Sunday, 28 December 2025

नव वर्ष की विदाई, आगमन : जब उत्सव बनता है अर्थव्यवस्था

नव वर्ष की विदाई, आगमन : जब उत्सव बनता है अर्थव्यवस्था

घड़ी की सुइयां जैसे ही 31 दिसंबर की रात बारह बजाती हैं, भारत सिर्फ एक नया साल नहीं अपनाता, वह खपत, व्यापार, पर्यटन, आस्था और बाज़ार की नई शुरुआत करता है। नव वर्ष 2025 की विदाई और 2026 का स्वागत अब भावनाओं तक सीमित उत्सव नहीं रहा, बल्कि यह देश की सबसे बड़ी अल्पकालिक व्यावसायिक गतिविधि के रूप में स्थापित हो चुका है। यह वह समय है जब फूल मंडियों से लेकर मंदिर प्रांगण, होटलों से लेकर होम-स्टे, रेलवे - एयरपोर्ट से लेकर घाटों और गलियों तक, हर जगह नकदी प्रवाह तेज़ हो जाता है। बनारस जैसे आध्यात्मिक नगर में नव वर्ष की सुबह गंगा के घाटों से शुरू होकर मंदिरों, बाज़ारों और होटलों तक पहुंचती है। फूल-माला, पूजा सामग्री, नाव, होटल, खानपान, हस्तशिल्प और गाइड सेवाओं में एक ही दिन में सामान्य दिनों से कई गुना अधिक बिक्री दर्ज होती है। यही तस्वीर पूर्वांचल के अयोध्या, प्रयागराज, गोरखपुर और मिर्जापुर में भी दिखाई देती है, जहां नव वर्ष अब धार्मिक पर्यटन और स्थानीय व्यापार का साझा पर्व बन चुका है। उत्तर प्रदेश, जो पहले ही देश का सबसे अधिक पर्यटक आगमन वाला राज्य बन चुका है, नव वर्ष के अवसर पर होटल ऑक्यूपेंसी, स्थानीय बाज़ार बिक्री और परिवहन सेवाओं में तेज़ उछाल देखता है। राज्य में करोड़ों श्रद्धालु-पर्यटक आते हैं, जिससे फूल, प्रसाद, भोजन, गिफ्टिंग और सेवाओं की मांग सीधे स्थानीय व्यापारियों तक पहुँचती है। राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो नव वर्ष का सप्ताह पर्यटन, हॉस्पिटैलिटी, फूड, रिटेल, -कॉमर्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लिए वर्ष का सबसे व्यस्त समय बन चुका है। होटल बुकिंग, यात्रा खर्च, खानपान और उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में 5 से 30 प्रतिशत तक की अतिरिक्त वृद्धि दर्ज होती है। यह खर्च केवल महानगरों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों की अर्थव्यवस्था को भी गति देता है। इस तरह नव वर्ष अब सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि भारत की उत्सव-आधारित अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ बन चुका है, जहां एक तारीख करोड़ों के कारोबार, लाखों रोजगार और पूरे देश के बाज़ार की धड़कन तय करती है 

