कहते हैं
पाप का
नाश करने
के लिए
समय-समय
पर भगवान
विष्णु इस
धरती पर
प्रकट हुए।
कभी मर्यादा
पुरुषोत्तम राम,
तो कहीं
श्री कृष्ण
के अवतार
में भगवान
ने अपने
भक्तों के
कष्ट दूर
किए। इस
कलयुग में
भी उनके
भक्तों की
श्रद्धा मंदिरों
में देखने
को मिलती
है...।
ऐसा ही
एक मंदिर
है झारखंड
के गढ़वा
जिले के
नगर ऊंटारी
में। इस
मंदिर को
बाबा बंशीधर
मंदिर के
नाम से
जाना जाता
है। खास
यह है
कि यहां
राधा-कृष्ण
की दुर्लभ
मूर्ति है,
जो पूरी
सोने की
है। मूर्ति
का वजन
तकरीबन 40 मन
यानी 1600 किलोग्राम,
जिसकी कीमत
लगभग 48 सौ
करोड़ रुपए
है। आज
भी हजारों
की संख्या
में कृष्ण
भक्त हर
रोज यहां
आते है।
मान्यता है
कि सच्चे
मन से
मांगी गई
कोई भी
मुराद यहां
कभी अनसुनी
नहीं रहती
जी हां,
द्वापर युग
के सबसे
बड़े नायक,
संसार को
गीता का
ज्ञान और
जीवन का
सत्य बताने
वाले भगवान
श्रीकृष्ण ही
है। धरती
पर भगवान
श्रीकृष्ण ही
एक ऐसे
पूज्यनीय देवता
है जो
न सिर्फ
अपने भक्तों
का दुख
दर्द दूर
करने के
लिए बार-बार
धरती पर
अवतार लिया,
बल्कि आपसी
सौहार्द की
मिशाल पेश
की। अनहोनी
को होनी
और होनी
को अनहोनी
में तब्दील
करने वाले
ऐसे देवता
भगवान श्रीकृष्ण
का मंदिर
में झारखंड
के गढ़वा
जिला मुख्यालय
से करीब
40 किमी दूर
नगर उंटारी
में स्थित
है, जिसे
बंशीधर मंदिर
के नाम
से जाना
जाता है।
मंदिर दो
सौ साल
पुराना है।
खास यह
है कि
यहां राधा-कृष्ण
की दुर्लभ
मूर्ति है,
जो पूरी
सोने की
है। मूर्ति
4.5 फुट ऊंची
है। मूर्ति
का वजन
तकरीबन 40 मन
यानी 1600 किलोग्राम,
जिसकी कीमत
लगभग 4800 करोड़
रुपए है।
इस प्रतिमा
में भगवान
कृष्ण शेषनाग
के फन
पर निर्मित
24 पंखुडियों वाले
विशाल कमल
पर विराजमान
है। आज
भी हजारों
की संख्या
में श्रद्धालु
पहुंचते है
और श्रीकृष्ण
एवं राधा
की श्रद्धापूर्वक
पूजन-अर्चन
करते है।
कहते है
श्रद्धा एवं
विधि-विधान
से पूजन-अर्चन
करने वाले
भक्तों सभी
कामनाएं पूरी
हो जाती
है। इस
मंदिर की
प्रसिद्धी देश
के कोने-कोने
में फैली
हुई है।
कहते है
मूर्ति को
अगर कोई
चोरी का
प्रयास करता
है तो
उसके संग
बड़ी अनहोनी
हो जाती
है।
सावन, श्रीकृष्ण
जन्माष्टमी एवं
फाल्गुन में
मंदिर में
श्रद्धालुओं की
संख्या काफी
बढ़ जाती
है। इस
मंदिर में
सिर्फ उटारी
ही नहीं,
बल्कि आसपास
के ग्रामीण
भी आते
हैं। कहते
है यहां
जो भी
आया वह
खाली हाथ
नहीं लौटा
है। मंदिर
में हर
रोज हर
समय श्रद्धालुओं
का तांता
लगा रहता
है। इसके
अलावा हर
समय मंदिर
में भजन-कीर्तन
चलता रहता
है। यहां
का माहौल
हर समय
भक्तिमय रहता
है। इसके
अलावा मंदिर
