सुगंधित फूलों और दीपों से जगमगाएगा बाबा विश्वनाथ धाम
दीप ज्योति
पर्व:
छह
दिन
तक
चलेगा
भव्य
आयोजन,
धनतेरस
पर
खुलेगा
मां
अन्नपूर्णा
का
दरबार,
अन्नकूट
पर
14 क्विंटल
मिठाइयों
का
भोग
सुरेश गांधी
वाराणसी। काशी के भक्तों के लिए आध्यात्मिक आनंद और सांस्कृतिक उल्लास का प्रतीक बन चुका श्रीकाशी विश्वनाथ धाम इस बार भी दीप ज्योति पर्व के लिए पूरी तरह सज-धज कर तैयार हो रहा है। सुगंधित पुष्पों की महक और विद्युत झालरों की चमक से धाम का वातावरण भक्तों को अलौकिक अनुभव कराएगा। धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि गुरुवार से धाम में सजावट का कार्य शुरू हो जाएगा। मंदिर परिसर को बाबा के प्रिय रंग-बिरंगे पुष्पों से सजाया जाएगा और छह दिनों तक निरंतर धार्मिक व सांस्कृतिक अनुष्ठान आयोजित होंगे। सुगंधित पुष्पों, दीपों और भोग की इस भव्य व्यवस्था के साथ श्रीकाशी विश्वनाथ धाम इस बार भी भक्तों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का केंद्र बनेगा।
धनतेरस पर मां अन्नपूर्णा का भव्य दरबार
धनतेरस के दिन ही
मां अन्नपूर्णा का भव्य दरबार
खुलेगा। दोनों हाथों से भक्तों पर
अपना खजाना लुटाने वाली मां इस
अवसर पर दो दिनों
तक भक्तों को प्रसन्न करेंगी।
मंदिर प्रशासन ने बताया कि
भक्तों की सुविधा और
भक्ति भाव को ध्यान
में रखते हुए दरबार
की सजावट इस बार और
भी भव्य होगी।
अन्नकूट महोत्सव: 14 क्विंटल मिठाइयों और 56 भोग
दीपावली के दिन अन्नकूट
महोत्सव में मां अन्नपूर्णा
और बाबा विश्वनाथ को
14 क्विंटल मिठाइयों सहित कुल 56 प्रकार
के व्यंजन भोग के रूप
में चढ़ाए जाएंगे।
मिठाइयां:
विभिन्न प्रकार के लड्डू, पेठा,
रसगुल्ला और अन्य पारंपरिक
मिठाइयां
नमकीन
एवं
मठरी:
मंदिर प्रशासन स्वयं तैयार करेगा
अन्य
व्यंजन:
काशी की विश्वसनीय दुकानों
से मंगवाए जाएंगे
इस वर्ष अन्नकूट
महोत्सव और भोग का
आयोजन पहले से भी
अधिक भव्य और श्रद्धालुओं
के लिए आकर्षक बनाया
गया है।
दीपावली पर सांस्कृतिक झलक
दीपावली के दिन मंदिर
चौक में विशेष सांस्कृतिक
कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। दीपमालिकाओं
और विद्युत झालरों से सजा धाम
पूरे काशी में रौशनी
और भक्ति की अलौकिक छटा
बिखेरेगा। सुगंधित फूलों की खुशबू, दीपों
की चमक और भोग
के व्यंजनों की महक मिलकर
श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद
प्रदान करेगी।
बाहर से भी आएंगे भक्त और व्यंजन
मंदिर प्रशासन ने यह भी
सुनिश्चित किया है कि
मिठाइयों व व्यंजनों की
गुणवत्ता सर्वोत्तम रहे। कई प्रकार
की मिठाइयां मंदिर में स्वयं बनवाई
जाएंगी, जबकि अन्य विश्वसनीय
दुकानों से मंगवाई जाएंगी।
इससे न केवल श्रद्धालुओं
को विविध स्वादों का अनुभव मिलेगा,
बल्कि काशी की स्थानीय
मिठाई और व्यंजन उद्योग
को भी प्रोत्साहन मिलेगा।



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