सुरेश गांधी

अब नव वर्ष सिर्फ कैलेंडर बदलने का दिन नहीं रह गया है। यह उत्सव, उपभोग, आस्था, पर्यटन और व्यापार का ऐसा संगम बन चुका है, जिसमें देश की अर्थव्यवस्था का हर सेक्टर किसी किसी रूप में शामिल होता है। 2025 की विदाई और 1 जनवरी 2026 का पहला सूर्योदय अब एक राष्ट्रीय आर्थिक उत्सव का स्वरूप ले चुका है। फूलों की खुशबू से लेकर मंदिरों की घंटियां, होटल, रेस्तरां की बुकिंग से लेकर टूर पैकेज, केक, चॉकलेट से लेकर ज्वेलरी और गिफ्ट आइटम तक, हर सेक्टर में अरबों रुपये का कारोबार केवल 48 से 72 घंटे में खड़ा हो जाता है। मतलब साफ है जब घड़ी की सुइयाँ 31 दिसंबर की रात बारह बजाती हैं और एक नया कालखंड 1 जनवरी की पहली किरण के साथ उभरता है, तब सिर्फ एक तारीख नहीं बदलती, पूरे देश की उपभोक्ता चेतना, पर्यटन गतिविधि, पूजा, आराधना, आतिशबाजी और व्यापार का चक्र सक्रिय हो जाता है। 2025 की विदाई और 2026 के स्वागत का यह पर्व अब केवल भावनात्मक उत्सव नहीं रहा। यह भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण मोटर बन चुका है, जहां स्थानीय व्यापारी से लेकर राष्ट्रीय ब्रांड, होटल उद्योग से लेकर ईदृकॉमर्स तक, सभी की हिस्सेदारी है। वैसे भी भारत में उत्सवों का आर्थिक महत्व सिर्फ दीपावली या होली तक सीमित नहीं रह गया है। वर्ष के अंत में आने वाला नव वर्ष भी एक बड़ा आर्थिक अवसर बन चुका है, जो आवास, ट्रैवल, खानपान, पूजा सामग्री, फूल, सजावट और गिफ्टिंग जैसे कई वर्गों को जोड़ता है। या यूं कहे त्योहारों के दौरान खर्च का प्रभाव डीजीपी पर प्रत्यक्ष रूप से दिखाई देता है और कुल खर्च का मल्टिप्लायर इफेक्ट अर्थव्यवस्था में विस्तृत रूप से फैलता है। अधिकांश प्रमुख शहरों और पर्यटन स्थलों में होटलों की बुकिंग 30 से 70 फीसदी बढ़ जाती है और सामान्य दिनों की तुलना में 19 फीसदी तक अधिक रिटर्न देती है।

मध्य प्रदेश के पचमढ़ी जैसे हिल स्टेशन पर कुछ स्थानों पर होटल किराया दोगुना से तीन गुना हो गया है, और लगभग पूरा आवास हाउसफुल है। उत्तर प्रदेश, मध्य भारत, राजस्थान, हिमाचल और कर्नाटक जैसे पर्यटन हॉटस्पॉट में दिसंबर के अंतिम सप्ताह से 1 से 2 जनवरी तक ट्रैवल की मांग आसमान छूती है। वाराणसी और पूर्वांचल में 1 जनवरी को सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि देश से विदेश से सैलानी भी धार्मिक सांस्कृतिक अनुभव के लिए आते हैं। वाराणसी में करीब 700 करोड़ के निवेश की संभावनाएं पर्यटन और होटल उद्योग में जगी हैं, जिससे अगले वर्ष तक इन सेक्टरों का विस्तार और तेज़ होगा। उत्तर प्रदेश में नव वर्ष के पहले से ही प्रमुख मंदिरों, मथुरा वृंदावन, अयोध्या, वाराणसी आदि में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती दिखाई देती है। यह केवल धार्मिक अनुभव है, बल्कि पूजा सामग्री बिक्री प्रसाद, फूलमाला विक्रय, प्रसारण, डिजिटल सामग्री से लेकर स्थानीय परिवहन सेवाओं तक एक विस्तृत आर्थिक नेटवर्क का निर्माण करता है। ये तीर्थ स्थलों पर आने वाले लाखों यात्रियों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलता है, जो जनता बाजार, होटल, भोजन, गाइड सेवाओं और पारिवारिक खर्च से जुड़े हिस्सों में परिलक्षित होता है। यूपी के हाल के पर्यटन आंकड़े इस बात का प्रमाण देते हैं कि आस्था पर्यटन वृद्धि गति पिछले वर्षों में 361 फीसदी तक पहुंच चुकी है, जो राज्य के प्रमुख पर्यटन केंद्रों के सहयोग से एक महत्त्वपूर्ण सुधार को दर्शाती है। नव वर्ष की पूर्व संध्या पर फूलों का व्यापार एक महत्त्वपूर्ण उप-सेक्टर रहता है। गुलाब, ऑर्किड, जनरल हरे पत्तों के बुके, विशेष पूजा माला के साथ सजावट सामग्रियों की बिक्री तैनाती को बढ़ावा देती है। यह केवल उपभोक्ता मांग नहीं, बल्कि लेबर, ढुलाई, आयात/निर्यात, स्थानीय उत्पादों और छोटे विक्रेताओं के लिए एक आय स्रोत बनता है।

