Tuesday, 23 December 2025

पड़ोसी देश में जलता मानवाधिकार, कराहते बांग्लादेशी हिंदू

हिंदू-विरोधी हिंसा के खिलाफ वाराणसी में उबाल, बांग्लादेश पर प्रतिबंध और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग

पड़ोसी देश में जलता मानवाधिकार, कराहते बांग्लादेशी हिंदू 

अजीत सिंह बग्गा के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तथा बांग्लादेश के उच्चायुक्त के नाम से ज्ञापन अपर जिलाधिकारी आलोक वर्मा को सौंपा गया

बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध हो रही हिंसा आकस्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण में चल रहीहिंदू-निर्मूलनकी प्रक्रिया है : अजीत सिंह

सुरेश गांधी

वाराणसी. बांग्लादेश में हिंदू समाज के विरुद्ध लगातार बढ़ती हिंसा अब केवल पड़ोसी देश की आंतरिक समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह मानवाधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और सभ्य विश्व की सामूहिक चेतना पर सीधा आघात बन चुकी है। मयमनसिंह क्षेत्र में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को कट्टरपंथी भीड़ द्वारा पेड़ से बांधकर जिंदा जलाए जाने की अमानवीय घटना ने पूरे भारत को झकझोर दिया है। इसके साथ ही हिंदू घरों, दुकानों और मंदिरों को सुनियोजित ढंग से जलाया जाना इस बात का प्रमाण है कि बांग्लादेश में हिंदू-विरोधी हिंसा अब एक संगठित और योजनाबद्ध अभियान का रूप ले चुकी है।

इसी पृष्ठभूमि में वाराणसी के हिंदू संगठनों ने सशक्त विरोध दर्ज कराते हुए केंद्र सरकार से निर्णायक कार्रवाई की मांग की है। हिंदू जनजागृति समिति के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तथा बांग्लादेश के उच्चायुक्त के नाम से ज्ञापन अपर जिलाधिकारी आलोक वर्मा को सौंपा गया। इस दौरान वाराणसी व्यापार मंडल अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा सहित अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

ज्ञापन में पत्र में अजीत सिंह बग्गा ने स्पष्ट शब्दों में कहा है, बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध हो रही हिंसा आकस्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण में चल रहीहिंदू-निर्मूलनकी प्रक्रिया है। जनगणना के आंकड़े इस भयावह सच्चाई की गवाही देते हैं, 1941 में जहां बांग्लादेश में हिंदू आबादी 28 प्रतिशत थी, वहीं आज यह सिमटकर मात्र 7 से 8 प्रतिशत रह गई है। यह केवल जनसंख्या में गिरावट नहीं, बल्कि अस्तित्व पर किया गया सुनियोजित प्रहार है। अजीत सिंह बग्गा ने बांग्लादेश के कट्टरपंथी और आतंकवादी गुटों के खिलाफ कठोर सैन्य कार्रवाई, आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध लगाने, तथा राजनीतिक दबाव बनाने की मांग की। उनका कहना है कि ढाका में युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद हिंदुओं को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा को बांग्लादेश सरकार अनदेखा कर रही है, जबकि प्रत्यक्ष वीडियो, साक्ष्य और अंतरराष्ट्रीय मीडिया इस सच्चाई को उजागर कर चुके हैं।

ज्ञापन में भारत-बांग्लादेश समझौतों के तहत अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने, संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में फैक्ट-फाइंडिंग मिशन भेजने, उत्पीड़ित हिंदुओं के लिए नागरिकता और पुनर्वास नीति बनाने, मंदिरों धार्मिक संपत्तियों का संयुक्त सर्वेक्षण कराने तथा बांग्लादेशी हिंदू समाज से सीधा संवाद तंत्र स्थापित करने जैसी ठोस मांगें रखी गईं। अजीत सिंह बग्गा ने कहा, वाराणसी से उठी यह आवाज केवल एक शहर का आक्रोश नहीं, बल्कि उस नैतिक दायित्व की याद दिलाती है, जो विश्व के सबसे बड़े हिंदू बहुल राष्ट्र होने के नाते भारत पर आता है। सवाल अब यह नहीं है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है या नहीं, सवाल यह है कि सभ्य विश्व और भारत इस अन्याय पर कब तक मौन साधे रहेंगे। अब समय गया है कि कूटनीति से आगे बढ़कर निर्णायक और प्रभावी कदम उठाए जाएं, ताकि पड़ोसी देश में कराहती मानवता को न्याय और सुरक्षा मिल सके।

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