में सफाई
की व्यवस्था
का खासा
ध्यान रखा
जाता है।
किवदंतियो के
मुताबिक इस
प्रतिमा को
हाथी पर
रख कर
एक रानी
अपने किले
लेकर जा
रही थी।
लेकिन हाथी
किले के
मुख्य द्वार
पर बैठ
गया और
लाख कोशिशों
के बाद
भी टस
से मस
नहीं हुआ।
आखिर हार
कर रानी
ने उसी
स्थान पर
प्रतिमा स्थापित
कर मंदिर
बनवा दिया।
आज जन्माष्टमी
के शुभ
अवसर धूमधाम
से सांस्कृतिक
कार्यक्रम आयोजित
होते है।
इसके अलावा
यहां प्रतिवर्ष
फाल्गुन महीने
में एक
महीने तक
मेले का
आयोजन भी
होता है।
जहां लाखों
की संख्या
में श्रद्धालु
जुटकर भगवान
कृष्ण का
पूजन-अर्चन
करते हैं।
पिछले 184 सालों
से वंशीधर
भगवान की
ये मूर्ति
यहां स्थापित
है, जिसमें
भगवान मुरली
बजाते नजर
आते हैं।
फिलहाल ये
मंदिर एक
ट्रस्ट के
अधीन है
जो नगर
ऊंटारी राज
परिवार से
संबंधित है।
मंदिर में
हनुमान जी,
राधा कृष्ण
व शिव
परिवार हैं।
वहीं, मंदिर
परिसर में
नवग्रह मंदिर
भी है।
गांव के
लोगों की
आस्था इस
मंदिर से
जुड़ी है।
पहले तो
यहां छोटा
मंदिर ही
था, लेकिन
पिछले पांच
वर्षो के
दौरान इस
मंदिर ने
भव्य रूप
ले लिया
है। मंदिर
के निर्माण
के साथ-साथ
यहां पर
बाउंड्री वाल
का निर्माण
किया गया
है। राधा
कृष्ण मंदिर
गांव का
सबसे प्राचीन
मंदिर है।
इसमें गांव
के लोगों
की गहरी
आस्था है।
सावन में
यहां भगवान
शिव का
जलाभिषेक करने
के लिए
श्रद्धालुओं का
तांता लगा
रहता है।
महाशिवरात्रि के
अवसर पर
लगभग लाखों
कांवड़ियों ने
मंदिर में
जलाभिषेक किया।
हाल ही
में मुख्यमंत्री
रघुवर दास
ने नगर
उंटारी का
नाम बदलकर
बंशीधर नगर
करने की
घोषणा की।
दास ने
कहा है
कि झारखण्ड
में पर्यटन
की अपार
संभावनायें हैं।
यदि हम
इसे विकसित
करते हैं
तो यहां
विदेशी मुद्रा
भी आ
सकती है।
पर्यटन उद्योग
के माध्यम
से समृद्धि
लायी जा
सकती है।
उन्होंने कहा
है कि
नगर उंटारी
को हम
मथुरा और
वृंदावन की
तरह विकसित
करेंगे।
मंदिर के
प्रस्तर लेखों
में वर्णन
है की
विक्रम संवत
1885 में नगरऊंटारी
के महाराज
भवानी सिंह
थे। उनकी
रानी शिवमानी
कुंवर भगवान
कृष्ण की
बड़ी भक्त
थी। इस
प्रतिमा को
उन्होंने ही
सपने में
देखा था।
पौराणिक कथाओं
के अनुसार
रानी ने
एक बार
जन्माष्टमी की
और उसी
रात भगवान
ने उन्हें
सपने में
दर्शन दिए।
सपने में
ही भगवान
ने कहा
कि कनहर
नदी के
किनारे शिवपहरी
पहाड़ी में
उनकी प्रतिमा
जमीन के
नीचे दबी
पड़ी है,
उसे ले
आओ। इस
सपने के
बाद सुबह
रानी अपनी
सेना के
साथ उस
पहाड़ी पर
गईं और
पूजा-अर्चना
के बाद
उनके बताई
गई स्थान
पर खुदाई
की। खुदाई
के दौरान
रानी को
बंशीधर की
अद्वितीय प्रतिमा