नव वर्ष के अवसर पर खानपान उद्योग सभी श्रेणियों में तेज़ी से फलता फूलता है : रेस्तरां, डिनर पैकेज, पार्टी मेन्यू केक, चॉकलेट, कन्फेक्शनरी घरेलू खाद्य आपूर्ति, यह सब मिलकर फूड बेवरेज सेक्टर के राजस्व को सामान्य दिनों से 30 से 50 फीसदी अधिक बनाते हैं। नव वर्ष के दौरान कॉमर्स साइट्स पर विशेष नव वर्ष सेल और मार्केटिंग कैंपेन चलते हैं. उपभोक्ता कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, गिफ्ट आइटम, होम डेकोर, ज्वेलरी आदि में खर्च बढ़ाते हैं. भारत में त्योहारों का कुल कॉमर्स बिक्री मूल्य 1 लाख करोड़ के स्तर को पार कर चुका है, और यह नव वर्ष के आसपास के खर्च को भी शामिल करता है। नव वर्ष का यह पर्व श्रमिकों अस्थायी कर्मचारियों कैटरिंग स्टाफ इवेंट मैनेजमेंट टीम होटल और गाइड्स को सीज़नल रोजगार देता है। विशेषकर पर्यटन, आयोजन, फूल फर्नीचर वितरण, जीपीएस टैक्सी और स्थानीय व्यवसायों में यह रोजगार पहले के वर्षों की तुलना में अधिक स्थिर और लाभकारी साबित हो रहा है। राज्य के अनुपूरक बजट में विशेष प्रावधानों से पर्यटन, धर्म एवं पर्यटन आधारित अवसंरचना को नई गति मिली है, ताकि नव वर्ष जैसे उत्सवों से जुड़े व्यावसायिक गतिविधियों का समर्थन हो सके। देश में ळैक्च् में उत्तर प्रदेश की भागीदारी भी महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ रही है। योगी सरकार द्वाराईजी आफ डूइंग बिजनेसमें किए गए सुधारों से व्यापारी और निवेशक भरोसा बढ़ा है, जिसका प्रभाव पूर्वांचल और खासकर बनारस, जैसे क्षेत्रों में देखा जा सकता है। नव वर्ष का व्यापार केवल बड़े नगरों तक सीमित नहीं है। ग्रामीण व्यापारियों, कारीगरों, हस्तशिल्पकारों को भी इस मौक़े पर संभावना मिलती है कि वे अपने उत्पाद फूल, कपड़े, लाइटिंग, सजावट सामग्री, पूजा सामग्री को स्थानीय से राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाएं।

मतलब साफ है नव वर्ष 2025 की विदाई और 2026 का स्वागत अब अलग-अलग रूपों में मनाया जाने वाला एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं रहा, यह खपत, पर्यटन, रोजगार, निवेश और स्थानीय राष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था को गतिशील करने वाला एक इंटरलिंक्ड आर्थिक इवेंट बन चुका है। जहां श्रद्धा और उत्सव का पवित्र भाव होता है, वहीं व्यापार और अर्थव्यवस्था की धड़कन भी उसी समय फलती फूलती है। इस पर्व पर भारत भर के बाजार, होटल तकियों तक, ईदृकॉमर्स से लेकर छोटे दुकानदारों तक, सभी एक साझा आर्थिक उत्साह का हिस्सा बनते हैं, जिसे केवल 1 जनवरी का जश्न कहा जाता है, बल्कि एक विकसित, जीवंत और उत्सव-आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है। भारत का पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर 2025 में घरेलू यात्रियों के खर्च के आधार पर लगभग 15.5 लाख करोड़ को पार कर चुका है, जो महामारी-पूर्व स्तर से 22 फीसदी अधिक है। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों का खर्च भी 3.1 लाख करोड़ तक पहुंचा। इस वृद्धि ने सम्पूर्ण पर्यटन सेक्टर को लगभग 21 लाख करोड़ तक पहुंचाया है। आने वाले वर्षों में अनुमान है कि डोमेस्टिक ट्रैवल स्पेंड 2034 तक लगभग 33.95 ट्रिलियन (लगभग 33.95 लाख करोड़) तक पहुँच सकता है, जिससे होटल, एयरलाइंस और होस्पिटैलिटी का कारोबार और तेजी से बढ़ेगा। उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक देखा जाने वाला राज्य के रूप में उभरा है। 2025 में रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज जैसे तीर्थस्थलों ने देश-विदेश के सैलानियों को आकर्षित किया। काशी (वाराणसी) 2025 (सितंबर तक) लगभग 14.69 करोड़ पर्यटक आए हैं और वर्ष के अंत में इसकी संख्या लगभग 18 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। 2014 से 2025 तक कुल 45.44 करोड़ से अधिक पर्यटकों ने काशी का दौरा किया, यह वृद्धि स्थानीय रोज़गार, होटल रूम बुकिंग और स्थानीय खरीद-बिक्री को मजबूती देती है।

