Wednesday, 10 December 2025

भारतीय अस्मिता की संजीवनी बनी श्रीराम कथा

भारतीय अस्मिता की संजीवनी बनी श्रीराम कथा 

13 दिसंबर को रथयात्रा स्थित शगुन बैंक्विट हाल में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी सम्मान समारोह

अयोध्या, वाराणसी, वृंदावन के शोध संस्थानों का संयुक्त आयोजन, देश - विदेश के विद्वानों का जुटान

सुरेश गांधी

वाराणसी. भारतीय अस्मिता, संस्कृति और जीवन मूल्यों की पुनर्पुष्टि को समर्पित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठीभारतीय अस्मिता की संजीवनी - श्रीराम कथाका भव्य आयोजन आगामी 13 दिसंबर, शनिवार को स्वस्तिक सिटी सेंटर स्थित शगुन बैंक्विट, रथयात्रा में होगा। यह आयोजन तारक सेवा संस्था, वाराणसी, अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, अयोध्या तथा वृंदावन शोध संस्थान, वृंदावन के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है। इसकी जानकारी संस्था के सचिव श्रीपति दीक्षित ने पराड़कर स्मृति भवन, गोलघर में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। 

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम पूर्वाह्न 11 बजे से सायं 5 बजे तक दो सत्रों में संचालित होगा। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. दयाशंकर मिश्रदयालु’, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, उत्तर प्रदेश होंगे. जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. बल्देव भाई शर्मा, पूर्व कुलपति, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ एवं पूर्व अध्यक्ष, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत सरकार। इस सत्र में कई विशिष्ट विद्वान, साहित्यकार और शोधकर्ता उपस्थित रहेंगे। श्रीपति दीक्षित ने बताया कि दूसरा सत्र ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सेशन होगा जिसमें अमेरिका, म्यांमार, चीन, लंदन, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया सहित कई देशों से वक्ता डिजिटल माध्यम से जुड़ेंगे। इस सत्र के मुख्य अतिथि अखिलेश मिश्रा, भारत के राजदूत, डबलिन (आयरलैंड) होगे। कार्यक्रम के दौरान दो विशिष्ट सम्मान भी प्रदान किए जाएंगे, तन्मय साधक सम्मान - 2025 आचार्य पं. राजपति दीक्षित स्मृति सम्मान.

सचिव श्रीपति दीक्षित ने कहा कि इस संगोष्ठी का प्रमुख उद्देश्य श्रीराम कथा की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और नैतिक शक्ति को पुनः स्थापित करना है। तुलसीदास और वाल्मीकिजी द्वारा प्रस्तुत रामकथाओं के माध्यम से भारतीय समाज, नीति, धर्म और आदर्शों की पुनर्परिभाषा पर विचार होगा। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों से अनेक विशिष्ट और अतिविशिष्ट अतिथि इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए काशी पहुंच रहे हैं। यह आयोजन काशी में धार्मिक वैदिक विमर्श की एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होने जा रहा है, जिसमें भारतीय अस्मिता और संस्कृति पर गहन चिंतन - मंथन की उम्मीद की जा रही है।


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