Monday, 13 October 2025

दीपों का पर्व, आशा का आलोक : बनेगा दुर्लभ शुभ संयोग, शनि देंगे धन-राजयोग

दीपों का पर्व, आशा का आलोक : बनेगा दुर्लभ शुभ संयोग, शनि देंगे धन-राजयोग

इस वर्ष सोमवार, 20 अक्तूबर को मनाई जाने वाली दीपावली केवल प्रकाश का उत्सव होगी, बल्कि दुर्लभ ग्रह संयोगों से समृद्धधन-राजयोगका संदेश भी लाएगी। पंचांगों के अनुसार, आश्विन अमावस्या तिथि प्रदोष काल में पड़ रही है, इसलिए इसी दिन महालक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। इस बार शनि देव मीन राशि में वक्री होकर शुभ दृष्टि डाल रहे हैं, जिससे निवेश, व्यापार और समृद्धि के योग बन रहे हैं। 18 अक्तूबर से आरंभ होकर 23 अक्तूबर तक चलने वाला यह छह दिवसीय दीपोत्सव केवल पूजा नहीं, बल्कि आस्था, स्वच्छता और आत्मजागृति का पर्व है। दीपक का प्रकाश अंधकार नहीं, अज्ञान मिटाता है, यह हमें स्मरण कराता है कि सच्ची दीपावली तब होती है जब मन के भीतर भी उजाला जले। अयोध्या से लेकर काशी तक, हर घर में जब मिट्टी का दीपक टिमटिमाता है, तो वह केवल तेल से नहीं, उम्मीद और विश्वास से जलता है, यही भारतीय संस्कृति का शाश्वत संदेश है कितमसो मा ज्योतिर्गमय”, अंधकार से प्रकाश की ओर चलो 

सुरेश गांधी

भारत में दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति की सबसे उज्ज्वल अभिव्यक्ति है. जहां मिट्टी का दीपक केवल तेल और बत्ती से नहीं, बल्कि आस्था और आशा से जलता है। यह वही क्षण है जब पूरे देश में एक साथ हृदयों की लौ जल उठती है, अयोध्या से काशी तक, मथुरा से मदुरै तक, हर घर में दीपक बोलता है, “तमसो मा ज्योतिर्गमय।इस वर्ष यह महापर्व सोमवार, 20 अक्तूबर को मनाया जाएगा। पंचांगों के अनुसार, आश्विन मास की अमावस्या तिथि 20 अक्तूबर दोपहर 344 बजे से प्रारंभ होकर 21 अक्तूबर शाम 555 बजे तक रहेगी। चूंकि प्रदोष और निशीथ काल 20 अक्तूबर की रात को ही पड़ रहा है, इसलिए शास्त्र सम्मत पूजन उसी दिन होगा। खास यह है कि यह दीपावली केवल एक दिन नहीं, बल्कि उत्सवों की छठ है, जहाँ हर दिन का अपना अर्थ और अध्यात्म है। 

दीपक केवल मिट्टी का पात्र नहीं, यह मनुष्य के भीतर बसे अंधकार पर विजय का प्रतीक है। शास्त्रों में कहा गया है कि दीप जलाने से अज्ञान रूपी तमस का नाश होता है। दीप प्रज्वलन के समय यह श्लोक विशेष रूप से पढ़ा जाता है,

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।

शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तुते।।

यह केवल आशीर्वचन नहीं, बल्कि प्रकाश का स्तोत्र है, जो मनुष्य को स्वास्थ्य, समृद्धि और विवेक देता है। दूसरा मंत्र,

दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः।

दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।

यह मंत्र बताता है कि दीप ही ब्रह्म का स्वरूप है, जो बाहर का नहीं, भीतर का अंधकार मिटाता है। दीपावली से पहले घर की सफाई को लोग अक्सर परंपरा मानते हैं, पर वास्तव में यह वास्तु और मनोविज्ञान दोनों का संगम है। स्वच्छता केवल धूल हटाने का कार्य नहीं, बल्कि ऊर्जा को प्रवाहित करने का माध्यम है। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) : देवताओं की दिशा, यहां स्वच्छता से सुख-शांति आती है। 
ब्रह्मस्थान (घर का मध्य) : ऊर्जा का केंद्र, इसे खुला और निर्बाध रखें। 
पूर्व दिशा : सूर्य की पहली किरण का स्वागत करती है। उत्तर दिशाः कुबेर की दिशा, यहां हरियाली रखना शुभ माना गया है। 
कहावत है, “जहां दीपक जले, वहां लक्ष्मी रुके।पर यह दीप केवल तेल का नहीं, सद्भाव का होना चाहिए। 