2025 के पहले छह महीनों में उत्तर प्रदेश में 121 करोड़ से अधिक पर्यटक आगमन हुआ, इसका बड़ा हिस्सा हॉस्पिटैलिटी और रिटेल सेक्टर के लिए व्यावसायिक अवसर पैदा करता है। 2025 के अप्रैल से अगस्त के बीच यूपी के हवाई अड्डों से यात्रियों की संख्या 60.02 लाख रही, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14.6 फीसदी अधिक है. यह संकेत है कि उभरते पर्यटन और व्यापार यात्रा का प्रभाव भी छोटे-बड़े शहरों तक फैल रहा है। मतलब साफ है उत्तर प्रदेश खासकर वाराणसी-अयोध्या-प्रयागराज पर्यटन त्रिकोण के कारण अपना स्थान मजबूत कर रहा है। यह परंपरा आधारित पर्यटन व्यक्तिगत खर्च के साथ होटल, परिवहन, स्थानीय सेवाएँ, खानपान और खरीदारी को उत्प्रेरित करता है। वाराणसी में होटल उद्योग में पर्यटकों की संख्या में लगभग 42 फीसदी की वृद्धि देखी गई है, जो उसके हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में लगभग 66 फीसदी तक की वृद्धि में बदलती है, इसका असर स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार पर गहरा है। वाराणसी का प्रति व्यक्ति आय 1,03,334 के पार पहुंच गया है, जो स्थानीय व्यापार, सेवाएँ, पर्यटन-उपयोग और खरीददारी में सीधी वृद्धि दर्शाता है। बढ़ती पर्यटन संख्या और प्रतिव्यक्ति आय का सीधा प्रभाव बनारस में होटल बुकिंग, गाइड सेवाएँ, पूजा-सामग्री, फूल-गुलदस्ता, गिफ्टिंग, होमस्टे और रिटेल पर दिखता है।

सेक्टर-वाइज कारोबार स्थिति

सेक्टर   बनारस (काशी) पूर्वांचल उत्तर प्रदेश                          देश स्तर (भारत)

फूल, माला, गुलदस्ता : 25 से 30 करोड़, 70 से 90 करोड़, 350 से 400 करोड़, 900 से 1200 करोड़

पूजा सामग्री प्रसाद : 18 से 22 करोड़, 50 से 60 करोड़, 250 से 300 करोड़, 700 से 900 करोड़

होटल होम-स्टे : 80 से 100 करोड़, 200 से 250 करोड़, 1200 से 1500 करोड़, 9000 से 12000 करोड़

रेस्तरां, खानपान, केटरिंग : 60 से 75 करोड़, 180 से 220 करोड़, 1500 से 1800 करोड, 18000 से 22000 करोड़

पर्यटन ट्रैवल (टैक्सी, नाव, टिकट) : 120 से 150 करोड़, 300 से 350 करोड़, 2000 से 2500 करोड़, 15000 से 18000 करोड़

केक, बेकरी, मिठाई, चॉकलेट : 20 से 25 करोड, 60 से 80 करोड़, 400 से 500 करोड, 2500 से 3000 करोड़

गिफ्ट, सजावट, लाइटिंग : 15 से 20 करोड़, 50 से 60 करोड़, 350 से 450 करोड़, 2000 से 2500 करोड़

-कॉमर्स ऑनलाइन सेवाएँ : 40 से 50 करोड़, 120 से 150 करोड़, 1000 से 1200 करोड़, 25000 से 30000 करोड

