मतदाता सूची का शुद्धिकरण ही मजबूत लोकतंत्र की नींव : सी.आर. पाटिल
बूथ सशक्तिकरण
स्नेह
मिलन
में
का
बड़ा
संदेश,
2047 के
विकसित
भारत
का
आधार
एस.आई.आर.
को
लेकर
भ्रम
तोड़ना
बूथ
अध्यक्षों
की
जिम्मेदारी
: सुनील
बंसल
70 फीसदी से अधिक मतदान
वाले
116 बूथ
अध्यक्ष
सम्मानित
दो हजार
से
अधिक
बूथ
अध्यक्षों
की
सहभागिता,
संगठन
में
दिखा
उत्साह
सुरेश गांधी
वाराणसी. लोकतंत्र की जड़ों को
मजबूत करने और 2047 के
विकसित भारत के संकल्प
को साकार करने की दिशा
में मतदाता सूची का शुद्धिकरण
एक अनिवार्य कदम है। यह
संदेश केंद्रीय जल शक्ति मंत्री
सी.आर. पाटिल ने
दिया। अवसर था भाजपा
वाराणसी जिला एवं महानगर
द्वारा केंटोमेंट स्थित होटल डी-पेरिस
में आयोजित बूथ सशक्तिकरण स्नेह
मिलन सम्मेलन का।
केंद्रीय मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि कमजोर बूथों को मजबूत करना संगठन की प्राथमिकता रही है। जिन बूथ अध्यक्षों ने कम मतदान प्रतिशत वाले क्षेत्रों में मेहनत कर मतदान बढ़ाया, उनका सम्मान संगठन की कृतज्ञता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और काशीवासियों के बीच आत्मीय संबंध ने काशी के कायाकल्प को संभव बनाया है। बीते एक दशक में काशी का विकास देश के लिए उदाहरण बन चुका है।
एस.आई.आर. पर विपक्ष का भ्रमजाल
देश के 12 राज्यों में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) पर बोलते हुए सी.आर. पाटिल ने कहा कि मतदाता पुनरीक्षण लोकतांत्रिक जनजागरण का अभियान है। मतदाता सूची के शुद्धिकरण से न केवल लोकतंत्र मजबूत होगा, बल्कि राष्ट्र निर्माण को भी नई गति मिलेगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि
पश्चिम बंगाल में विपक्ष ैप्एसआअर्आर
से घबराया हुआ है, क्योंकि
फर्जी वोटरों के नाम हटने
का डर है। एसआईआर
प्रक्रिया लोकतंत्र को पारदर्शी और
विश्वसनीय बनाने का माध्यम है।
बूथ अध्यक्षों की भूमिका निर्णायक : सुनील बंसल
उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम को प्रत्येक बूथ पर सामूहिक रूप से सुनने और फॉर्म-6 के माध्यम से 18 वर्ष पूर्ण कर चुके सभी पात्र युवाओं को मतदाता सूची से जोड़ने पर जोर दिया।
एसआईआर अभियान पर विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि शहरी मतदाता का नाम जुड़ने से उसकी ग्रामीण संपत्ति पर कोई असर नहीं पड़ता। यह केवल मतदान से जुड़ी प्रक्रिया है।
बूथ अध्यक्षों की जिम्मेदारी है
कि वे हर मतदाता
को एसआईआर की वास्तविकता समझाएं
और भ्रमजाल को तोड़ें। उन्होंने
बताया कि पश्चिम बंगाल
में अब तक लगभग
50 लाख बोगस नाम मतदाता
सूची से हटाए जा
चुके हैं।




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