रेरणादायक संबोधन दिया।

मुख्य अतिथि रमेश जी ने अपने संबोधन में कहा कि अखंड भारत केवल सपना नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों का संकल्प है। उन्होंने कहा, “हमें अपने राष्ट्रनायकों के साहस से प्रेरणा लेनी होगी। शहीद चंद्रशेखर आज़ाद ने जिस निडरता से अंग्रेजी हुकूमत को ललकारा, वैसी ही निर्भीकता आज हममें होनी चाहिए।उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ जो अमानवीय व्यवहार हो रहा है, वैसा ही हाल भारत में हो, इसके लिए हिंदुओं को संगठित और जागृत होना जरूरी है।

रमेश जी ने कहा कि आज़ाद का जीवन इस बात का प्रमाण है कि त्याग, बलिदान और साहस से ही राष्ट्र सुरक्षित रह सकता है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता को मजबूत करें, क्योंकि राष्ट्र की अखंडता सिर्फ सीमाओं से नहीं, बल्कि समाज की जागरूकता और एकजुटता से सुरक्षित रहती है। रमेश जी ने अखंड भारत के ऐतिहासिक महत्व और विभाजन की पीड़ा पर भी विस्तार से अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अखंड भारत केवल एक भौगोलिक अवधारणा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत की पुनर्स्थापना का संकल्प है।

उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे राष्ट्रहित में एकजुट होकर कार्य करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए मजबूत भारत का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि यह दिन केवल अतीत की स्मृति का नहीं, बल्कि भविष्य के संकल्प का दिन है। 1936 में बने अखंड भारत के मानचित्र की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि तिब्बत से सागरमाथा, अमृतसर से अफगानिस्तान और तीन ओर से समुद्र से घिरे भारतवर्ष का यह स्वरूप देव-निर्मित है और इसे मां कहकर पूजने की परंपरा हमारे संस्कारों में है।

कार्यक्रम में रमेश जी द्वारा 14-15 अगस्त 1947 की विभीषिका, लाखों हिंदुओं का विस्थापन, करोड़ों की संपत्ति का नुकसान और धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्रों के विनाश का भावुक स्मरण किया गया। उन्होंने कहा कि आज का पाकिस्तान कभी राम-कृष्ण, तुलसी, पतंजलि, विवेकानंद और शिवाजी की धरती था, जहां अब पर्व-त्योहार हैं, ही मंदिर। स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का उदाहरण देते हुए बताया गया कि कैसे उन्होंने अपने इनाम की रकम एक बहन की बेटी के विवाह के लिए छोड़ दी और स्वयं आगे बढ़ गए। ऐसे त्याग और बलिदान से मिली आज़ादी को बचाना आज हम सबका कर्तव्य है। 

रमेश जी ने चेताया कि आतंकवाद, अलगाववाद और भारत-विरोधी ताकतें अब भी सक्रिय हैं। अगर हम अपनी संस्कृति, पर्व-त्योहार, मंदिर और जीवन-मूल्यों को नहीं बचाएंगे, तो भारत की आत्मा खो जाएगी। युवाओं से आह्वान किया गया कि वे राष्ट्रीयता, एकता और स्वाभिमान की भावना को जीवन में उतारें और कठिनाइयों से डरते हुए अखंड भारत की प्राप्ति और उसकी रक्षा के लिए निरंतर कार्य करें। उन्होंने कहा कि अखंड भारत दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि भूभाग की रक्षा के साथ ही हमें अपनी संस्कृति, धर्म और परंपराओं की भी रक्षा करनी होगी, तभी भारत, भारत रहेगा।

राष्ट्र सेविका समिति की क्षेत्र प्रचारिका सुश्री शशि जी ने अपने संबोधन में राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि भारत की शक्ति और गौरव तभी सुरक्षित रह सकता है जब युवा पीढ़ी संस्कार, त्याग और राष्ट्रभक्ति की भावना को अपने जीवन में उतारे। अखंड भारत का सपना तभी साकार होगा जब समाज के सभी वर्ग अपने-अपने स्तर पर राष्ट्र की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक गौरव की रक्षा के लिए आगे आएंगे। 1947 के कालखण्ड में राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता में कमी के फलस्वरूप हमें खण्डित भारत प्राप्त हुआ। वर्तमान भारत माता मन्दिर में अखण्ड भारत का मानचित्र राष्ट्र की विशालता और गौरव का भान कराता है। आज का संकल्प दिवस इसलिए भी आयोजित है कि वर्तमान स्वतंत्र भारत की भूमि को संरक्षित एवं सुरक्षित रखना होगा। 