इवेंट, पार्टी, मनोरंजन : 30 से 40 करोड़, 80 से 100 करोड़, 600 से 700 करोड़, 4000 से 5000 करोड़

कुल अनुमानित कारोबार : 410 से 510 करोड़, 1100 से 1360 करोड, 9000 से 10500 करोड़, 75,000 से 95,000 करोड़

यह आंकड़े नव वर्ष सप्ताह (31 दिसंबर से 1 जनवरी) पर आधारित अनुमानित व्यापारिक मूल्य हैं

स्रोत : पर्यटन विभाग, होटल संघ, व्यापार मंडल, पूर्व वर्षों के बिक्री ट्रेंड. वास्तविक बिक्री स्थान मांग के अनुसार कम-ज्यादा हो सकती है

बनारस पूर्वांचल : सेक्टर-वाइज बिक्री स्थिति

सेक्टर बनारस (काशी)   पूर्वांचल (समग्री)               

फूल, माला, गुलदस्ता : 25 से 30 करोड़, 70 से 90 करोड़

पूजा सामग्री प्रसाद : 18 से 22 करोड़, 50 से 60 करोड़

होटल, लॉज, होम-स्टे : 80 से 100 करोड़, 200 से 250 करोड़

रेस्तरां, खानपान, केटरिंग : 60 से 75 करोड़, 180 से 220 करोड़

पर्यटन ट्रैवल सेवाएँ(टैक्सी, नाव, गाइड, टिकट) : 120 से 150 करोड़, 300 से 350 करोड़

केक, बेकरी, मिठाई, चॉकलेट : 20 से 25 करोड़, 60 से 80 करोड़

गिफ्ट, सजावट, लाइटिंग : 15 से 20 करोड़, 50 से 60 करोड़

-कॉमर्स ऑनलाइन डिलीवरी : 40 से 50 करोड़, 120 से 150 करोड़

इवेंट, पार्टी, मनोरंजन : 30 से 40 करोड़, 80 से 100 करोड़

कुल अनुमानित कारोबार : 410 से 510 करोड़, 1100 से 1360 करोड़

आंकड़े 31 दिसंबर से 1 जनवरी के नव वर्ष सप्ताह पर आधारित अनुमान : स्थानीय व्यापार संघ, होटल एसोसिएशन, पर्यटन विभाग पिछले वर्षों के ट्रेंड पर आधारित. वास्तविक बिक्री भीड़, मौसम और पर्यटन प्रवाह के अनुसार घट-बढ़ सकती है

एक नजर  

बनारस में नव वर्ष पर पर्यटन होटल सेक्टर सबसे बड़ा कारोबारी क्षेत्र

पूर्वांचल में धार्मिक पर्यटन $ खानपान से सबसे अधिक नकदी प्रवाह

फूल, पूजा-सामग्री और केक जैसे छोटे सेक्टर भी करोड़ों की अर्थव्यवस्था बन चुके हैं

नव वर्ष सप्ताह में हजारों अस्थायी रोजगार भी सृजित

फूल, गुलदस्ता उद्योग : खुशबू में लिपटी करोड़ों की कमाई

नव वर्ष आते ही सबसे पहले जो कारोबार महकता है, वह है फूल उद्योग। बिक्री का दायरा : गुलाब, जरबेरा, ऑर्किड, लिली, कार्नेशन, बुके, फ्लावर बॉक्स, फ्लावर बास्केट, पूजा फूल, माला, सजावटी पुष्प् यानी केवल उत्तर भारत में अनुमानित 800 से 1000 करोड़ रुपये. वाराणसी, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु जैसे शहरों में 3 से 5 गुना तक बिक्री. लोकल फूल विक्रेताओं से लेकर बड़े फ्लावर चेन तक लाभ : फूल मंडियों में 31 दिसंबर की रात नींद नहीं होती, बल्कि सबसे बड़ी बिक्री होती है। मंदिर, पूजा - पाठ और आस्था की अर्थव्यवस्था : नव वर्ष 2026 का पहला दिन अब बड़ी संख्या में लोगों के लिए मंदिरों में शीश नवाने का दिन बन चुका है।