दीपावली का अर्थ केवल दीयों की श्रृंखला नहीं, बल्कि संसार रूपी अंधकार से आत्मा रूपी ज्योति की यात्रा है। जब भगवान श्रीराम चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे, तब नगरवासियों ने दीप जलाकर कहा था, “हमारे भीतर का रावण मरे, तभी सच्ची दीपावली होगी।आज भी वही संदेश जीवित है, जब लोभ की जगह संतोष, द्वेष की जगह दया, और असत्य की जगह सत्य का प्रकाश जगे, वही असली दीपावली है। मतलब साफ है दीपावली का सबसे बड़ा संदेश यही है, “अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों हो, एक दीप पर्याप्त है।हमारे भीतर का दीप हमारी चेतना है, जो सत्य, ज्ञान और प्रेम का प्रकाश फैलाती है। जब यह दीप प्रज्ज्वलित होता है, तब कोई शत्रु रह जाता है, भय, ईर्ष्याकृकेवल आलोक। अतः इस दीपावली केवल घर नहीं, मन को भी सजाइए। अंदर की उदासी, शिकायत और अवसाद को बाहर फेंक दीजिए। जलाइए, उसके साथ अपनी आशा भी जगाइए।

दिन             तिथि                     पर्व

शनिवार               18 अक्तूबर                          धनतेरस

रविवार                 19 अक्तूबर                          रूप चौदस (नरक चतुर्दशी)

सोमवार               20 अक्तूबर                          दीपावली (महालक्ष्मी पूजन)

मंगलवार              21 अक्तूबर                          अमावस्या स्नान-दान

बुधवार                 22 अक्तूबर                          गोवर्धन पूजा

गुरुवार                 23 अक्तूबर                          भाई दूज

यह संपूर्ण सप्ताह सुख, स्वास्थ्य और संपन्नता का प्रतीक
बनेगा।
धनतेरस पर जहां धनवन्तरि देव से आरोग्य की कामना की जाती है, वहीं गोवर्धन पूजा और भाई दूज तक यह पर्व संबंधों के पुनर्निर्माण का अवसर देता है। इस वर्ष दीपावली पर ग्रहों का अद्भुत संयोग बन रहा है। शनि देव मीन राशि में वक्री अवस्था में रहकर शुभ दृष्टि डालेंगे, जिससेधन-राजयोगका निर्माण हो रहा है। यह संयोग व्यापार, निवेश और उद्योग के क्षेत्र में वृद्धि का संकेत देता है। वृषभ राशि, निवेश में लाभ और धन-संग्रह का समय। मिथुन राशि, संघर्षों से राहत और अप्रत्याशित लाभ की संभावना। मकर राशि, रुका हुआ धन प्राप्त होगा, सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। इसके साथ ही सूर्य, बुध और मंगल की युति सेबुधादित्य योगबनेगा, जो बुद्धि, नेतृत्व और सफलता का प्रतीक है। इस योग में किया गया महालक्ष्मी पूजन विशेष फलदायी माना गया है।

पूजन के शुभ मुहूर्त : प्रदोष में स्थिर लक्ष्मी

ज्योतिषाचार्यों
के अनुसार, स्थिर लग्न में पूजन से लक्ष्मी की स्थिरता प्राप्त होती है। इस वर्ष के शुभ लग्न इस प्रकार हैं, कुंभ लग्न : दोपहर 209 से 340 बजे तक, वृषभ लग्न : शाम 651 से 848 बजे तक, सिंह लग्न : रात्रि 119 से 333 बजे तक, वृषभ और सिंह लग्न में पूजन सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इन कालों में दीप, पुष्प, शंख, कमल और धूप से महालक्ष्मी का आह्वान करना शुभ है। प्रदोष काल में करें महालक्ष्मी पूजन, वृषभ और सिंह लग्न रहेगा सर्वाधिक शुभ, धर्मशास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्यापिनी अमावस्या पर ही दीपावली का पर्व मनाया जाता है, क्योंकि इसी कालखंड में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। अगले दिन 21 अक्तूबर को कार्तिक अमावस्या का दान-स्नान होगा।