कार्यक्रम के अंत में भारत माता की जय, वंदे मातरम् और जय श्रीराम के गगनभेदी नारों से पूरा प्रांगण गूंज उठा। बड़ी संख्या में उपस्थित युवाओं और नागरिकों ने हाथ उठाकर अखंड भारत के निर्माण का संकल्प दोहराया। मंच से यह संकल्प लिया गया कि भारत माता की पूर्ण आराधना और अखंडता के लिए सभी मिलकर कार्य करेंगे। देश की एकता, संस्कृति और स्वाभिमान के लिए हमेशा समर्पित रहेंगे। तत्पश्चात अनिल जी द्वारा पुन: भारत अखण्ड करने हेतु संकल्प दिलाया गया। वेद के विद्यार्थियों द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम मेंयुवा, महिला मंडल और समाजसेवी उपस्थित रहे। इस अवसर पर राष्ट्र सेविका समिति की प्रान्त कार्यवाहिका रंजना जी, प्रान्त महिला समन्वयक प्रो मंजू द्विवेदी, प्रान्त सेवा प्रमुख दुर्गा जी, प्रान्त तरुणी प्रमुख नेहा जी, प्रान्तशारीरिक शिक्षण प्रमुख कविता जी, प्रो अमिता सिंह सहित बड़ी संख्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राष्ट्र सेविका समिति के स्वयंसेवक बन्धु, गणमान्य नागरिक एवं मातृशक्ति उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संयोजन श्रीकांत जी, एवं संचालन रवीन्द्र जी ने किया।

अखंड भारत का भाव

1936 में भारत माता मंदिर में बने अखंड भारत मानचित्र का उल्लेख, जो 628 रियासतों और विस्तृत भूभाग को दर्शाता है।  तिब्बत से सागरमाथा और अमृतसर से अफगानिस्तान तक फैला भारत, जिसे देव-निर्मित धरती के रूप में वर्णित किया गया।

विभाजन की त्रासदी

14 अगस्त 1947 को हुए बंटवारे से लाखों हिंदुओं का विस्थापन, करोड़ों की संपत्ति छूटना, और मानवीय त्रासदी। आज का पाकिस्तान कभी राम-कृष्ण, तुलसी, पतंजलि, विवेकानंद, शिवाजी और गुरुओं की धरती थी, लेकिन अब वहां मंदिर, त्योहार और परंपराएं लगभग समाप्त। 14 अगस्त 1947 काभारत विभाजन दैव निर्मित होकर मानव निर्मित था, जिस कारण अखण्ड भारत के प्राकृतिक स्वरूप में कोई परिवर्तन तो नहीं आया परन्तु इस राजनैतिक बंटवारे में भारत के गौरवशाली स्वरूप को छिन्नभिन्न कर दिया। 14 अगस्त के दिन कुछ मुट्ठी भर लोगों ने मात्र एक रेखा खींच कर भारत माता के टुकड़े कर दिये। यह दिवस ऐसा है जिसके एक ओर दीपावली है, वहीं दूसरी ओर रक्त रंजित होली है। विष्णु पुराण में ल्लिखित है कि उत्तर में हिमालय एवं दक्षिण में हिन्द महासागर के मध्य की भूमि जिसे हिन्दुस्थान कहा गया है वह ईश्वर के द्वारा निर्मित है। इसी कारण प्रत्येक भारतीय इस भूमि को माता के रूप में वन्दन करता है। 11वीं सदी से 1757 0 के पूर्व किसी भी आक्रमणकारी ने सम्पूर्ण भारत पर शासन कभी नहीं किया। परन्तु अंग्रेजों ने इस राष्ट्र को टुकड़ों में बांटकर 190 वर्षों तक शासन किया। 1876 में अफगानिस्तान, 1904 में नेपाल, 1906 में भूटान, 1930 में श्रीलंका, 1935 में वर्मा तथा 1947 में वर्तमान पाकिस्तान एवं बांग्लादेश भारत से अलग किये गये। उन्होंने संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि जिस भूमि पर गीता, गंगा, गायत्री, गौ जैसे मान बिन्दुओं का सम्मान नहीं होता वह अब हमारी भूमि नहीं है, इस बात की पीड़ा हम सबमें होनी चाहिए। विशेष रूप से भारत पाकिस्तान विभाजन के समय जिन व्यक्तियों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया उनके प्रति हमारी संवेदनाएं सदैव जागृत होनी चाहिए।

स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरक प्रसंग

चंद्रशेखर आजाद की बलिदानी कथाकृअपने इनाम की रकम जरूरतमंद बहन के विवाह के लिए छोड़कर आगे बढ़ जाना। अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने काला पानी, जेल, फांसी, और यातनाएं सहकर भारत को आज़ाद कराया।

वर्तमान चुनौतियां

आतंकवाद, अलगाववाद औरभारत तोड़नेकी साजिशें आज भी सक्रिय। कुछ हिस्सों में हिंदू विहीनकरण और सांस्कृतिक क्षरण की गंभीर चिंता।

भारत को सुरक्षित रखने का संकल्प

धर्म, संस्कृति, पर्व-त्योहार, देवालय और जीवन-मूल्यों की रक्षा ही भारत की आत्मा की रक्षा है। युवाओं में राष्ट्रीयता, एकता और स्वाभिमान का भाव जाग्रत करना आवश्यक। कठिनाइयों और बलिदान से डरते हुए भारत की एकता और अखंडता के लिए निरंतर प्रयास। अखंड भारत दिवस केवल एक स्मृति दिवस नहीं, बल्कि यह संकल्प लेने का दिन है कि हम अपने पूर्वजों के बलिदान से मिले इस भारत कोकृइसके भूभाग, संस्कृति, धर्म, त्योहार और जीवन मूल्यों सहितकृहर परिस्थिति में सुरक्षित और संरक्षित रखेंगे।

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