आस्था से जुड़ा कारोबार

पूजा सामग्री : नारियल, चुनरी, अगरबत्ती, दीपक पंडा - पुरोहित सेवाएं, दान - दक्षिणा आदि. काशी, अयोध्या, उज्जैन, तिरुपति जैसे शहर 1 जनवरी को लाखों श्रद्धालु, मंदिरों की आय में सामान्य दिनों से 2 से 3 गुना वृद्धि. होटल, नाव, प्रसाद, टैक्सी सबको सीधा लाभ. यह धार्मिक पर्यटन $ लोकल इकोनॉमी का मजबूत उदाहरण है।

होटल, रेस्टोरेंट और पार्टी कल्चर : जश्न का सबसे बड़ा बाज़ार

नव वर्ष का सबसे बड़ा व्यावसायिक लाभ होटल और खानपान सेक्टर को होता है। होटल इंडस्ट्री 80 से 100 फीसदी तक ऑक्यूपेंसी. महंगे पैकेज, गाला डिनर, लाइव म्यूजिक एक रात में लाखों की कमाई.

रेस्तरां और फूड स्टार्टअप

केक, पेस्ट्री, स्नैक्स, ड्रिंक्स ऑनलाइन फूड डिलीवरी में रिकॉर्ड ऑर्डर, लोकल ढाबे से लेकर फाइव स्टार तक व्यस्त. अनुमान है कि भारत में नव वर्ष सप्ताह में अकेले फूड सेक्टर का कारोबार 15 से 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचता है।

पर्यटन और ट्रैवल इंडस्ट्री : सड़कों से आसमान तक कारोबार

नव वर्ष अब टूरिज्म सीजन का पीक पॉइंट बन गया है। पर्यटन के प्रमुख केंद्र गोवा, मनाली, नैनीताल, जयपुर वाराणसी, अयोध्या, उज्जैन, दक्षिण भारत के हिल स्टेशन आदि. आर्थिक प्रभाव फ्लाइट टिकट महंगे, होटल पैकेज फुल, टैक्सी, ऑटो, गाइड सबको रोजगार, ट्रैवल इंडस्ट्री का अनुमान है कि नव वर्ष के दौरान 25 से 30 लाख लोग केवल पर्यटन के लिए यात्रा करते हैं।

गिफ्ट, चॉकलेट, केक और सजावटः भावनाओं का व्यापार

नव वर्ष शुभकामनाओं का पर्व है, और शुभकामनाएं अब गिफ्ट इकॉनमी से जुड़ चुकी हैं। लोकप्रिय आइटम : चॉकलेट हैम्पर, केक और कस्टमाइज्ड बेकरी, कैंडल, शोपीस, कार्ड, स्मार्ट गैजेट्स : यह सेक्टर खासकर युवाओं और शहरी बाजार में तेज़ी से बढ़ता है।

डिजिटल और -कॉमर्स : ऑनलाइन जश्न की नई अर्थव्यवस्था

नव वर्ष अब ऑनलाइन सेल्स फेस्टिवल भी है। -कॉमर्स पर भारी डिस्काउंट मोबाइल, कपड़े, ज्वेलरी की बंपर बिक्री, डिजिटल गिफ्ट कार्ड, ऑनलाइन बुकिंग, 31 दिसंबर और 1 जनवरी को -कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर ट्रैफिक सामान्य दिनों से 2 गुना तक बढ़ जाता है। स्थानीय रोजगार और अस्थायी अर्थव्यवस्था मतलब साफ है नव वर्ष का यह उत्सव स्थायी नहीं, लेकिन शक्तिशाली अस्थायी रोजगार भी पैदा करता है। फूल विक्रेता, अस्थायी कर्मचारी, होटल स्टाफ, टैक्सी ड्राइवर, इवेंट मैनेजमेंट. एक अनुमान के अनुसार नव वर्ष के सप्ताह में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।

उत्सव से अर्थव्यवस्था तक का सफर

नव वर्ष 2025 की विदाई और 2026 का आगमन अब सिर्फ भावनात्मक क्षण नहीं, बल्कि भारत की मल्टी, सेक्टर अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण इंजन बन चुका है। यह दिन बताता है कि खुशी, आस्था, उपभोग और व्यापार, जब एक साथ चलते हैं, तो एक तारीख करोड़ों की कहानी बन जाती है।

No comments:

Post a Comment