श्रीयंत्र और महालक्ष्मी पूजन विधि

दीपावली का पूजन केवल अनुष्ठान नहीं, बल्कि ऊर्जा का संचार
है। प्रत्येक विधि में विज्ञान और प्रतीकवाद दोनों समाहित हैं। पूजन स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लाल वस्त्र बिछाएं। गणेश-लक्ष्मी, कुबेर और श्री यंत्र की स्थापना करें। कलश पर स्वास्तिक बनाकर नारियल और आमपत्र स्थापित करें। धन, मिठाई, चावल और कमलगट्टा का नैवेद्य लगाएं। पहले गणेश पूजन, फिर लक्ष्मी, कुबेर, सरस्वती, इंद्र और महाकाली की आराधना करें। बहीखाते, तिजोरी, व्यापारिक रजिस्टर आदि की पूजा करें। श्रीयंत्र का केसरयुक्त गो-दुग्ध से अभिषेक करते समय यह श्रीविद्या मंत्र उच्चारित करें, “ श्रीं ह््रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः।कहा गया है कि इस दिन लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं, जहां स्वच्छता, सुवास और श्रद्धा होती है, वहां ठहर जाती हैं।

अर्थव्यवस्था और रोजगार का पर्व

दीपावली केवल धार्मिक नहीं, आर्थिक दृष्टि से भी भारत का सबसे बड़ा पर्व है। देश में 6 लाख करोड़ से अधिक का व्यापार इस अवसर पर होता है। मिट्टी के दीयों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सजावट, वस्त्र, स्वर्णाभूषण, फर्नीचर और मिठाई उद्योग तक, हर क्षेत्र में नई ऊर्जा भर जाती है। मोमबत्ती, रंगोली, खिलौने, वस्त्र, बर्तन, मिठाई, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, हर बाजार में दीपावली उत्सव अर्थव्यवस्था को गति देता है। सिर्फ शहरी नहीं, ग्रामीण भारत में भी यह लघु उद्योगों का पुनर्जागरण बनता है।

इस बार के तीन शुभ योग

1. शनि का धन राजयोग : आर्थिक स्थिरता और सफलता। 

2. बुधादित्य योग : विवेक और नेतृत्व का संयोग।

3. लक्ष्मी पंचग्रह योग : समृद्धि और शुभता का प्रतीक।

दीपावली पूजन के पांच सरल चरण

1. स्थान की शुद्धि : गंगाजल से छिड़काव।

2. दीप प्रज्वलन : पूर्व या उत्तर दिशा में। 

3. गणेश-लक्ष्मी पूजन : शंख, पुष्प, धूप से।

4. तिजोरी बहीखाता पूजन।

5. परिवार सहित आरती और प्रसाद वितरण।

वास्तु टिप्स से पाएं लक्ष्मी कृपा

घर के मुख्य द्वार पर तोरण बंधनवार लगाएं।

तुलसी के पास दीपक जलाना शुभ है।

शुक्रवार और दीपावली की रात दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर लक्ष्मी को अर्पित करें।

घर की उत्तर दिशा में हरा पौधा रखें, यह कुबेर की दिशा है।

दीप बनो, दीप जलाओ

हर वर्ष दीपावली हमें स्मरण कराती है कि, संघर्षों के बाद भी प्रकाश संभव है। राम लौटते हैं, रावण मिटता है, और अयोध्या फिर जगमगाती है। इस वर्ष का यह दुर्लभ शनि धन-राजयोग, हर भारतीय के जीवन में उन्नति और उल्लास का दीप जलाए, इसी मंगलकामना के साथ, “दीपावली केवल पर्व नहीं, यह आत्मा की यात्रा है, जहां हम बाहर के नहीं, भीतर के अंधकार को जलाते हैं।भगवान राम के अयोध्या लौटने की याद में मनाया जाने वाला यह पर्व आज भी हमें सिखाता है कि असत्य पर सत्य की, अज्ञान पर ज्ञान की, और लोभ पर संतोष की विजय ही वास्तविक दीपावली है।

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