मिली। इस
प्रतिमा को
हाथी पर
रखकर नगरऊंटारी
लाया गया।
रानी इस
प्रतिमा को
अपने गढ़
में स्थापित
करना चाहती
थीं। पर
गढ़ के
मुख्य द्वार
पर हाथी
बैठ गया
और लाख
प्रयास के
बाद भी
वो वहां
से नहीं
उठा। रानी
ने उसी
स्थान पर
प्रतिमा स्थापित
कर मंदिर
बनवाया। कहा
जाता है
कि पहाड़ी
पर मिली
प्रतिमा केवल
श्रीकृष्ण की
थी। इस
कारण कालांतर
में वाराणसी
से राधा
की अष्टधातु
की प्रतिमा
भी बनावाकर
यहां लाई
गई, और
भगवान कृष्ण
की प्रतिमा
के बामांग
में पूरे
धार्मिक रीति-रिवाज
के साथ
स्थापित की
गई। नगर
उंटारी राज
परिवार के
संरक्षण में
यह मंदिर
प्रारंभ से
ही पर्यटकों
के आकर्षण
का केंद्र
रहा है।
नहीं
है
खास
सुरक्षा
के
इंतजाम
बताया जाता
है कि
रानी इस
प्रतिमा को
अपने किले
में स्थापित
करना चाहती
थीं, परंतु
किले के
मुख्य द्वार
पर हाथी
बैठ गया
और लाख
प्रयास के
बाद भी
वह यहां
से नहीं
उठा। रानी
ने उसी
स्थान पर
प्रतिमा स्थापित
कर मंदिर
बनवाया। जियोलॉजिकल
विभाग के
सर्वे में
इस मूर्ति
की मार्केट
वैल्यू साढ़े
चार हजार
करोड़ रुपए
से अधिक
आंकी गई।
लेकिन हैरत
इस बात
की है
की नक्सलियों
के असर
वाले इस
मंदिर में
सैकड़ों वर्ष
पुरानी राधा-कृष्ण
की बेशकीमती
मूर्ति की
हिफाजत के
लिए खास
सुरक्षा के
इंतजाम नहीं
है। पुलिस
के मुताबिक
कुछ साल
पहले नक्सलियों
ने मंदिर
से प्रतिमा
को चोरी
करने की
साजिश रची
थी। एटीएस
से इनपुट
मिला था
कि कुछ
उग्रवादी मंदिर
से मूर्ति
चुराकर ले
जा सकते
हैं। मंदिर
को भी
क्षति पहुंचा
सकते हैं।
इस साजिश
में सीमावर्ती
उत्तर प्रदेश,
बिहार, झारखंड
के 5-6 अपराधी
शामिल हैं।
सूचना के
अनुसार पुलिस
ने विशुनपुरा
थाना के
सारोपातो गांव
निवासी छोटू
सिंह खरवार
को 315 बोर
का देशी
पिस्तौल और
2 जिंदा कारतूस
के साथ
गिरफ्तार किया
था। पुलिस
के मुताबिक
योजना स्वरूप
अपराधियों ने
नगर उंटारी
में एक
किराया पर
कमरा भी
लिया था।
ताकि सभी
अपराधी वहां
रहकर मंदिर
का रेकी
कर सकें
और योजना
को अंजाम
दे सके।
परंतु एन
मौके पर
साजिश का
पर्दाफाश होने
पर अपराधियों
ने उस
कमरा को
छोड़ दिया।
मंदिर पर
नक्सली हमले
की आशंका
के मद्देनजर
ये कार्रवाई
की गई,
अब पूरा
मंदिर परिसर
पर सीसीटीवी
कैमरों की
मदद से
निगरानी की
जा रही
है। यूपी
एटीएस के
अनुसार, नक्सली
अब भी
इस प्राचीन
मंदिर की
बेशकीमती मूर्ति
को इलेक्ट्रिक
कटर मशीन
से काटकर
चुराना चाहते
हैं, साथ
ही उग्रवादी
भी मंदिर
में हमला
कर सोने
की भारी
मूर्ति को
अपने कब्जे
में लेने
की फिराक
में हैं।
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